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Saturday 13 August 2016

क़ब्र में आनेवाला दोस्त

*अमल ने काम आना है*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     दुसरो की दुन्या रोशन करने के लिये अपनी क़ब्र में अँधेरा मत कीजिये, दौलत व माल और अहलो अयाल की महब्बत में न नेकिया छोड़िये न गुनाहो में पड़िये के इन सब का साथ तो आँख बन्द होते ही छूट जाएगा जब के नेकिया انشاء الله عز وجل क़ब्र व आख़िरत बल्कि दुन्या में भी काम आएगी,
     मगर अफ़सोस ! के आज हमारी अक्सरिय्यत की तुवनाइया सुब्ह से ले कर शाम तक अपनी दुन्यवि ज़िन्दगी को ही बेहतर से बेहतर और मज़ेदार बनाने की दौड़धूप में सर्फ हो रही है, सामने आख़िरत की फ़िक्र बहुत कम दिखाई देती है,
     यद् रखिये ! नेक अमल की क़द्र आज नही तो कल ज़रूर मालुम हो जाएगी मगर उस वक़्त सिवाए हसरत के कुछ हाथ न आएगा, जैसा के....

*_मुर्दे की हसरत !_*
     हज़रते अता बिन यसारرضي الله تعالي عنه फरमाते है : जब मय्यित को क़ब्र में रखा जाता है तो सब से पहले उसका अमल आ कर उस की बाई रान को हरकत देता है और कहता है : में तेरा अमल हु। वो मुर्दा पूछता है : मेरे बाल बच्चे कहा है ? मेरी नेमते, मेरी दौलत कहा है ? तो अमल कहता है : ये सब तेरे पीछे रह गए और मेरे सिवा तेरी क़ब्र में कोई नही आया।
     वो मुर्दा हसरत से कहता है : ऐ काश ! में ने अपने बाल बच्चों, अपनी नेमतों और दौलतों के मुक़ाबले में तुझे तरजीह दी होती क्यू के तेरे सिवा मेरे साथ कोई नही आया।
*✍🏽शरह स्सुदुर, 111*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 18*
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