Pages

Monday 13 June 2016

बुग्ज़ व किना

*सहाबए किराम से बुग्ज़ व किना रखने वाले का भयानक अंजाम*
हिस्सा~01
*بسم الله الرحمن الرحيم*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

सहाबए किराम से बुग्ज़ व अदावत रखना दारैन (यानि दुन्या व आख़िरत) में नुकसान व खुसरान का सबब है चुनान्चे हज़रत नूरुद्दीन अब्दुर्रहमान जामी नक़ल करते है :
तिन अफ़राद यमन के सफर पर निकले इनमे एक कुफी था जो शैखेने करीमैन (हज़रते अबू बक्र व हज़रत उमर) का खुस्ताख था, उसे समझाया गया लेकिन वो बाज़ न आया। जब ये तीनो यमन के क़रीब पहुचे तो एक जगह क़याम किया और सो गए। जब कूच का वक़्त आया तो इन में से उठ कर दो ने वुज़ू किया और फिर उस गुस्ताख कुफी को जगाया। वो उठ कर कहने लगा :
अफ़सोस ! में तुम से इस मंजिल में पीछे रह गया हु तुम ने मुझे ऍन उस वक़्त जगाया जब हुज़ूर मेरे सिरहाने तहरीफ़ ला क्र इरशाद फरमा रहे थे :
ऐ फ़ासिक़ ! अल्लाह फ़ासिक़ को ज़लिलो ख्वार करता है, इसी सफर में तेरी शक्ल बदल जाएगी।

बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह
*#बुग्ज़ व किना 22*
___________________________________
📮Posted by:-
​DEEN-E-NABI ﷺ​
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 9723 654 786
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment