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Friday 26 August 2016

तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान

 #18
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①ⓞ_*
उनके दिलों में बीमारी है, तो अल्लाह ने उनकी बीमारी और बढ़ाई और उनके लिये दर्दनाक अज़ाब है बदला उनके झूठ का

*तर्जुमह*
     अल्लाह तआला इससे पाक है कि उसको कोई धोख़ा दे सके. वह छुपे रहस्यों का जानने वाला है.
     मतलब यह कि मुनाफ़िक़ अपने गुमान में ख़ुदा को धोख़ा देना चाहते हैं या यह कि ख़ुदा को धोख़ा देना यही है कि रसूल अलैहिस्सलाम को धोख़ा देना चाहें क्योंकि वह उसके ख़लीफ़ा हैं, और अल्लाह तआला ने अपने हबीब को रहस्यों (छुपी बातों) का इल्म दिया है, वह उन दोग़लों यानि मुनाफ़िक़ों के छुपे कुफ़्र के जानकार हैं और मुसलमान उनके बताए से बाख़बर, तो उन अधर्मियों का धोख़ा न ख़ुदा पर चले न रसूल पर, न ईमान वालों पर, बल्कि हक़ीक़त में वो अपनी जानों को धोख़ा दे रह हैं.
     इस आयत से मालूम हुआ कि तक़ैय्या (दिलों में कुछ और ज़ाहिर कुछ और) बड़ा एब है. जिस धर्म की बुनियाद तक़ैय्या पर हो, वो झूठा है. तक़ैय्या वाले का हाल भरोसे के क़ाबिल नहीं होता, तौबह इत्मीनान के क़ाबिल नहीं होती, इसलिये पढ़े लिखों ने फ़रमाया है “ला तुक़बलो तौबतुज़ ज़िन्दीक़ यानी अधर्मी की तौबह क़बुल किये जाने के क़ाबिल नहीं.
     बुरे अक़ीदे को दिल की बीमारी बताया गया है. मालूम हुआ कि बुरा अक़ीदा रूहानी ज़िन्दग़ी के लिये हानिकारक है. इस आयत से साबित हुआ कि झूठ हराम है, उसपर भारी अजाब दिया जाता है.
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