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Saturday 6 August 2016

अब्लाक़ घोड़े सुवार

*क़ुरबानी के मसाइल*
*_इज्तिमाई क़ुरबानी का गोश्त वज़्न कर के तक़सीम करना होगा*_
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     अगर शिर्कत में गाय की क़ुरबानी कि तो ज़रूरी है कि गोश्त वज़्न कर के तक़सीम किया जाए, अंदाज़े से तक़सीम मरना जाइज़ नही, करेंगे तो गुनाहगार होंगे। बख़ुशी एक दूसरे को कम ज़्यादा मुआफ़ लार देना काफी नही।
*✍🏽बहारे शरीअत, 3/335*
     हा अगर सब एक ही घर में रहते है कि मिल कर ही बटेंगे और खाएंगे या शुरका अपना अपना हिस्सा लेना नही चाहते, ऐसी सूरत में वज़्न करने की हाजत नही।

*_अंदाज़े से गोश्त तक़सीम करने के दो हिले_*
     अगर शुरका अपना अपना हिस्सा ले जाना चाहते हो तो वज़्न करने की मशक्कत से बचने के लिये ये दो हिले कर सकते है :
     1 ज़बह के बाद इस गाय का सारा गोश्त एक ऐसे बालिग़ मुसलमान को हिबा (यानि तोहफ्तन मालिक) कर दे जो उन की क़ुरबानी में शरीक न हो और अब वो अंदाज़े से सब में तक़सीम कर सकता है।
     2 दूसरा हिला इस से भी आसान है जैसा कि फ़ुक़हाए किराम फरमाते है : गोश्त तक़सीम करते वक़्त उस में कोई दूसरी जीन्स (मसलन कलेजी मग्ज़ वगैरा) शामिल की जाए तो भी अंदाज़े से तक़सीम कर सकते है।
*✍🏽दुर्रेमुखतार, 9/527*
     अगर कोई चीज़ डाली है तो हर एक में से टुकड़ा टुकड़ा देना लाज़िम है। गोश्त के साथ सिर्फ एक चीज़ देना भी काफी है। मसलन, तिल्ली, कलेजी, सीरी पाए डाले है तो गोश्त के साथ किसी को तिल्ली दे दी, किसी को कलेजी का टुकड़ा, किसी को पाया, किसी को सीरी। अगर सारी चीज़ों में से टुकड़ा टुकड़ा देना चाहे तब भी हर्ज नहीं।
*✍🏽अब्लाक़ घोड़े सुवार, 22*
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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