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Saturday 17 December 2016

*शाने खातुने जन्नत* #08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_10 फ़ज़ाइले फातिमा_*
     1.खतूने जन्नत हज़रते फातिमाرضي الله تعالي عنها सर से पाऊ तक हम शक़्ले मुस्तफाﷺ थी।
     2.आपرضي الله تعالي عنها की चाल ढाल हर वजअ-कतअ हुज़ूरﷺ के मुशाबेह थी ।
     3.अल्लाह ने इन्हें रसूलﷺ कि जिति जागती तस्वीर बनाया था।
     4.मुफ़्ती अहमद यार खान उम्मुल हसनैन शाहज़ादि ए कौनैन की शान में अर्ज़ करते है :
          रसूलुल्लाह की जीती जागती तस्वीर को देखा
          किया नज़ारा जिन आँखों ने तफ़सीरे नुबुव्वत का
     5.हुज़ूरﷺ जब खतूने जन्नत फातिमातुज़्ज़हराرضي الله تعالي عنها को आता देखते तो ख़ुशी से खड़े हो जाते और अपनी जगह बिठा लेते।
     6.जब खतूने जन्नत फातिमातुज़्ज़हराرضي الله تعالي عنها बारगाहे रिसालतﷺ में हाज़िर हुई तो तमाम उम्महातुल मअमिनीन मौजूद थी मगर शाहे बहरो बर, रसूले अनवरﷺ ने राज़ की बात सिर्फ अपनी लाडली शाहज़ादि से की ।
     7.माहे रमजान में कुरआन का दौर करना सुन्नते रसूली भी है और सुन्नते जिब्रिलि भी। (कुरआन पाक का दौर करने का मतलब यह है की एक पढ़े और दूसरा सुने ,फिर दूसरा पढ़े और पहला सुने, मालूम हुआ हबीबे खुदाﷺ को अपने विसाले मुबारक का पहले से ही इल्म था कि अगले रमजान से पहले ही हमारी वफाते ज़ाहिरी हो जाएगी)
     8.ऐ फातिमा जैसे तुम हमारी हयात शरीफ में तय्यिबा, ताहिरा, मुत्तकिया,साबिरा रही हो ऐसे ही हमारी वफात के बाद भी रहना, तुम्हारे पाए इस्तिक्लाल (यानि मुस्तक़िल मिज़ाजी) में जुम्बिश (यानि हरकत) न आने पाए, खातूने जन्नतرضي الله تعالي عنها ने इस पर अमल कर के दिखा दिया, रोना सब्र के खिलाफ नहीं, नौहा, पीटना वगैरा सब्र के खिलाफ है येह आप ने कभी नहीं कहा।
     9.ताजदारे रिसालतﷺ ने अपनी शाहज़ादि को जन्नती लोगो की बीवियों या मोमिनों की बीवियों की सरदार होने की बिशारत दी।
     10.हज़रते सय्यिदुना मलिक बिन अनसرضي الله تعالي عنه फरमाते है : तहाराते नफ़्स और शरफे नसब में खतूने जन्नत हज़रते सय्यिदुना फातिमातुज़्ज़हराرضي الله تعالي عنها के बराबर कोई नहीं हो सकता।
*✍🏽शाने खातुने जन्नत, 30*
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