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Friday 5 August 2016

मदनी पंजसुरह

*सुब्ह व शाम के अज़्कार*
हिस्सा-02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जिसने सुब्ह व शाम *سُبْحَانَ اللّٰهِ وَبِحَمْدِهٖ*  100 मर्तबा पढ़ा क़यामत के दिन उससे अफज़ल अमल ले कर आनेवाला कोई न होगा मगर वो जो उसकी मिस्ल कहे या उस से ज़्यादा पढ़े।
*✍🏽सहीह मुस्लिम, 1440*

     हज़रते अबू दरदाرضي الله تعالي عنه फरमाते है : की जिसने सुब्ह व शाम 7-7 मर्तबा *حَسْبِىَ اللّٰهُ لَآاِلٰهَ اِلَّاهُوَ عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ وَهُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيْمِ*
*तर्जुमह :* मुझे अल्लाह काफी है उसके सिवा किसी की बंदगी नही में ने उसी पर भरोसा किया और वो बड़े अर्श का मालिक है।
     अल्लाह उसकी तमाम परेशानियो में किफायत करेगा।
*✍🏽सुनन इब्ने दाऊद, 4/416*

     नबीए करीमﷺ ने फ़रमाया : जो सुब्ह के वक़्त ये पढ़े
*رَضِيْتُ بِاللّٰهِ رَبًّا وَّبِالْاِسْلَامِ دِيْنًاوَّبِمُحَمَّدٍ نَبِيَّا*
*तर्जुमह :* में अल्लाह के रब होने और इस्लाम के दिन होने और हज़रत मुहम्मद के नबी होने पर राज़ी हु।
     तो में उसे अपने हाथ से पकड़ कर जन्नत में दाखिल करने की ज़मानत देता हु।
*✍🏽मजमउ जवाइद, 10/157*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 149*
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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