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Tuesday 9 August 2016

सिरते मुस्तफाﷺ


*_गज़्वए बनू नज़ीर_*
हिस्सा-02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हुज़ूरﷺ के साथ हज़रते अबू बक्र व हज़रते उमर व हज़रते अलीرضي الله تعالي عنهم भी थे। यहूदियो ने इन सब हज़रात को एक दिवार के निचे बड़े एहतिराम के साथ बिठाया और आपस में ये मशवरा किया कि छत पर से एक बहुत ही बड़ा और वज़्नी पथ्थर इन हज़रात पर गिरा दे ताकि ये सब लोग दब कर हलाक हो जाए।
     चुनांचे अम्र बिन जहाश इस मक़सद के लिये छत के ऊपर चढ़ गया, मुहाफ़िज़े हक़ीक़ी परवर दगारे आलम ने अपने हबीब को यहूदियो की इस नापाक साज़िश से बी ज़रीअए वही मुत्तलअ फरमा दिया इस लिये फौरन ही आपﷺ वहा से उठ कर चुपचाप अपने हमराहियों के साथ चले आए और मदीना तशरीफ़ ला कर सहाबए किराम को यहूदियो की इस साज़िश से आगाह फ़रमाया और अन्सार व मुहजीरिन से मशवरे के बाद उन यहूदियो के पास क़ासिद भेज दिया।
     तुम लोगो ने अपनी इस दसिसा कारी और क़ातिलाना साज़िश से मुआह्दा तोड़ दिया इस लिये अब तुम लोगो को दस दिन की मोहलत दी जाती है कि तुम इस मुद्दत में मदीने से निकल जाओ, इसके बाद जो शख्स भी तुम में का यहाँ पाया जाएगा क़त्ल कर दिया जाएगा।

बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 297*
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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*सिरते मुस्तफाﷺ*
*_गज़्वाए बनू नज़ीर_*
हिस्सा-03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

    शनहशाहे मदीनाﷺ का ये फरमान सुन कर बनू नज़ीर के यहूदी जिला वतन होने के लिये तैयार हो गए थे मगर मुनाफ़िक़ों का सरदार अब्दुल्लाह इब्ने उब्य्य उन  यहूदियो का हामी बन गया और इस ने कहला भेजा कि तुम लोग हरगिज़ हरगिज़ मदीने से न निकलो हम दो हज़ार आदमियो से तुम्हारी मदद करने को तैयार है इसके इलावा बनू क़रिज़ा और बनू गतफन यहूदियो के दो ताक़त वर क़बिले भी तुम्हारी मदद करेंगे।
     बनू नज़ीर के यहूदियो को जब इतना बड़ा सहारा मिल गया तो वो शेर हो गए और उन्हों ने हुज़ूरﷺ के पास कहला भेजा कि हम मदीना छोड़ कर नही जा सकते आप के जो दिल में आए कर लीजिये।
     यहूदियो के इस जवाब के बाद हुज़ूरﷺ ने मस्जिदें नबवी की इमामत हज़रते इब्ने उम्मे मक्तूमرضي الله تعالي عنه के सिपुर्द फरमा कर खुद बनू नज़ीर का क़स्द फ़रमाया और उन यहूदियो के किल्ले का मुहासरा कर लिया ये मुहासरा 15 दिन तक क़ाइम रहा किला में बाहर से हर किस्म के सामानों का आना जाना बन्द हो गया और यहूदी बिलकुल ही महसूर व मजबूर हो कर रह गए मगर इन मौक़ा पर न तो मुनाफ़ीक़ो का सरदार अब्दुल्लाह बिन उब्य्य यहूदियो की मदद के लिये आया न बनू क़रिज़ा और बनू गतफान ने कोई मदद की।
   
चुनांचे इन दगाबाज़ों के बारे में क्या इरशाद फ़रमाया ये इन्शा अल्लाह कल की पोस्ट में...
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 298*
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