Pages

क़ब्र में आनेवाला दोस्त





*क़ब्र में आने वाला दोस्त*
हिस्सा-01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     उम्मुल मुअमिनिन हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها से मारवी है के, हुज़ूरﷺ ने सहबए किराम से दरयाफ़्त फ़रमाया : तुम जानते हो के तुम्हारी, तुम्हारे अहलो अयाल,  माल और आमाल की मिसाल केसी है ? अर्ज़ की अल्लाह और उसका रसूल बेहतर जानते है।
     इरशाद फ़रमाया : तुम्हारी, तुम्हारे अहलो अयाल, माल और आमाल की मिसाल उस शख्स की तरह है जिस के 3 भाई हो, जब उसकी मौत का वक़्त क़रीब आए तो वो अपने तीनो भाइयो को बुलाए और एक से कहे :
"तुम मेरी हालत देख रहे हो, ये बताओ के तुम मेरे लिये क्या कर सकते हो ?
वो जवाब दे : में तुम्हारे लिये इतना कर सकता हु के फिलहाल तुम्हारी तिमार दारी करू, तुम्हारे साथ रह कर तुम्हारी हाजत व जरूरियात को पूरा करू फिर जब तुम्हारा इंतिक़ाल हो जाए तो तुम्हे गुस्ल दे कर कफ़न पहनाऊँ और तुम्हे दफन कर के वापस आउ, और तुम्हारे बारे में कोई पूछे तो तुम्हारी भलाई बयान करू।
ये भाई दर हक़ीक़त उस शख्स के अहलो अयाल है।
     ये फरमाने के बाद हुज़ूरﷺ ने सहाबए किराम से पूछा : इसके बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है ? अर्ज़ की : या रसूलल्लाहﷺ ! हम इसमें कोई भलाई नहीं पाते

बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह
*✍🏽क़ब्र में आने वाला दोस्त 9*
___________________________________
खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र में आने वाला दोस्त*
हिस्सा-02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हुज़ूरﷺ ने कलाम जारी रखते हुए इरशाद फ़रमाया : फिर वो अपने दुआरे भाई से कहे : तुम भी मेरी हालत देखरहे हो, मेरे लिये क्या कर सकते हो ?
     तो वो जवाब में कहेगा : में उस वक़्त तक तुम्हारा साथ दूंगा जब तक तुम ज़िन्दा हो, जू ही तुम दुन्या से रुखसत होंगे हमारे रस्ते जुदा हो जायेंगे क्यू के तुम क़ब्र में पहोच जाओगे और में यही दुन्या में रह जाऊंगा।
     आप ने सहाबा से फ़रमाया ये भाई अस्ल में उस शख्स का माल है, इसके बारे में तुम्हारा क्या ख़याल है ?
     सहाबा ने अर्ज़ की : या रसूलल्लाहﷺ ! हम इसमें भी अच्छा नहीं समजते।

बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त 11*
___________________________________
खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र में आनेवाला दोस्त*
हिस्सा-03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     फिर हुज़ूरﷺ ने मजीद इरशाद फ़रमाया : फिर वो शख्स अपने तीसरे भाई से कहे : यक़ीनन तुम भी मेरी हालत देख रहे हो और तुम ने मेरे अहलो अयाल व माल का जवाब सुन लिया है, बताओ तुम मेरे लिये क्या कर सकते हो ?
     वो उसे तसल्ली देते हुए कहे : मेरे भाई ! में तो क़ब्र में भी तुम्हारे साथ रहूंगा और तुम्हे वहशत से बचाऊंगा और जब यौमे हिसाब आएगा तो में तेरे मीज़ान में जा बैठूंगा और उसे वज़न दार कर दूंगा। ये उसका अमल है, इस के बारे में तुम्हारा क्या ख़याल है ?
     सहाबा ने अर्ज़ की या रसूलल्लाहﷺ ! ये तो बहुत अच्छा दोस्त है
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : यही हक़ीक़त है।
*✍🏽कन्जुल आमाल 10/318*

*_वफादार कौन_*
     आप ने देखा की हमारे आक़ा ﷺ
 ने एक आसान मिसाल के ज़रिए अमल की अह्मिययत को बयान फ़रमाया। यक़ीनन माल, अहलो अयाल और आमाल में से हमारा सब से वफादार  दोस्त *अमल* है जो क़ब्र व हशर में भी हमारा मददगार होगा।
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त 11*
___________________________________
खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*_हम किस पर महेरबान है?_*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     इंसान वफादार दोस्त का क़द्रदान और उसी पर ज़्यादा महेरबान होता है, इसी बात के पेशे नज़र हमे ज़्यादा अह्मिययत "क़ब्र व हशर में काम आने वाले दोस्त" यानी अमल को देनी चाहिये थी मगर अफ़सोस ! ऐसा नही है, हम में से कुछ लोग माल को ज़्यादा अहम समजते है हालांके ये उस वक़्त तक हमारा साथ देता है जब तक हमारी सासे बहाल है, आँखे बन्द होते ही हमे छोड़ कर हमारे वारिसों के पास चला जाता है और क़ब्र में फूटी कोडी भी हमारे साथ नही जाती क्यू के कफ़न में थैली होती है न क़ब्र में तिजोरी !
     ज़रुरिय्याते ज़िन्दगी की तकमील के लिये माल की अहमिय्यत से इनकार नही मगर आज हमारी ग़ालिब अक्सरिय्यत मालो दौलत की महब्बत में ऐसी गिरफ्तार है के ज़्यादा से ज़्यादा माल कमाने की धुन में हराम व ना जाइज़ ज़रिये इस्तिमाल किये जाते है मसलन रिशवत और सूद का लेन देन किया जाता है, ज़खीरा अन्दोज़ी की जाती है ज़मीनो पर क़ब्ज़े किये जाते है, लोगो के कर्जे दबाए जाते है, अमानत में खियानत की जाती है, चोरी की जाती है अल ग़रज़ तिजोरी को रुपयो पैसे, सोना चान्दी से भरने के लिये नामए आमाल को खूब गुनाहो से भरा जाता है।
     ऐसा करने वालो के दिलो दिमाग पर हिर्स व लालच का इतना गलबा हो जाता है के उन्हें ये एहसास तक नही होता के एक दिन सब यही छोड़ जाना है।
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त  12*
___________________________________
खादिमे दिने नबी ﷺ, *मुहम्मद मोईन*
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*पीछे क्या छोड़ा ?*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से मारवी है :
जब कोई शख्स मर जाता है तो फ़रिश्ते कहते है के इस ने आगे क्या भेजाब ?
और लोग पूछते है : इसने पीछे क्या छोड़ा ?
*✍🏽शोएबुल ईमान 7/328*

     हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा इस हदीस क तहत फरमाते है : यानी मरते वक़्त उसके वारिसिन तो छोड़े हुए माल की फ़िक्र में होते है के क्या छोडे जा रहा है ? और फ़रिश्ते उसकी क़ब्ज़े रूह वगैरा के लिये आते है वो उसके आमाल व अक़ायद का हिसाब लगाते है।
*✍🏽मीरआतुल मनाजिह 7/84*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त 13*
___________________________________
खादिमे दिने नबी ﷺ, *मुहम्मद मोईन*
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*अहलो अयाल को अपना सबकुछ समझने वाले*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हम दुन्या में तन्हा आए थे और तन्हा ही लौट जाएंगे, लेकिन इस दुन्या में हम तन्हा नही रहते बल्कि बहुत से अफ़राद मसलन माँ बाप, भाई बहन, बीवी बच्चे, अज़ीज़ों अक़ारिब क्र दोस्त अहबाब वगैरा हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा होते है, वो हमारा और हम उनका ख़याल रखते है और रखना भी चाहिये क्यू के शरीअत ने भी इनके हुक़ूक़ बयान किये है।
     फित्रि तोर पर हमे इन से महब्बत होती है मगर अक्सर लोग अपने अहलो अयाल की महब्बत में ऐसा ग़ुम हो जाते है के फिर उन्हें क़ब्र याद रहती है न मैदाने महशर, जिसका नतीजा ये निकलता है के मुअज्ज़िन नमाज़ के लिये बुला रहा होता है मगर ये घर वालो से खुश गप्पियों में ऐसे मगन होते है के भरी महफ़िल छोड़ कर मस्जिद का रुख करने को इनका जी नही चाहता, इनके बच्चों का किसी के बच्चों से झगड़ा हो जाए तो अपनी औलाद का कुसूर होने के बा वुजूद मुआफ़ी मांगने के बजाए तू तुकार बल्कि मार धाड़ पर उतर आते है,
     शरीअत औरत से पर्दे का तकाज़ा करती है मगर ये अपने शोहर को राज़ी रखने के लिये बे पर्दगी का ईशतिहार बन कर रह जाती है, इसी तरह बाज़ नादान अपने घरवालो की फरमाइशें और ज़रूरतें पूरी करने के लिये माले हराम का वबाल भी अपने सर ले लेते है जो के सरासर क्षार का सौदा है।

*अपने आप को हलाकत में डालने वाला बद नसीब*
इन्शा अल्लाह अगली पोस्ट में....
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त 14*
___________________________________
खादिमे दिने नबी ﷺ, *मुहम्मद मोईन*
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*अपने आप को हलाकत में डालने वाला बद नसीब*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया : लोगो पर एक ज़माना ऐसा आएगा के मोमिन को अपना दीन बचाने के लिये एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ और एक गार से दूसरे गार की तरफ भागना पड़ेगा तो उस वक़्त रोज़ी अल्लाह की नाराज़ी ही से हासिल की जाएगी फिर जब ऐसा ज़माना आ जाएगा तो आदमी अपने बीवी बच्चों के हाथो हलाक होगा, अगर उस के बीवी बच्चे न हो तो वो अपने वालिदैन के हाथो हलाक होगा, अगर उस के वालिदैन न हुए तो वो रिश्तेदारो और पडोसियो के हाथो हलाक होगा।
     सहाबए किराम ने अर्ज़ की : या रसूलल्लाहﷺ ! वो कैसे ? फ़रमाया : वो उसे माल की कमी का ताना देंगे तो आदमी अपने आप को हलाकत में डालने वाले कामो में मसरूफ़ कर देगा। (तो गोया उन्ही के हाथो हलाक हुआ)
*✍🏽अल तरगिब् वल तरहिब 3/299*

     अपने घर वालो को हराम कमा कर खिलाने वालो को संभल जाना चाहिए के मैदाने महशर, के जहा एक नेकी की सख्त हाजत होगी, यही अपने उस से क्या सुलूक करेंगे ?
ये इन्शा अल्लाह कल की पोस्ट में....
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 15*
___________________________________
खादिमे दिने नबी ﷺ, *मुहम्मद मोईन*
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़यामत के दिन अहलो अयाल का दावा*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     मारवी है के "मुर्दे से तअल्लुक़ रखने वालो में पहले उसकी ज़ौजा और उसकी औलाद है, मगर ये सब क़यामत में अल्लाह की बारगाह में अर्ज़ करेंगे : ऐ हमारे रब ! हमे इस शख्स से हमारा हक़ ले कर दे, क्यू के इसने कभी हमे दीनी उमूर नही सिखाए और ये हमे हराम खिलाता था जिसका हमे इल्म नही था। चुनांचे उस शख्स से उनका बदला लिया जाएगा।
     एक और रिवायत में है के, बन्दे को मीज़ान के पास लाया जाएगा, फ़रिश्ते पहाड़ के बराबर उसकी नेकिया लाएंगे तो उस से उस के अयाल की खबर गिरी और खिदमत के बारे में सुवाल होगा और माल के बारे में पूछा जाएगा के कहा से हासिल किया ? और कहा खर्च किया ? हत्ता के उस के तमाम आमाल उनके मुतालबात में खर्च हो जाएगे और उसके लिये कोई नेकी बाकी नही रहेगी, उस वक़्त फ़रिश्ते आवाज़ देंगे : ये वो शख्स है जिस की नेकिया उस के अहलो अयाल ले गए और वो अपने आमाल के साथ गिरवी है।
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 15*
___________________________________
खादिमे दिने नबी ﷺ, *मुहम्मद मोईन*
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क्यू रोते हो ?*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     एक शख्स शदीद बीमार था, ऐसा। लगता था के दुन्या में कुछ ही देर का मेहमान है। उस के बच्चे, ज़ौजा और माँ बाप इर्द गिर्द खड़े। आसु बहा रहे थे।
     उसने अपने वालिद से से पूछा : अब्बाजान ! आप को किस चीज़। नई रुलाया ? कहने लगे : मेरे जिगर की टुकड़े ! जुदाई का गम रुला रहा है, तुम्हारे मरने के बाद हमारा क्या बनेगा ? उस शख्स ने अपनी वालिदा से पूछा, माँ ने जवाब् दिया मेरे लाल ! दुन्या से तेरी रुखसती का सोच कर रो रही हु, में तेरे बगैर कैसे रह पाऊँगी ? फिर अपनी बीवी से पूछा, उसने कहा, मेरे सरताज ! आप के बगैर हमारी जींदगी अजिरण। हो जाएगी, जुदाई का गम मेरे दिल को घायल कर रहा है, आप के बद मेरा क्या बनेगा ? फिर अपने बच्चों को क़रीब बुलाया और पूछा, उन्हों ने कहा, आप के विसाल के बद हम यतीम हो जायेंगे, हमारे सर से बाप का साया उठ जाएगा, आप के बाद हमारा क्या बनेगा ?
     उन सब की ये बाते सुनकर वो शख्स कहने लगा : तुम सब अपनी दुन्या के लिये रो रहे हो, तुम में से हर शख्स मेरे लिये नही बल्कि अपना नफा खत्म हो जाने के खौफ से रो रहा है,
क्या तुम में से कोई ऐसा भी है जिसे इस बात ने रुलाया हो के मरने के बाद क़ब्र में मेरा क्या हाल होगा, अनक़रीब मुझे वहशत नाक, तंगों तारिक क़ब्र में छोड़ दिया जाएगा,
     क्या तुम में से कोई इस बात पर भी रोया के मुझे मरने के बाद मुन्कर नकीर (क़ब्र में सुवालात करने वाले फ़रिश्ते) से वास्ता पड़ेगा !
     क्या कोई इस खौफ से रोया के मुझे मेरे परवरदिगार के सामने हिसबो किताब के लिये खड़ा किया जाएगा ! आह ! तुम में से कोई भी मेरी उखरवी परेशानीयो की वजह से नही रिया बल्कि हर एक अपनी दुन्या की वजह से रो रहा है।
     इस हुफ्तगु के कुछ ही देर बाद उसकी रूह परवाज़ कर गई।
*✍🏽उयुनल हिकायत, 89*

     इस हिकायत में हमारे लिये इब्रत ही इब्रत है के वो अहलो अयाल जिन के ऐशो आराम के लिये हम अपनी नींदे कुर्बान कर देता है, जिन्हें असाइशे देने के लिये हम अपनी नींदे क़ुरबान कर देते है, जिनकी राहतो के लिये हम खुद को गमो के हवाले कर देते है, जूही हमारा सफरे ज़िन्दगी खत्म होता है उन्हें हमारी नही अपनी फ़िक्र सताने लगती है के इसके जाने के बाद हमारा क्या बनेगा ?
     काश वो ये भी सोचते के मरने के बाद उसका क्या बनेगा ? और हमारे लिये दुआए मग्फिरत व इसाले षवाब की कसरत करते।
*✍🏽क़ब्र में आने वाला दोस्त, 17*
___________________________________
खादिमे दिने नबी ﷺ, *मुहम्मद मोईन*
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*अमल ने काम आना है*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     दुसरो की दुन्या रोशन करने के लिये अपनी क़ब्र में अँधेरा मत कीजिये, दौलत व माल और अहलो अयाल की महब्बत में न नेकिया छोड़िये न गुनाहो में पड़िये के इन सब का साथ तो आँख बन्द होते ही छूट जाएगा जब के नेकिया انشاء الله عز وجل क़ब्र व आख़िरत बल्कि दुन्या में भी काम आएगी,
     मगर अफ़सोस ! के आज हमारी अक्सरिय्यत की तुवनाइया सुब्ह से ले कर शाम तक अपनी दुन्यवि ज़िन्दगी को ही बेहतर से बेहतर और मज़ेदार बनाने की दौड़धूप में सर्फ हो रही है, सामने आख़िरत की फ़िक्र बहुत कम दिखाई देती है,
     यद् रखिये ! नेक अमल की क़द्र आज नही तो कल ज़रूर मालुम हो जाएगी मगर उस वक़्त सिवाए हसरत के कुछ हाथ न आएगा, जैसा के....

*_मुर्दे की हसरत !_*
     हज़रते अता बिन यसारرضي الله تعالي عنه फरमाते है : जब मय्यित को क़ब्र में रखा जाता है तो सब से पहले उसका अमल आ कर उस की बाई रान को हरकत देता है और कहता है : में तेरा अमल हु। वो मुर्दा पूछता है : मेरे बाल बच्चे कहा है ? मेरी नेमते, मेरी दौलत कहा है ? तो अमल कहता है : ये सब तेरे पीछे रह गए और मेरे सिवा तेरी क़ब्र में कोई नही आया।
     वो मुर्दा हसरत से कहता है : ऐ काश ! में ने अपने बाल बच्चों, अपनी नेमतों और दौलतों के मुक़ाबले में तुझे तरजीह दी होती क्यू के तेरे सिवा मेरे साथ कोई नही आया।
*✍🏽शरह स्सुदुर, 111*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 18*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नेक व बद दोनों को हसरत होगी*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     नबीﷺ ने फ़रमाया : जो भी यहाँ से मर कर जाता है नादिम ज़रूर होता है। सहाबए किराम ने अर्ज़ की : या रसूलल्लाहﷺ ! नदामत किस बात की ? फ़रमाया : अगर वो नेक हो तो नादिम होता है के काश कुछ और नेकी कर लेता और अगर खताकार हो तो नदामत और हसरत करता है के वो गुनाहो से क्यू बाज़ न आया।

     हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा इस हदिष के तहत लिखते है : लिहाज़ा हर शख्स को चाहिए के पाठ से पहले ज़िन्दगी को, बिमारी से पहले तंदुरस्ती को, मशगुलिय्यत से पहले फरागत को गनीमत जाने जितना मौक़ा मिले नेकी कर गुज़रे।
     हत्ता के अगर कोई शख्स अपनी सारी ज़िन्दगी सज्दा सुजूद में गुज़ार दे वो ये कहेगा के मेरी उम्र और ज़यादा क्यू न हुई के में सजदे सुजूद और ज्यादा कर लेता और आज इस से भी उचा दर्जा पाता !
     इस फरमान में कुफ्फार और गुनाहगार सब दाखिल है, कुफ्फार को शर्मिंदगी होगी, हम नेकुकार परहेज़ गार क्यू न बने ? गुनाहो से बाज़ क्यू न आए, मगर कुफ्फार को उस वक़्त की ये नदामत काम न देगी।
*✍🏽मीरआतुल मनाजिह, 7/378*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 20*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*धोके में न रहिये*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     जू जू दिन, महीने और साल गुज़रते जा रहे है ज़िन्दगी हमसे दूर और मौत क़रीब होती चली जा रही है, लिहाज़ा अपनी सासो को गनीमत जानिये और गुनाहो से तौबा कर के नेकिया कमाने में मसरूफ़ हो जाइये,
     कितने ही लोग ऐसे है जो आने वाले कल के मुन्तज़िर होते है के "ये करेंगे वो करेंगे" फिर वो "कल" तो आता है मगर उसका इन्तिज़ार करने वाला अपनी क़ब्र में उतर चुके होते है, जिस के हज़रते मन्सूर बिन अम्मार अलैरहमा ने एक नौजवान को नसीहत करते हुए कहा :
     ऐ नौ जवान ! तुझे तेरी जवानी धोके में न डाले, कितने ही जवान ऐसे थे जिन्होंने तौबा में ताखीर की और लम्बी लम्बी उम्मीदे बांध ली, मौत को भूल कर ये कहते रहे के कल तौबा कर लेंगे, परसो तौबा कर लेंगे, यहाँ तक के इसी गफलत की हालत में उन्हें मौत आ गई और वो अँधेरी क़ब्र में जा सोए, उन्हें उनके माल, गुलामो, औलाद और माँ बाप ने कोई फायदा न दिया, फरमाने इलाही है :
*जिस दिन न माल काम आएगा न बेटे, मगर वो जो अल्लाह के हुज़ूर हाज़िर हुवा सलामत दिल ले कर*
पारह 19

*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 21*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र की पुकार*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     नबीए करीमﷺ ने फ़रमाया : क़ब्र रोज़ाना पुकार कर कहती है के में मूसा-फरत का घर हु, में तन्हाई का घर हु, में मिट्टी का घर हु, और में कीड़ो का घर हु।
     जब मोमिन बन्दा दफनाया जाता है तो क़ब्र कहती है : मरहबा ! तू अपने ही घर आया ! मेरी पीठ पर चलने वालो में से तुम मुझे ज़्यादा महबूब हो, आज जब तुम मेरे हवाले कर दिये गए हो तो तुम अनक़रीब देखोगे में तुम से क्या (अच्छा) सुलूक करती हु। चुनांचे क़ब्र उसके लिये हद्दे निगाह तक कुशादा हो जाती है और उसके लिये जन्नत का दरवाज़ा खोल दिया जाता है।
     मगर जब गुनाहगार या काफ़िर आदमी दफ़्न किया जाता है तो क़ब्र कहती है : न तो तुझे मुबारक हो और न ही ये तेरा घर है। मेरी पीठ पर चलने वालो में से मेरे नज़दीक तू सब से बुरा है, आज जब के तू मेरे सुपुर्द किया गया है तो अनक़रीब तू देखेगा में तेरी केसी खबर लेती हु ! ये कह कर क़ब्र उसे इस तरह दबाती हे के मुर्दे की पसलिया एक दूसरे में पै वस्त हो जाती है।
     रावी कहते है ये बात फरमाते हुए रसूलुल्लाह ने अपने हाथो की उंगलियो को एक दूसरे में डाला, फिर फ़रमाया : उसके लिये 70 अज़्दहे मुसल्लत कर दिये जाते है के अगर उन में से एक भी ज़मीन पर फूंक मार दे तो रहती दुन्या तक ज़मीन से कुछ न उगे, ये अज़्दहे उसे डसते और नोचते रहेंगे यहाँ तक के उसे हिसाब के लिये जाए।
*✍🏽तिर्मिज़ी, 4/802*

     हाए हमारा क्या बनेगा ! हम तो अपनी क़ब्र को यक्सर भूले हुए है। फ्तहुल बारी में है : बेशक बरज़ख आख़िरत की पेशगोइ है।
*✍🏽फुतुहुल बारी, 10/399*
     आह हमारी गफलत, के नज़अ की सख्तियो, क़ब्र के अंधेरो, इस में मौजूद कीड़े मकोड़ो, मुन्कर नकीर के सख्त लहजे में किये जाने वाले सुवालो, बोसीदा हो जाने वाली हड्डियों, अज़ाबे क़ब्र की शिद्दतो से आगाह होने के बा वुजूद नेकिया कमाने की जुस्तजू नही करते !
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 23*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*एकदिन मरना है आखिर मौत है*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     दिन और रात गोया दो सवारिया है जिन पर हम बारी बारी सुवार होते है, ये सवारिया मुसलसल अपना सफर जारी रखे हुए है और हमे मौत की मन्ज़िल पर पहोचा कर ही दम लेंगी,
     क्या आप ने गौर किया के हम दिन के गुज़रने और रात के कटने पर बहुत खुश होते है हालांके हमारी ज़िन्दगी का एक दिन या एक रात कम हो जाती है और हम मौत के मजीद क़रीब हो जाते है, हमारी हेसिय्यत तो उस बल्ब की तरह है की सारी चकाचौंद और तुवानाइ प्लास्टिक के एक बटन में छुपी होती है, उस बटन पर पड़ने वाला ऊँगली का हल्का सा दबाव उसकी रोशनियां गुल कर देता है।
    इसी तरह मौत का वक़्त आने पर हमारा चाको चौबन्द जिस्म इतना बेबस हो जाता है के हम अपनी मर्ज़ी से हाथ भी नही हिला सकते, अगर्चे ये तै हे के एक दिन हमे भी मरना है मगर हम नही जानते के मौत में कितना वक़्त बाकी है ? क्या मालुम के आज का दिन हमारी ज़िन्दगी का आखरी दिन या आने वाली रात हमारी आखरी रात हो ! बल्कि हमारे पास तो इसकी भी ज़मानत नही के एक के बाद दूसरा सास ले सकेंगे या नही ? क्यू की सास फेफड़ो में जाते और बहार निकलते वक़्त इंसान के इख्तियार में नही होता और न ही इस पर ऐतिबार किया जा सकता है, और हो सकता है के जो सास हम ले रहे है वो आखरी हो !
     आए दिन ये खबरे हमे सुनने को मिलती है के फुला इस्लामी भाई अच्छे खासे थे ब ज़ाहिर उन्हें कोई मरज़ भी न था, लेकिन अचानक हार्टफेल हो जाने की वजह से चन्द मिनट के अंदर उनका इंतिक़ाल हो गया,
     यु ही किसी भी लम्हे हमे इस दुन्या से रुखसत होना पड़ सकता है क्यू के जो रात क़ब्र में गुजरनी है वो बाहर नही गुज़र सकती।

*_मौत को याद करने का फायदा_*
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जिसे मौत की याद ख़ौफ़ज़दा करती है क़ब्र उस के लिये जन्नत का बाग़ बन जाएगी।
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 26*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*अपनी मौत को याद कीजिये*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     ज़रा तसव्वुर की निगाह से देखिये के मेरी मौत का वक़्त आन पोहचा है, मुझ पर गशी तारी हो चुकी है, लोग बे बसी के आलम में मुझे मौत के मुह में जाता हुवा देख रहे है मगर कुछ् कर नही सकते, नज़ा की सख्तिया भी शुरू हो गई मगर में अपनी तकलीफ किसी को बता नहीं सकता क्यू के हर वक़्त चहकने वाली ज़बान अब खामोश हो चुकी है, सख्त प्यास महसूस हो रही है मगर किसी से दो घूंट पानी नही मांग सकता, इसी दौरान कोई मेरे सामने कलिमए पाक पढ़ने लगा, फिर रफ्ता रफ्ता सामने के मनाज़िर धुंदले होने लगे, गले से खर खराहत की आवाज़े आना शुरू हो गई, और बिल आखिर रूह ने जिस्म का साथ छोड़ दिया।
     अज़ीज़ों अक़ारिब पर गिर्या तारी हो गया। अहलो अयाल की आँखे सिद्दते गम से नम है। किसी ने आगे बढ़ कर मेरी आँखे बंद कर दी, मेरी मौत के ऐलानात होने लगे, कुछ लोग मेरे दफ़्न के इन्तिज़ाम में लग गए। गुस्ल व कफनाया गया। मेरे चाहने वालो ने आखरी मर्तबा मुझे देखा के ये चेहरा अब दुन्या में दोबारा हमे दिखाई न देगा।
     फिर मेरे नाज़ उठाने वालो ने मेरा जनाज़ा अपने कंधो पर उठा लिया और क़ब्रस्तान की और चलना शुरू हो गए। मेरी नमाज़े जनाज़ा अदा की गई और मेरी लाश को चारपाई से उठा कर उस क़ब्र में मुन्तकिल कर दिया जिस के बारे में हदिष में आया के *जन्नत का एक बाग़ है....या दोज़ख का गढ़ा !*
     क़ब्र पर मिट्टी डाल कर जब मेरे साथ आने वाले लौट कर चले तो मेने उनके क़दमो की आवाज़ सुनी, उनके जाने के बाद क़ब्र मुझ से हम कलाम हुई और कहने लगी : *ऐ आदमी ! क्या तूने मेरे हालात न सुने थे ? क्या मेरी तंगी, बदबू, होलनाकिया और कीड़ो से तुझे नहीं डराया गया था ? अगर ऐसा था तो फिर तूने क्या तैयारी की ?*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 28*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*हम पर क्या गुज़रेगी ?*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     इन्सान के दो घर होते है : एक ज़मीन के ऊपर और एक ज़मीन के अंदर (यानी क़ब्र), आज हम अपने घर को आराम देह व पुर सुकून बनाने के लिये कैसे कैसे जतन करते है, अँधेरे को दूर करने के लिये जगह जगह बल्ब रोशन करते है, गर्मी में ठन्डक के लिये AC और सर्दी के मौसम में heater तक लगवाते है।
     मगर एक दिन सब कुछ छोड़छाड़ कर खाली हाथ दूसरे घर यानी क़ब्र में मुन्तकिल हो जाएंगे। सोचिये तो सही उस वक़्त हम पर क्या गुज़रेगी जब क़ब्र की वहशतो, गहरी तारीकियों और अजनबी माहोल की उदासियों में तन्हा होंगे, कोई हमदर्द न मददगार, किसी को बुला सके न खुद कही जा सके, हम पर केसी घबराहट तारी होगी !

अँधेरा काट खाता है अकेले खौफ आता है
     तो तन्हा क़ब्र में क्यूँकर रहूंगा या रसूलल्लाह...
नकिरैन इम्तिहाँ लेने को जब आएँगे तुर्बत में
     जवाबात उनको आका कैसे दूंगा या रसूलल्लाह...
बराए नाम दर्द सर सहा जाता नही मुझ से
     अज़ाबे क़ब्र कैसे सह सकूँगा या रसूलल्लाह...
यहाँ चूंटी भी तड़पा दे मुझे तो क़ब्र के अंदर
     शहा बिच्छु के डंक कैसे सहूँगा या रसूलल्लाह....

*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 29*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को जहन्नम का गढा बनाने वाले आमाल* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     यु तो हर गुनाह अज़ाबे क़ब्र का सबब बन सकता है मगर चन्द ऐसी रिवायत व हिकयत मुलाहजा कीजिये जिनमे अज़ाबे क़ब्र में मुब्तला करने वाले गुनाहो का खुसुसिय्यत के साथ ज़िक्र है।

*_चुगल खोरी_*
     हुज़ूरﷺ दो क़ब्रो के पास से गुज़रे तो ग़ैब की खबर देते हुए फ़रमाया : ये दोनों क़ब्र पे अज़ाब दिए जा रहे है और किसी बड़ी चीज़ (जिससे बचना दुस्वार हो) में अज़ाब नही दिये जा रहे बल्कि एक तो पेशाब के छिटो से नही बचत था और दूसरा चुगल खोरी किया करता था फिर आपﷺ ने खजूर की ताज़ा टहनी मंगवाई और उसे अंधो आध चीरा और हर एक की क़ब्र पर एक एक हिस्सा गाड़ दिया और फ़रमाया : जब तक ये खुश्क न हो तब तक इन दोनों के अज़ाब में तख़फ़ीफ़ होगी।
*✍🏽सुनन नसाई, 13*
*✍🏽सहीह बुखारी, 1/95*

*_क़ब्र में आग भड़क रही थी_*
     हज़रते अम्र बिन दिनार अलैरहमा कहते है के मदीना में एक शख्स रहता था जिसकी बहन मदीना के नवाह में रहती थी। वो बीमार हुई तो ये शख्स उस की तिमार दारी में लगा रहा मगर वो उसी मरज़ में इन्तिकाल कर गई। उस शख्स ने अपनी बहन की तजहिज़ व तकफिन का इन्तिज़ाम किया, जब दफ़्न कर के वापस आया तो उसे याद आया के वो रकम की थैली क़ब्र में भूल आया है। उसने अपने एक दोस्त से मदद तलब की दोनों ने जा कर उसकी क़ब्र खोद कर थैली निकाल ली।
     उसने दोस्त से कहा : ज़रा हटना में देखु तो सही मेरी बहन किस हाल में है ? उसने लहद में झांक कर देखा तो वहा आग भड़क रही थी, वो चुपचाप वापस चला आया और माँ से पूछा : क्या मेरी बहन में कोई खराब आदत थी ? माँ ने कहा तेरी बहन की आदत थी के वो हमसायो के दरवाज़ों से कान लगा कर उन की बाते सुनती थी और चुंगुल खोरी करती थी।
*✍🏽मकशफतुल कुलूब, 71*

     लोगो में फसाद करवाने के लिये उनकी बाते एक दूसरे तक पहचना चुगली है।
*✍🏽सहीह मुस्लिम, 1/311*
चुगल खोर मुहब्बतों का चोर है, आज हमारे मुआशरे में महब्बतो की फ़ज़ा आलूदा होने का एक बड़ा सबब चुगल खोरी भी है, लोगो के दरमियान चुगलिया खा कर फसाद बरपा करके अपने कलेजे में ठंडक महसूस करने वाले को कल जहन्नम की भड़कती हुई आग में जलना पड़ेगा, अगर कभी ज़िन्दगी में ये गुनाह हुवा हो तो तौबा करके ये निय्यत कर लीजिये के हम चुगली खाएंगे न सुनेंगे, انشاء الله.
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 36*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को जहन्नम का गढ़ा बनाने वाले आमाल* #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_गीबत_*
     हज़रते अबी बक़रह फरमाते है के में नबी के साथ चल रहा था और आप ने मेरा हाथ थामा हुवा था। एक आदमी आप के बाई तरफ था। इसी दौरान हमने अपने सामने दो क़ब्रे पाई तो हुज़ूर ने फ़रमाया : इन दोनों को अज़ाब हो रहा है और किसी बड़े अम्र की वजह से नही हो रहा, तुम में से कौन है जो मुझे एक टहनी ला दे। हमने एक दूसरे से आगे बढ़ने की कोशिश की तो में सबक़त ले गया और एक टहनी ले कर हाज़िरे खिदमत हो गया। आप ने उसके दो टुकड़े कर दिये और दोनों क़ब्रो पर एक एक टुकड़ा रख दिया फिर फ़रमाया : ये जब तक तर रहेंगे इन पर अज़ाब में कमी रहेगी और इन दोनों को गीबत और पेशाब की वजह से अज़ाब हो रहा है।

*_गीबत किसे कहते है_*
     हज़रते मुफ़्ती मुहम्मद अमजद अली आज़मी अलैरहमा ने गीबत की तारीफ़ इस तरह बयान की है : किसी शख्स के पोशीदा ऐब को उसकी बुराई करने के तौर पर ज़िक्र करना।
*✍🏽बहारे शरीअत, 16/175*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 37*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को जहन्नम का गढ़ा बनाने वाले आमाल* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_नमाज़ न पढ़ना_*
     बे नमाज़ी को क़ब्र में दी जाने वाली सज़ाए ये है :
     उसकी क़ब्र को इतना तंग कर दिया जाएगा के उस की पसलिया एक दूसरे में पैवस्त हो जाएगी।
     उसकी क़ब्र में आग भड़का दी जाएगी फिर वो दिन रात अंगारो पर लोटपोट होता रहेगा।
     क़ब्र में उस पर एक अज़्दहा मुसल्लत कर दिया जाएगा जिसका नाम "अश्शुजाउल अकरम" है, उसकी आँखे आग की होगी जबके नाखून लोहे के होंगे, हर नाख़ून की लंबाई एक दिन की मसाफत तक होगी, वो मय्यित से कलाम करते हुए कहेगा : में गन्जा साँप हु। उसकी आवाज़ कड़क दार बिजली की सी होगी, वो कहेगा : मेरे रब ने मुझे हुक्म दिया है के नमाज़े फज्र ज़ाएअ करने पर असर तक मारता रहू और नमाज़े असर ज़ाएअ करने पर मगरिब तक मारता रहु और नमाज़े मगरिब ज़ाएअ करने पर ईशा तक मारता रहू और नमाज़े ईशा ज़ाएअ करने पर फज़र तक मारता रहु।
     जब भी वो उसे मारेगा तो वो 70 हाथ तक ज़मीन में धस जाएगा और वो क़यामत तक इस अज़ाब में मुब्तला रहेगा।
     ऐ फज़र के वक़्त गफलत की चादर तान कर गहरी नींद सोने सोने वालो ! होश में आओ, ऐ ज़ोहर के वक़्त मस्जिद का रुख करने के बजाए अपने कारोबार और नोकरी में मगन रहने वालो ! मरने के बाद तुम्हारे पास फुर्सत ही फुर्सत होगी मगर नेकिया करने की मोहलत खत्म हो चुकी होगी ! असर और मगरिब की नमाज़ पर अपने कामकाज को तरजीह देने वालो ! एक दिन तुम्हारी ज़िन्दगी की शाम ढल जाएगी, घर वालो और यार दोस्तों की बैठक में दिल लगा कर ईशा की नमाज़ छोड़ देने वालो ! गुनाहो की तारीकी तुम्हारी क़ब्र को मजीद तारिक कर देगी, ऐ दुन्या का हर काम पाबंदी से करने मगर सालोंसाल से नमाजो से मुह मोड़ने वालो ! अपनी आख़िरत की फ़िक्र करो, इससे पहले के मौत से ज़िन्दगी छीन ले, जल्दी करो जितनी नमाज़े क़ज़ा हुई है, तौबा भी करो और इन का हिसाब लगा कर अदा कर लो।
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 39*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को जहन्नम का गढ़ा बनाने वाले आमाल* #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_वालिदैन की ना फ़रमानी_*
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जिसने वालिदैन की ना फ़रमानी की उसने अल्लाह और उस के रसूल की नाफ़रमानी की, और वालिदैन के नाफरमान को जब क़ब्र में दफ़्न कर दिया जाएगा तो क़ब्र उसको उस तरह दबाएगी के उस की पसलिया टूट फुट कर एक दूसरे में पैवस्त हो जाएगी।

*_रैंकने वाला गधा_*
     हज़रते अवाम बिन हैशब फरमाते है एक मर्तबा में एक कबीले में गया, वहा पर एक तरफ कुछ क़ब्रे थी, असर के बाद उस क़ब्रस्तान की एक क़ब्र फटती और उससे एक शख्स नमूदार होता जिसका सर गधे और जिस्म इंसान की तरह होता था वो 3 बार गधे की सी आवाज़ निकाल कर फिर क़ब्र में गायब हो जाता था।
     मेने इस बारे में लोगो से दरयाफ़्त किया तो उन्होंने बताया के ये शराब का आदि था, जब ये शराब पिता तो इसकी माँ कहती के " बेटा ! अल्लाह से डर!" तो वो जयाब देता : तू गधे की तरह रैंकति रहती है। फिर असर के बाद वो मर गया, अब हर रोज़ असर के बाद निकलता है और तिन बार रैकता है और फिर गायब हो जाता है।

     अपने वालीदैन की शफकते, महब्बते और इनायते भुला कर इन के सामने ज़बान दराजी बल्कि दस्त दराजी की जुर्रत करने वाले इस रिवायत से इब्रत पकड़े और क़ब्र व हशर और दुन्या की परेशानियो ससे बचने के लिये जितनी जल्दी हो सके अपने वालिदैन से मुआफ़ी मांगे, हाथ जोड़ कर पाउ पकड़ कर रो रो कर उन को मना ले और अगर माँ बाप दोनों या इनमेसे कोई एक फौत हो चूका हो तो हर जुमुआ को उन की क़ब्र पर हाज़री देने की कोशिश करे।
     हुज़ूरﷺ का फरमान है : जो अपने माँ बाप दोनों या एक की क़ब्र पर हर जुमुआ के दिन ज़ियारत को हाज़िर जो अल्लाह उसके गुनाह बख्श दे और माँ बाप के साथ अच्छा बर्ताव करने वाला लिखा जाए।
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 42*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को जहन्नम का गढ़ा बनाने वाले आमाल* #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_ज़कात न देने का वबाल_* #01
     हज़रते मुहम्मद बिन युसूफ फरयाबि अलैरहमा कहते है : हम हज़रते अबी सनान के साथ उनके हमसाए की ताज़िय्यत के लिए गए तो देखा के उसका भाई बहुत आहो बुका कर रहा था, हमने उसे काफी तसल्लिया दी, सब्र की तलकीन की मगर उसकी गिर्या व ज़ारी बराबर जारी रही।
     हमने कहा : क्या तुम्हे मालुम नही के हर शख्स को आखिर मर जाना है ? वो कहने लगा : ये सहीह है मगर में अपने भाई के अज़ाब और रोटा हु। हमने पूछा : क्या अल्लाह ने तुम्हे ग़ैब से तुम्हारे भाई के अज़ाब की खबर दी है ? कहने लगा। : नही, बल्कि हुवा यु के जब सब लोग मेरे भाई को दफ़्न करके चल दिये तो में वही बेठा रहा, में ने उसकी क़ब्र से आवाज़ सुनी वो कह रहा था "आह ! वो मुझे तन्हा छोड़ गए और में अज़ाब में मुब्तला हु, मेरी नमाज़े और रोज़े कहा गए ?" मुझसे बर्दास्त न हो स्का मेने उसकी क़ब्र खोदना शुरू कर दी ताके देखु के मेरा भाई किस हाल में है ? जूही क़ब्र खुली, मेने देखा उसकी क़ब्र में आग दहक रही है और उसकी गर्दन में आग का तौक पड़ा हुवा है, में महब्बत में दीवाना वार आगे बढ़ा और उस तौक को उतारना चाहा मगर नाकाम रहा और मेरा ये हाथ उंगलियो समेत जल गया है।
     रावी का कहना है के हमने देखा वाकइ उसका हाथ बिलकुल सियाह हो चूका था। उस ने उसले कलाम ज़ारी रखते हुए कहा : में ने उसकी क़ब्र पर मिट्टी डाली और वापस लौट आया, अब अगर में न रोउ तो और कौन रोएगा ? हमने पूछा : तेरे भाई का कोई ऐसा काम भी था जिसके बाईस उसे ये सज़ा मिली ? कहा : शायद इस लिए के वो अपने माल की ज़कात न देता था।
*✍🏽मकशफतुल कुलूब, 73*

     ज़कात इस्लाम के 5 अरकान में से एक है, ज़कात की अदाएगी में माल की हिफाज़त, नजाते आख़िरत और रिज़्क़ में बरकत जेसे फवाइद भी पोशीदा है, मगर कुछ लोग ऐसे भि होते है जो हर वक़्त माल, माल और माल की रट लगाने वाले फ़र्ज़ होने के बावुजूद ज़कात अदा नही करते, ऐसो को खूब समज लेना चाहिए के कल बरोज़े क़यामत येही माल उनके लिए वबाले जान बन जाएगा।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. انشاء الله
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 44*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को जहन्नम का गढ़ा बनाने वाले आमाल* #06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*ज़कात न देने का वबाल* #02

*_अज़ाब का दर्दनाक नक्शा_*
     आला हज़रत अलैरहमा क़ुरआनो हदिष में बयान करदा अज़ाबात का नक्शा खीचते हुए फरमाते है : जिस सोने चादी की ज़कात न दी जाए, रोज़े क़यामत जहन्नम की आग में पता कर उसे से उनकी पेशानिया, करवटें, पीठे दागी जाएगी। उनके सर, पिस्तान पर जहन्नम का गर्म पथ्थर रखेगे के छाती तोड़ कर शाने से निकल जाएगा और शाने की हड्डी पर रखेंगे के हड्डिया तोड़ता सीने से निकल आएगा, पीठ तोड़ कर करवट से निकलेगा, गद्दी तोड़ कर पेशानिसे उभरेगा।
     जिस माल की ज़कात न दी जाएगी रोज़े क़यामत पुराना खबीस *खूंखार अज़्दहा* बन कर उसके पीछे दौड़ेगा, ये हाथ से रोकेगा, वो हाथ चबालेगा, फिर गलेमें तौक बनके पड़ेगा, उस का मुह अपने मुह में ले कर चबाएगा के में हु तेरा माल, में हु तेरा खजाना। फिर उसका सारा बदन चबा डालेगा।
     आला हज़रत ज़कात न देने वालो को क़यामत के अज़ाब से डरा कर समजाते हुए फरमाते है : ऐ अज़ीज़ ! क्या खुदा व रसूल के फरमान को युही हसी ठठ्ठा समजता है या (क़यामत के दिन एक दिन यानी) पचास हज़ार बरस की मुद्दत में ये जानकाह मुसीबते झेलनी सहल जानता है, ज़रा यही की आग में एक आध रूपया गर्म कर के बदन पर रख कर देख, फिर कहा ये हल्की सी गर्मी, और कहा वो कहर आग, कहा ये एक ही रूपया और कहा वो सारी उम्र का जोड़ा हुआ माल, कहा ये मिनट भर की देर और कहा वो हज़ार दिन बरस की आफत, कहा ये हल्का सा मामूली सा दाग, कहा वो हड्डिया तोड़ कर पार होने वाला अज़ाब।
अल्लाह मुसलमान को हिदायत बख्शे।
*फतावा रज़विय्या, 10/153*
     एक और मकाम पर आला हज़रत अलैरहमा फरमाते है : गर्ज़ ज़कात न देने की इन्तिहाई तकलीफ देह आफतें वो नही जिनकी ताक़त रखी जा सके, न देने वाले को हज़ार साल इन सख्त अज़ाबो में गिरफ्तारी की उम्मीद रखना चाहिए के बहुत कमज़ोर इंसान की क्या जान, अगर पहाड़ो पर डाली जाए सुरमा हो कर खाक में मिल जाए।
*✍🏽फतावा रज़विय्या, 10/871*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 45*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को जहन्नम का गढ़ा बनाने वाले आमाल* #07
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शराब, ज़िना, गीबत, झूटी क़समें खाना और रोज़ा न रखना_* #01
     एक बार खलीफा अब्दुल मलिक के पास एक शख्स घबराया हुवा हाज़िर हुवा और कहने लगा : आलिजाह ! में बेहद गुनाहगार हु और जानना चाहता हु के मेरे लिये मुआफ़ी भी है या नही ?
     खलीफा ने कहा : क्या तेरा गुनाह ज़मीन व आसमान से भी बड़ा है ? उसने कहा : बड़ा है। खलीफा ने पूछा : क्या तेरा गुनाह लौहो कलम से भी बड़ा है ? जवाब दिया : बड़ा है। पूछा : क्या तेरा गुनाह अर्श व कुर्सी से भी बड़ा है ? जवाब दिया : बड़ा है।
     खलीफा ने कहा : भाई यक़ीनन तेरा गुनाह अल्लाह की रहमत से तो बड़ा नही हो सकता। ये सुनकर उसके सीने में थमा हुवा तूफ़ान आँखों के ज़रिए उमड़ आया और वो दहाड़े मार मार कर रोने लगा। खलीफा ने कहा : भाई आखिर मुझे पता भी तो चले के तुम्हारा गुनाह क्या है ? इस पर उसने कहा : हुज़ूर ! मुझे आप को बताते हुए बेहद नदामत हो रही है ताहम अर्ज़ किये देता हु, शायद मेरी तौबा की कोई सूरत निकल आए। ये कह कर उसने अपनी दस्ताने दहशत निशाँ सुनानी शुरू की।
    
उसकी दास्तान انشاء الله अगली पोस्ट में....
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 49*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को जहन्नम का गढ़ा बनाने वाले आमाल* #08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*_शराब, ज़िना, गीबत, झूटी क़समें खाना और रोज़ा न रखना_* #02
उस शख्स ने अपनी दस्ताने दहशत सुनानी शुरू की. कहने लगा : आलिजाह ! में एक कफ़न चिर हु. आज रात में ने 5 क़ब्रो से इब्रा हासिल की और तौबा पर आमादा हुवा।

*_शराबी का अंजाम_*
     कफ़न चुराने की गरज से में ने जब पहली क़ब्र खोदी तो मुर्दे का मुह क़िबले से फिरा हुवा था. में ख़ौफ़ज़दा हो कर जू ही पलटा के एक ग़ैबी आवाज़ ने मुझे चौक दिया. कोई कह रहा था : "इस मुर्दे से अज़ाब का सबब तो दरयाफ़्त कर ले." मेने घबरा कर कहा : मुझ में हिम्मत नही, तुम ही बताओ ! आवाज़ आई : ये शख्स शराबि और जानी था.

*_खिन्ज़ीर नुमा मुर्दा_*
     दूसरी क़ब्र खोदी तो एक दिल हिला देने वाला मंज़र मेरी आँखों के सामने था. क्या देखता हु के मुर्दे का मुह खिन्ज़ीर जैसा हो चूका है और वो तौक व ज़ंजीर में जकड़ा हुवा है. ग़ैब से आवाज़ आई ये जुटी कस्मे खता और हराम रोज़ी कमाता था.

*_आग की किले_*
     तीसरी क़ब्र खोदी तो उस में भी एक भयानक मंज़र था. मुर्दा गुद्दी की तरफ ज़बान निकाले हुए था और उसके ज़िस्म में आग की किले ठुकी हुई थी. गैबी आवाज़ आई : ये गीबत करता, चुगली खाता और लोगो को आपस में लड़वाता था.

*_आग की लपेट में_*
     चौथी क़ब्र खोदी तो मेरी निगाहो के सामने एक बेहद सनसनी खैज़ मंज़र था ! मुर्दा आग में उलट पुलट हो रहा था और फ़रिश्ते उसे आतिशी हथोड़ो से  मार रहे थे. मुझ पर एक डीएम दहशत तारी हो गई और में भाग खड़ा हुवा मगर मेरे कानो में एक गैबी आवाज़ गूंज रही थी के ये बद नसीब नमाज़ और रोज़े में सुस्ती करता था.

*_जवानी में तौबा का इनआम_*
     पाचवी क़ब्र खोदी तो उसकी हालत गुज़श्ता चारो क़ब्रो से बिलकुल बर अक्स थी. क़ब्र हद्दे नज़र तक वसी थी, अंदर एक तख्त पर खुबरु नैजवान बैठा हुवा था. ग़ैब से आवाज़ आई : इसने जवानी में तौबा करली थी और नमाज़ व रोज़ा का सख्ती से पाबन्द था.
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 50*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को जहन्नम का गढ़ा बनाने वाले आमाल* #09
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_पेशाब से न बचना_*
     हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया : अज़ाबे क़ब्र उमुमन पेशाब से (न बग्ने की वजह से) होता है.
*✍🏽इब्ने माजाह, 1/219*

*_मिलावट करने की सज़ा_* #01
     एक मर्तबा हज़रते इब्ने अब्बासرضي الله تعالي عنه की खिदमत में एक शख्स हाज़िर हुवा और अर्ज़ की : हुज़ूर ! हम बहुत से लोग हज करने आए है. सफा व मर्वाह की सई के दौरान हमारे एक दोस्त का इंतिक़ाल हो गया. गुस्ल व तकफिन वगैरा के बाद उसे कब्रस्तान ले जाया गया. जब उसके लिये क़ब्र खोदी तो हम ये देख कर हैरान रह गए के एक बहुत बड़ा अज़दहा क़ब्र में मौजूद है. हमने दूसरी क़ब्र खोदी तो उसमे भी वही खौफनाक सांप कुंडली मारे बैठ था. हमें बड़ी परेशानी लाहिक हुई. अब में उस मय्यत को वही छोड़ कर आप की बारगाह में मसअला दरयाफ़्त करने आया हु के इस खौफनाक सूरते हाल में क्या करे?
     हज़रते इब्ने अब्बास ने फ़रमाया : वो अज़दहा उसका बुरा अमल है जो वो दुन्या में किया करता था, तुम जाओ और उन क़ब्रो मेसे किसी एक क़ब्र में उसे दफन करदो, अगर तुम उस शख्स के लिये सारी ज़मीन खोद डालो तब भी वहा उस अज़दहे को ज़रूर पाओगे.
     वो शख्स वापस चला गया और उस फौत सुदा शख्स को उन खोदी हुई क़ब्र में दफन कर दिया गया और अज़दहा उस क़ब्र में ब दस्तूर मौजूद था.
     फिर जब हम अपने एलाक में वापस पोहचे तो उस शख्स की ज़ौजा से पूछा : तुम्हारा शौहर ऐसा कोनसा गुनाह करता ता जिस की वजह से उ को ऐसी दर्दनाक सज़ा मिली? उसने अफ़सोस करते हुए कहा : मेरा शौहर गल्ले का ताजिर था और वो गल्ले में मिलावट किया करता था. लगता है उसे इसी गुनाह की सज़ा दी गई है.
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 52*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in




*क़ब्र को जहन्नम का गढ़ा बनाने वाले आमाल* #10
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_ग़ुस्ले जनाबत में ताखीर_*
     हज़रते अबान बिन अब्दुल्लाह बजली अलैरहमा फरमाते है : हमारा एक पड़ोसी मर गया तो हम कफ़न दफ़्न में शरीक़ हुए। जब क़ब्र खोदी गई तो उसमे बिल्ले की मिस्ल एक जानवर था, हमने उसको मारा मगर वो न हटा। चुनांचे हमने दूसरी क़ब्र खोदी तो उसमे भी वही बिल्ला मैजूद था ! फिर तीसरी क़ब्र खोदी गई तो उसमे भी यही मुआमला हुवा, आखिर लोगो ने मशवरा दिया के अब इसको इसी क़ब्र में दफ़्न कर दो, जब उसको दफ़्न कर दिया तो क़ब्र में से खौफनाक आवाज़ सुनी गई ! तो हमने उस की बेवा के पास जा के पूछा की उसका अमल क्या था ? बेवा ने बताया : वो ग़ुस्ले जनाबत (यानी फ़र्ज़ गुस्ल) नही करता था।
*✍🏽सरह सदर बशरह हाल-ल मौती वल-क़ब्र, 179*

*_ग़ुस्ले जनाबत में ताखीर कब हराम है_*
     ग़ुस्ले जनाबत में देर कर देना गुनाह नही अलबत्ता इतनी ताखीर हराम है के नमाज़ का वक़्त निकल जाए।
     बहारे शरीअत में है : जिस पर गुस्ल वाजिब है वो अगर इतनी देर कर चूका के नमाज़ का आखिर वक़्त आ गया तो अब फौरन नहाना फ़र्ज़ है, अब ताखीर करेगा तो गुनाहगार होगा।
*✍🏽बहारे शरीअत, 2/521*

*_जनाबत की हालत में सोने के अहकाम_*
     हज़रते अबू सलमह कहते है : हज़रते आइशा से पूछा गया, क्या हुज़ूर जनाबत की हालत में सोते थे ? उन्होंने बताया : हा और वुज़ू फरमा लेते थे।
*✍🏽सहीह बुखारी, 1/117*
     हज़रते फ़ारुके आज़म ने हुज़ूर से तज़किरा किया : रात में कभी जनाबत हो जाती है तो क्या किया जाए ? आप ने फ़रमाया : वुज़ू करके उज़्वे ख़ास को धो कर सो जाया करो।
*✍🏽सहीह बुखारी, 1/118*
     हज़रते अली से अबू दावूद व नसाई वगैरा में मरवी है के फ़रमाया : उस घर में फ़रिश्ते नही जाते जिसमे तस्वीर या कुत्ता या जुनूबी (बे गुस्ल) हो।
*✍🏽सुनन इब्ने दाऊद, 1/109*
इस हदिष से मुराद यही है के इतनी देर तक गुस्ल न करे के नमाज़ का वक़्त निकल जाए और वही जुनूबी रहने का और यही मतलब बुज़ुर्गो के इस इरशाद का है के हालते जनाबत में खाने पिने से रिज़्क़ में तंगी होती है।
*✍🏽नुज़हतुल कारी, 1/770,771*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 54*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को जहन्नम का गढ़ा बनाने वाले आमाल* #11
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूदखोर का अन्जाम_*
     हज़रत अल्लामा हजर मक्की अलैरहमा फरमाते है के जब में छोटा था तो पाबन्दी से अपने वालिद की क़ब्र पर हाज़िरी देता और क़ुरआन की रिलावत किया करता था। एक मर्तबा रमज़ानुल मुबारक में नमाज़े फज़र के फौरन बाद क़ब्रस्तान गया। उस वक़्त क़ब्रस्तान में मेरे इलावा कोई न था। में ने अपने वालिद की क़ब्र के क़रीब बैठ कर क़ुरआन की तिलावत शुरू कर दी, कुछ ही देर गुज़री थी के अचानक मुझे किसी के ज़ोर ज़ोर से रोने की आवाज़ सुनाई दी। ये आवाज़ एक क़ब्र से आ रही थी। में घबरा गया और तिलावत छोड़ कर क़ब्र की तरफ देखने लगा, ऐसा लगता था जेसे क़ब्र के अंदर किसी को अज़ाब दिया जा रहा हो, क़ब्र में दफ़्न मुर्दे कि आहो ज़ारी सुन कर मुझे खौफ महसूस होने लगा। जब दिन खूब चढ़ गया तो वो आवाज़ सुनाई देना बंद हो गई।
     एक शख्स मेरे क़रीब से गुज़रा तो में ने उस से क़ब्र के बारे में पूछा, उसने मुझे बताया के ये फुला की क़ब्र है। में उस शख्स को पहचान गया, ये बड़ा पक्का नमाज़ी था और बे जा गुफ्तगू से परहेज़ किया करता था। ऐसे नेक शख्स की क़ब्र से रोने पीटने की आवाज़े सुन कर में बड़ा हैरान था। मेने मालूमात की तो पता चला के वो सूदखोर था, शायद इसी वजह से उसे क़ब्र में अज़ाब हो रहा था।

     इस हिकायत से चन्द सिक्को की खातिर अपने आप को जहन्नम के शोलो की नज़र करने की जिसारत करने वाले सूदखोरों को इब्रत पकड़ नी चाहिए के कही मरने के बाद उनका भी यही अंजाम न हो !

*_पेट में साँप_*
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : मेराज की रात मेरा गुज़र कुछ ऐसे लोगो पर हुवा, जिन के पेट मकानों की तरह थे, उन में साप थे, जो पेटो के बाहर से भी नज़र आते थे। मेने पूछा के ऐ जिब्राईल ये कौन है ? उन्होंने अर्ज़ की : सूद खाने वाले।
*✍🏽सुनन इब्ने माजह, 3/71*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 56*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*_मस्जिद में हसना_*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते अनसرضي الله تعالي عنه से रिवायत है के नबीﷺ ने फ़रमाया : मस्जिद में हसना क़ब्र में तारीकी का बाईस है।
*✍🏽मसनद अल फ़िरदौस, 2/41*
     मस्जिद में संजीदा रहने के लिये मस्जिद के बाहर भी बे जा हसी मज़ाक और फ़ुज़ूल गोई की आदत तर्क कर दीजिये।

*_लज़्ज़त पर नही हलाकत पर नज़र रखिये_*
     आज गुनाहो में लज़्ज़त ज़रूर महसूस होती है मगर इनकी हलाकत खैज़िया हमे उस जहान में भुगतनी होगी जहा से वापसी की कोई सूरत नही है ! इस गुनाहो को छोड़ना कड़वी गोली की मिस्ल सही मगर सिहहत का ख्वाहिश मन्द दवा की कड़वाहट की परवाह नही करता बल्कि शिफ़ा को अपना मकसूद जानता है।

*_क़ब्र को जन्नत का बाग़ बनाने वाले आमाल_*
     ये दुन्या दारुल अमल (यानी अमल करने की जगह) और आख़िरत दारुल जज़ा (यानी बदला मिलने की जगह) है, जो हम यहाँ बोयेंगे वही आख़िरत में काटेंगे, गंदुम बो कर चावल की फसल हासिल करने की चाहत को दीवाने का ख्वाब ही कहा जा सकता है। इस लिये समजदारी का रकाज़ा यही है के जो आप काटना चाहते है उसी का बिज बोइये। लिहाज़ा जन्नत में जाने के लिये जन्नत में ले जाने वाले आमाल करने होंगे,
     वो जन्नत जहां एक इन्तिहाई खूब सूरत जहान आबाद है, जिसमे मौत का आज़ार नही, बीमारिया और क़र्ज़ दारिया नही, जिस में बुढ़ापे की कमज़ोरी नही, गरीबी, नादारी, माज़ूरी और मजबूरी नही बल्कि ये वो मक़ाम है जहा ज़िन्दगी की सारी रानाइया जमा कर दी गई है।
     लेकिन नेकिया कमाने के लिये कुछ तो मेहनत करनी पड़ेगी, इंसान रोज़गार में भी मशक्कत उठाता है के इस के नतीजे में रोज़ी मिलती है। हम समजते है के ये ज़मीन हमारी है ! नही ! बल्कि हम इस के है एक दिन इसी में समा जाएंगे। औलाद व अहबाब और रिश्तेदार सिर्फ खाक में लिटाना जानते है, फिर सिर्फ आमाल ही हमारे रफिके क़ब्र होंगे।
     कभी आप ने सोचा ? ऐ काश ! फ़िक्रे आख़िरत हम पर ऐसी ग़ालिब हो जाए के जब तारीकी देखे तो क़ब्र का अँधेरा याद आ जाए, कोई तकलीफ पहोंचे तो क़ब्र व हशर की परेशानिया सामने आ जाए, सोने लगे तो मौत और क़ब्र में लौटना यद् आ जाए, ऐ काश ! हमारा दिल नेकियों में ऐसा लग जाए के गुनाह के ख्याल से भी दूर भागे !

     क़ब्र को रौनक बख्शने और इसे आराम देह बनाने वाले चन्द आमाल के बारे में انشاء الله अगली पोस्ट में जानेंगे...
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 59*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को रौनक बख्शने और इसे आराम देह बनाने वाले आमाल* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_नमाज़, रोज़ा, हज और ज़कात वगैरा_*
     हज़रते काबرضي الله تعالي عنه से मरवी है के जब नेक आदमी को क़ब्र में रखा जाता है तो उस के आमाले सालिहा, नमाज़, रोज़ा, हज, जिहाद और सदक़ा वगैरा उसके पास जमा हो जाते है, जब अज़ाब के फ़रिश्ते उसके पेरो की तरफ से आते है तो नमाज़ कहती है : इससे दूर हो, तुम्हारा यहाँ कोई काम नही, ये इन पेरो पर खड़ा हो कर अल्लाह की इबादत किया करता था।
     फिर वो फ़रिश्ते सर की तरफ से आते है तो रोज़ा कहता है : तुम्हारे लिये इस तरफ कोई राह नही है क्यू के दुन्या में अल्लाह की ख़ुशनूदी के लिये इस ने बहुत रोज़े रखे और तवील भूक प्यास बर्दाश्त की।
     फ़रिश्ते उस के जिस्म के दूसरे हिस्सों की तरफ से आते है तो हज और जिहाद कहते है के हट जाओ, इसने अपने जिस्म को तकलीफ में डाल कर अल्लाह की रिज़ा के लिये हज और जिहाद किया था लिहाज़ा तुम्हारे लिये यहाँ कोई जगह नही है।
     फिर वो हाथो की तरफ से आते है तो सदक़ा कहता है : मेरे दोस्त से हट जाओ, इन हाथो से कितने सद्क़ात निकले है जो महज़ अल्लाह की रिज़ा के लिये दिये गए और इन हाथो से निकल कर वो बारगाहे इलाही में मक़बूलिय्यत के दर्जे पर फैज़ हुए लिहाज़ा यहाँ तुम्हारा कोई काम नही है।
     फिर उस मैय्यत को कहा जाता है के तेरी ज़िन्दगी और मौत दोनों बेहतरीन है और रहमत के फ़रिश्ते उसकी क़ब्र में जन्नत का फर्श बिछते है, उस केंलिये जन्नती लिबास लाते है, हद्दे निगाह तक उस की क़ब्र को फराख कर दिया जाता है और जन्नत की एक किन्दिल उस की क़ब्र में रोशन कर दी जाती है जिस से वो क़यामत के दिन तक रौशनी हासिल करता रहेगा।
*✍🏽मकशफतुल कुलूब, 171*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 62*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को रौनक बख्शने और इसे आराम देह बनाने वाले आमाल* #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_मुझे नमाज़ पढ़ने दो_*
     हदिष में है की जब मैय्यत क़ब्र मे दाखिल की जाती है तो उसे सुरज डूबता (यानी गुरुब होता) नज़र हुवा मालुम होता है तो वो आँखे मलता हुवा बैठता है और कहता है : मुझे छोडो में नमाज़ पढ़ लू।
*✍🏽सुनन इब्ने माजह, 4/503*
      हज़रते मुल्ला अली कारी अलैरहमा लिखते है : गोया वो उस वक़्त अपने आप को दुन्या ही में तसव्वुर करता है के सुवाल व जवाब रहने दो मुझे फ़र्ज़ अदा करने दो, वक़्त खत्म हुवा जा रहा है, मेरी नमाज़ जाती रहेगी।
     ये बात वही कहेगा जो दुन्या में नमाज़ का पाबन्द था और उस को हर वक़्त नमाज़ का ख्याल लगा रहता था।

*_दो अँधेरे दूर होंगे_*
     मन्कुल है के अल्लाह ने हज़रते मूसा कलीमुल्लाह से फ़रमाया के में ने उम्मते मुहम्मदिया को दो नूर अता किये है ताके वो दो अंधेरो के नुकसान से महफूज़ रहे। मूसा कलीमुल्लाह ने अर्ज़ की : या अल्लाह ! वो दो नूर कौन से है ? इरशाद हुवा : *नुरे रमज़ान* और *नुरे कुरआन*। अर्ज़ की: दो अँधेरे कौन से है ? फ़रमाया एक क़ब्र का और दूसरा क़यामत का।
*✍🏽दुर्र्त्तुन नासिहीन, 9*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 63*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को रौनक बख्शने और इसे आराम देह बनाने वाले आमाल* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सब्र के अनवार_*
     एक तवील हदिष में ये भी है के जब मरने वाले को क़ब्र में रखा जाता है तो नमाज़ उसकी दाई तरफ आती है और रोज़े बाई तरफ और क़ुरआन व ज़िक्रो अज़्कार उस के सर के पास और उसका नमाज़ों की तरफ चलना क़दमो की तरफ और सब्र क़ब्र के एक गोशे में आता है।

     फिर अल्लाह अज़ाब भेजता है तो नमाज़ कहती है पीछे हट के ये तमाम ज़िन्दगी तकालिफ् बर्दाश्त करता रहा, अब आराम से लैटा है।
     फिर अज़ाब बाई तरफ से आता है तो रोज़े यही जवाब देते है, सर की जानिब से आता है तो यही जवाब मिलता है। पस अज़ाब किसी जानिब से भी उस के पास नही पहोचता। जिस राह से जाना चाहता है उसी तरफ से अल्लाह के दोस्त को महफूज़ पाता है लिहाज़ा  वो वहा से चला जाता है।
     उस वक़्त सब्र तमाम आमाल से कहता के में इस लिये न बोला के अगर तुम सब आजिज़ हो जाते तो में बोलता, लेकिन में अब पुल सिरात और मीज़ान पर काम आऊंगा।
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 66*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को रौनक बख्शने और इसे आराम देह बनाने वाले आमाल* #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_मस्जिद रोशन करने की बरकत_*
     हज़रते उमरرضي الله تعالي عنه ने मरफुअन रिवायत की के, जिसने अल्लाह की मस्जिद को रोशन किया अल्लाह उस की क़ब्र को रोशन फ़रमाएगा और जिस ने इस में खुश्बुए रखी तो अल्लाह जन्नत में उस के लिये खुशबु मुहैय्या करेगा।
     अमीर अहले सुन्नत इस रिवायत को नकल करने के बाद लिखते है : मालुम हुवा मस्जिदे बनाना और इन्हें ऊद, लुबान और अगरबत्ती वगैरा से खुशबूदार रखना कारे षवाब है। मगर मस्जिद में दिया सलाई (यानी माचिस की तीली) न जलाइये के इस से बारूद की बदबू निकलती है और मस्जिद को बदबू से बचना वाजिब है। बारूद का बदबूदार धुवा अंदर न आने पाए इतनी दूर बाहर से लुबान या अगरबत्ती वगैरा सुलगा कर मस्जिद में लाइए।
     अगरबत्तियों को किसी बड़े तशत वगैरा में रखना ज़रूरी है ताके इस की राख मस्जिद के फर्श वगैरा पर न गिरे।
     मस्जिद (नीज़ घरो और कारो वगैरा) में एर फ्रेशनर से खुशबु का छिड़काव मत कीजिये के उस के किमियावि माद्दे फ़ज़ा में फेल जाते और सास के ज़रिए फेफड़ो में पहोच कर नुकशान पोहचाते है। एक तिब्बी तहक़ीक़ के मुताबिक़ एर फ्रेशनर के इस्तिमाल से स्किन केन्सर हो सकता है।

*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 69*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को रौनक बख्शने और इसे आराम देह बनाने वाले आमाल* #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_मरीज़ की इयादत_*
     हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़رضي الله تعالي عنه से रिवायत है के हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया : हज़रते मूसा ने अल्लाह से अर्ज़ की के मरीज़ की इयादत करने वाले को क्या अज्र मिलेगा ? तो अल्लाह ने इरशाद फ़रमाया : उस के लिये दो फ़रिश्ते मुक़र्रर किये जाएंगे जो क़यामत तक उस की क़ब्र में रोज़ाना उस की इयादत करेंगे।
*✍🏽शरह सुदूर, 159*

*_इयादत के मदनी फूल_*
      हज़रते अल्लामा मौलाना मुफ़्ती महम्मद अली आज़मी अलैरहमा फरमाते है : मरीज़ की इयादत करना सुन्नत है।
     अगर मालुम है के इयादत को जाएगा तो उस बीमार पर गिरा गुज़रेगा ऐसी हालत में इयादत न करे।
     इयादत को जाए और मरज़ की सख्ती देखे तो मरीज़ के सामने ये ज़ाहिर न करे के तुम्हारी हालत खराब है और न सर हिलाए जिस से हालत का खराब होना समजा जाता है।
     उसके सामने ऐसी बाते करनी चाहिए जो उस के दिल को भली मालुम हो।
     उसकी मिज़ाज पुरसी करे, उसके सर पर हाथ न रखे मगर जबके वो इस की ख्वाहिश करे।
     फ़ासिक़ की इयादत भी जाइज़ है क्यू की इयादत हुक़ूके इस्लाम से है और फ़ासिक़ भी मुस्लिम है।
*✍🏽बहारे शरीअत, 16/148*

*_मरीज़ के लिये एक दुआ_*
     हज़रते इब्ने अब्बासرضي الله تعالي عنه से रिवायत है के हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया के जिस ने किसी ऐसे मरीज़ की इयादत की जिस की मौत का वक़्त क़रीब न आया हो और सात मर्तबा ये अलफ़ाज़ कहे तो अल्लाह उसे उस मरज़ से शिफ़ा अता फ़रमाएगा :
*اَسْىٔلُ اللّٰهَ الْعَظِيْمَ رَبَّ الْعَرْشِ الْعَظِيْمِ اَنْ يَّشْفِيَك*
में अज़मत वाले, अर्शे अज़ीम के मालिक अल्लाह से तेरे लिये शिफ़ा का सुवाल करता हु।
*✍🏽सुनन इब्ने दाऊद, 3/152*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 70*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को रौनक बख्शने और इसे आराम देह बनाने वाले आमाल* #06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_लोगो को तकलीफ न पहोचाने का इनआम_*
     हज़रते अबू काहिल से मरवी है के जो लोगो को तकलीफ पहोचाने से बाज़ रहा, अल्लाह उसे क़ब्र की तकलीफ से बचाएगा।
*✍🏽अलमजम अलकबीर, 17/361*

     किसी मुसलमान की बिला वजहे शरई दिल आजारी कबीरा गुनाह, हराम और जहन्नम में लेजाने वाले काम है।
     हुज़ूर का फरमान है : जिसने बिला वजहे शरई किसी मुसलमान को इज़ा दी उसने मुझे इज़ा दी और जिसने मुझे इज़ा दी उसने अल्लाह को इज़ा दी।
*✍🏽अलमआजम अलवुसत, 2/386*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को रौनक बख्शने और इसे आराम देह बनाने वाले आमाल* #07
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_इसाले सवाब_*
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया के क़ब्र में मय्यित डूबते हुए फरियादी की तरह होती है के माँ बाप, भाई बहन, या दोस्त की दाए खैर के पहोचने की मुन्तज़िर रहती है, फिर जब उसे दुआ पहोच जाती है तो ये उसे दुन्या की तमाम नेमतों से ज़्यादा प्यारी होती है और अल्लाह ज़मीन वालो की दुआ से क़ब्र वालो को सवाब के पहाड़ देता है और यक़ीनन ज़िन्दा का मुर्दो के लिये दुआए मग्फिरत करना इन के लिये तोहफा है।
*शोएबुल ईमान, 6/203*

*_जिन्दो का तोहफा_*
     हज़रते अनसرضي الله تعالي عنه फरमाते है के में ने हुज़ूरﷺ से सुना के जब कोई मय्यित को इसाले सवाब करता है तो जिब्राईल उसे एक नूरानी तबाक में रख कर क़ब्र के कनारे खड़े हो जाते है और कहते है : ऐ गहरी क़ब्र के साथी ! ये तोहफा तेरे घर वालो ने भेजा है, इसे क़बूल कर ले। फिर जब वो सवाब उस की क़ब्र में दाखिल होता है तो वो मुर्दा उस से बेहद ख़ुशी महसूस करता है और उस के वो पड़ोसी गमगीन हो जाते ही जिन की तरफ कोई शै हदिय्या नही की गई होती।
*✍🏽अलमअजम अलवसत, 5/37*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 81*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को रौनक बख्शने और इसे आराम देह बनाने वाले आमाल* #08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सदक़ा देने से क़ब्र की गर्मी दूर होती है_*
     हज़रते उक़बाرضي الله تعالي عنه से रिवायत है के हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : बेशक किसी शख्स का सदक़ा उस की क़ब्र से गर्मी को दूर कर देता है और क़यामत के दिन मोमिन अपने सदके के साए में होगा।
*अलमअजम अलकबीर, 17/286*

*_राहे खुदा में खर्च कीजिये_*
     राहे खुदा में खर्च करने में फायदे ही फायदे है, आख़िरत में अज़्रो सवाब की हकदारी तो है ही, बाज़ अवक़ात दुन्या में भी इज़ाफ़े के साथ हाथो हाथ उस का नेअमल बदल अता किया जाता है और ये यक़ीनी बात है के राहे खुदा में देने से बढ़ता है घटता नही जेसे के हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه फरमाते है, हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया : सदक़ा माल में कमी नही करता और अल्लाह मुआफ़ करने की वजह से बन्दे की इज़्ज़त ही बढ़ाता है और जो अल्लाह की रिज़ा की खातिर इन्किसारि करता है तो अल्लाह उसे बुलंदी अता फ़रमाता है।
*✍🏽सहीह मुस्लिम, 1397*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 84*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को रौनक बख्शने और इसे आराम देह बनाने वाले आमाल* #09
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_खत्म न होने वाले 7 आमाल_*
     हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से रिवायत है के हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : मोमिन के इन्तिकाल के बाद इस के अमल और नेकियों में से जो कुछ इसे मिलता रहेगा, वो ये है :

इसका वो इल्म जिसे इस ने सिखाया और फेलाया।
नेक बेटा जिसे इसने छोड़ा।
वो क़ुरआन जिसे विरसे में छोड़ा।
वो मस्जिद जिसे इसने बनाया।
मुसाफिर खाना बनाया।
किसी नहर को जारी किया।
वो सदक़ए जारिया जिसे इसने हालते सिहहत और ज़िन्दगी में अपने माल से दिया।

इनका सवाब इसे मौत के बाद भी मिलता रहेगा।

*✍🏽इब्ने माजह, 1/158*
*✍🏽क़ब्र में आने वाला दोस्त, 86*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को रौनक बख्शने और इसे आराम देह बनाने वाले आमाल* #10
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_इल्म क़ब्र में साथ रहेगा_*
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया के जब आलिम फौत होता है तो उस का इल्म क़यामत तक क़ब्र में उसको मानूस करने के लिये मुतशक्किल हो कर (यानी शक्ल इख़्तियार कर के) रहता है और ज़मीन के कीड़ो को दूर करता है।
*✍🏽शरह अलसुदूर, 158*

*_औलाद को इल्मे दिन सिखाने की बरकत_*
     हज़रते ईसा रूहल्लाह एक क़ब्र के पास से गुज़रे तो देखा के क़ब्र में नूर ही नूर है और वहा अल्लाह की रहमत बरस रही है। आप बहुत हैरान हुए और अल्लाह की बारगाह में अर्ज़ की : या अल्लाह ! मुझे इसका राज़ बता दे के पहले इस पर अज़ाब क्यू हो रहा था और अब इसे जन्नत की नेअमतें कैसे मिल गई ?
     अल्लाह ने इरशाद फ़रमाया : ऐ इसा ! ये सख्त गुनाहगार और बदकार था, इस वजह से अज़ाब में गिरफ्तार था, मरने के बाद इसके घर लड़का पेड़ हुआ और आज इस को मदरसे भेजा गया, उस्ताद ने उसे *बिस्मिल्लाह* पढ़ाई, मुझे हया आई के में ज़मीन के अंदर उस शख्स को अज़ाब दू जिस का बच्चा ज़मीन पर मेरा नाम ले रहा है।
*✍🏽तफ़सीरे कबीर, 1/155*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 86*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*क़ब्र को रौनक बख्शने और इसे आराम देह बनाने वाले आमाल* #11
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_मुसलमान के दिल में ख़ुशी दाखिल करने का सवाब_*
     हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया : जो शख्स किसी मोमिन के दिल में ख़ुशी दाखिल करता है अल्लाह उस ख़ुशी से एक फ़रिश्ता पैदा फ़रमाता है जो अल्लाह की इबादत और ज़िक्र में मसरूफ़ रहता है। जब वो बन्दा अपनी क़ब्र में चला जाता है तो वो फ़रिश्ता उस के पास आ कर पूछता है : क्या तू मुझे नहीं पहचानता ? वो कहता है के तू कौन है ? तो वो फ़रिश्ता कहता है के में वो ख़ुशी हु जिसे तूने फुला के दिल में दाखिल किया था, आज में तेरी वहशत में तुझे उन्स पहोचाऊँगा और सुवालात के जवाबात में साबित क़दम रखूंगा और तुझे रोज़े क़यामत के मनाज़िर दिखाऊंगा और तेरे लिये रब की बारगाह में सिफारिश करूँगा और तुझे जन्नत में तेरा ठिकाना दिखाऊंगा।

     सुब्हान अल्लाह ! किसी के दिल में ख़ुशी दाखिल करना कितना आसान मगर इसका इनआम कितना शानदार है, मगर ये फ़ज़ीलत उसी वक़्त हासिल हो सकेगी जब वो खशी ऐन शरीअत के मुताबिक़ हो।

*_किसी के दिल में ख़ुशी दाखिल करने के चन्द काम_*
     किसी प्यासे को पानी पिला देना। किसी भूके को खाना खिला देना। कोई दुआ के लिये कहे तो फौरन उसके लिये दुआ कर देना। ज़रूरत मन्द की मदद करना। हाजत मन्द को क़र्ज़ देना। तंगदस्त मकरुज़ को क़र्ज़ अदा करने में मोहलत देना। गरीब मरीज़ की इयादत को जाना। मुस्करा कर बात करना। कोई  गलती कर बेठे तो उस से दर गुज़र करना। पसन्दीदा चीज़ खिलाना। अहम मवाकेअ पर तोहफा देना। वालिदैन की खिदमत करना। मज़लूम की मदद करना। दौराने सफर बैठने के लिये जगह दे देना।
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 88*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ रहने वाले खुश नसीब* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शहीद अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ रहता है_*
     हज़रते मिकदाम बिन मादी करीब से रिवायत है के हुज़ूर ने फ़रमाया : बेशक अल्लाह शहीद को 6 इनआम अता फ़रमाता है,

1 उस के खून का पहला कतरा गिरते ही उस की मग्फिरत फरमा देता है और जन्नत में उसे उस का ठिकाना दिखा देता है।

2 उसे अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ फ़रमाता है।

3 क़यामत के दिन उसे बड़ी घबराहट से अम्न अता फ़रमाएगा।

4 उस के सर पर वकार का ताज़ रखेगा जिस का याकूत दुन्या और इस की हर चीज़ से बेहतर होगा।

5 उसका हूरो में से 72 हूरो के साथ निकाह कराएगा।

6 उस की 70 रिश्तेदारो के हक़्क़ में शफ़ाअत क़बूल फ़रमाएगा।

*✍🏽इब्ने माजह, 3/36*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 89*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ रहने वाले खुश नसीब*​ #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_पेट के मरज़ में मरने वाला_*
     नबीए करीम ने फ़रमाया के जिसे उस के पेट ने मारा (यानी जिसे पेट की तकलीफ की वजह से मौत आई) तो उसे अज़ाबे क़ब्र न होगा।
*✍🏽तिर्मिज़ी, 2/334*

     हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा फरमाते है : पेट की बिमारी से मरने वाला अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ है क्यू के इसे दुन्या में इस मरज़ की वजह से बहुत तकलीफ पहोच चुकी है, ये तकलीफे क़ब्र का दफईय्या बन गई।
*✍🏽मीरआतुल मनाजिह, 2/425*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 90*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ रहने वाले खुश नसीब*​ #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_जुमुआ के दिन फौत होने वाला_*
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जो मुसलमान जुमुआ के दिन या जुमुआ की रात फौत हो जाए तो अल्लाह उस को अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ रखता है।
*✍🏽जामेअ तिर्मिज़ी, 2/339*
     मुफ़स्सिरे शाहिर हकीमुल उम्मत हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा फरमाते है : जुमुआ की शब् या जुमुआ के दिन मरने वाले मोमिन से न हिसाबे क़ब्र हो न अज़ाबे क़ब्र क्यू की इस दिन की मौत शहादत की मौत है और शहीद हिसाब व अज़ाब से महफूज़ है जैसा के दीगर रिवायत में है, हम पहले बता चुके है के।
*✍🏽मिरआतुल मनाजिह, 2/328*

*_क़ब्र में वहशत न होगी_*
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जिस ने दिन में 100 मर्तबा *لَااِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ الْمَلِكُ الْحَقُّ الْمُبِيْن* पढ़ा तो वो फकर से महफूज़ रहेगा, उसे क़ब्र में वहशत न होगी और जन्नत के दरवाज़े उस के लिये खुल जाएंगे।
*✍🏽कन्ज़ुल अमाल, 2/103*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 90*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in















No comments:

Post a Comment