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Wednesday 10 August 2016

तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान


हिस्सा-02
*_सूरए फातिहा_*
हिस्सा-02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरए फातिहा के नाम_*
     इस सूरत के कई नाम हैं – फा़तिहा, फा़तिहतुल किताब, उम्मुल कु़रआन, सूरतुल कन्ज़, काफि़या, वाफ़िया, शाफ़िया, शिफ़ा, सबए मसानी, नूर, रुकै़या, सूरतुल हम्द, सूरतुल दुआ़ तअलीमुल मसअला, सूरतुल मनाजात सूरतुल तफ़वीद, सूरतुल सवाल, उम्मुल किताब, फा़तिहतुल क़ुरआन, सूरतुस सलात.

*_सूरतुल फ़ातिहा की खूबियाँ_*
    हदीस की किताबों में इस सूरत की बहुत सी ख़ूबियाँ बयान की गई है. हुजू़रﷺ ने फरमाया तौरात व इंजील व जु़बूर में इस जैसी सूरत नहीं उतरी.
*✍🏽तिरमिज़ी*
     एक फ़रिश्ते ने आसमान से उतर कर हुजू़रﷺ पर सलाम अर्ज़ किया और दो ऐसे नूरों की ख़ूशख़बरी सुनाई जो हुज़ूरﷺ से पहले किसी नबी को नहीं दिये गए. एक सूरए फ़ातिहा दूसरे सुरए बक्र की आख़िरी आयतें.
*✍🏽मुस्लिम शरीफ़*
     सूरए फा़तिहा हर बीमारी के लिए दवा है.
     सूरए फ़ातिहा सौ बार पढ़ने के बाद जो दुआ मांगी जाए, अल्लाह तआला उसे क़ुबूल फ़रमाता है.
*✍🏽दारमी*

*_सूरए फ़ातिहा में क्या क्या है?_*
     इस सूरत में अल्लाह तआला की तारीफ़, उसकी बड़ाई, उसकी रहमत, उसका मालिक होना, उससे इबादत, अच्छाई, हिदायत, हर तरह की मदद तलब करना, दुआ मांगने का तरीक़ा, अच्छे लोगों की तरह रहने और बुरे लोगों से दूर रहने, दुनिया की ज़िन्दगी का ख़ातिमा, अच्छाई और बुराई के हिसाब के दिन का साफ़ साफ़ बयान है.
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खादिमे दिने नबी ﷺ, *मुहम्मद मोईन*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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