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Monday 15 August 2016

*नमाज़ की 6 शराइत* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*4 वक़्त*
     जो नमाज़ पढ़नी है उसका वक़्त होना ज़रूरी है। मसलन आज की नमाज़े असर अदा करना है तो ये ज़रूरी है की असर का वक़्त शुरू हो जाए अगर वक़्ते असर शुरू होने से पहले ही पढ़ ली तो नमाज़ न होगी।
     उमुमन मसाजिद में निज़ामुल अवक़ात के नक़्शे आवेज़ा होते है उन में जो मुस्तनद तौकीद दा के मुरत्तब करदा और उलमए अहले सुन्नत के मुसद्दक़ा हो उन से नमाज़ों के अवक़ात मालुम करने में सहूलत रहती है।
     इस्लामी बहनो के लिये अव्वल वक़्त में नमाज़े फ़ज्र अदा करना मुस्तहब है और बाक़ी नमाज़ों में बेहतर ये है की मर्दों की जमाअत का इन्तिज़ार करे, जब जमाअत हो चुके फिर पढ़े।

*_अवक़ाते मकरुहा_*
     तुलुए आफताब से ले कर 20 मिनिट बाद तक
     गुरुबे आफताब से 20 मिनिट पहले।
     निस्फुन्न्हार यानि ज़हवए कुब्रा से ले कर ज़वाले आफताब तक।
     इन तीनो अवक़ात में कोई नमाज़ जाइज़ नही न फ़र्ज़ न वाजिब न नफ्ल न क़ज़ा।
     हा अगर उस दिन की नमाज़े असर नही पढ़ी थी और मकरुह वक़्त शुरू हो गया तो पढ़ ले अलबत्ता इतनी ताख़ीर करना हराम है।

*_दौराने नमाज़ मकरूह वक़्त दाखिल हो जाए तो ?_*
     गुरुबे आफताब से कम से कम 20 मिनिट क़ब्ल नमाज़े असर का सलाम फिर जाना चाहिए जैसा के आला हज़रत अलैरहमा फरमाते है : नमाज़े असर में जितनी ताखीर हो अफज़ल है जब कि वक़्ते कराहत से पहले पहले खत्म हो जाए।
*✍🏽फतावा रज़विय्या, 5/156*
     फिर अगर इसने एहतियात की और नमाज़ में तत्वील की (यानी तूल दिया) कि वक़्ते कराहत वस्ते नमाज़ में आ गया जब भी इस पर ऐतिराज़ नही।
*✍🏽फतावा रज़विय्या, 5/139*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, 157-158*
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