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Saturday 6 August 2016

क़ब्र में आनेवाला दोस्त

*क़ब्र में आनेवाला दोस्त*
हिस्सा-03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     फिर हुज़ूरﷺ ने मजीद इरशाद फ़रमाया : फिर वो शख्स अपने तीसरे भाई से कहे : यक़ीनन तुम भी मेरी हालत देख रहे हो और तुम ने मेरे अहलो अयाल व माल का जवाब सुन लिया है, बताओ तुम मेरे लिये क्या कर सकते हो ?
     वो उसे तसल्ली देते हुए कहे : मेरे भाई ! में तो क़ब्र में भी तुम्हारे साथ रहूंगा और तुम्हे वहशत से बचाऊंगा और जब यौमे हिसाब आएगा तो में तेरे मीज़ान में जा बैठूंगा और उसे वज़न दार कर दूंगा। ये उसका अमल है, इस के बारे में तुम्हारा क्या ख़याल है ?
     सहाबा ने अर्ज़ की या रसूलल्लाहﷺ ! ये तो बहुत अच्छा दोस्त है
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : यही हक़ीक़त है।
*✍🏽कन्जुल आमाल 10/318*

*_वफादार कौन_*
     आप ने देखा की हमारे आक़ा ﷺ
 ने एक आसान मिसाल के ज़रिए अमल की अह्मिययत को बयान फ़रमाया। यक़ीनन माल, अहलो अयाल और आमाल में से हमारा सब से वफादार  दोस्त *अमल* है जो क़ब्र व हशर में भी हमारा मददगार होगा।
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त 11*
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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