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Sunday 14 August 2016

क़ब्र में आनेवाला दोस्त

*नेक व बद दोनों को हसरत होगी*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     नबीﷺ ने फ़रमाया : जो भी यहाँ से मर कर जाता है नादिम ज़रूर होता है। सहाबए किराम ने अर्ज़ की : या रसूलल्लाहﷺ ! नदामत किस बात की ? फ़रमाया : अगर वो नेक हो तो नादिम होता है के काश कुछ और नेकी कर लेता और अगर खताकार हो तो नदामत और हसरत करता है के वो गुनाहो से क्यू बाज़ न आया।

     हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा इस हदिष के तहत लिखते है : लिहाज़ा हर शख्स को चाहिए के पाठ से पहले ज़िन्दगी को, बिमारी से पहले तंदुरस्ती को, मशगुलिय्यत से पहले फरागत को गनीमत जाने जितना मौक़ा मिले नेकी कर गुज़रे।
     हत्ता के अगर कोई शख्स अपनी सारी ज़िन्दगी सज्दा सुजूद में गुज़ार दे वो ये कहेगा के मेरी उम्र और ज़यादा क्यू न हुई के में सजदे सुजूद और ज्यादा कर लेता और आज इस से भी उचा दर्जा पाता !
     इस फरमान में कुफ्फार और गुनाहगार सब दाखिल है, कुफ्फार को शर्मिंदगी होगी, हम नेकुकार परहेज़ गार क्यू न बने ? गुनाहो से बाज़ क्यू न आए, मगर कुफ्फार को उस वक़्त की ये नदामत काम न देगी।
*✍🏽मीरआतुल मनाजिह, 7/378*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 20*
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