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Friday 24 June 2016

तफ़सीरे अशरफी


हिस्सा~20
*सूरए बक़रह, पारह-01*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*आयत ①⑨_तर्जुमह*
या जेसे बारिश हो आसमान से जिसमे तारिकिया है और कड़क है और चमक है। दाल देते है अपनी उंगलियो को अपने कानो में कड़कसे मौत से बचने को। और अल्लाह घेरे में लिये हुए है काफिरोको।

*तफ़सीर*
(जेसे बारिस हो अस्मान से) जेसे इस्लाम ही अल्लाह तआला की बारिश रहमत है। (जिसमे तरिकिया है) जिसको कुफ़्र व गुमराही की तफ़सील समजो। (और कड़क है) हक़ में हैबत होती है। (और चमक है) के हिदायत की राह रोशन होती है।
अब जो कुफ्फार उसमे फसे, तो उनका ये हाल है के (कानो में उंगलिया दाल देते है) बार बार के (कड़क से). हैबते इस्लाम और शौकते दिनको बर्दाश्त नही कर सकते। उसमे उन्हें अपनी मौत नज़र आती है। इसी लिये वो बद-हवासिकि हरकत करते है (माओत्से बचने को) डर लगा है के कहि मर न जाए। (और अल्लाह) अपने (घेरे में लिये हुवे है) और इस तरह से (काफिरोको) घेरे है के उनके निकल भागनेका कोई रास्ता नही है।
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