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Wednesday 22 June 2016

तफ़सीरे अशरफी


हिस्सा~18
*सूरए बक़रह, पारह-01*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*आयत ①⑤_तर्जुमह*
अल्लाह खुद ज़लील करता है उन्हें और ढील देता है उन्हें, के अपनी सरकशी में भटकते रहे।

*तर्जुमह*
हालांके अल्लाह खुद ज़लील करता है उन्हें के दुन्या में मज़ाकि कहलाए और आख़ेरत में मुसलमानो की जन्नत देख देख कर ज़लील हो। और अल्लाह हँसी मज़ाक नही करने देता, बल्कि ढील देता है उन्हें के अपनी बद-ज़बानी, छेड़छाड़ और शर्कसि में भटकते रहे और अपनी ज़िल्लत का सामान ज़्यादा से ज़्यादा जमा करे।

*आयत ①⑥_तर्जुमह*
ये वो है जिन्होंने खरीदा गुमराही को हिदायतके बदले। तो न फायदा दिया उनकी तिजारतने, और न थे वो इस राहसे आगाह।

*तफ़सीर*
ये सारे काफ़िर वो है, जिन्होंने खरीदा कुफ़्र और गुमराही को हिदायत के बदले। अल्लाह ने जो हिदायत फ़रमाई, उसको दे डाला और जिसको गुमराही बताया, उसे खरीद लिया, तो उसका अन्जाम ये हुआ के न फायदा दिया उनकी तिजारत ने। और बिलकुल खसारे में पड़ गये। और खसारे की वजह ज़ाहिर है के न थे वो इस तिजारती राह से आगाह। न उनको ये मालुम था के हिदायत कितनी कीमती चीज़ है और न इसका अंदाज़ा था के गुमराही में कितने ऐब है ?
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