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Sunday 19 June 2016

बुग्ज़ व किना

*तुम्हारे दिलमे किसी के लिये किना व बुग्ज़ न हो*
*ﺑِﺴْـــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

हज़रते अंस رضي الله تعالي عنه फरमाते है : ताजदार मदीना ﷺ ने मुझसे इरशाद फ़रमाया :
ऐ मेरे बेटे ! अगर तुम से हो सके कि तुम्हारी सुबहो शाम ऐसी हालत में हो कि तुम्हारे दिल में किसी के लिये *किना व बुग्ज़* न हो तो ऐसा ही किया करो।
*तिर्मिज़ी 4/309*

यानी मुसलमान भाई की तरफ से दुन्यवि उमूर में साफ़ दिल हो, सीना *किने* से पाक हो तब इसमें अनवारे मदीना आएँगे। धुंदला आइना और मेला दिल क़ाबिले इज़्ज़त नही।
*मीरआतुल मनाजिह् 1/172*

*अफज़ल कौन ?*
हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने अम्र رضي الله تعالي عنه फरमाते है कि रसूलल्लाह ﷺ से अर्ज़ की गई कि लोगो में से कौन अफज़ल है ?
फ़रमाया : हर सलामत दिलवाला, सच्ची ज़बान वाला।
लोगोने अर्ज़ की : सच्ची ज़बान वाले को तो हम जानते है, ये सलामत दिल वाला क्या है ?
फ़रमाया : वो ऐसा सुथरा है जिस पर न गुनाह हो, न बगावत, न किना और न हसद।
*सुनन इब्ने माजह 4/470*

*बुग्ज़ व किना 34*
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