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Wednesday 31 May 2017

*बरकाते ज़कात* #09
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_ज़कात देने के फवाइद_* #02

*_रहमते इलाही की बरसात_*
     ज़कात देने वाले को दूसरी सआदत ये मिलती है कि उस पर रहमते इलाही की छमा छम बारिश होती है। चुनान्चे पारह 9 सूरतुल आराफ़ आयत 156 में है :
_और मेरी रहमत हर चीज़ को घेरे है तो अन क़रीब में नेमतों को उन के लिये लिख दूंगा जो डरते और ज़कात देते है।_

*_तक़वा व परहेज़गारी का हुसूल_*
    ज़कात देने का तीसरा फ़ायदा ये है कि इस से तक़वा हासिल होता है। चुनान्चे पारह 1 सूरतुल बक़रह आयत 3 में मुत्तक़ीन की अलामत में से एक अलामत ये भी बयान की गई है :
_और हमारी दी हुई रोज़ी में से हमारी राह में उठाए।_

बाक़ी कल की पोस्ट में.. ان شاء الله
*✍🏼बरकाते ज़कात, स.9*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*अहकामे रोज़ा* #17
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*_सोने के बाद सहरी की इजाज़त न थी_*
     रात को उठ कर सहरी करने की इजाज़त नही थी. रोज़ा रखने वाले को गुरुबे आफ़ताब के बाद सिर्फ उस वक़्त तक खाने पिने की इजाज़त थी जब तक वो सो न जाए. अगर सो गया तो अब बेदार हो कर खाना पीना ममनुअ था। मगर अल्लाह ने अपने प्यारे बन्दों पर एहसान अज़ीम फ़रमाते हुए सहरी की इजाज़त दी और इस का सबब यु हुवा....

*_सहरी की इजाज़त की हिकायत_*
     हज़रते सरमा बिन क़ैस رضي الله عنه मेहनती शख्स थे। एक दिन बी हालते रोज़ा अपनी ज़मीन में दिन भर काम कर के शाम को घर आए। अपनी ज़ौजा से खाना तलब किया, वो पकाने में मसरूफ़ हुई। आप थके हुए थे, आँख लग गई। खाना तैयार कर के जब आप को जगाया गया तो आप ने खाने से इनकार कर दिया। क्यू की उन दिनों (गुरुबे आफ़ताब के बाद) सो जाने वाले के लिये खाना पीना ममनुअ हो जाता था। चुनान्चे खाए पाई बगैर आप ने दूसरे दिन भी रोज़ा रख लिया। आप कमज़ोरी के सबब बेहोश हो गए।
*तफ्सिरल ख़ाज़िन, 1/126*
     तो इन के हक़ में ये आयते मुक़द्दसा नाज़िल हुई : और खाओ और पियो यहा तक की तुम्हारे लिये ज़ाहिर हो जाए सपेदी का डोरा सियाही के डोरे से पो फट कर। फिर रात आने तक रोज़े पुरे करो।
पारहा, 2 अल बक़रह, 187

     इससे ये मालुम हुवा की रोज़े का अज़ान फज्र से कोई तअल्लुक़ नही यानी फज्र की अज़ान के दौरान खाने पिने का कोई जवाज़ ही नही। अज़ान हो या न हो आप तक आवाज़ पहुचे या न पहुचे सुब्हे सादिक़ होते ही आप को खाना पीना बिल्कुल ही बन्द करना होगा।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 155*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*किसका किसके साथ हशर होगा*
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     हज़रते मुहम्मद बिन अहमद ज़हबी अलैरहमा नक़ल करते है, बाज़ उलमए किराम रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है, नमाज़ के तारिक को इन 4 (फिरऔन, क़ारून, हामान ओर उबय बिन खलफ़्) के साथ इस लिये उठाया जाएगा की लोग उमुमन दौलत, हुकूमत, वज़ारत और तिजारत की वजह से नमाज़ को तर्क करते है।

     जो हुकूमत की मशगुलिययत के सबब नमाज़ नहीं पढेगा उसका हशर फिरऔन के साथ होगा।

     जो दौलत के बाइस नमाज़ को तर्क करेगा तो उसका क़ारून के साथ हशर होगा।

     अगर तर्के नमाज़ का सबब वज़ारत होगी तो फिरऔन के वज़ीर हामान के साथ हशर होगा।

     अगर तिजारत की मसृफिय्यत की वजह से नमाज़ छोड़ेगा तो उस को मक्कए मुकर्रमा के बहुत बड़े काफ़िर ताजिर उबय बिन खलफ़् के साथ बरोज़े क़यामत उठाया जाएगा।
*✍🏼किताब अल-कबीर, स.21*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 144*

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*अहकामे रोज़ा* #16
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*_आँख का रोज़ा_*
     आँख का रोज़ा इस तरह रखना चाहिये की आँख जब भी उठे तो सिर्फ और सिर्फ जाइज़ उमूर ही की तरत उठे। आँख से मस्जिद देखिये, क़ुरआन देखिये, मज़ाराते औलिया की ज़ियारत कीजिये।
     अल गरज़ कोई भी नाजाइज़ व हराम चीज़ देखने से बचे। और आँख का रोज़ तो 24 गंटे 30सो दिन और बारह महीने होना चाहिए।

*_कान का रोज़ा_*
     कान का रोज़ा ये है की सिर्फ और सिर्फ जाइज़ बाते सुने। मसलन कानो से तिलावत व नात सुनिये, सुन्नतो भरे बयानात सुनिये।

*_ज़बान का रोज़ा_*
     ज़बान का रोज़ा ये है की ज़बान सिर्फ और सिर्फ नेक व जाइज़ बातो के लिये ही हरकत में आए। मसलन ज़बान से तिलावते क़ुरआन कीजिये, ज़िक्रो दुरिद का विर्द कीजिये। दर्स दीजिये सुन्नतो भरा बयान कीजिये, नेकी की दावत दीजिये। फ़ुज़ूल बकबक से बचते रहिये।

*_हाथ का रोज़ा_*
     हाथो का रोज़ा ये है की जब भी उठे सिर्फ नेक कम के लिये उठे। मसलन क़ुरआन को हाथ लगाइये, नेक लोगो से मुसाफहा कीजिये, हो सके तो किसी यतीम के सर पर शफ़क़त से हाथ फेरिये की हाथ के निचे जितने बाल आएगे हर बाल के इवज़ एक नेकी मिलेगी।

*_पाँव का रोज़ा_*
     पाँव का रोज़ा ये है की पाँव उठे तो सिर्फ नेक कामो के लिये उठे। मसलन पाँव चले तो मसाजिद की तरफ, मज़ारते औरलिया की तरफ, सुन्नतो भरे इज्तेमअ की तरफ, नेकी की दावत के लिये, किसी की मदद के लिये चले।

     वाक़ई हक़ीक़ी मानो में रोज़े की बरकत तो उसी वक़्त नसीब होगी जब हम तमाम आज़ा का भी रोज़ा रखेंगे। वरना भूक और प्यास के सिवा कुछ भी हासिल न होगा।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान*

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Tuesday 30 May 2017

*बरकाते ज़कात* #08
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*_ज़कात देने के फवाइद_* #01
_तकमील ईमान का ज़रीआ_
     ज़कात अदा करने वाले को पहली सआदत मन्दी ये हासिल होती है कि ज़कात देना, उसके ईमान की तकमील का सबब बनता है।

     आइये ! इस ज़िम्न में 2 फरमाने मुस्तफा ﷺ मुलाहिज़ा कीजिये :
★ तुम्हारे इस्लाम का पूरा होना ये है कि तुम अपने मालो की ज़कात अदा करो।
★ जो अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान रखता हो, उसे लाज़िम है कि अपने माल की ज़कात अदा करे।

बाक़ी कल की पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼बरकाते ज़कात, स.8*

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*क़यामत का सब से पहला सुवाल*
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     सरकारे मदीना ﷺ का इर्दशादे हक़ीक़त बुन्याद है, क़यामत के दिन बन्दे के आमाल में सबसे पहले नमाज़ का सुवाल होगा। अगर वो दुरुस्त हुई तो उसने कामयाबी पाई और अगर उसमे कमी हुई तो वो रुस्वा हुवा और उसने नुक़सान उठाया
*✍🏼कन्जुल अम्माल, जी.7 स.115 हदिष:18883*

*_नमाज़ी के लिये नूर_*
     सरकारे दो आलम ﷺ का इरशादे गिरामी है, जो शख्स नमाज़ की हिफाज़त करे उसके लिये नमाज़ क़यामत के दिन नूर, दलील और नजात होगी और जो इसकी हिफाज़त न करे उस के लिये ब रोज़े क़यामत न नूर होगा और न दलील और न ही नजात। और वो शख्स क़यामत के दिन फिरौन, क़ारून, हमान और उबय बिन खलफ़् के साथ होगा।
*✍🏼मजमउल जवाअद जी,2 स.21 हदिष:1611*
*✍🏼नमाज़ के अहका, सफा 143-144*

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*अहकामे रोज़ा* #15
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*_आज़ा के रोज़ो की तारीफ़_*
     आज़ा का रोज़ा यानी जिस्म के तमाम हिस्सों को गुनाहो से बचाना, ये सिर्फ रोज़ा ही के लिये मख़्सूस नही बल्कि पूरी ज़िन्दगी इन आज़ा को गुनाहो से बचाना ज़रूरी है और ये जभी मुमकिन है की हमारे दिलो में ख़ौफ़ेखुदा रासिख हो जाए।
     आह ! क़यामत के उस होशरुबा मन्ज़र को याद कीजिये जब हर तरफ "नफ्सी नफ्सी" का आलम होगा। सूरज आग बरसा रहा होगा। ज़बाने शिद्दते प्यास के सबब मुह से बाहर निकल पड़ी होगी। बीवी शौहर से, माँ अपने लख्ते जिगर से और बाप अपने नुरे नज़र से नज़र बचा रहा होगा। मुजरिमो को पकड़ पकड़ कर लाया जा रहा होगा। उन के मुह पर मोहर मार दी जाएगी और उन के आज़ा उन के गुनाहो की दास्तान सुना रहा होंगे जिस का क़ुरआन की सूरए यासीन की आयत 65 में यु तज़किरा किया गया है :
     "आज हम इन के मुहो पर मोहर कर देंगे और उन के हाथ हम से बात करेंगे और उन के पाँव उन के किये की गवाही देंगे।"

     आह ! क़यामत के उस कड़े वक़्त से अपने दिल को दराइये और हर वक़्त अपने तमाम आज़ाए बदन को मासिय्यत की मुसीबत से बाज़ रखने की कोशिश फरमाइये।
     आज़ा के रोज़े की तफ़सीलात अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 125*

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Monday 29 May 2017

*बरकाते ज़कात* #07
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_अहमिय्यते ज़कात_*
     कोई भी मुल्क ख्वाह मआशी तौर पर कितना ही तरक़्क़ी यकता क्यू न हो, लेकिन उसमे लोगो का एक ऐसा तबक़ा ज़रूर होता है जो मुख़्तलिफ़ वुजुहात के बाइस गुरबत व अफ्लास का शिकार होता है। ऐसे लोगो की कफालत की जिम्मेदारी अल्लाह ने साहिबे हेसिय्यत अफ़राद के सुपुर्द की है।
चुनान्चे अल्लाह ने मालदारों पर ज़कात फ़र्ज़ की ताकि वो अपनी ज़कात के ज़रिए मुआशरे के कमज़ोर और नाडार तबके की मदद करे और दौलत चन्द लोगो की मुठ्ठियों में क़ैद होने के बजाए जरूरियात मन्द अफ़राद तक भी पहुचती रहे और यु मआशरे में मआशी तवाज़ुन की फ़ज़ा क़ाइम रहे।
     याद रहे कि अगर अल्लाह चाहता तो सब को दौलत मन्द बना देता और कोई शख्स गरीब न होता, लेकिन उसने अपनी मशिय्यत से किसी को अमीर बनाया तो किसी को गरीब, ताकि अमीर को उस की दौलत और गरीब को उसकी गुर्बत के सबब आज़माए। चुनान्चे पारह 8 सूरतुल अनआम आयत 165 में इरशाद होता है :
*वोही है जिसने ज़मीन में तुम्हे नायब किया और तुममे एक को दूसरे पर दरजो बुलंदी दी कि तुम्हे आज़माए उस चीज़ में जो तुम्हे अता की।*

     यानी आज़माइश में डाले कि तुम नेमत व जाहो माल पा कर कैसे शुक्र गुज़ार रहते हो और बाहम एक दूसरे के साथ किस किस्म के सुलूक करते हो।

     मालुम हुआ की दुन्या दारुल इम्तिहान है, लिहाज़ा हमे चाहिये कि हर हुक्म खुदावन्दि को अपने लिये अज्रो षवाब का ज़खीरा इकठ्ठा करे। फिर ज़कात तो एक ऐसी इबादत है, जिसमे हमारे लिये दुन्या व आख़िरत में ढेरो फवाइद और फ़ज़ाइल रखे गए है।
*बरकाते ज़कात, स.7*

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*नमाज़ का तरीका*
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     क़ुरआन व हदिष में नमाज़ पढ़ने के बे शुमार फ़ज़ाइल और न पढ़ने की सख्त सजाए वारिद है, चुनान्चे पारह 28 सूरतुल मुनाफिकिन की आयत नंबर 9 में इरशादे रब्बानी है,
*ऐ ईमान वालो ! तुम्हारे माल न तुम्हारी औलाद कोई चीज़ तुम्हे अल्लाह के ज़िक्र से गाफिल न करे और जो ऐसा करे तो वोही लोग नुक़सान में है।*

     हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद बिन अहमद ज़हबी अलैरहमा नक़ल करते है, मुफ़स्सिरीने किराम रहमतुल्लाह तआला फरमाते है की आयते मुबारका में अल्लाह तआला के ज़िक्र से पाँच नमाज़े मुराद है, पस जो शख्स अपने माल यानि खरीदो फरोख्त, मईशत व रोज़गार, साज़ो सामान और औलाद में मसरूफ़ रहे और वक़्त पर नमाज़ न पढ़े वो नुक़सान उठाने वालो में से है।
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 142,143*

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*अहकामे रोज़ा* #14
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*_रोज़ा रख कर भी गुनाह तौबा ! तौबा !_*
     मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! खुदारा ! अपने हाले ज़ार पर तरस खाइये और गौर फरमाइये ! की रोज़ादार माहे रमज़ान में दिन के वक़्त खाना पीना छोड़ देता है हलाकि ये खाना पीना इस से पहले दिन में भी बिलकुल जाइज़ था। फिर खुद ही सोच लीजिये की जो चीज़े रमज़ान से पहले हलाल थी वो भी जब इस मुबारक महीने के मुक़द्दस दिनों में मना कर दी गई। तो जो चीज़े रमज़ान से पहले भी हराम थी, मसलन झूट, गीबत, चुगली, बाद गुमानी, गालम गलोच, फिल्में ड्रामे, गाने बाजे, बद निगाही, दाढ़ी मुंडाना या एक मुठ से घटाना, वालिदैन को सताना, बिला इजाज़ते शरई लोगो का दिल दुखाना वगैरा, वो रमज़ान में क्यू न और भी ज़्यादा हराम हो जाएगी ?
     रोज़ादार जब रमज़ान में हलाल व तय्यिब खाना पीना छोड़ देता है, हराम काम क्यू न छोड़ दे ? अब फरमाइये ! जो शख्स पाक और हलाल खाना पीना तो छोड़ दे लेकिन हराम और जहन्नम में ले जाने वाले काम ब दस्तूर जारी रखे वो किस किस्म का रोज़ादार है ?

*_अल्लाह को कुछ हाजत नही_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो बुरी बात कहना और उस पर अमल करना न छोड़े तो उस के भूका प्यासा रहने की अल्लाह को कुछ हाजत नही।
*✍🏼सहीह बुखारी, 1/628, हदिष:1903*

     एक और मक़ाम पर फ़रमाया : सिर्फ खाने और पीने से बाज़ रहने का नाम रोज़ा नही बल्कि रोज़ा तो ये है की लग्व और बे हुदा बातो से बचा जाए।
*✍🏼मुस्तदरक लील हाकिम, 2/67, हदिष:1611*
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 123*

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Sunday 28 May 2017

*बरकाते ज़कात* #06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*_फर्ज़िय्यते ज़कात_*
     याद रहे कि उम्मते मुहम्मदिय्या ﷺ पर भी ज़कात की अदाएगी फ़र्ज़ की गई है। चुनान्चे पारह 1 सूरतुल बक़रह आयत 43 में इरशाद होता है : *और नमाज़ क़ाइम रखो और ज़कात दो।*

     हज़रते नईमुद्दीन मुरादाबादी अलैरहमा खज़ाइनुल इरफ़ान में इस आयत के तहत लिखते है : इस आयत में नमाज़ व ज़कात की फरज़िय्यत का बयान है।

     ज़कात अरकाने इस्लाम में से एक रुकन है। अल्लाह के महबूब ﷺ का फरमाने अज़मत निशान है : इस्लाम की बुन्याद 5 बातो पर है, इस बात की गवाही देना कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और मुहम्मद उसके रसूल है, नमाज़ क़ाइम करना, ज़कात अदा करना, हज करना और रमज़ान के रोज़े रखना।

      ज़कात की अहमिय्यत का अंदाज़ इस बात से लगाया जा सकता है कि कुरआन में नमाज़ और ज़कात का एक साथ *32* मर्तबा ज़िक्र आया है।
*✍🏼बरकाते ज़कात, स.7*

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*_रोज़े के तीन दरजे_*
     रोज़े की अगर्चे ज़ाहिरी शर्त ये है की रोज़ादार क़सदन खाने पिने और जीमाअ से बाज़ रहे। ता हम रोज़े के कुछ बातिनी आदाब भी है जिन का जानना जरूरी है ताकि हक़ीक़ी मानो में हम रोज़े की बरकतें हासिल कर सके।

*_(1) अवाम का रोज़ा_*
     रोज़ा के लुग्वी माना है "रुकना" लिहाज़ा शरीअत की इस्तिलाह में सुब्हे सादिक़ से ले कर गुरुबे आफताब तक क़सदन खाने पिने और जिमाअ से "रुके रहने" को रोज़ा कहते है और येही अवाम यानी आम लोगो का रोज़ा है।

*_(2) खवास का रोज़ा_*
     खाने पीने और जिमाअ से रुके रहने के साथ साथ जिस्म के तमाम आज़ा को बुराइयो से "रोकना" खवास यानी ख़ास लोगो का रोज़ा है।

*_(3) अखस्सुल खवास का रोज़ा_*
     अपने आप को तर उमूर से "रोक" कर सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की तरफ मुतवज्जेह होना, ये अखस्सुल खवास यानी खासुल ख़ास लोगो का रोज़ा है।

     ज़रूरत इस अम्र की है की खाने पीने वगैरा से "रुके रहने" के साथ साथ अपने तमाम तर आज़ाए बदन को भी रोज़े का पाबन्द बनाया जाए।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 121*

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*नापाकी की हालत में क़ुरआने पाक पढ़ने या छूने के मसाइल* #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     तीनो कुल बिला लफ़्ज़े कुल ब निययते सना पढ़ सकते है। लफ़्ज़े कुल के साथ सना की निय्यत से भी नहीं पढ़ सकते क्यू की इस सूरत में इन का क़ुरआन होना मूतअय्यन है, निय्यत को कुछ दखल नहीं।

     बे वुज़ू क़ुरआन शरीफ या किसी आयत का छूना हराम है। बिगैर छुए ज़बानी या देख कर पढ़ने में मुज़ायक़ा नहीं।

     जिस बर्तन या कटोरे पर सूरत या आयते क़ुराआनी लिखी हो बे वुज़ू और बे गुस्ल को इस का छूना हराम है। इस का इस्तिमाल सब के लिये मकरूह है। हा ख़ास ब निययते शिफ़ा इसमें पानी वगैरा डाल कर पिने में हरज नहीं।

     क़ुरआने पाक का तर्जमा फ़ारसी या उर्दू या किसी दूसरी ज़बान में हो उस को भी पढ़ने या छूने में क़ुरआने पाक ही का सा हुक्म है।
*✍🏼बहरे शरीअत, जी.1 स. 326-327*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 100*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*अहकामे रोज़ा* #12
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_तीन बदबख्त_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिसने माहे रमज़ान को पाया और उस के रोज़े न रखे वो शख्स शक़ी (बदबख्त) है। जिसने अपने वालिदैन या किसी एक को पाया और उन के साथ अच्छा सुलूक न किया वो भी शक़ी (बदबख्त) है। और जिस के पास मेरा ज़िक्र हुवा और उस ने मुझ पर दुरुद न पढ़ा वो भी शक़ी (बदबख्त) है।
*✍🏼मज्मउ ज़्ज़वाइद, 3/340, हदिष:4773*

*_नाक मिटटी में मिल जाए_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : उस शख्स की नाक मिट्टी मेबमिल जाए की जिस के पास मेरा ज़िक्र किया गया तो उस ने मुझ पर दुरुद नही पढ़ा और उस शख्स की नाक मिट्टी में मिल जाए जिस पर रमज़ान का मिहना दाखिल हुवा फिर उस की मगफिरत होने से क़ब्ल गुज़र गया। और उस आदमी की नाक मिट्टी में मिल जाए की जिस के पास उस के वालिदैन ने बुढ़ापे को पा लिया और उस के वालिदैन ने उस को जन्नत में दाखिल नही किया। (यानि बूढ़े माँ बाप की खिदमत कर के जन्नत हासिल न कर सका)
*✍🏼मुस्नदे अहमद, 3/61, हदिष:7455*
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 120*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Saturday 27 May 2017

*बरकाते ज़कात* #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     बनी इसराइल ने कहा कि हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम ने क़ारून के मकान और उस के खज़ाइन व अमवाल की वजह से उस के लिये बद दुआ की। ये सुन कर आप ने दुआ की तो उस का मकान और उस के खज़ाने व अम्वाल् सब ज़मीन में धस गए।

     अल्लाह ने क़ुरआन में क़ारून के अंजाम को कुछ इस तरह बयान फ़रमाया है..चुनान्चे पारह 20 सूरतुल क़सस, आयत 81 में इरशाद होता है :
*तो हमने उसे और उस के घर को ज़मीन में धसा दिया तो उसके पास कोई जमाअत न थी कि अल्लाह से बचाने में उस की मदद करती और न वो बदला ले सका।*

     मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! देखा आपने कि दुन्यवि माल की महब्बत में ज़कात देने से इनकार करने और अल्लाह के रसूल से दुश्मनी मोल लेने वाले बद बख्त क़ारून का अंजाम केसा भयानक हुवा, न उसे माल काम आया न उस के खज़ाने, बल्कि वो अपने खज़ानों समेत ही अज़ाब की लपेट में आ गया।
     सूरतुल क़सस में बयान करदा इस वाकिए से जहां माले दुन्या से महब्बत का भयानक अंजाम पता चलता है, वही ज़कात की अहमिय्यत भी ब खूबी वाजेह हो रही है।
*✍🏼बरकाते ज़कात, स.6*

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*अहकामे रोज़ा* #11
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*_एक रोज़ा छोड़ने का नुक़्सान_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिसने रमज़ान के एक दिन का रोज़ा बगैर रुखसत व बगैर मरज़ रोज़ा न रखा तो ज़माना भर तक रोज़ा भी उस की क़ज़ा नही हो सकता अगर्चे बाद में रख भी ले।
*✍🏼सहीह बुखारी, 1/638, हदिष:1934*

*_उलटे लटके हुए लोग_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : में सोया हुआ था तो ख्वाब में दो शख्स मेरे पास आए और मुझे एक दुश्वार गुज़ार पहाड़ पर ले गए। जब में पहाड़ के दरमियानी हिस्से पर पहुचा तो वहा बड़ी सख्त आवाज़ें आ रही थी, में ने कहा, ये केसी आवाज़ें है ? मुझे बताया गया की ये जहन्नमियो की आवाज़ें है। फिर मुझे और आगे ले जाया गया तो मे ऐसे लोगो के पास से गुज़रा की उन को उन के टखनों की रगो में बांध कर उल्टा लटकाया गया था और उन लोगो के जबड़े फाड़ दिए गए थे जिन से खून बेह रहा था। मेने पूछा, ये कौन लोग है ? मुझे बताया गया की ये लोग रोज़ा इफ्तार करते थे क़ब्ल इस के की रोज़ा इफ्तार करना हलाल हो। (यानि रोज़ा नही रखते थे)
*✍🏼सहीह इब्ने हब्बान, 9/286, हदिष:7448*
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 119*

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*Aurat ke Masaail​* #17
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*_10 Din Se Jiyada Khoon Aana_*

♻ Sawal:- Khalida Ko 10 Din Aur 10 Raat Se Jiyada Khoon Aaya To Woh Khoon Haiz Me Shumar Hoga Ya Nahi?

📝 Jawab:- Khalida Ko 10 Din Se Khuch Bhi Jiyada Khoon Aaya To Agar Ye Haiz Pahli Martaba Use Aaya Hai To 10 Din Tak Haiz Hai Aur Us 10 Din Se Jiyada Hai To Istihaza Hai Agar Pahli Se Use Haiz Aa Chuke Hain Aur Aadat Use 10 Din Se Kam Ki Thi To Aadat Se Jiyadah Huwa Istihaza Hai.
*✍🏼Bahare Shariat Hissa-02, Page No.-42*

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Friday 26 May 2017

*बरकतें ज़कात* #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_क़ारून की हलाकत_* #04
     अल्लाह की वही आने के बाद हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम ने बनी इसराइल से फ़रमाया : ऐ बनी इसराइल अल्लाह ने मुझे क़ारून की तरफ भेजा है जेसे फिरऔन की तरफ भेजा था, जो क़ारून का साथी हो, उसके साथ उसकी जगह ठहरा रहे और जो मेरा साथी हो वो अलग हो जाए।

     सब लोग क़ारून से जुदा हो गए और दो अफ़राद के सिवा कोई उसके साथ न रहा। तब हज़रते मूसा ने ज़मीन को हुक्म दिया : ऐ ज़मीन इन्हें पकड़ ले ! तो वो घुटनो तक ज़मीन में धस गए। आप ने दोबारा येही फ़रमाया तो कमर तक धस गए, आप येही फरमाते रहे हत्ता कि वो लोग गर्दन तक धस गए, अब वो गिड़ गिडाने लगे और क़ारून आप को अल्लाह की कस्मे और रिश्ता व क़राबत के वास्ते देने लगा, आप ने शिद्दत जलाल के सबब तवज्जोह न फ़रमाई, यहां तक कि वो बिलकुल धस गए और ज़मीन बराबर हो गई।

     हज़रते क़तादा رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया कि वो क़यामत तक ज़मीन में धंसते ही चले जाएंगे।

बाक़ी कल की पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼बरकाते ज़कात, स. 5*

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*अहकामे रोज़ा* #10
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*_बे हिसाब अज्र_*
     हज़रते काबुल अहबार رضي الله عنه से मरवी है, फ़रमाते है, बरोज़े क़यामत एक मुनादी इस तरह निदा करेगा, अमल करने वाले को उसके अमल के बराबर अज्र दिया जाएगा सिवाए क़ुरआन वालो (यानी आलिमे क़ुरआन) और रोज़ादारो के की उन्हें बेहद व बेहिसाब अज्र दिया जाएगा।
*✍🏼शुएबुल ईमान, 3/413, हदिष:3928*

*_जहन्नम से दुरी_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिस ने अल्लाह की राह में एक दिन का रोज़ा रखा अल्लाह उस के चेहरे को जहन्नम  से 70 साल की मसाफत दूर कर देगा।
*✍🏼सहीह बुखारी, 2/265, हदिष:2840*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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*नया चाँद देखते वक़्त पढ़ने की दुआ*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*اَللّٰهُمَّ اَهِلَّهُ عَلَيْنَا بِالْيُمْنِ وَالْاِيْمَانِ وَاسَّلَامَةِ وَالْاِسْلَامِ وَالتَّوْفِيْقِ لِمَاتُحِبُّ وَتَرْضيْ رَبِّيْ وَرَبُّكَ اللّٰهُ*

*तर्जमा*
या अल्लाह ! इस चाँद को हम पर बरकत और ईमान व सलामती व इस्लाम और उस चीज़ की तौफ़ीक़ के साथ निकाल जिससे तू राज़ी होता है, और पसन्द करता है, (अय पहली रात के चाँद) मेरा और तेरा रब्ब अल्लाह है।

9वा महीना *रमज़ान* का चाँद देखे के
*सूरए नास* पढ़े और *तलवार*  देखे।
शहीद का षवाब मिलेगा ओर पूरा महीना नेक गुज़रेगा ان شاء الله

मगरिब बाद 21 बार सूरए क़द्र पढ़े, रोज़ी में बेशुमार बरकत होगी ان شاء الله

ईशा बाद एक मर्तबा सूरए
मुल्क पढ़े, पूरा महीना मुसीबतो, परेशानियो से हिफाज़त मिलेगी ان شاء الله

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*अहकामे रोज़ा* #09
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

_*सोने का दस्तर ख्वान*_
     हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास رضي الله تعالي عنه से मरवी है, हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : क़यामत वाले दिन रिज़ादारो के लिये एक सोने का दस्तर ख्वान रखा जाएगा, हालांकि लोग (हिसाब किताब के) मुंतज़िर होंगे।
*✍🏼कंजुल उम्माल, 8/214 हदीस 23640*

*_जन्नती फल_*
    अमीरुल मोअमिनीन हज़रते अलिय्युल मुर्तज़ा رضي الله تعالي عنه से मरवी है : नबी ने फ़रमाया : जिसको रोज़े ने खाने या पिने से रोक दिया कि जिस की उसे ख्वाहिश थी, तो अल्लाह उसे जन्नती फ्लो में से खिलाएगा और जन्नती शराब से सैराब करेगा।
*✍🏼शोएबुल ईमान, 3/410 हदीस 3917*

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*Aurat ke Masaail​* #16
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*_Haiz (Period) Wali Ke Sath Khana Khana_*

♻ Sawal:- Haiz Wali Aurat Ke Hath Ki Roti Paki Huwi Khana Jayez Hai Ya Najayez Usne Apne Sath Usko Khana Khilana Jayez Hai Ya Najayez?

📝 Jawab:- Haiz Wali Ke Hath Ka Paka Huwa Khana Bhi Jayez Hai Aur Use Apne Sath Se Khilana Bhi Jayez Hai. Hazrat-E-Ansa Bin Malik  رضی اللہ  عنہ Se Marwi Hai Ki Farmate Hai "Yahudiyon Me Jab Kisi Aurat Ko Haiz Aata Hai To Use Na Apne Sath Thahrate Na Use Apne Ghar Me Rakhte Nabi Kareem صلی اللہ علیہ و سلم Se Iske Bare Me Sawal Kya Gaya To Aap صلی اللہ علیہ و سلم Ne Farmaya ! Jima Ke Siwa Har Shai Karo- Lehaza Is Hadeese Pak Se Pata Chalta Hai Ki Haiz Ke Dinon Me Aurat Ko Alag Rakhna Yahudiyon Ke Feil Se Mushabihat Rakhta Hai.
*✍🏼Bahare Shariat Hissa-02, Page No.41*

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*बरकाते ज़कात* #03
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*_क़ारून की हलाकत_* #03
     हज़रते मूसा अलैहीस्सलाम ने फ़रमाया उसे बुलाओ। वो आई तो हज़रते मूसा ने फ़रमाया तुझे उस ज़ात की क़सम ! जिस ने बनी इसराइल के लिये दरिया फाड़ा और उसमे रस्ते बनाए और तौरेत नाज़िल की, सच बात कहो।

     वो औरत डर गई और उसे अल्लाह के रसूल पर बोहतान लगा कर उन्हें इज़ा देने की जुरअत न हुई, उसने अपने डी में कहा कि इस से तौबा करना बेहतर है। चुनान्चे उसने हज़रते मूसा से अर्ज़ की, कि अल्लाह की क़सम ! जो कुछ क़ारून कहलवाना चाहता है वो झूट है, सच तो ये है की इसने मुझे कसीर माल का लालच दिया ताकि में आप पर तोहमत लगाऊ।

     ये सुन कर हज़रते मूसा अपने रब के हुज़ूर रोते हुए सज्दे में गिरे और ये अर्ज़ करने लगे : या रब ! अगर में तेरा रसूल हु तो मेरी खातिर क़ारून पर अपना गज़ब फ़रमा।

     अल्लाह ने आप की तरफ वही फ़रमाई कि मेने ज़मीन को आप की फ़रमा बरदारी करने का हुक्म दिया है, आप इस को जो चाहे हुक्म दे।

बाक़ी कल की पोस्ट में..ان شاء الله
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Thursday 25 May 2017

*नापाकी की हालत में क़ुरआने पाक पढ़ने या छूने के मसाइल* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     जिस पर गुस्ल फ़र्ज़ हो उसको मस्जिद में जाना, तवाफ़ करना, क़ुरआने पाक छूना, बे छुए ज़बानी पढ़ना, किसी आयत का लिखना, आयत का तावीज़ लिखना (लिखना उस सूरत में हराम है जिस में कागज़ का छूना पाया जाए, अगर कागज़ को न छुए तो लिखना जाइज़ है), ऐसा तावीज़ छूना, ऐसी अंगूठी छूना या पहनना जिस पर आयत या हुरूफ़े मुक़त्तआत लिखे हो हराम है.

     अगर क़ुरआने पाक जुज़दान में हो तो बे वुज़ू या बे गुस्ल जुज़्दान पर हाथ लगाने में हरज नहीं।

     इसी तरह किसी ऐसे कपड़े या रुमाल वगैरा से क़ुरआने पाक पकड़ना जाइज़ है जो न अपने ताबे हो न क़ुरआने पाक के. कुर्ते की आस्तीन, दुपट्टे के आँचल से यहाँ तक की चादर का एक कोना इसके कंधे पर है तो चादर के दूसरे कोने से क़ुरआने पाक को छूना हराम है की ये सब चीज़े इस छूने वाले के ताबे है।

     क़ुरआने पाक की आयत दुआ की निय्यत से या तबर्रुक के लिये मसलन बीसमील्ला-ही-र्रहमा-निर्रहीम या अदाए शुक्र के लिये अल्हम्दुलिल्लाह या किसी मुसलमान की मौत या किसी किस्म के नुकसान की खबर पर इन्नलिल्लाहि व-इन्न इलैहि राजिउन या सना की निय्यत से पूरी सूरतुल फातिहा या आयतुल कुर्सी या सूरतुल हशर की आखरी 3 आयते पढ़े और इन सब सूरतो में क़ुरआन पढ़ने की निय्यत न हो तो कोई हरज नहीं।
*✍🏼बहारे शरीअत, जी.1 स.326*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 98-99*

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*_सोना भी इबादत है_*
     हज़रते अब्दुल्लाह बिन अबी ऑफ رضي الله تعالي عنه से रिवायत है, मदीने के ताजदार ﷺ का फरमान है : रोज़ादार का सोना इबादत और उस की खामोशी तस्बीह करना और उसकी दुआ क़बूल और उसका अमल मक़बूल होता है।
*✍🏼शोएबुल ईमान,3/415 हदीस 3938*

     सुब्हान अल्लाह रोज़ादार किस क़दर बख्तवर है कि उसका सोना बन्दगी, ख़ामोशी तस्बिहे खुदावन्दि दुआए और आमाल हसना मक़्बुले बारगाहे इलाही है।

*_आज़ा का तस्बीह करना_*
     उम्मुल मोअमिनीन हज़रते आइशा सिद्दीक़ा रदिअल्लाहु अन्हा फरमाती है : मेरे सरताज ﷺ का फरमान है : जो बन्दा रोज़े की हालत में सुबह करता है, उसके लिये आसमान के दरवाज़े खोल दिये जाते है और उसके आज़ा तस्बीह करते है और अस्माने दुन्या पर रहने वाले फ़रिश्ते उसके लिये सूरज डूबने तक मग्फिरत की दुआ करते रहते है। अगर वो एक या दो रकअते पढता है तो ये आस्मानो में उसके लिये नूर बन जाती है और हुरे ऐन में से उसकी बिविया कहती है : ऐ अल्लाह तू इस को हमारे पास भेज दे, हम इस के दीदार की बहुत ज़्यादा मुश्ताक़ है और अगर वो लाइलाहा इल्लल्ला या सुब्हान अल्लाह या अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ता है तो 70000 फ़रिश्ते उसका षवाब सूरज डूबने तक लिखते रहते है।

     मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! दुन्या में तो रोज़ादारो पर रहमते इलाही की छमा छम बारिश होंगी ही, आख़िरत में भी इनको अज़ीमुश्शान मक़ामो मर्तबा हासिल होगा।

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*_Tulu-O-Guroob Ke Waqt Haiz (Period) Aana_*

♻ Sawal:- Meri DOST Shaziya Ko Kiran Chamakne Yani  Tulu-O-Guroob Ke Ilawa Kisi Aur Waqt Haiz Shuru Huwa To Kaun Sa Waqt Shumar Kiya Jaye Ga?

 📝 Jawab:- Tulu-O-Guroob Ke Alawa Agar Kisi Aur Waqt Haiz Shuro Huwa To Wahi 24 Ghante Ka Ek Din Aur Rat Shumar Hoga Maslan Aaj Subah Ko 9 Baje Shuru Huwa To Kal Subah Theek 9 Baje Ek Din Rat Shar Hoga.
*✍🏼Fatawa Razviyyah, Hissa-02, Page No.-42*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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Wednesday 24 May 2017

*अहकामे रोज़ा* #07
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_जन्नती दरवाज़ा_*
     हज़रते सहल बिन अब्दुल्लाह رضي الله تعالي عنه से रिवायत है, नबी ﷺ ने फ़रमाया : बेशक जन्नत में एक दरवाज़ा है जिस को रय्यान कहा जाता है, इससे क़यामत के दिन रोज़ादार दाखिल होंगे इनके इलावा कोई और दाखिल न होगा। कहा जाएगा : रोज़ेदार कहा है ? पस ये लोग खड़े होंगे, इनके इलावा कोई और इस दरवाज़े से दाखिल न होगा। जब ये दाखिल हो जाएंगे तो दरवाज़ा बंद कर दिया जाएगा।
*✍🏼सहीह बुखारी, 1/625, हदिष:1896*

*_जिस्म की ज़कात_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : हर शय के लिये ज़कात है और जिस्म की ज़कात रोज़ा है और रोज़ा आधा सब्र है।
*✍🏼सुनन इब्ने माजह, 2/347, हदिष:1745*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*गुस्ल से नज़ला बढ़ जाता हो तो❓*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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     ज़ुकाम या आशोबे चश्म वग़ैरा हो और ये गुमाने सहीह हो की सर से नहाने में मरज़ बढ़ जाएगा या दीगर अमराज़ पैदा हो जाएगे तो कुल्ली कीजिये, नाक में पानी चढ़ाइये और गर्दन से नहाइये। और सर के हर हिस्से पर भीगा हुवा हाथ फेर लीजिये गुस्ल हो जाएगा। बादे सिह्ह्त सर धो डालिये पूरा गुस्ल नए सिरे से करना ज़रूरी नहीं।
*✍🏼माखुज़ अज़ बहारे शरीअत, जी.1 स. 318*

*_बाल्टी से नहाते वक़्त एहतियात_*
     अगर बाल्टी के ज़रिए गुस्ल करे तो एहतियातन उसे तिपाई (stool) वग़ैरा पर रख लीजिये ताके बाल्टी में छीटे न आए। नीज़ गुस्ल में इस्तिमाल करने का मग भी फर्श पर न रखिये।
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 95,96*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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*अहकामे रोज़ा* #06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_हम रसूलुल्लाह ﷺ के जन्नत रसूलुल्लाह ﷺ की_*
     हज़रते रबीआ बिन काब अस्लमी رضي الله عنه फ़रमाते है, एक मर्तबा में ने हुज़ूर صلى الله عليه وسلم को वुज़ू करवाया तो खुद रहमतुल्लिल आलमीन صلى الله عليه وسلم ने खुश हो कर इर्शाद फ़रमाया : रबीआ ! मांग क्या मांगता है ? हज़रते रबीआ ने अर्ज़ की, जन्नत में आप की रफाकत (यानी पड़ौस) चाहिये।
     दरियाए रहमत मज़ीद जोश में आया और फ़रमाया कुछ और मांगना है ? मेने ऐज़ की, बस सिर्फ येही।
     जब हज़रत रबीआ رضي الله عنه जन्नत की रफ़ाक़त तलब कर चुके और मज़ीद किसी हाजत के तलब करने से इनकार कर दिया तो इस पर हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : अपने नफ़्स पर कसरते सुजूद (यानि ज़्यादा नवाफ़िल) से मेरी मदद कर।
*✍🏼सहीह मुस्लिम, 253, हदिष:489*
(यानि हमने तुम्हे जन्नत तो अता कर ही दी अब तुम भी बतौरे शुक्राना नवाफ़िल की कसरत करते रहो।)

_*जो चाहो मंगलो*_
     इस हदिष ने तो ईमान ही ताज़ा कर दिया। हज़रते शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी عليه رحما फ़रमाते है, सरकार صلى الله عليه وسلم का बिला किसी तक़्यिद व रख़्सिस मुतलक़न फरमाना, मांग क्या मांगता है ? इस बात को ज़ाहिर करता है कि सारे ही मुआमलात सरवरे कायनात صلى الله عليه وسلم के मुबारक हाथ में है, जो चाहे जिस को चाहे अपने रब के हुक्म से अता कर दे।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 108*

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*Aurat ke Masaail​* #14
*​بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ​*
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*🔮 Haj Par Rawangi Ke Waqt Haiz Aana*

♻ Sawal:- Gulshan Ko Haj Par Jate Huwe Haiz (Period) Aaya To Aysi Surat Me Kya Karegi?

📝 Jawab:- Haj Par Jate Waqt Agar Haiz Aa Jaye To Aysi Surat Mein Woh Aurat Ehraam Bandhe Aur Agar Mauqa Ho To Ghusl Bhi Kare- Us Ghusl Se Aurat Pak Shumar Na Hogi Balki Safai Ke Liye Hoga

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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Tuesday 23 May 2017

*तंग लिबास वाले की तरफ नज़र करना कैसा❓*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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     लिबास तंग हो या ज़ोर से हवा चली या बारिश या साहिले समुन्दर या नहर वग़ैरा में अगर्चे मोटे कपड़े में नहाए और कपड़ा इस तरह चिपक जाए की सित्र के किसी कामिल उज़्व मस्लन रान की मुकम्मल गोलाई की हैअत (उभार) ज़ाहिर हो जाए ऐसी सूरत में उस उज़्व की तरफ दूसरे को नज़र करने की इजाज़त नहीं।

     यही हुक्म तंग लिबास वाले के सित्र के उभरे हुए उज़्वे कामिल की तरफ नज़र करने का है।
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 95*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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*अहकामे रोज़ा* #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*_रोज़े से सिह्हत मिलती है_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : बेशक अल्लाह ने बनी इस्राइल के एक नबी की तरफ वही फ़रमाई की आप अपनी क़ौम को खबर दीजिये की जो भी बन्दा मेरी रिज़ा के लिये एक दिन का रोज़ा रखता है तो उस के जिस्म को सिह्हत भी अता फ़रमाता हु और उस को अज़ीम अज्र भी दूंगा।
*✍🏼शुएबुल ईमान, 3/412, हदिष:3923*

*_साबिक़ा गुनाहो का कफ़्फ़ारा_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिसने रमज़ान का रोज़ा रखा और उस की हुदूद को पहचाना और जिस चीज़ से बचना चाहिये उस से बचा तो जो (कुछ गुनाह) पहले कर चूका है उस का कफ़्फ़ारा हो गया।
*✍🏼अल एहसान बि-तरतीब सहीह इब्ने अब्बास, 5/183, हदिष:3424*
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 101*

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*Aurat ke Masaail​* #13
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*🔮 Aadat Se Hat Kar Khoon Aana*

♻ Sawal:- Meri Dost Naaz Ki Ek Adat Muqarrar Nahi Hai Kabhi 6 Din Haiz Ke Aur Kabhi 7 Din Hote Hain  Ab Usko Jo Khoon Aaya Woh Band Hota Hi Nahi Uske Liye Namaz, Roze Ka Kya Hukm Hai?

📝 Jawab:- Agar Aisi Surat Men Namaz, Roze Ke Haq Men Kam Muddat Yani 6 Din Haiz Ke Qarar Diye Jayenge Aur 7ven Roz Naha Kar Namaz Padhen Aur Roza Rakhen (Jab Ke Ramzan Ho) Magar 7 Din Pure Hone Ke Bad Nahane Ka Hukm Hai Aur 7ven Din Jo Farz Roza Rakha Hai Uski Qaza Kare.
                                                                              *✍🏼📚 بدائع*

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Monday 22 May 2017

*अहकामे रोज़ा* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_रोज़ादार का ईमान कितना पुख्ता है !_*
     सख्त गर्मी है, प्यास से हल्क़ सुख रहा है, हॉट खुश्क हो रहे है, पानी मौजूद है मगर रोज़ादार उस की तरफ देखता तक नही, खाना मौजूद है भूक की शिद्दत से हालत दीगर गू है मगर वो खाने की तरफ हाथ तक नही बढ़ाता। आप अन्दाज़ फरमाइये इस शख्स का खुदाए रहमान पर कितना पुख्ता ईमान है क्यू की वो जानता है की इस की हरकत सारी दुन्या से तो छुप सकती है मगर अल्लाह से पोशीदा नही रह सकती। अल्लाह पर इस का ये यक़ीने कामिल रोज़े का अमली नतीजा है। क्यू की दूसरी इबादतें किसी न किसी ज़ाहिरी हरकत से अदा की जाती है मगर रोज़े का तअल्लुक़ बातिन से है। इस का हाल अल्लाह के सिवा कोई नही जानता अगर वो छुप कर खा पी ले तब भी लोग तो येही समझते रहेंगे की ये रोज़ादार है। मगर वो महज़ खौफे खुदा के बाइस खाने पीने से अपने आप को बचा रहा है।
     हो सके तो अपने बच्चों को भी जल्दी जल्दी रोज़ा रखने की आदत डलवाये ताकि जब वो बालिग़ हो जाए तो उन्हें रोज़ा रखने में दुश्वारी न हो। चुनान्चे फ़ुक़हाए किराम फ़रमाते है, बच्चे की उम्र 10 साल की हो जाए और उस में रोज़ा रखने की ताक़त हो तो उस से रमज़ान में रोज़ा रखवाया जाए। अगर पूरी ताक़त होने के बा वजूद न रखे तो मार कर रखवाये अगर रख कर तोड़ दिया तो क़ज़ा का हुक्म न देंगे। और नमाज़ तोड़ दे तो फिर पढ़वाइये।
*✍🏼रद्दुल मुहतार, 3/385*
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 94*

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*एक गुस्ल में मुख्तलिफ निय्यते*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     जिस पर चन्द गुस्ल हो सब की निय्यत से एक गुस्ल कर लिया, सब अदा हो गए सब का षवाब मिलेगा।

     जुनुब ने जुमुआ या ईद के दिन ग़ुस्ले जनाबत किया और जुमुआ और ईद वग़ैरा की निय्यत भी कर ली सब अदा हो गए,

     अगर उसी गुस्ल से जुमुआ और ईद की नमाज़ अदा करले।
*✍🏼माखुज़ अज़ बहारे शरीअत, जी.1, स.325*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 94*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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*अहकामे रोज़ा* #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

_*रोज़ा किस पर फ़र्ज़ है ?*_
     तौहीद व रिसालत का इक़रार करने और तमाम ज़रुरियाते दीन पर ईमान लाने के बाद जिस तरह हर मुसलमान पर नमाज़ फ़र्ज़ क़रार दी गई है इसी तरह रमज़ान के रोज़े भी हर मुसलमान अक़ील व बालिग़ पर फ़र्ज़ है। दुर्रे मुख्तार में है रोज़े 10 शाबानुल मुअज़्ज़म सिने 2 हिजरी को फ़र्ज़ हुए।
*✍🏼दुर्रे मुख्तार मअ रद्दुल मुहतार, 3/330*

_*रोज़ा फ़र्ज़ होने की वजह*_
    इस्लाम में अक्सर आमाल किसी न किसी रूह परवर वाक़ीए की याद ताज़ा करने के लिये मुक़र्रर किये गए है। मसलन सफा और मर्वाह के दरमियान हाजियो की सअय हज़रते हाजिरा رضي الله عنها की यादगार है। इसी तरह माहे रमज़ान में से कुछ दिन हमारे प्यारे सरकार صلى الله عليه وسلم ने गारे हिरा में गुज़ारे थे। इस दौरान आप दिन को खाने से परहेज़ करते और रात को ज़िकरुलाह  में मश्गुल रहते थे। तो अल्लाह ने उन दिनों की याद ताज़ा करने के लिये रोज़े फ़र्ज़ किये ताकि उस के महबूब صلى الله عليه وسلم की सुन्नत क़ाइम रहे।

_*अम्बियाए किराम के रोज़े*_
     रोज़ा गुज़श्ता उम्मतों में भी फ़र्ज़ था मगर उस की सूरत हमारे रोज़े से मुख़्तलिफ़ थी। रिवायत से पता चलता है की "हज़रते आदम सफिय्युल्लाह عليه السلام ने 13, 14, 15 तारीख को रोजा रखा।
*✍🏼कन्जुल उम्माल, 8/258, हदिष:24188*
   
     हज़रते नूह नजिय्युल्लाह عليه السلام हमेशा रोज़ादार रहते।
*✍🏼इब्ने माजह, 2/333, हदिष:1714*

     हज़रते ईशा रूहल्लाह عليه السلام हमेशा रोजा रखते थे कभी न छोड़ते थे।
*✍🏼कन्जुल उम्माल, 8/304, हदिष:24624*

     हज़रते दाऊद عليه السلام एक दिन छोड़ कर एक दिन रोज़ा रखते थे।
*✍🏼सहीह मुस्लिम, 584, हदिष:1189*

     हज़रते सुलेमान عليه السلام तीन दिन महीने के शुरू में तीन दिन दरमियान और तीन दिन आखिर में (यानि महीने में 9 दिन) रोज़ा रखा करते।
*✍🏼कन्जुल उम्माल, 8/304, हदिष:24624*
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 93*

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*_🔮Haiz (Period) Ke Zamane Me Namaz Roza Ka Hukm_*

♻ Sawal:- Kisi Aurat Ko 10 Din Khoon Aaya Uske Bad Saal Bhar Tak Paak Rahi Phir Barabar Khoon Jari Raha Us Zamane Main Uske Liye Namaz, Roze Ka Kya Hukm Hai ?

📝 Jawab:- Us Surat Me Woh Namaz Roze Ke Liye Har Mahina Me 10 Din Haiz Samjhe Aur 20 Din Istihaza.
*✍🏼Rad Al Mukhtar*

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Sunday 21 May 2017

*अहकामे रोज़ा* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     अल्लाह का कितना बड़ा करम है की उसने हम पर माहे रमज़ान के रोज़े फ़र्ज़ करके हमारे लिये तक़वा और अपनी रिज़ा जुइ का सामान फरामह किया। अल्लाह पारहा 2 सूरतुल बक़रह की आयत 183 ता 184 में इर्शाद फ़रमाता है :
     ऐ ईमान वालो ! तुम पर  रोज़े फ़र्ज़ किये गए जैसे अगलों पर फ़र्ज़ हुए थे की कहि तुम्हे परहेज़गारी मिले, गिनती के दिन है तो तुम में जो कोई बीमार या सफर में हो तो इतने रोज़े और दिनों में और जिन्हें इस की ताक़त न हो वो बदले में एक मिसकीन का खाना फिर जो अपनी तरफ से नेकी ज़्यादा करे तो वो उस के लिये बेहतर है और रोज़ा रखना तुम्हारे लिये ज़्यादा भला है अगर तुम जानो
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान 90*

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*_कब गुस्ल करना सुन्नत है_*
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★ जुमुआ
★ ईदुल फ़ित्र
★ बकरी ईद
★ अरफे के दिन (यानि 9 जुल हिज्जतिल हराम)
★ ऐहराम बांधते वक़्त
     इन मौको पर गुस्ल करना सुन्नत है
*✍🏼फतावा आलमगिरी, जी.1, स. 16*

*_कब कब गुस्ल करना मुस्तहब है_*

★ वुकुफे अरफात
★ वुकुफे मुज़दलिफा
★ हाज़िरिये हरम
★ हाज़िरिये सरकारे आ'ज़म
★ तवाफ़
★ दुखुले मिना
★ जमरो पर कंकरिया मारने के लिये तीनो दिन
★ शबे बराअत
★ शबे क़द्र
★ अरफे की रात
★ मजलिसे मिलाद शरीफ
★ दीगर मजलिसे खैर के लिये
★ मुर्दा नहलाने के बाद
★ मजनून (यानि पागल) को जूनून (पागल पन) जाने के बाद
★ गशी से फाकेके बाद
★ नशा जाते रहने के बाद
★ गुनाह से तौबा करने
★ नए कपड़े पहनने के लिये
★ सफर से आने वाले के लिये
★ इस्तिहाज़ा का खून बंद होने के बाद
★ नमाज़े कुसुफ व खुसुफ
★ नमाज़े इस्तिस्का के लिये
★ खौफ व तारीकी और सख्त अंधी के लिये
★ बदन पर नजासत लगी और ये मालुम न हुवा के किस जगह लगी है।
*✍🏼बहारे शरीअत, जी.1, स.324,325*
*✍🏼दुर्रे मुख्तार व रद्दुल मोहतार, जी1, स.341-343*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 93-94*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #24
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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_*रोज़े में ज़्यादा सोना*_
     हज़रते इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली عليه رحمة फ़रमाते है : रोज़ादार के लिये सुन्नत ये है की दिन के वक़्त ज़्यादा देर न सोए बल्कि जागता रहे ताकि भूक और कमज़ोरी का असर महसूस हो।
*✍🏼किमियाए सआदत, 185*
(अगरचे अफ़्ज़ल कम सोना ही है फिर भी अगर ज़रूरी इबादत के इलावा कोई शख्स सोया रहे तो गुनाहगार न होगा)

     मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! साफ़ ज़ाहिर है की जो दिन भर रोज़े में सो कर वक़्त गुज़ार दे उस को रोज़े का पता ही क्या चलेगा ? हज़रते इमाम ग़ज़ाली عليه رحما तो ज़्यादा सोने से भी मना फ़रमाते है की इस तरह भी वक़्त फ़ालतू पास हो जाएगा। तो जो लोग खेल तमाशो में और हराम कामो में वक़्त बर्बाद करते है वो किस क़दर महरूम व बद नसीब है। इस मुबारक महीने की क़द्र कीजिये, इस का ऐहतिराम बजा लाइये, इस में खुशदिली के साथ रोज़े रखिये और अल्लाह की रिज़ा हासिल कीजिये।
     ऐ हमारे प्यारे अल्लाह फैजाने रमज़ान से हर मुसलमान को मालामाल फरमा। इस माहे मुबारक की क़द्र व मन्ज़िलत नसीब कर और इस की बे अदबी से बचा।
امين بجاه النبي الامين
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 86*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
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*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #23
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*अफ़्ज़ल इबादत कौन सी ?
     ऐ जन्नत के तलबगार रोज़ादार इस्लामी भाइयो ! रमज़ान के मुक़द्दस लम्हात को फुज़ूलियात व खुराफात में बर्बाद होने से बचाइये ! ज़िन्दगी बेहद मुख़्तसर है इस को गनीमत जानिये, ताश की गड्डियों और फ़िल्मी गानो के ज़रिए वक़्त पास (बल्कि बर्बाद) करने के बजाए तिलावते क़ुरआन और ज़िक्रो दुरुद में वक़्त गुज़ारने की कोशिश फरमाये। भूक प्यास की शिद्दत जिस क़दर ज़्यादा महसूस होगी सब्र करने पर أن شاء الله षवाब भी उसी क़दर ज़ाइद मिलेगा। जैसा की मन्कुल है, अफ़्ज़ल इबादत वो है जिस में ज़हमत (तकलीफ) ज़्यादा है।

     इमाम शरफुद्दीन नववी عليه رحمة फ़रमाते है, इबादत में मशक़्क़त और खर्च ज़्यादा होने से षवाब और फ़ज़ीलत ज़्यादा हो जाती है।
*✍🏼शरेह सहीह मुस्लिम लिन्न-ववी, 1/390*

     हज़रते इब्राहिम बिन अदहम رحمة الله عليه का फरमान है : दुन्या में जो नेक अमल जितना दुश्वार होगा क़यामत के रोज़ नेकियो के पलड़े में उतना ही ज़्यादा वज़नदार होगा।
*✍🏼तज़किरतुल औलिया, 95*

     इन रिवायत से साफ़ ज़ाहिर हुवा की हमारे लिये रोज़ा रखना जितना दुश्वार और नफ्से बदकार के लिये जिस क़दर ना गवार होगा, أن شاء الله बरोज़े शुमार मिज़ाने अमल में उतना ही ज़्यादा वज़नदार होगा।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 85*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Saturday 20 May 2017

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #22
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*रोज़े में वक़्त पास करने के लिये*
     काफी नादान ऐसे भी देखे जाते है जो अगरचे रोज़ा तो रख लेते है मगर फिर उन बेचारो का वक़्त पास नही होता। लिहाज़ा वो भी ऐहतिरामे रमज़ान को एक तरफ रख कर हराम व ना जाइज़ कामो का सहारा ले कर वक़्त पास करते है और यु रमज़ान में शतरंज, ताश, लुड्डू, गाने बाजे, वगेरा में मश्गुल हो जाते है।
     याद रखिये ! शतरंज और ताश वगैरा पर शर्त न भी लगाई जाए तब भी ये खेल ना जाइज़ है। बल्कि ताश में चुकी जानदारों की तस्वीरें भी होती है इस लिये मेरे आक़ा आला हज़रत رحمة الله عليه ने ताश को मुतलकन हराम लिखा है। चुनांचे फ़रमाते है ताश हरामे मुतलक़ है की इन में इलावा लहवो लइब के तस्वीरों की ताज़ीम है।
*✍🏼फतवा रज़विय्या, 24/141*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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*मआरेफुल क़ुरआन गुजराती तरजमा*

इस लिन्क से सभी पारे डाऊनलोड करे।

https://www.dropbox.com/sh/xeydeyny5jpzax5/AAAWLZez_HtAR-Usiw-Y9sREa?dl=0
جزاك الله خيرا

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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*निफ़ास की ज़रूरी वज़ाहत*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     अक्सर औरतो में ये मशहूर है की बच्चा जनने के बाद औरत 40 दिन तक लाज़िमी तौर पर नापाक रहती है ये बात बिलकुल गलत है। निफ़ास की तफ़सील मुलाहज़ा हो।
     बच्चा पैदा होने के बाद जो खून आता है उस को निफ़ास कहते है इसकी ज़्यादा से ज्यादा मुद्दत 40 दिन है, यानि अगर 40 दिन के बाद भी बंद न हो तो मरज़ है। लिहाज़ा 40 दिन पुरे होते ही गुस्ल कर ले और 40 दिन से पहले बंद हो जाए ख़्वाह बच्चे की विलादत के बाद एक मिनिट ही में बन्द हो जाए तो जिस वक़्त भी बन्द हो गुस्ल कर ले और नमाज़ व रोज़ा शुरू हो गए।
     अगर 40 दिन के अंदर अंदर दोबारा खून आ गया तो शुरूए विलादत से ख़त्मे खून तक सब दिन निफ़ास ही के शुमार होंगे।
     मस्लन विलादत के बाद 2 मिनिट तक खून आ कर बंद हो गया और औरत गुस्ल करके नमाज़ रोज़ा वग़ैरा करती रही, 40 दिन पुरे होने में फ़क़त 2 मिनिट बाकी थे की फिर खून आ गया तो सारा चिल्ला यानी मुकम्मल 40 दिन निफ़ास के ठहरेंगे।
     जो भी नमाज़ पढ़ी या रोज़े रखे सब बेकार गए, यहाँ तक की अगर इस दौरान फ़र्ज़ व वाजिब नमाज़े या रोज़े क़ज़ा किये थे तो वो भी फिर से अदा करे।
*✍🏼माखुज़ अज़ फतावा रज़विय्या मुखर्रजा, जी.4 स. 356,356*
*✍🏼फैज़ाने सुन्नत, सफा 89*

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*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #21
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*रोज़े में वक़्त पास करने के लिये*
     काफी नादान ऐसे भी देखे जाते है जो अगरचे रोज़ा तो रख लेते है मगर फिर उन बेचारो का वक़्त पास नही होता। लिहाज़ा वो भी ऐहतिरामे रमज़ान को एक तरफ रख कर हराम व ना जाइज़ कामो का सहारा ले कर वक़्त पास करते है और यु रमज़ान में शतरंज, ताश, लुड्डू, गाने बाजे, वगेरा में मश्गुल हो जाते है।
     याद रखिये ! शतरंज और ताश वगैरा पर शर्त न भी लगाई जाए तब भी ये खेल ना जाइज़ है। बल्कि ताश में चुकी जानदारों की तस्वीरें भी होती है इस लिये मेरे आक़ा आला हज़रत رحمة الله عليه ने ताश को मुतलकन हराम लिखा है। चुनांचे फ़रमाते है ताश हरामे मुतलक़ है की इन में इलावा लहवो लइब के तस्वीरों की ताज़ीम है।
*✍🏼फतवा रज़विय्या, 24/141*

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*Aurat ke Masaail* #10
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

🔮 *Halat-E-Haiz Me Shauhar Ke Rahna*

♻ Sawal:- Baz Gharanon me Ye Riwaz Hai Ki Halat E Haizo Nifaas Me Aurat Apne Shahar Ke Sath Na Kha Pi Sakti Hai Aur Na So Sakti Hai Iska Sharai Hukm Kya Hai ?

📝 *Jawab:- Surat Haizo Nifaas Ke Dinon Men Shahar Ke Sath Kha Pi Sakti Hai Balki Dono Ek Palang Par So Bhi Sakte Hain Balke Is Waja Se Sath Na Sona Makrooh Hai.*

*✍🏼Durre Mukhtar ' Rad Al Mukhtar*

↪ *Han Hamrah Sone Men Shehwat Ka Ghalba Ho Aur Apne Ko Qabu Men Na Rakhne Ka Ehtamal Ho To Sath Na Soe Aur Uska Ghalib Guman Ho To Sath Sona Gunah Hai.*

*✍🏼Bahare Shariat Hissa-02, Page No.43*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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Friday 19 May 2017

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #20
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*रमज़ान में गुनाह करने वाला*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : मेरी उम्मत ज़लील व रुस्वा न होगी जब तक वो रमज़ान का हक़ अदा करती रहेगी। अर्ज़ किया या रसूलल्लाह ! रमज़ान के हक़ को ज़ाए करने में उन का ज़लील व रुस्वा होना क्या है ? फ़रमाया : इस माह में उन का हराम कामो का करना।
     जिस ने इस माह में ज़ीना किया या शराब पी तो अगले रमज़ान तक अल्लाह और जितने आसमानी फ़रिश्ते है सब उस पत लानत करते है। पस अगर ये शख्स अगले रमज़ान को पाने से पहले ही मर गया तो उस के पास कोई ऐसी नेकी न होगी जो उसे जहन्नम की आग से बचा सके। पस तुम रमज़ान के मुआमले में डरो क्यू की जिस तरह इस माह में और महीनो के मुकाबले में नेकियां बढ़ा दी जाती है इसी तरह गुनाहो का भी मुआमला है।
*✍🏼अल मुजमुस्सगिर लीत्तबरानी, 9/60, हदिष:1488*
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 75*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #20
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*रमज़ान में गुनाह करने वाला*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : मेरी उम्मत ज़लील व रुस्वा न होगी जब तक वो रमज़ान का हक़ अदा करती रहेगी। अर्ज़ किया या रसूलल्लाह ! रमज़ान के हक़ को ज़ाए करने में उन का ज़लील व रुस्वा होना क्या है ? फ़रमाया : इस माह में उन का हराम कामो का करना।
     जिस ने इस माह में ज़ीना किया या शराब पी तो अगले रमज़ान तक अल्लाह और जितने आसमानी फ़रिश्ते है सब उस पत लानत करते है। पस अगर ये शख्स अगले रमज़ान को पाने से पहले ही मर गया तो उस के पास कोई ऐसी नेकी न होगी जो उसे जहन्नम की आग से बचा सके। पस तुम रमज़ान के मुआमले में डरो क्यू की जिस तरह इस माह में और महीनो के मुकाबले में नेकियां बढ़ा दी जाती है इसी तरह गुनाहो का भी मुआमला है।
*✍🏼अल मुजमुस्सगिर लीत्तबरानी, 9/60, हदिष:1488*
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 75*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #19
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*साल भर की नेकियां बर्बाद*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم "बेशक जन्नत रमज़ान के लिये एक साल से दूसरे साल तक सजाई जाती है, पस जब रमज़ान आता है तो जन्नत कहती है, ऐ अल्लाह ! मुझे इस महीने में अपने बन्दों में से मेरे अन्दर रहने वाले अता फरमा दे। और हूरे कहती है, ऐ अल्लाह ! इस महीने में हमे अपने बन्दों में से शौहर अता फरमा।
     फिर आक़ा صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया जिस ने इस माह में अपने नफ़्स की हिफाज़त की और न तो कोई नशा आवर शय पी और न ही किसी मोमिन पर बोहतान लगाया और न ही इस माह में कोई गुनाह किया तो अल्लाह हर रात के बदले इस का 100 हूरे से निकाह फ़रमाएगा और उस के लिये जन्नत में सोने, चांदी और याकूत का ऐसा महल बनाएगा की अगर सारी दुन्या जमा हो जाए और इस महल में आ जाए तो इस महल की उतनी ही जगह घेरेगी जितना बकरियो का एक बाडा दुन्या की जगह घेरता है।
     और जिसने इस माह में कोई नशा आवर शय पी या किसी मोमिन पर बोहतान बांधा या इस माह में कोई गुनाह किया तो अल्लाह उस के एक साल के आमाल बर्बाद फरमा देगा।
     पस तुम माहे रमज़ान के हक़ में कोताही करने से डरो क्यू की ये अल्लाह का महीना है। अल्लाह ने तुम्हारे लिये 11 महीने कर दिये की इन में नेअमतों से लुत्फ़ अन्दोज़ हो और लज़्ज़त हासिल करो और अपने लिये एक महीना खास कर लिया है। पस तुम रमज़ान के मुआमले में डरो।
*✍🏽अल मुजमुल अवसत, 2/141, हदिष:3688*
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 73*

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*Aurat ke Masaail* #09
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*Paak Ho e Ke Din Baqiya Din Guzarna*

♻ Sawal:- Abida Haiz Se Paak Ho Gayi Aur Din Ka Kuch Hissa Baqui Rah Gaya To Kiya Woh Use Roze Ki Misl Gujaregi ? Aur Kya Us Roze Ki Qaza Us Par Wajib Hai Ya Nahi ?

📝 *Jawab:- Haiz-O-Nifaas Wali Paak Huwi Aur Kuch Din Baqui Rah Gaya To Use Roze Ki Misl Guzare Aur Us Roze Ki Qaza Wajib Hai*

*✍🏽Durre Mukhtar*

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Thursday 18 May 2017

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #18
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*शयातीन जंजीरो में जकड़ दिये जाते है*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जब रमज़ान आता है तो आसमान के दरवाज़े खोल दिये जाते है।
*✍🏽सहीहुल बुखारी, 1/626, हदिष:1899*
     और एक रीवायत में है की जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते है और दोज़ख के दरवाज़े बन्द कर दिये जाते है शयातीन जंजीरो में जकड़ दिये जाते है। रहमत के दरवाज़े खोले जाते है।
*✍🏽सहीह मुस्लिम, 543, हदिष:1079*

*शैतान क़ैद में होने के बा वुजूद गुनाह क्यू होते है ?*
     हक़ ये है की माहे रमज़ान में आसमानों के दरवाज़े भी खुलते है जिन से अल्लाह की खास रहमते ज़मीन पर उतरती है और जन्नतो के दरवाज़े भी जिस की वजह से जन्नत वाले हूरो गिलमान को खबर हो जाती है की दुन्या में रमज़ान आ गया और वो रोज़ादारो के लिये दुआओ में मश्गुल हो जाते है। रमज़ान में वाक़ई दोज़ख के दरवाज़े ही बन्द हो जाते है जिस की वजह से इस महीने में गुनाहगारो बल्कि काफिरो की क़ब्रो पर भी दोज़ख की गर्मी नही पहुचती। वो जो मुसलमानो में मश्हूर है की रमज़ान में अज़ाबे क़ब्र नही होता इस का यही मतलब है और हक़ीक़त में इब्लीस को क़ैद कर दिया जाता है। _इस महीने में जो कोई भी गुनाह करता है वो अपने अफ़्से अम्मारा की शरारत से करता है न शैतान के बहकाने से।
*✍🏽मीरआतुल मनाजिह्, 3/133*
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 63*

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*मस्तुरात (औरत) के लिये गुस्ल की एहतियाते*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

◆ ढलकी हुई पिस्तान को उठा कर पानी बहाए। पिस्तान और पेट के जोड़ की लकीर धोए।
◆ फ़र्ज़े कारिज (यानि औरत की शर्मगाह के बहार के हिस्से) का हर गोशा हर टुकड़ा ऊपर निचे खूब एहतियात से धोए।
◆ फ़र्ज़े दाखिल (यानि शर्मगाह के अंदरुनी हिस्से) में ऊँगली दाल कर धोना फ़र्ज़ नहीं मुस्तहब है।
◆ अगर हैज़ या निफ़ास से फ़ारिग़ हो गुस्ल करे तो किसी पुराने कपड़े से फ़र्ज़े दाखिल के अंदर से खून का असर साफ़ कर लेना मुस्तहब है।
*✍🏽बहारे शरीअत, जी.1, स.318*

◆ अगर नेल पोलिश नाखुनो पर लगी हुई है तो उसका भी छुड़ाना फ़र्ज़ है वरना गुस्ल नहीं होगा, हा मेहदी के रंग में हरज नहीं।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा  88*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #17
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*माहे रमज़ान में मरने की फ़ज़ीलत*
     जो खुश नसीब मुसलमान रमज़ान में इन्तिक़ाल करता है उस को सुवालाते क़ब्र से अमान मिल जाता है, अज़ाबे क़ब्र से बच जाता और जन्नत का हक़दार क़रार पाता है। चुनान्चे हज़राते मुहद्दिसिने किराम का क़ौल है "जो मोमिन इस महीने में मरता है वो सीधा जन्नत में जाता है, गोया उस के लिये दोज़ख का दरवाज़ा बन्द है।"
*✍🏽अनिसुल वाइज़िन, 25*

*तीन अफ़राद के लिये जन्नत की बशारत*
     हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास رضي الله عنه से रिवायत है, हुज़ूर صلى الله عليه وسلم का फरमान है : जिसको रमज़ान के इख्तिताम के वक़्त मौत आई वो जन्नत में दाखिल होगा और जिस की मौत अरफा के दिन (यानि 9 जुल हिज्जतुल हराम)  के खत्म होते वक़्त मौत आई वो भी जन्नत में दाखिल होगा और जिस की मौत सदक़ा देने की हालत में आई वो भी दाखिले जन्नत होगा।
*✍🏽हिल्यतुल औलिया, 5/26, हदिष:6187*

*क़यामत तक रोज़ो का षवाब*
     आइशा सिद्दिक़ा رضي الله عنها से रिवायत है, हुज़ूर صلى الله عليه وسلم का इर्शाद है : जिसका रोज़े की हालत में इन्तिक़ाल हुवा, अल्लाह उस को क़यामत तक रोज़ो का षवाब अता फ़रमाता है।

      फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : ये रमज़ान तुम्हारे पास आ गया है, इस में जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते है और जहन्नम के दरवाज़े बंद कर दिये जाते है और शयातीन को क़ैद कर दिया जाता है, महरूम है वो शख्स जिस ने रमज़ान को पाया और उस की मगफिरत न हुई की जब इस की जब इसकी रमज़ान में मगफिरत न हुई तो फिर कब होगी ?
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 61*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*Aurat ke Masaail* #08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

🔮 *Halat E Haiz Men Jima'a (Sex,* *Hambistari) Ko Jayez Janna*

♻ Sawal:- Munawwar Jahan Sawal Karti Hai Ki Haiz-O-Nifaas Ki Halat Men Jima'a (Sex, Hambistari) Ka Sharai Hukm Kya Hai ?

📝 *Jawab:- Haiz-O-Nifaas Ki Halat Men Jima'a Hambistari Haraam Hai Aysi Halat Men Jima'a* *Hambistari Jayez Janna Kufr Hai Aur Haram Samajh Kar kiya To Sakht Gunahgar Hua Us Par Taubah Farz Hai Aur Aamad Ke Zamane Me Kya To Ek Dinar Aur Qarib Khatam Ke Kiya To Nisf (Adha) Dinar Khairat Karna Mustahab Hai.*

*✍🏽Auraton Ke Masail Page No. 102*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*आज का चाँद :* 21
*माह 8 :* माहे शअबान
*हिजरी :* 1438

*विसाल :*
सैय्यिद फैज़ुर्रसूल बापू (बोरसद)
खलिफए शैखुल इस्लाम मौलाना इक़बाल (पूना)
*उर्स :*
हज़रत अब्दुल्लाह सईद, हज़रत अब्दुलक़ादिर (टिनतुवे, मोडासा)
अहमदशाह, शरफी मिया पीर (पोरबन्दर)
हाजी अलिपिर बाबा (अलियाबड़ा, जामनगर)
*संदल :*
हजरत बुलंद शहीद व हज़रत मोहसिन दादा (बड़ौदा)
सैय्यिद अहमद उर्फ़ क़ाज़ी बड़ा व सैय्यिद फजलुल्लाह (अहमदाबाद)
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Wednesday 17 May 2017

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #16
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*तिन के अंदर तिन पोशीदा*
     मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! कोई नेकी छोड़नी नही चाहिए न जाने अल्लाह को कौन सी नेकी पसन्द आ जाए और कोई छोटे से छोटा गुनाह भी नही करना चाहिए नजाने किस गुनाह पर अल्लाह नाराज़ हो जाए और उस का दर्दनाक अज़ाब आ कर घेर ले। खलीफए आला हज़रत, अबू युसूफ मुहम्मद शरीफ मुहद्दिस कोटल्वी عليه رحما नकल फ़रमाते है : अल्लाह ने तीन चीज़ों को तीन चीज़ों में पोशीदा रखा है (1) अपनी रिज़ा को अपनी इताअत में (2) अपनी नाराज़गी को अपनी फ़रमानी में और (3) अपने औलिया को अपने बन्दों में। ये क़ौल नकल करने के बाद फ़रमाते है : लिहाज़ा हर ताअत और हर नेकी को अमल में लाना चाहिये की मालुम नहीं किस नेकी पर वो राज़ी हो जाए और हर बदी से बचना चहिए क्यू की मालुम नही किस बदी पर वो नाराज़ हो जाए। ख्वाह वो केसी ही छोटी हो। मसलन बिला इजाज़त किसी के तिनके का खिलाल करना बी ज़ाहिर एक ममुलिसि बात है। मगर मुमकिन है की इस बुराई में ही हक़ तआला की नाराज़गी छुपी हुई हो। तो ऐसी छोटी छोटी बातो से भी बचना चाहिए।
*✍🏽अख्लाकुस्सालिहीन, 56*
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 42*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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*मर्द व औरत के लिये गुस्ल की एहतियाते*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

★ अगर मर्द के सर के बाल गुंधे हुए हो तो उन्हें खोल कर जड़ से नोक तक पानी बहाना फ़र्ज़ है।
★ औरत पर सिर्फ जड़ तर कर लेना ज़रूरी है खोलना ज़रूरी नहीं। हा अगर चोटी इतनी सख्त गुंधी हुई हो के बे खोले जड़े तर न होंगी तो खोलना ज़रूरी है। अगर कानो में बाली या नाक में नथ का छेद हो और वो बंद न हो तो उसमे पानी बहाना फ़र्ज़ है।
★ वुज़ू में सिर्फ नाक के नथ के छेद में और गुस्ल में अगर कान और नाक दोनों में छेद हो तो दोनों में पानी बहाए।
★ भवो, मुछो और दाढ़ी के हर बाल का जड़ से नोक तक और इनके निचे की खाल का धोना ज़रूरी है।
★ कान का हर पुर्ज़ा और इसके सुराख का मुह धोए। कानो के पीछे के बाल हटा कर पानी बहाए।
★ ठोड़ी और गले का जोड़, के मुह उठाए बिगैर न धुलेगा।
★ हाथो को अच्छी तरह उठा कर बगले धोए। बाज़ू का हर पहलू धोए। पीठ का हर ज़र्रा धोए। पेट की बल्टे उठा कर धोए।
★ नाफ में भी पानी डाले अगर पानी बहने में शक हो तो नाफ में ऊँगली डाल कर धोए।
★ जिस्म का हर रोंगटा जड़ से नोक तक धोए।
★ रान और पेड़ू (नाफ से निचे के हिस्से) का जोड़ धोए।
★ जब बैठ कर नहाए तो रान और पिंडली के जोड़ पर भी पानी बहाना याद रखे।
★ दोनों सुरीन के मिलने की जगह का ख्याल रखे, खुसुसन जब के खड़े हो कर नहाए।
★ रानो की गोलाई और पिंडलियों की करवटों पर पानी बहाए।
★ ज़कर व उन्स-यैन (यानि फ़ोतों) की निचली सतह जोड़ तक और उन्स-यैन के निचे की जगह जड़ तक धोए।
★ जिसका खतना न हुवा वो अगर खाल चढ़ सकती हो तो चढ़ा कर धोए और खाल के अंदर पानी चढ़ाए।
*✍🏽मुलख्खस अज़ बहारे शरीअत, जी.1, स. 317-318*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 86-87*

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*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #15
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*हज़ार गुना षवाब*
     रमज़ान में नेकियों का अज्र बहुत बढ़ जाता है लिहाज़ा कोशिश करके ज़्यादा से ज़्यादा नेकियां इस माह में जमा करलेनि चाहिये। चुनान्चे हज़रत इब्राहिम नखई رحمة الله عليه फ़रमाते है : रमज़ान में एक दिन का रोज़ा रखना एक हज़ार दिन के रोज़े से अफज़ल है और रमज़ान में एक तस्बीह यानि سبحان الله कहना इस माह के इलावा हज़ार मर्तबा कहने से अफ़्ज़ल है और रमज़ान में एक रकअत पढ़ना गैर माह की एक हज़ार रकअतो से अफ़्ज़ल है।
*✍🏽अद्दुररुल मन्सूर, 1/454*

*रमज़ान में ज़िक्र की फ़ज़ीलत*
     हज़रत उमर फारुके आज़म رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : रमज़ान में ज़िकरुल्लाह करने वाले को बख्श दिया जाता है और इस महीने में अल्लाह से मांगने वाला महरूम नही रहता।
*✍🏽शोएबुल ईमान, 3/311, हदिष:3627*
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 35*

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*Aurat ke Masaail* #07
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*Khoon Haiz Ke Rung*

♻ Sawal:- Meri Dost Sabina Ko Sabz Rung (Hara Rung) Ka Haiz Ke Dinon Me Khoon Aaya Kiya Uska Shumar Haiz Me Hoga?

📝 Jawab:- Aap Ki Dost Sabina Ko Jo Sabz (Hara Rung) Rung Ka Khoon Aaya Hai Uska Shumar Haiz Me Hi Hoga.
↪ Kiyon Ki Haiz Ke 6 Rung Hai...
👉 Siyah (Black)
👉 Shurkh (Red)
👉 Sabz (Green)
👉 Zard (Yellow)
👉 Gudla (Jama Huwa Khoon Ka Rung)
👉Mityala (Mitti Colour)

Agar In Rungon Me Se Bari Ke Din (Yani Period Ke Dauran) Me Khoon Aaye To Wo Haiz (Period) Hai.
*✍🏽Bahare Shariat Hissa-02, Page No.-43*

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Tuesday 16 May 2017

*गुस्ल के फराइज़* 02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*नाक में पानी चढ़ाना*
     जल्दी जल्दी नाक की नोक पर पानी लगा लेने से काम नहीं चलेगा बल्कि जहा तक नर्म जगह है यानि सख्त हड्डी के शुरू तक धुलना लाज़िम है। और ये यु हो सकेगा की पानी को सूंघ कर ऊपर खिंचीये। ये ख़याल रखिये की बाल बराबर भी जगह धुलने से न रह जाए वरना गुस्ल न होगा। नाक के अंदर अगर रीठ सुख गई है तो उसका छुड़ाना फ़र्ज़ है, नीज़ नाक के बालो का धोना भी फ़र्ज़ है।
*✍🏽बहारे शरीअत, जी.1, स.316*
*✍🏽फतावा रज़विय्या मुखर्रजा, जी.1, स. 439-440*

*तमाम ज़ाहिरी बदन पर पानी बहाना*
     सर के बालो से ले कर पाउ के तल्वो तक जिस्म के हर पुर्ज़े और हर हर रोंगटे पर पानी बह जाना ज़रूरी है, जिस्म की बाज़ जगहे ऐसी है की अगर एहतियात न की तो वो सुखी रह जाएगी और गुस्ल न होगा।
*✍🏽बहारे शरीअत, जी.1, स 317*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 85-86*

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*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* 13
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*दो अँधेरे दूर*
     मन्कुल है की अल्लाह ने हज़रते मूसा कलीमुल्लाह से फ़रमाया की में ने उम्मते मुहम्मदिय्या को दो नूर अता किये है ताकि वो दो अंधेरो के नुक़्सान से महफूज़ रहे। मूसा कलीमुल्लाह ने अर्ज़ की या अल्लाह ! वो दो नूर कौन से है ? इर्शाद हुवा "नुरे रमज़ान" और "नुरे क़ुरआन"। मूसा कलीमुल्लाह ने अर्ज़ की : दो अँधेरे कौन से है ? फ़रमाया : "एक क़ब्र" और "दूसरा क़यामत" का।
*✍🏽दुर्रतुन्नासीहीन, 9*

*बख्शीश का बहाना*
     हज़रते अलियुल मुर्तज़ा كرم الله وجهه الكريم फ़रमाते है : अगर अल्लाह को उम्मते मुहम्मदी पर अज़ाब करना मक़सूद  होता तो उन को रमज़ान और सूरए कुल्हु वल्लाह शरीफ हरगिज़ इनायत न फ़रमाता।
*✍🏽नुज़हतुल मजालिस, 1/216*
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 28*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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*Aurat ke Masaail* #06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*Haiz Ya Istihaza*

♻ Sawal:- Uzma Ka 7 Din Haiz Aaya Uske Baad Uzma Ko 10 Din Baad Dobarah Khoon Aaya- To Kiya Ye Khoon Haiz Ka Hai Ya Istihaza Ka Hai?

📑 Jawab:-2 Haizon Ke Darmiyan Kam Az Kam Pure 15 Din Ka Fasla Zaruri Hai Magar Pure 15 Din Na Huwe Ke Khoon Aaya Woh Istihaza Hai.
*✍🏽Bahare Shariat Hissa-02, Page No-43*

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Monday 15 May 2017

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* 12
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*जुमुआ की हर घड़ी में दस लाख की मगफिरत*
     हज़रते अब्दुलाह इब्ने अब्बास رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم का फरमान है "अल्लाह माहे रमज़ान में रोज़ाना इफ्तार के वक़्त दस लाख ऐसे गुनाहगारो को जहन्नम से आज़ाद फ़रमाता है जिन पर गुनाहो की वजह से जहन्नम वाजिब हो चुकी थी, नीज़ शबे जुमुआ और रोज़े जुमुआ की हर हर घड़ी में ऐसे दस लाख गुनाहगारो को जहन्नम से आज़ाद किया जाता है जो अज़ाब के हक़दार क़रार दिये चुके होते है।
*✍🏽कन्जुल उम्माल, 8/223, हदिष:23716*

*भलाई ही भलाई*
     हज़रते उमर फारुके आज़म رضي الله عنه फ़रमाते है : उस महीने को खुश आमदीद है जो हमें पाक करने वाला है। पूरा रमज़ान खैर ही खैर है दिन का रोज़ा हो या रात का क़याम। इस महीने में खर्च करना जिहाद में खर्च करने का दर्जा रखता है।
*✍🏽तम्बीहुल गाफिलिन, 176*

*खर्च में कुशादगी करो*
     हज़रते ज़ुमुरह رضي الله عنه से मरवी हे की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم फ़रमाते है : माहे रमज़ान में घर वालो के खर्च में कुशादगी करो क्यू की माहे रमज़ान में खर्च करना अल्लाह की राह में खर्च करने की तरह है।
*✍🏽अल जामिउस्सागिर, 162, हदिष:2716*
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 27*

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*गुस्ल के फराइज़* #01
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*गुस्ल के 3 फराइज़*
1. कुल्ली करना।
2. नाक में पानी चढ़ाना।
3. तमाम ज़ाहिर बदन पर पानी बहाना।
*✍🏽फतावा आलमगिरी, जी.1, स.13*

*कुल्ली करना*
     मुह में थोडा सा पानी ले कर पच करके डाल देने का नाम कुल्ली नहीं, बल्कि मुह के हर पुर्ज़े, गोशे, होटो से हल्क की जड़ तक हर जगह पानी बह जाए। इसी तरह दाढ़ों के पीछे गालो की तह में, दातो की खिड़कियों और जडो और ज़बान की हर करवट पर बल्कि हल्क के कनारे तक पानी बहे।
    रोज़ा न हो तो गरगरा भी कर लीजिये की सुन्नत है।
     दातो में छलिया के दाने या बोटी के रेशे वग़ैरा हो तो उन को छुड़ाना ज़रूरी है। हा अगर छुड़ाने में ज़रर (यानि नुक्सान) का अंदेशा हो तो मुआफ़ है,
     गुस्ल से क़ब्ल दातो में रेशे वग़ैरा महसूस न हुए और रह गए, नमाज़ भी पढ़ ली बाद को मालुम होने पर छुड़ा कर पानी बहाना फ़र्ज़ है, पहले जो नमाज़ पढ़ी थी वो हो गई।
     जो हिलता दांत मसाले से जमाया गया या तार से बांधा गया और तार या मसाले के निचे पानी न पहोचता हो तो मुआफ़ है।
*✍🏽बहारे शरीअत, जी.1, स.316*
*✍🏽फतावा रज़विय्या मुखर्रजा, जी.1, स.439-440*

     जिस तरह की एक कुल्ली गुस्ल के लिये फ़र्ज़ है इसी तरह की 3 कुल्लिया वुज़ू के लिये सुन्नत है।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 85*

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*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* 11
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*हर शब 60,000 की बख्शिश*
     हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद رضي الله عنه से रिवायत है कि हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : रमज़ान की हर शब आसमानों में सुब्हे सादिक़ तक एक मुनादी ये निदा करता है : ऐ अच्छाई मांगने वाले ! मुकम्मल कर (यानी अल्लाह की इताअत की तरफ आगे बढ़) और खुश हो जा। और ऐ शरीर ! शर से बाज़ आ जा और इब्रत हासिल कर। है कोई मग्फिरत का तालीब ! कि उसकी तलब पूरी की जाए। है कोई तौबा करने वाला ! कि उस की तौबा क़बूल की जाए। है कोई तौबा करने वाला ! कि उसकी तौबा क़बूल की जाए। है कोई दुआ मांगने वाला ! कि उसकी दुआ क़बूल की जाए। है कोई साइल ! कि उसका सुवाल पूरा किया जाए।
     अल्लाह रमज़ानुल मुबारक की हर शब में इफ्तार के वक़्त 60,000 गुनाहगारो को दोज़ख से आज़ाद फ़रमा देता है। और ईद के दिन सारे महीने के बराबर गुनाहगारो की बख्शिश की जाती है।
*✍🏽अद्दुररुल मन्सूर,1/146*
     मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! माहे रमज़ान की साअते कितनी बा बरकत है कि हर लम्हा बन्दों में रहमत व मग्फिरते इलाही तक़्सीम हो रही है। ये वो माह है जिस के दिन रोज़ो में और राते तिलावते कलाम पाक में सर्फ होती है और येही दोनों चीज़े  रोज़े महशर मुसलमान के लिये शफ़ाअत का सामान भी फ़राहम करेंगे।

*रोज़ाना दस लाख गुनाहगारो की दोज़ख से रिहाई*
     अल्लाह की इनायतो, रहमतो और बख्शिशो का तज़किरा करते हुए एक मौके पर हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : जब रमज़ान की पहली रात होती है तो अल्लाह अपनी मख्लूक़ की तरफ नज़र फ़रमाता है और जब अल्लाह किसी बन्दे की तरफ नज़र फ़रमाता है और जब अल्लाह किसी बन्दे की तरफ नज़र फरमाए तो उसे कभी अज़ाब न देगा।
     और हर रोज़ दस लाख गुनाहगारो को जहन्नम से आज़ाद फ़रमाता है और जब 29वी रात होती है तो महीने भर में जितने आज़ाद किये उन गिनती के बराबर उस एक रात में आज़ाद फ़रमाता है।
     फिर जब ईदुल फ़ित्र की रात आती है। मलाइका ख़ुशी करते है और अल्लाह अपने नूर की ख़ास तजल्ली फ़रमाता है और फ़रिश्तो से फ़रमाता है "ऐ गुरोहे मलाइका ! उस मज़दूर का क्या बदला है जिस ने काम पूरा कर लिया ? फ़रिश्ते अर्ज़ करते है उस को पूरा पूरा अज्र दिया जाए अल्लाह फ़रमाता है : में तुम्हे गवाह करता हु की में ने उन सब को बख्श दिया।
*✍🏽कन्जुल उम्माल, 8/219, हदिष:23702*
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 25*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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*Aurat ke Masaail* #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

  *Haiz Ki Muddat*

♻ Sawal:- Firdous Ko Pahle Do Din Haiz Aa Kar Ruk Gaya Phir Uske Baad Khoon Aaya Hi Nahi To Kya Woh Khoon. Haiz Me Shumar Ho Ga Ya Nahi?

📝 Jawab:- Firdous Ko Do Din Haiz Aa Kar Ruk Gaya Phir Uske Baad Khoon Aaya Hi Nahi To Ye Khoon Haiz Me Shumar Nahi Hoga Kiyon Ki Haiz Ki Kam Se Kam Muddat 3 Din Aur 3 Raten Aur Ziyadah Se Ziyadah 10 Din Aur 10 Raten Hain Ek Mint Bhi Kam Hai To Haiz Nahi .
*✍🏽Bahare Shariat Hissa-2, Safa No.-42*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
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Sunday 14 May 2017

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* 10
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*जन्नत सजाई जाती है*
     रमज़ान के इस्तिक़बाल के लिये सारा साल जन्नत को सजाया जाता है। चुनान्चे हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने उमर رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم का फरमान है : बेशक जन्नत इब्तिदाई साल से आइन्दा साल तक रमज़ान के लिये सजाई जाती है और फ़रमाया रमज़ान के पहले दिन जन्नत के दरख्तो के निचे से बड़ी आँखों वाली हूरो पर हवा चलती है और वो अर्ज़ करती है, ऐ पवरदगार ! अपने बन्दों में से ऐसे बन्दों को हमारा शौहर बना जिन को देख कर हमारी आँखे ठंडी हो और जब वो हमे देखे तो उन की आँखे भी ठंडी हो।
*✍🏽शुअबुल ईमान, 3/312, हदिष:3633*

     जन्नत की अज़मत की तो क्या ही बात है ! काश ! हमे बे हिसाब बख्श दिया जाए और जन्नतुल फ़िरदौस में मदीने वाले आक़ा صلى الله عليه وسلم का पड़ोस नसीब हो जाए।
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ, 20*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
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*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*जन्नत सजाई जाती है*
     रमज़ान के इस्तिक़बाल के लिये सारा साल जन्नत को सजाया जाता है। चुनान्चे हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने उमर رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم का फरमान है : बेशक जन्नत इब्तिदाई साल से आइन्दा साल तक रमज़ान के लिये सजाई जाती है और फ़रमाया रमज़ान के पहले दिन जन्नत के दरख्तो के निचे से बड़ी आँखों वाली हूरो पर हवा चलती है और वो अर्ज़ करती है, ऐ पवरदगार ! अपने बन्दों में से ऐसे बन्दों को हमारा शौहर बना जिन को देख कर हमारी आँखे ठंडी हो और जब वो हमे देखे तो उन की आँखे भी ठंडी हो।
*✍🏽शुअबुल ईमान, 3/312, हदिष:3633*

     जन्नत की अज़मत की तो क्या ही बात है ! काश ! हमे बे हिसाब बख्श दिया जाए और जन्नतुल फ़िरदौस में मदीने वाले आक़ा صلى الله عليه وسلم का पड़ोस नसीब हो जाए।
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ, 20*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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