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Saturday 18 June 2016

सिरते मुस्तफा


*जंगे उहूद*
*ﺑِﺴْـــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

इस जंग में मुजाहिदीने अन्सार व मुहाजिरिन बड़ी दिलेरी और जाबाज़ी से लड़ते रहे यहाँ तक की मुशरिकीन के पाउ उखड़ गए।

हज़रते अली व हज़रते अबू दजाना व हज़रते साद बिन अबी वक़्क़ास رضي الله تعالي عنه वगैरा के मुजाहिदिना हमलो ने मुशरिकीन की कमर तोड़ दी। कुफ्फार के तमाम अलम बरदार एक एक कर के कट कर ज़मीन पर ढेर हो गए।

कुफ्फार को शिकस्त हो गई और वो भागने लगे और उन की औरते जो अशआर पढ़ पद्ग कर लश्करे कुफ्फार को जोश दिला रही थी वो भी बद हवासी के आलम में अपने इज़ार उठाए हुए बरहना साक भागती हुई पहाड़ो पर दौड़ती हुई चली जा रही थी और मुसलमान कत्लो गारत में मशगूल थे।
*✍🏽सिरते मुस्तफा 264*
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