*_हम किस पर महेरबान है?_*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
इंसान वफादार दोस्त का क़द्रदान और उसी पर ज़्यादा महेरबान होता है, इसी बात के पेशे नज़र हमे ज़्यादा अह्मिययत "क़ब्र व हशर में काम आने वाले दोस्त" यानी अमल को देनी चाहिये थी मगर अफ़सोस ! ऐसा नही है, हम में से कुछ लोग माल को ज़्यादा अहम समजते है हालांके ये उस वक़्त तक हमारा साथ देता है जब तक हमारी सासे बहाल है, आँखे बन्द होते ही हमे छोड़ कर हमारे वारिसों के पास चला जाता है और क़ब्र में फूटी कोडी भी हमारे साथ नही जाती क्यू के कफ़न में थैली होती है न क़ब्र में तिजोरी !
ज़रुरिय्याते ज़िन्दगी की तकमील के लिये माल की अहमिय्यत से इनकार नही मगर आज हमारी ग़ालिब अक्सरिय्यत मालो दौलत की महब्बत में ऐसी गिरफ्तार है के ज़्यादा से ज़्यादा माल कमाने की धुन में हराम व ना जाइज़ ज़रिये इस्तिमाल किये जाते है मसलन रिशवत और सूद का लेन देन किया जाता है, ज़खीरा अन्दोज़ी की जाती है ज़मीनो पर क़ब्ज़े किये जाते है, लोगो के कर्जे दबाए जाते है, अमानत में खियानत की जाती है, चोरी की जाती है अल ग़रज़ तिजोरी को रुपयो पैसे, सोना चान्दी से भरने के लिये नामए आमाल को खूब गुनाहो से भरा जाता है।
ऐसा करने वालो के दिलो दिमाग पर हिर्स व लालच का इतना गलबा हो जाता है के उन्हें ये एहसास तक नही होता के एक दिन सब यही छोड़ जाना है।
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त 12*
___________________________________
खादिमे दिने नबी ﷺ, *मुहम्मद मोईन*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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इंसान वफादार दोस्त का क़द्रदान और उसी पर ज़्यादा महेरबान होता है, इसी बात के पेशे नज़र हमे ज़्यादा अह्मिययत "क़ब्र व हशर में काम आने वाले दोस्त" यानी अमल को देनी चाहिये थी मगर अफ़सोस ! ऐसा नही है, हम में से कुछ लोग माल को ज़्यादा अहम समजते है हालांके ये उस वक़्त तक हमारा साथ देता है जब तक हमारी सासे बहाल है, आँखे बन्द होते ही हमे छोड़ कर हमारे वारिसों के पास चला जाता है और क़ब्र में फूटी कोडी भी हमारे साथ नही जाती क्यू के कफ़न में थैली होती है न क़ब्र में तिजोरी !
ज़रुरिय्याते ज़िन्दगी की तकमील के लिये माल की अहमिय्यत से इनकार नही मगर आज हमारी ग़ालिब अक्सरिय्यत मालो दौलत की महब्बत में ऐसी गिरफ्तार है के ज़्यादा से ज़्यादा माल कमाने की धुन में हराम व ना जाइज़ ज़रिये इस्तिमाल किये जाते है मसलन रिशवत और सूद का लेन देन किया जाता है, ज़खीरा अन्दोज़ी की जाती है ज़मीनो पर क़ब्ज़े किये जाते है, लोगो के कर्जे दबाए जाते है, अमानत में खियानत की जाती है, चोरी की जाती है अल ग़रज़ तिजोरी को रुपयो पैसे, सोना चान्दी से भरने के लिये नामए आमाल को खूब गुनाहो से भरा जाता है।
ऐसा करने वालो के दिलो दिमाग पर हिर्स व लालच का इतना गलबा हो जाता है के उन्हें ये एहसास तक नही होता के एक दिन सब यही छोड़ जाना है।
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