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Wednesday 31 August 2016

फुतूह अल ग़ैब

*अवामिर की ताअमिल(एहकाम) और नवाहीसे इजतिनाब (परहेज):*
(हिस्सा 15)
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

         अवमिरमें उजलत और नवाहीमें काहिली और आजिज़ी बेहतर है और अपने आपको मुर्दा तसव्वुर करना अच्छा है। क़ज़ा-व-कद्र के आगे अपनी हस्ति  को नस्ती समजो। यही शरबत पीने के काबिल है और यही दुआ ईलाज के लायक है। यही ग़िज़ा है जिससे तवानाइ और कुव्वत मिल सकती है। इसी सूरत मेँ ख्वाहिशाते नफसानी और ईमराज़े मअसीयते तंदुरस्ती मुमकीन है।

*✍🏽फुतूहल ग़ैब*  पेज 33
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खादिमे दिइने नबी ﷺ
 *फ़ैयाज़ सैय्यिद*
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