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Tuesday 9 August 2016

अब्लाक़ घोड़े सुवार

*क़ुरबानी के मसाइल*
*_गरीब को खाले लेने दीजिये_*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

सुवाल :
अगर कोई शख्स हर साल गरीबो को खाल देता हो, उस पर इंफिरादि कोशिश कर के अपने मदरसे या दीगर दीनी कामो के लिये खाल लेना और गरीबो को महरूम कर देना केसा है ?

जवाब :
अगर वाक़ई कोई ऐसा गरीब मुस्तहिक़ आदमी है जिस का गुज़ारा उसी खाल या ज़कात व फीत्रा पर मौक़ूफ़ है तो अब उस को मिलने वाले इन अतिय्यात की अपने इदारे के लिये तरकिब कर के उस गरीब को महरूम करने की हरगिज़ इजाज़त नही।
     आला हज़रत अलैरहमा फरमाते है : अगर कुछ लोग अपने यहाँ की खाले हाजत मन्द यतिमो, बेवाओं, मिस्कीनों को देना चाहे कि इन की सूरते हाजत रवाई यही है, उसे कोई वाइज़ (यानी वाइज़ कहने वाला) या मदरसे वाला रोक कर मदरसे के लिये ले ले तो ये उसका ज़ुल्म होगा।
*✍🏽फतावा रज़विय्या, 20/501*
*✍🏽अब्लाक़ घोड़े सुवार, 25*
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खादिमे दिने नबी ﷺ, *मुहम्मद मोईन*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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