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Friday 3 June 2016

तफ़सीरे अशरफी



हिस्सा~02

सूरतुल फातेहा

➡9वा नाम *सबऐ मषानि* (बार बार पढ़ी जानेवाली 7 आयते) है।
इसमें 7 आयते है और नमाज़ में इसको बार बार पढ़ी जाती है।
➡10वा नाम *सूरए नूर* है।
इसके सारे मज़ामीन (बयानात) नूर ही नूर है।
➡11वा नाम *सूरए रुकयह*
क्यू की ज़हरके उतारने में ये सूरह मन्तर का काम करती है।
➡12वा नाम *सूरए हम्द* है।
इसकी इब्तेदा हम्दे इलाही से है।
➡13वा नाम *सूरए दुआ* है।
इसमें बेहतरीन दुआ सिखाई गई है।
➡14वा नाम *सूरए तअलीमुल-मसअला* है।
क्यूकी बे शुमार मसाइले अकाइद व आमाल इसमें मौजूद है और सब मसाइल की इसमें बुन्याद रख्खी गई है।
➡15वा नाम *सूरए मुनाजात* (दुआ की सूरह) है।
क्यूकी इस सूरह का सारा मज़मून बन्दे की एलन र्ड्स मुनाजात (दुआ) है।
➡16वा नाम *सूरए तफविद्* (सुपुर्द करने की सूरह) है।
क्यूकी बन्दा इस सूरह की तिलावत के वक़्त पूरा सवाली हो जाता है।
➡18वा नाम *उम्मुल किताब* (किताब की जड़) है।
क्यूकी हर आसमानी किताबोका खुलासा इसमें है।
➡19 वा नाम *फातेहतुल क़ुरआन* (क़ुरआन को शुरू करने वाली) है।
⤴क्यूकी क़ुरआन की इब्तेदा इसीसे है। ये नाम और फातेहतुल किताब एक ही वजह से है।
➡20वा नाम *सुरतुस्सलात* (नमाज़ की सूरह) है।
क्यू की नमाज़ इसके बगैर नही होती।

📨बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह

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