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Monday 1 August 2016

अब्लाक़ घोड़े सुवार

*क़ुरबानी का जानवर ज़बह करने से पहले ये दुआ पढ़ी जाए*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*اِنِّىْ وَجَّهْتُ وَجْهِيَ لِلَّذِيْ فَطَرَاسَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ حَنِيْفًا وَمَآاَنَا مِنَ الْمُشْرِكِيْنَ o اِنَّ صَلَاتِىْ وَنُسُكِىْ وَمَحْيَاىَ وَمَمَاتِىْ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ o لَاشَرِيْكَ لَهُ وَبِذٰلِكَ اُمِرْتُ وَاَنَامِنَ الْمُسْلِمِيْنَ*
*तर्जमह :* मेने अपना मुह उस की तरफ किया जिसने आसमान व ज़मीन बनाए एक उसी का हो कर और में मुश्रिकों में नही। बेशक मेरी नमाज़ और मेरी कुरबानिया और मेरा जीना और मरना सब अल्लाह के लिये है जो रब सारे जहान का। उसका कोई शरीक नही मुझे यही हुक्म है और में मुसलमान में हु।
     और जानवर की गर्दन के क़रीब पहलू पर अपना सीधा पाउ रख कर *اَللّٰهُمَّ لَكَ وَمِنْكَ بُسْمِ اللّٰهِ اللّٰهُ اكْبَر*  (*तर्जमह :* ऐ अल्लाह ! तेरे ही लिये और तेरी दी हुई तौफ़ीक़ से, अल्लाह के नाम से शुरू अल्लाह सबसे बड़ा है) पढ़ कर तेज़ छुरी से जल्द ज़बह कर दीजिये। क़ुरबानी अपनी तरफ से हो तो ज़बह के बाद ये दुआ पढ़िये :
*اَللّٰهُمَّ تَقَبَّلْ مِنِّىْ كَمَا تَقَبَّلْتَ مِنْ خَلِيْلِكَ اِبْرَاهِيْم عَلَيْهِ الصَّلٰةُ وَالسَّلَامُ وَحَبِيْبِكَ مُحَمَّدٍ صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَيْهِ وَاٰلهٖ وَسَلَّم*
*तर्जमह :* ऐ अल्लाह ! तू मुझसे इस क़ुरबानी को क़ुबूल फरमा जैसा तूने अपने खलील इब्राहीम अलैहिस्सलाम और अपने हबीब मुहम्मद से क़बूल फ़रमाई।
     अगर दूसरे की तरफ से क़ुरबानी करे तो مِنِّىْ के बजाए مِنْ कह कर उस का नाम लीजिये। (ब वक़्ते ज़बह पेट पर घुटना या पाउ न रखिये की इस तरह बाज़ अवक़ात खून के इलावा ग़िज़ा भी निकल ने लगती है)
*✍🏽बहारे शरीअत, 3/352*
*✍🏽अब्लाक़ घोड़े सुवार, 14*
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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