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Thursday 30 June 2016

तफ़सीरे अशरफी


हिस्सा-25
*सूरए बक़रह_पारह 01*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*आयत ②⑤_तर्जुमह*
और खुश खबरी दो उन्हें, जो मान गए और किये करनेके लायक काम, के बेशक उन्हीके लिये है जन्नते, बह रही है जिनके निचे नहरे। जब दिये गए उसमे कोई फल ग़िज़ा को, कह पड़े के ये वही है, जो दिये गए थे हमें पहलेसे। हाला के थे उसके हम शक्ल। और उन्हीके लिये उसमे बिविया है पाकदामन। और वो उस में हमेशा रहनेवाले है।

*तफ़सीर*
इस मौके पर काफ़िर लोग भी सुनले और ख़ास तौर पर खुश खबरी सुनादो मुसलमानो को (उन्हें जो मान गए) अल्लाह और रसूल को और इसी पर नही रह गए। बल्कि काम किये और कैसे काम किये ? जो काम (करने के लायक) है, जिसमे नालायकी और बदी न हो।  बल्कि नेक ही नेक हो। ऐसे लियाकत वालो से कह दो के बेशक वो सुब्ह (उन्हीके लिये है) बगैर किसी परेशानी के (जन्नते) सदा बहार बाग़। कैसे हरे भरे के (बह रही है जिनके) दरख्तो और मकानात के निचे पाकीज़ा शरबत, शहद, दूध, पानीकी बेमीस्ल नहरे।
उसके फलो का ये हाल है के (जब दिए गये) और उन्होंने पाया उस जन्नत मेसे कोई फल, खूब जी भर के खाए और मज़े पाए। तो बे साख्ता वो बोल उठे ये फल तो बिलकुल वही फल है जो अभी अभी दिए गए थे हमको और हम उसको खा चुके है। हाला के वाकिया ये है के जो पहले दिए गये थे और वो खा भी चुके, वो और था, और ये और है। अलबत्ता दोनों हम शक्ल है। ताके नई नई शक्लो को देख कर किसी फल के खाने में आदमी होनेकी वजह से ज़िज़क न हो। और नया नया ज़ायक़ा पाकर और ज़्यादा ख़ुशी हो।
और जन्नत में मकानात, नहरे, फल यही नहीं है। बल्कि और भी सामान है। चुनान्चे जन्नतियो के लिये उस जन्नत में (बिविया है) हरे और उनकी दुन्यवाली नेक बिविया, सब की सब खूबसूरत, नेकसिरत, पाकीज़ा, औरतो की नापाकियो से पाक दामन।
और जन्नत को कभी फना नही है। वो हमेशा रहेगी  और जन्नती भी फना न होंगे। बल्कि जन्नतमे ये हमेशा रहेंगे।
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