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Thursday 2 June 2016

फ़सीरे अशरफी


हिस्सा~01

सूरतुल फातेहा

➡क़ुरआने पाक की सबसे पहली सूरह, जिसका नुज़ूल मक्काह में हुवा, और कहा जाता है की मदीना में भी हुवा।
➡इसमें 7 आयते, 27 कल्मे और 40 हरुफ़ है। जिसकी कोई आयत न नासिख(किसी आयत के हुक्म को खत्म करने वाली) है, न मनसुख(जिसके हुक्म की मुद्दत खत्म हो गई हो)।

➡इसका एक नाम सूरए फातेहा है, एक रिवायत में वही का सिलसिला इसीसे शुरू हुवा है।
➡दूसरा नाम *फातेहतुल किताब* है। क्यू की क़ुरआन इसीसे शुरू किया गया है।
➡तीसरा नाम *उम्मुल क़ुरआन* है। क्यू की सारे क़ुरआन के बयानों की बुन्याद इसीमे लिख्खि गई है।
➡चौथा नाम *सूरए कन्ज़* (खज़ानेवाली सूरह) है। क्यू की सारे क़ुरआन की दौलत का खज़ाना यही है।
➡पाचवा नाम *सूरए काफीयह* (काफी होनेवाली सूरह) है। यानी नमाज़मे दूसरी सूरतो के बदलेमें इसको पढ़ना काफी है। लेकिन उसके बदले में किसी सूरह को नहीं पढ़ सकते।
➡छठा नाम *सूरए शफियह* (शिफ़ा देनेवाली सूरह) है। इसको पढ़ कर डीएम करने से बीमारिया दूर होती है।
➡आठवा नाम *सूरए शिफ़ा* है।

📨बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह

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