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Sunday 12 June 2016

तफ़सीरे अशरफी



हिस्सा~09

_*​​सूरए बक़रह, पारह-1​*_​

*आयत ⑤_तर्जुमह*
वो है हिदायत पर अपने परवरदिगार की तरफसे और वो ही कामियाब है।

*तफ़सीर*
वो ही है जो हिदायत पर है और ये दुलत उन्ही का हिस्सा है अपने परवरदिगार की तरफसे और उन पर खुदा का ये फ़ज़ल है के वो कामयाब है, नजात पाए हुए है, और बा मुराद है। ये साड़ी खुबिया अब्दुल्लाह इब्ने सलाम और उनके साथियो ही में नही, बल्कि तमाम असहाबे रसूल में पाई जाती है और यही एहले सुन्नत व जमाअत का दीन व मज़हब है।
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