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Sunday 14 August 2016

*नमाज़ की 6 शराइत* #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_3 इस्तिक़्बाले किब्ला_*
     नमाज़ में किब्ला यानि काबे की तरफ मुह करना।
     नमाज़ी ने बिला उज़्र जानबुझ कर किब्ले से सीना फेर दिया अगर्चे फौरन ही किब्ले की तरफ हो गया नमाज़ फासिद् हो गई वे अगर बिला क़स्द फिर गया और ब क़दर 3 बार "सुब्हान अल्लाह" कहने के वक्फे से पहले वापस किब्ला रुख हो गया तो फासिद् न हुई
*✍🏽बुखारी, 1/497*

     अगर सिर्फ मुह किब्ले से फेरा तो वाजिब है की फौरन किब्ले की तरफ मुह कर ले और नमाज़ न जाएगी मगर बिला उज़्र ऐसा करना मकरूहे तहरीमी है।
     अगर ऐसी जगह पर है जहां किब्ले की शनाख्त का कोई ज़रीआ नही है न कोई ऐसा मुसलमान है जिस से पूछ कर मालुम किया जा सके तो तहर्रि कीजिये यानि सोचिये और जिधर किब्ला होना दिल पर जमे उधर ही रुख कर लीजिये आप के हक़ में वोही किब्ला है।
     तहर्रि कर के नमाज़ पढ़ी बाद में मालुम हुवा की किब्ले की तरफ नमाज़ नहीं पढ़ी, नमाज़ हो गई लौटाने की हाजत नहीं।
     एक शख्स तहर्रि करके नमाज़ पढ़ रहा हो दूसरा उसकी देखा देखि उसी सम्त नमाज़ पढ़ेगा तो नही होगी दूसरे के लिये भी तहर्रि करने का हुक्म है।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, 156-157*
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