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Sunday 14 August 2016

फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा

#02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_खुसूसी रफ़ाक़त व कुर्बते मुस्तफा_*
उम्मुल मुअमिनीन हज़रते आइशा सिद्दीकाرضي الله تعالي عنها (हुज़ूरﷺ के अय्यामे दुन्या के आखिरी लम्हात की केफिय्यात बयान करते हुए)फरमाती हैः (जब मिज़ाजे ररूल शिद्दते मरज़ की वजह से गिरानी महुसुस कर रहा था उस वकत ) "मेरे पास मेरे भाई हज़रते उब्दुर्रहमानرضي الله تعالي عنه आए, उन के हाथ में मिस्वाक थी । मेरे सरताज, सहिबे मेंराज उनकी तरफ़ देखने लगे। मैं जानती थी कि आप मिस्वाक पसन्द फ़रमाते है। मैं ने अर्ज कीः "क्या आप के लिये मिस्वाक लूं ? हुज़ूरﷺ ने अपने सर मूबारक से हां का इशारा फ़रमाया , तो मैं ने हज़रते अब्दुर्रहुमानرضي الله تعالي عنه से मिस्वाक ले ली वोह हुज़ूरﷺ को सख़्त महसूस हूइ। मै ने अर्ज़ की "क्या मैं इसे नर्म कर दूं ?" हजूरﷺ ने सर के इशारे से फ़रमाया : "हां।'' मै ने मिस्वाक(चबा कर) नर्म की। हूज़ूरﷺ के सामने पानी का एक पियाला रखा हूवा था, हूज़ूरﷺ उस मे दस्ते अक़दस दाखिल करते और अपने चेहरए अन्वर पर मस करते और फरमाते : अल्लाह के सिवा कोई मा'बूद नही. *बेशक मौत के लिये सख्तिया है.* फिर अपना दस्ते अक़दस बूलन्द कर के अर्ज़ करने लगे : *रफीके आ'ला में* यहां तक कि हूज़ूरﷺ का विसाल हो गया I''
         उम्मूल मूआमिनीन हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها फ़रमाती हैः की नबिय्य मूकर्रम, नूरे मूजस्समﷺ ने मेरे घर, मेरी बारी के दिन, मेरी गरदन और सीने के दरमियान विसाल फ़रमाया और अल्लाह ने मौत के वक्त़ मेरा और हूज़ूरﷺ का लूआबे अक़दस मिला दिया I"
*फ़ेज़ोन आइशा सिद्दीका, 12*
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