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Monday 8 August 2016

अब्लाक़ घोड़े सुवार

*क़ुरबानी के मसाइल*
*_चंदे की रकम से इज्तिमाई क़ुरबानी के लिये गाए खरीदना_*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

सुवाल :
मज़हबी या फलाही इदारे के चंदे की रक़म से इज्तिमाई क़ुरबानी के लिये बेचने के वासिते गाए खरीदी जा सकती है या नही ?

जवाब :
चंदे की रक़म कारोबार में लगाना जाइज़ नही। इस के लिये चन्दा देने वाले से सराहतन यानी साफ़ लफ़्ज़ों में इजाज़त लेनी ज़रूरी है।
(जो इसकी इजाज़त दे सिर्फ उसी के चंदे की रक़म जाइज़ कारोबार में लगाई जा सकती है यु ही बिला इजाज़ते मालिक उसके दिये हुए चंदे की रक़म क़र्ज़ देने की भी इजाज़त नही)
*✍🏽अब्लाक़ घोड़े सुवार, 24*
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खादिमे दिने नबी ﷺ, *मुहम्मद मोईन*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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