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Friday 24 June 2016

सिरते मुस्तफा ﷺ


जंगे उहूद*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

जंग जारी थी और जा निशाराने इस्लाम जो जहां थे वही लड़ाई में मसरूफ़ थे मगर सब की निगाहें इन्तिहाई बे क़रारी के साथ जमाले नुबुव्वत को तलाश करती थी, ऐन मायूसी के आलम में सब से पहले जिसने हुज़ूर ﷺ का जमाल देखा वो हज़रते काब बिन मालिक رضي الله تعالي عنه की खुश नसीब आँखे है,
उन्होंने हुज़ूर ﷺ को पहचान कर मुसलमानो को पुकारा की ऐ मुसलमानो ! इधर आओ, रसूले खुदा ﷺ ये है, इस आवाज़ को सुन कर तमाम जा निशारो में जान पड़ गई और हर तरफ से दौड़ कर मुसलमान आने लगे, कुफ्फार ने भी हर तरफ से हमला रोक कर हुज़ूर ﷺ पर क़ातिलाना हमला करने के लिये सारा ज़ोर लगा दिया।
लश्करे कुफ्फार का दल बादल हुजूम के साथ उमंड पड़ा और बार बार मदनी ताजदार पर यलगार करने लगा मगर जुल फ़िक़ार की बिजली से ये बादल फट कर रह जाता था।
*✍🏽सिरते मुस्तफा 268*
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