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Wednesday, 24 August 2016

तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान

#16
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बीक़रह, आयत ⑦_*
अल्लाह ने उनके दिलों पर और कानों पर मुहर कर दी और आखों पर घटा टोप है, और उनके लिये बड़ा अज़ाब

*तफ़सीर*
     इस सारे मज़मून का सार यह है कि काफ़िर गुमराही में एेसे डूबे हुए हैं कि सच्चाई के देखने, सुनने, समझने से इस तरह मेहरूम हो गए जैसे किसी के दिल और कानों पर मुहर लगी हो और आंखों पर पर्दा पड़ा हुआ हो.
     इस आयत से मालूम हुआ कि बन्दों के कर्म भी अल्लाह की क़ुदरत के तहत हैं.
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