*गुनाहे कबीरा नंबर 10*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*_रमज़ान के रोज़े बिला उज़्र छोड़ देना_*
*तारीके रोज़ा की मज़म्मत में फरमाने मुस्तफा*
जिस ने बगैर किसी उज़्र और रुख्सत के रमज़ान का रोज़ा छोड़ दिया तो सारी ज़िन्दगी के रोज़े भी उस के बराबर नहीं हो सकते अगर्चे बाद में रख भी ले।
*✍🏼ابوداود*
पंचो नमाज़े, एक जुमाआ दूसरे जुमुआ तक और एक रमज़ान दूसरे रमज़ान तक दरमियान में होने वाले तमाम गुनाहों का कफ़्फ़ारा है जब की कबीरा गुनाहों से बचा जाए।
*✍🏼مسلم*
जो झूट बोलना और उस पर अमल करना न छोडे तो अल्लाह उस के खाने और पिने को तर्क करने की कुछ परवा नहीं फ़रमाता।
*✍🏼بخاري*
उस शख्स की नाक ख़ाक आलूद हो जिस ने रमज़ान का महीना पाया फिर उस की बख़्शिश न हुई।
*✍🏼ترمذى*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह, 53*
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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*_रमज़ान के रोज़े बिला उज़्र छोड़ देना_*
*तारीके रोज़ा की मज़म्मत में फरमाने मुस्तफा*
जिस ने बगैर किसी उज़्र और रुख्सत के रमज़ान का रोज़ा छोड़ दिया तो सारी ज़िन्दगी के रोज़े भी उस के बराबर नहीं हो सकते अगर्चे बाद में रख भी ले।
*✍🏼ابوداود*
पंचो नमाज़े, एक जुमाआ दूसरे जुमुआ तक और एक रमज़ान दूसरे रमज़ान तक दरमियान में होने वाले तमाम गुनाहों का कफ़्फ़ारा है जब की कबीरा गुनाहों से बचा जाए।
*✍🏼مسلم*
जो झूट बोलना और उस पर अमल करना न छोडे तो अल्लाह उस के खाने और पिने को तर्क करने की कुछ परवा नहीं फ़रमाता।
*✍🏼بخاري*
उस शख्स की नाक ख़ाक आलूद हो जिस ने रमज़ान का महीना पाया फिर उस की बख़्शिश न हुई।
*✍🏼ترمذى*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह, 53*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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