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Wednesday 1 June 2016

नमाज़ के अहकाम

सजदए सहव

हिस्सा~03

निहायत अहम मसअला

➡कसीर इस्लामी भाई ना वाकिफिय्यत की बिना पर अपनी नमाज़ ज़ाए कर बैठते है लिहाज़ा ये मसअला खूब तवज्जोह से पढ़िये।

➡मसबुक (यानी जो एक या कई रकअते छूट जाने के बाद नमाज़ में शामिल हुवा) को इमाम के साथ सलाम फेरना जाइज़ नहीं, अगर क़सदन फिरेगा तो नमाज़ जाती रहेगी और अगर भूल कर इमाम के साथ बिला वक़्फ़ा फौरन सलाम फेरा तो हरज नहीं लेकिन ऐसा बहुत ही कम होता है और अगर भूल कर सलाम इमाम के कुछ भी बाद फेरा तो खड़ा हो जाए अपनी नमाज़ पूरी करके सज्दए सहव करे।

➡मसबुक इमाम के साथ सज्दए सहव करे अगर्चे उसके शरीक होने से पहले इमाम को सहव हुवा और अगर इमाम के साथ सज्दए सहव न किया और अपनी बाक़ी नमाज़ पढ़ने खड़ा हो गया तो आखिर में सज्दए सहव करे और इस मसबुक से अपनी नमाज़ में भी सहव हुवा तो आखिर में येही सज्दे इस इमाम वाले सहव के लिये भी काफी है।

➡क़ायदाए ऊला में तशह्हुद के बाद इतना पढ़ा *अल्लाहुम्म सल्ली अला मुहम्मदीन* तो सज्दए सहव वाजिब है।
⤴इस की वजह ये है नहीं कि दुरुद शरीफ पढ़ा बल्कि उस की वजह ये है कि तीसरी रकअत के क़याम में ताख़ीर हुई। लिहाज़ा अगर इतनी देर खामोश रहा जब भी सज्दए सहव वाजिब है।

➡किसी कायदे में तशह्हुद में कुछ रह गया तो सज्दए सहव वाजिब है नमाज़ फ़र्ज़ हो या नफ्ल।

✍🏽नमाज़ के अहकाम स.209

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सज्दए सहव का तरीक़ा

➡अत्तहिय्यात पढ़ कर बल्कि अफज़ल ये है की दुरुद शरीफ भी पढ़ लीजिये, सीधी तरफ सलाम फेर कर दो सज्दे कीजिये, फिर तशह्हुद, दुरुद शरीफ और दुआ पढ़ कर सलाम फेर दीजिये।

सज्दए सहव करना भूल जाए तो..?

➡सज्दए सहव करना था और भूल कर सलाम फेरा तो जब तक मस्जिद से बहार न हुवा सज्दा करले।
➡मैदान में हो तो जब तक सफों से मुतजाविज़ न हो या आगे को सज्दे की जगह से न गुज़रा, सज्दा करले,
➡जो चीज़ मानए बिना है मसलन कलाम वग़ैरा मुनाफिये नमाज़ अगर सलाम के बाद पाई गई तो अब सज्दए सहव नही हो सकता।
✍दुर्रेमुखतार
✍नमाज़ के अहकाम स.211

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सज्दए तिलावत और शैतान की शामत

अल्लाह के महबूब ने फ़रमाया :
जब जब आदमी आयते सज्दा पढ़ कर सज्दा करता है, शैतान हट जाता है और रो कर कहता है, हाय मेरी बर्बादी ! इब्ने आदम को सज्दे का हुक्म हुवा उसने सज्दा किया उसके लिये जन्नत है और मुझे हुक्म हुवा मेने इन्कार किया मेरे लिये दोज़ख है।
#सहीह मुस्लिम 1/61

इन्शा अल्लाह हर मुराद पूरी हो

जिस मक़सद के लिये एक मजलिस में सज्दे की सब (यानी 14) आयते पढ़ कर सज्दे करे अल्लाह उसका मक़सद पूरा फ़रमा देगा। ख्वाह एक एक आयत पढ़ कर उसका सज्दा करता जाए या सब पढ़ कर आखिर में 14 षड करले।
#गुन्या, दुर्रेमुखतार
#नमाज़ के अहकाम स.211

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