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Saturday 11 June 2016

तफ़सीरे अशरफी



हिस्सा~09

_*​​सूरए बक़रह, पारह-1​*_​

*आयत ④_तर्जुमह*
और जो मान जाए जो कुछ उतारा गया तुम्हारी तरफ, और जो कुछ उतारा गया तुम्हारे पहले, और आख़ेरत पर वही यकींन भी रखे।

*तफ़सीर*
और जो उसे भी मान जाए जो कुछ् उतारा गया तुम्हारी तरफ अय मेरे रसूल ! यानी कुरआन शरीफ के किसी नुक्ते से, और तुम्हारी शरीअत के किसी मसअले से जिन्हें इनकार न हो और उसे भी मान ले को कुछ उतारा गया तुम्हारे पहले के वो सब अल्लाह का नाज़िल करदा है। वेसे उसमे रद्द बदल कर दी गई है और क़ुरआन उनका नासिख (उसके अहकामकी मुद्दतो को खत्म करने वाला) हो गया है। और उनमे ये खुसूसियत भी हो के आख़ेरत पर के क़यामत होगी, हिसाब व किताब होगा, षवाब व अज़ाब होगा, और उसकी सारी तफ़सीलात पर यकीन भी रख्खे।
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