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Thursday 11 August 2016

मदनी पंजसुरह

*नमाज़ के बाद पढ़े जाने वाले अवराद*
हिस्सा-02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हर नमाज़ के बाद पेशानी के अगले हिस्से पर हाथ रख कर पढ़े :
*بِسْمِ اَللّٰهِ الَّذِىْ لَا اِلٰهَ اِلَّا هُوَ الرَّحْمٰنُ الرَّحْيْمُ، اَللّٰهُمَّ اذْهِبْ عَنِّى الْهَمَّ وَالْحُزْنَ*
*तर्जुमह :* अल्लाह के नाम से शुरू जिसके सिवा कोई मअबूद नही वो रहमान व रहीम है। ऐ अल्लाह मुझ से गम व मलालत दूर फरमा।
(पड़ने के बाद हाथ खीच कर पेशानी तक लाए) तो हर गम व परेशानी से बचे। आला हज़रत ने इस दुआ के आखिर में मज़ीद इन अलफ़ाज़ का इज़ाफ़ा फ़रमाया है, *وَعَنْ اَهْلِ السَّبَّة*  यानी और अहले सुन्नत से।

     असर व फज्र के बाद बगैर पाउ बदले, बगैर कलाम किये
*لَا اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَحْدَهُ لَاشَرِيْكَ لَهُ لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الَحَمْدُ بِيَدِهِ الْخَيْرُ يُحْيِىْ وَيُمِيْتَ وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَىْءٍ قَدِيْرٌ*
*तर्जुमह :* अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नही, वो तन्हा है, उसका कोई शरीक नही, उसके लिये मुल्क व हम्द है, उसी के हाथ में खैर है, वो ज़िन्दा करता है और मौत देता है और वो हर शै पर क़ादिर है।
10 बार पढ़िये
*✍🏽बहारे शरीअत, 3/107*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 159*
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खादिमे दिने नबी ﷺ, *मुहम्मद मोईन*
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