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Sunday 5 June 2016

बुग्ज़ व किना

रहमत व मग्फिरत से महरूमी

नबी ﷺ का फरमान है :
अल्लाह शाबान की 15वी रात अपने बन्दों पर (अपनी क़ुदरत के शायाने शान) तजल्ली फ़रमाता है, मग्फिरत चाहने वालो की मग्फिरत फ़रमाता है और रहम तलब करने वालो पर रहम फ़रमाता है जबकि *किना* रखने वालो को उन की हालत पर छोड़ देता है।
#शोएबुल ईमान

नाज़ुक फेसलो की रात

उम्मुल मोअमिनीन हज़रते आइशा सिद्दीक़ा रदिअल्लाहु अन्हा से मरवी फरमाने मुस्तफा में ये भी है कि शाबान की 15वी रात में मरने वालो के नाम, लोगो को रिज़्क़ और हज करने वालो के नाम लिखे जाते है।
#तफ़्सीर अल-दुर्रेमंसुर

ज़रा गौर फरमाइये शाबान की रात कितनी नाज़ुक है ! न जाने किस किस की किस्मत में क्या लिख दिया जाए ! ऐसी अहम रात में भी *किना परवर* बख्शिश व मग्फिरत की खैरात से महरूम रहता है।

बनादे मुझे नेक, नेको का सदक़ा
     गुनाहो से हरदम बचा या इलाही

बुग्ज़ व किना स.10

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