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Tuesday 7 June 2016

सिरते मुस्तफा


*जंगे उहुद*

ताजदारे दो आलम मैदाने जंग में
हिस्सा~02

मुशरिकीन ने भी निहायत बा क़ायदगी के साथ अपनी स्फो को दुरुस्त किया। चुनांचे उन्होंने अपने लश्कर के दाए बाजू पर खालिद बिन वलीद को और बाए बाजु पर इक़रमा बिन अबू जहल को अफसर बना दिया, सुवारो का दस्ता सफवान बिन उमय्या की कमान में था। तीर अंदाज़ों का एक दस्ता अलग था जिन का सरदार अब्दुल्लाह बिन रबीआ था और पुरे लश्कर का अलम बरदार तल्हा बिन अबू तल्हा था जो क़बिलए बनी अब्दुद्दार का एक आदमी था।

हुज़ूर ﷺ ने जब देखा कि पुरे लश्करे कुफ्फार का अलम बरदार क़बिलए बनी अब्दुद्दार का एक शख्स है तो आपने भी इस्लामी लश्कर का झन्डा हज़रते मुसआद बिन उमैर को अता फ़रमाया जो क़बिलए बनू अब्दुद्दार से तअल्लुक़ रखते थे
*#सिरते मुस्तफा, स.257*
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