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Saturday 11 June 2016

सिरते मुस्तफा​


*​जंगे उहुद*​

_जंग की इब्तिदा_
हिस्सा~04

तल्हा के बाद उसका भाई ऊष्मान बिन अबू तल्हा रज्ज़ का ये शेर पढता हुवा हमला आवर हुवा कि..

अलम बरदार का फ़र्ज़ है कि नेज़े को खून में रंग दे या वो टकरा कर टूट जाए।

हज़रते हमज़ा رضي الله تعالي عنه उसके मुकाबले के लिये तलवार ले कर निकले और उस शाने पर ऐसा भरपूर हाथ मारा कि तलवार रीढ़ की हड्डी को काटती हुई कमर तक पहुच गई और आप के मुह से ये नारा निकला कि..
में हाजियो के सैराब करने काले अब्दुल मुत्तलिब का बीटा हु।

इसके बाद आप जंग शुरू हो गई और मैदाने जंग में कुश्टो खून का बाज़ार गर्म हो गया.

*#सिरते मुस्तफा 260*
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