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Thursday 4 August 2016

मदनी पंजसुरह

*सुबह व शाम के अज़्कार*
हिस्सा-01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से मारवी है कि एक शख्स बारगाहे रिसालत में हाज़िर हुआ और अर्ज़ किया : या रसूलल्लाहﷺ ! मेने ऐसा बिच्छु कभी नही देखा जिसने मुझे कल रात काटा। हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया : तुम ने शाम के वक़्त
*اَعُوْذُ بِكَلِمَاتِ اللّٰهِ التَّامَّاتِ مِنْ شَرِّمَاخَلَقَ*
*तर्जमह*
में अल्लाह के पुरे और कामिल कलिमात के साथ मख्लूक़ के शर से पनाह लेता हु।
क्यू न पढ़ लिया कि बिच्छु तुम्हे कोई नुकशान न पहुचता।

     हज़रते उष्मानرضي الله تعالي عنه से मरवी है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जो शख्स सुब्ह व शाम 3-3 मर्तबा ये पढ़ेगा, तो कोई चीज़ नुक़सान न पहुचा सकेगी।
*بَسْمِ اللّٓهِ الّذِىْ لَايَضَرُّ مَعَ اسْمِهٖ شَىْءٌ فِى الْاَرْضِ وَلَا فَى اسَّمَآءِ وَهُوَ السَّمِيْعُ الٍعَلِيْمُ*
*तर्जमह*
अल्लाह के नाम से जिस के नाम की बरकत से ज़मीन व आसमान की कोई चीज़ नुक़सान नही पहुचा सकती और वोही सुनता जानता है।
*✍🏽सुनन तिर्मिज़ी, 5/251*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 148*
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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