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Wednesday 10 August 2016

सिरते मुस्तफा ﷺ


_गज़्वाए बनू नज़ीर_*
        हिस्सा-04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

चुनांचे अल्लाह ने इन दगाबाज़ो के बारे में क़ुरआन में इरशाद फ़रमाया :
*इन लोगो की मिषाल शैतान जेसी है जब इस ने आदमी से कहा कि तू कुफ़्र कर फिर जब उस ने कुफ़्र किया तो बोला कि में तुझ से अलग हु में अल्लाह से डरता हु जो सारे जहान का पालनेवाला है।*
पारह 28, सूरतुल हशर, 16

     यानी जिस तरह शैतान आदमी को कुफ़्र पर उभारता है लेकिन जब आदमी शैतान के वर-गलाने से कुफ़्र में मुब्तला हो जाता है तो शैतान चुपके से खिसक कर पीछे हट जाता है इसी तरह मुनाफ़ीक़ो ने बनू नज़ीर के यहूदियो को शह दे कर दिलेर बना दिया और अल्लाह के हबीबﷺ से लड़ा दिया लेकिन जब बनू नज़ीर के यहूदियो को जंग का सामना हुवा तो मुनाफ़िक़ चुप कर अपने घरो में बैठ रहे।
     हुज़ूरﷺ ने किल्ले के मुहसरे के साथ किल्ले के आस पास खजूरो के कुछ दरख्तो को भी कटवा दिया क्यू कि मुमकिन था कि दरख्तो के झुंड में यहूदी छुप कर इस्लामी काशकर पर छापा मारते और जंग में मुसलमानो को दुश्वारी हो जाती।
     इन दरख्तो को काटने के बारे में मुसलमानो के दो गुरौह हो गए, कुछ लोगो का ये ख्याल था कि ये दरख्त न काटे जाए क्यू कि फ़त्ह के बाद ये सब दरख्त माले गनीमत बन जाएंगे और मुसलमान इन से नफा उठाएंगे और कुछ लोगो का ये कहना था कि दरख्तो के झुंड को काट कर साफ़ कर देने से यहूदियो की कमीन गाहों को बर्बाद करना और इन को नुक़सान पबुचा का गैज़ो गज़ब में डालना मक़सूद है, लिहाज़ा इन दरख्तो को काट देना ही बेहतर है।

     इस मौके पर सूरए हशर की एक आयत उतरी जो इन्शा अल्लाह अगली पोस्ट में हम देखेंगे....
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 299*
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खादिमे दिने नबी ﷺ, *मुहम्मद मोईन*
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