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Sunday 19 June 2016

सिरते मुस्तफा


*जंगे उहूद*
*ﺑِﺴْـــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

_*ना गहा जंग का पासा पलट गया*_
कुफ्फार की बगदोद और मुसलमानो के फातिहाना कत्लो गारत का ये मन्ज़र देख कर वो 50 तीर अंदाज़ मुसलमान जो दर्रे की हिफाज़त पर मुक़र्रर किये गए थे वो भी आपस में एक दूसरे से ये कहने लगे कि गनीमत लूटो तुम्हारी फ़त्ह हो गई। उन लोगो के अफसर हज़रते अब्दुल्लाह बिन जबीर رضي الله تعالي عنه ने हर चन्द रोक और हुज़ूर ﷺ का फरमान याद दिलाया और फरमाने मुस्तफ्वि की मुखालफत से डराया मगर उन तीर अंदाज़ मुसलमानो ने एक न सुनी और अपनी जगह छोड़ कर माले गनीमत लूटने में मसरूफ़ हो गए।
लश्करे कुफ्फार का एक अफसर खालिद बिन वलीद पहाड़ की बुलंदी से ये मन्ज़र देख रहा था। जब उसने देखा कि दर्रा पहरेदारो से खाली हो गया है फौरन ही उसने दर्रे के रस्ते से फौज ला कर मुसलमानो के पीछे से हमला कर दिया। हज़रते अब्दुल्लाह बिन जबीर رضي الله تعالي عنه ने चन्द ज़ाबाज़ो के साथ इन्तिहाई दिलेराना मुक़ाबला किया मगर ये सब के सब शहीद हो गए।
अब क्या था काफिरो की फ़ौज के लिये रास्ता साफ हो गया खालिद बिन वलीद ने ज़बर दस्त हमला कर दिया। मुसलमान माले गनीमत लूटने में मसरूफ़ थे पीछे फिर कर देखा तो तलवारे बार्स रही थी और कुफ्फार आगे पीछे दोनों तरफ से मुसलमानो पर हमला कर रहे थे और मुसलमान का लश्कर चक्की के दो पाटो में दाने की तरह पीसने लगा और मुसलमानो में ऐसी बाद हवासी और अब्तरि फेल गई कि अपने और बेगाने की तमीज़ नही रही। खुद मुसलमान मुसलमान की तलवारो से क़त्ल हुए।
चुनान्चे हज़रते हुजैफा رضي الله تعالي عنه के वालिद हज़रते यमान खुद मुसलमानो की तलवार से शहीद हुए। हज़रते हुज़ैफा चिल्लाते ही रहे कि ऐ मुसलमानो ! ये मेरे बाप है। मगर कुछ अज़ीब बाद हवासी फैली हुई थी कि किसी को किसी का ध्यान ही नही था और मुसलमानो ने हज़रते यमान رضي الله تعالي عنه को शहीद कर दिया।
*सिरते मुस्तफा 265*
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