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Friday 30 December 2016

*नमाज़ के 7 फराइज़* #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_4 रूकू_*
     इतना झुकना की हाथ बढ़ाए तो घुटने को पहुच जाए ये रूकू का अदना दर्जा है और पूरा ये की पीठ सीधी बिछा दे।
     सुल्ताने मक्कए मुकर्रमा ﷺ का फरमाने अज़मत निशान है : अल्लाह عزوجل बन्दे की उस नमाज़ की तरफ नज़र नहीं फ़रमाता जिस में रूकू व सुजूद के दरमियान पीठ सीधी न करे।

*_5 सुजूद_*
     सुल्ताने दो जहां ﷺ का फरमान है : मुझे हुक्म हुवा की 7 हड्डियों पर सज्दा करू, मुंह और दोनों हाथ और दोनों घुटने और दोनों पन्जे और ये हुक्म हुवा की कपड़े और बाल न समेटु।
*✍🏽सही मुस्लिम, 1/193*
     हर रकअत में दो बार सज्दा फ़र्ज़ है. सज्दे में पेशानी जमना ज़रूरी है। जमने के माना ये है की ज़मीन की सख्ती महसूस हो, अगर किसी ने इस तरह सज्दा किया की पेशानी न जमी तो सज्दा न होगा।
*✍🏽आलमगिरी, 1/70*
     किसी नर्म चीज़ मसलन घास रुई या क़ालीन (carpet) वगैरा पर सज्दा किया तो अगर पेशानी जम गई यानि इतनी दबी कि अब दबाने से न दबे तो सज्दा हो जाएगा वरना नहीं।
     आज कल मस्जिद में कार्पेट बिछाने का रवाज पड़ गया है, कार्पेट पर सज्दा करते वक़्त इस बात का ख़ास ख्याल रखना है की पेशानी अच्छी तरह जम जाए वरना नमाज़ न होगी। और नाक की हड्डी न दबी तो नमाज़ मकरुहे तहरीमि वाजीबुल ईआदा होगी।
*✍🏽बहरे शरीअत, 3/71*
     कमानी दार (यानि स्प्रिंग वाले गद्दे) पर पेशानी खूब नहीं जमती लिहाज़ा नमाज़ न होगी।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, 176-170*
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