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Friday 10 June 2016

सिरते मुस्तफा ​ﷺ


*​जंगे उहुद*​

_जंग की इब्तिदा_
हिस्सा~03

लश्करे कुफ्फार का अलम बरदार तल्हा बिन अबू तल्हा सफ से निकल कर मैदान में आया और कहने लगा कि क्यू मुसलमानो ! तुम में कोई ऐसा है कि वो मुझे दोज़ख में पहोचा दे या खुद मेरे हाथ से वो जन्नत में पहुच जाए।

उसका ये घमंड से भरा हुवा कलाम सुन कर हज़रत अली शेरे खुदा ने फ़रमाया कि हा में हु ये कहकर फातेहे खैबर ने जुल फ़िक़ार के एक ही वार से उस का सर फाड़ दिया और वो ज़मीन पर तड़पने लगा और शेरे खुदा मुह फेर कर वहा से हट गए। लोगोने पूछा कि आप ने उस का सर क्यू नही काट लिया ?

शेरे खुदा ने फ़रमाया कि जब वो ज़मीन पर गिरा तो उस की शर्मगाह खुल गई और वो मुझे क़सम देने लगा कि मुझे मुआफ़ कर दिजिये उस बे हया को बे सीत्र देख कर मुझे शर्म दामन गिर हो गई इस लिये में ने मुह फेर लिया।

बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह

*#सिरते मुस्तफा 259*
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