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तौबा की रिवायत व हिक़ायत



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💐प्यारे इस्लामी भाइयो !
👉🏾ऐसे पुर फ़ितन हालात में की इर्तिकाबे गुनाह बेहद आसान और नेकी करना बेहद मुश्किल हो चूका हो और नफ्सो शैतान हाथ धो कर इंसान के पीछे पड़े हो, इंसान का गुनाह से बचना बेहद दुष्वार है।

👉🏾लेकिन याद रखिये ! गुनाहो का अन्जाम हलाकत व रूस्वाई के सिवा कुछ नहीं, लिहाज़ा ! इस से पहले की पयामे अजल आन पहुचे और हम अपने अज़ीज़ों अक़रीबा को रोता छोड़ कर और दुन्या की  रोनको से मुह कोड कर, क़ब्र के हौलनाक और तारिक गढ़े में हज़ारो मुर्दो के दरमियान तन्हा जा सोए, हमें चाहिये की इन गुनाहो से छुटकारे की कोई तदबीर करे।

👉🏾इसके लिये ज़रूरी है की हम अपने परवर दगार की बारगाह में सच्ची तौबा करे क्यू की सच्ची तौबा ऐसी चीज़ है जो हर किस्म के गुनाह को इन्सान के नामए आ'माल से धो डालती है जैसा की क़ुरआने पाक में है :

☝🏽और वोही है जो अपने बन्दों की तौबा क़बूल फ़रमाता और गुनाहो से दर गुज़र फ़रमाता है और जानता है जो कुछ तुम करते हो।
📖पारा 25

✒हवाला
📚तौबा की रिवायत व हीकायत, सफा 10

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🌻हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर رضي الله تعالي عنه रिवायत करते है की रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया :

👉🏾ऐ लोगो ! अल्लाह तआला से तौबा करो, बेशक में भी दिन में 100 मर्तबा इस्तिग़फ़ार करता हु।
📒सहीह मुस्लिम
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🔻बेहतर खताकार🔻

🌻हज़रते अनस رضي الله تعالي عنه कहते है की रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया

👉🏾सरे इंसान खतकार है और खताकारो में सबसे बेहतर वो है जो तौबा कर लेते है।

✒हवाला
📚तौबा की रिवायत व हिकायत, सफा 11-12

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✔हर ग़म से आज़ादी✔

🌻हज़रते इब्ने अब्बास رضي الله تعالي عنه से मरवी है की रसूलुल्लाह ﷺ का फरमान है की

🌴जिसने इस्तिग़फ़ार को लाज़िम पकड़ लिया तो अल्लाह तआ'ला उसकी तमाम मुश्किलो में आसानी, हर ग़म से आज़ादी और बे हिसाब रिज़्क़ अता फ़रमाता है।
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💖दिलो के जंग का इलाज💖

🌻हज़रते अनस رضي الله تعالي عنه से रिवायत है की रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया :

🌴बेशक लोहे की तरह दिलो को भी जंग लग जाता है और उसका जिला (यानि सफाई) तलबे मग्फिरत है।

✒हवाला
📚तौबा की रिवायत व हिकायत, सफा 12-13

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✅तौबा के फ़ज़ाइल✅

💐मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! ताइब होने वाले खुश नसीब को गुनाहो की मुआफ़ी के साथ साथ दीगर फ़ज़ाइल भी हासिल होंगे।

🔻फ़लाह व कामरानी का हुसूल🔻

☝🏽रब तआला फ़रमाता है :
और अल्लाह की तरफ तौबा करो ऐ मुसलमानो ! सब के सब इस उम्मीद पर की तुम फ़लाह पाओ।
📗पारा 18 सूरए नूर : 31
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✅तौबा करने वाला रहमते इलाही का मुस्तहिक़✅

☝🏽अल्लाह फ़रमाता है :
वो तौबा जिस का क़बूल करना अल्लाह ने अपने फ़ज़्ल से लाज़िम कर लिया है वो उन्ही की है जो नादानी से बुराई कर बैठे फिर थोड़ी देर में तौबा कर ले। ऐसो पर अल्लाह अपनी रहमत से रुज़ूअ करता है और अल्लाह इल्मो हिक्मत वाला है।
📗पारा 4, निसा:17

👉🏾और फ़रमाते है :
☝🏽तो जो अपने ज़ुल्म के बाद तौबा करे और सवर जाए तो अल्लाह अपनी मेहर से उस पर रुजुअ फ़रमाएगा।
📗पारा 6

✒हवाला
📚तौबा की रिवायत व हिकायत, सफा 14-15

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💫बुराइयो का नेकियों में तब्दील होना💫

☝🏽अल्लाह तआला फ़रमाता है :
👉🏾मगर जो तौबा करे और ईमान लाए और अच्छा काम करे तो ऐसो की बिराइयो को अल्लाह भलाइयों से बदल देगा और अल्लाह बख्शने वाला मेहरबान है।
📗पारह 19
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⛲दुखुले जन्नत का इनआम⛲

☝🏽अल्लाह फ़रमाता है
👉🏾ऐ ईमान वालो अल्लाह की तरफ ऐसी तौबा करो जो आगे को नसीहत हो जाए क़रीब है तुम्हारा रब्ब तुम्हारी बुराइया तुमसे उतार दे और तुम्हे बागो में ले जाए जिन के निचे नहरे बहे।
📗पारह 28
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☝🏽एक और मकाम पर है
👉🏾मगर जो ताइब हुए और ईमान लए और अच्छे काम किये तो ये लोग जन्नत में जाएंगे और इन्हें कुछ नुक़्सान न दिया जाएगा।
📗पारह 16

✒हवाला
📚तौबा की रिवायत व हिक़ायत, सफा 15-16

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❗तौबा में ताखीर की वुज़ूहात और इनका हल❗
♻Part~02

💙दिल पर गुनाहो की लज़्ज़त का गलबा💙

👉🏾बाज़ अवक़ात इंसान के दिलो दिमाग पर मुख्तलिफ गुनाहो मषलन ज़िना, शराब नोशी, बद निगाही, ना महरम औरतो से हसि मज़ाक, फ़िल्म बिनी वग़ैरा की लज़्ज़त का इस क़दर गलबा हो जाता है की वो इन गुनाहो को छोड़ने का सोच भी नहीं सकता।
👉🏾इन गुनाहो के बगैर उसे अपनी ज़िन्दगी बहुत उदास और वीरान महसूस होती है, यु वो तौबा से महरूम रहता है।
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✔इसका हल✔
👆🏾इस किस्म की सूरते हाल से दोचार शख्स इस तरह सोचो बिचार करे की जब में ज़िन्दगी के मुख़्तसर अय्याम में इन लज़्ज़तो को नहीं छोड़ सकता तो मरने के बाद हमेशा हमेशा के लिये लज़्ज़तो (यानि जन्नत की नेमतों) से महरूमी कैसे गवारा करूँगा❓
👉🏾जब में सब्र की आज़माइश बर्दास्त नहीं कर सकता तो नारे जहन्नम की तक्लीफ़ किस तरह बर्दास्त करूँगा❓
👉🏾इन गुनाहो में लज़्ज़त यक़ीनन है लेकिन इनका अन्जाम तवील ग़म का सबब है,
👉🏾जेसा की किसी बुज़ुर्ग ने इर्शाद फ़रमाया : कभी लज़्ज़त की वजह से गुनाह न करो की लज़्ज़त जाति रहेगी लेकिन गुनाह तुम्हारे जिम्मे बाक़ी रह जाएगा और कभी मशक्क़त की वजह से नेकी को तर्क न करो की मशक्क़त का अशर खत्म हो जाएगा लेकिन नेकी तुम्हारे नामए आ'माल में महफूज़ रहेगी।

☝🏽इन्शा अल्लाह इस अंदाज़ से गौरों फ़िक्र करने की बरकत से ये रुकावट दूर हो जाएगी और तौबा करने में कामयाबी नसीब होगी।
👉🏾जब ऐसा सख्श नेकियों की वजह से हासिल होने वाले सुकूने क़ल्ब को मुलाहज़ा करेगा तो गुनाहो की लज़्ज़त को भूल जाएगा।
👉🏾बिला तशबिह जब तक कोई शख्स महज़ गुनाहो की लज़्ज़त में मुब्तला और नेकियों के सुकून से ना आशना होता है, उसे ये गुनाह ही रोके ज़िन्दगी महसूस होते है,
लेकिन जब उसे नेकियों का नूर हासिल हो जाता है तो वो गुनाहो की लज़्ज़त को भूल जाता है और नेकियों के ज़रिए सुकूने क़ल्ब का मुरलाशि हो जाता है।
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☝🏽तुबु-इलल्लाह (अल्लाह तआला की बारगाह में तौबा करो)
✔अस्तग-फिरुल्लाह (अल्लाह की बारगाह में तौबा करता हु)

✒हवाला
📚तौबा की रिवायत व हिक़ायत, सफा 18-19

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❗तौबा में ताखीर की वुज़ूहात और इनका हल❗

♻Part~03

⌛तवील अर्सा ज़िन्दा रहने की उम्मीद⌛

👉🏾तौबा में ताखीर का एक सबब ये भी होता है की नफ्सो शैतान इस तरह इंसान का ज़ेहन बनाते है की अभी तो बड़ी उम्र पड़ी है बाद में तौबा कर लेना...
👉🏾या...अभी तुम जवान हो बुढ़ापे में तौबा कर लेना...
👉🏾या...नोकरी से रिटायर होने के बाद तौबा कर लेना।
👉🏾चुनान्चे ये "अक़्ल मन्द" नफ्सो शैतान के मशवरे पर अ'मल करते हुए तौबा से महरूम रहता है।

✔इसका हल✔

👆🏾ऐसे शख्स को इस तरह गौर करना चाहिये की जब मौत का आना यक़ीनी है और मुझे अपनी मौत के आने का वक़्त भी मालुम नहीं तो तौबा जैसी सआदत को कल पर मौक़ूफ़ करना नादानी नहीं तो और क्या है❓
👉🏾जिस गुनाह को छोड़ने पर आज मेरा नफ़्स तैयार नहीं हो रहा कल इसकी आदत पुख्ता हो जाने पर में इससे अपना दामन किस तरह बचाऊंगा❓
👉🏾और इस बात की भी क्या ज़मानत है की में बुढ़ापे में पहुच पाउँगा या नोकरी से रिटायर होने तक में ज़िंदा रहूंगा❓

👉🏾हदिष में है की "तौबा में ताखीर करने से बचो क्यू की मौत अचानक आ जाती है।

👆🏾इस तरह गौरों फ़िक्र करने की बरकत से ये रुकावट दूर हो जाएगी और तौबा करने में कामयाबी होगी। इन्शा अल्लाह

☝🏽तूबू इलल्लाह (अल्लाह तआला की बारगाह में तौबा करो)
✔अस्तग फिरुल्लाह (में अल्लाह की बारगाह में तौबा करता हु)

✒हवाला
📚तौबा की रिवायत व हिक़ायत, सफा 20

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❗तौबा में ताखीर की वुज़ूहात और इनका हल❗

♻Part~04

🌹रहमते इलाही के बारे में धोके का शिकार होना🌹

🔄Part~01

👉🏾हमारे मुआशरे में इस किस्म के लोग भी ब कशरत पाए जाते है की जब उन्हें गुनाहो से तौबा की तरगिब दी जाए तो इस किस्म के जुम्ले बोल कर ला जवाब करने किं कोशिश करते है की :
👉🏾अल्लाह तआला बड़ा गफूर व रहीम है, हमे उसकी रहमत पर भरोसा है, वो हमे अज़ाब नहीं देगा
और तौबा पर आमादा नहीं होते।

✔इसका हल✔

👆🏾ऐसे की खिदमत में गुज़ारिश है की अल्लाह तआला के रहिमो करीम होने में किसी मुसलमान को शको शुबा नहीं हो सकता लेकिन जिस तरह ये दोनों उसकी सिफ़ात है इसी तरह कह्हार और जब्बार होना भी रब्बे عزوجل की सिफ़ात है
👉🏾और ये बात भी क़ुरआनो हदिष से शाबीत है की कुछ न कुछ मुसलमान जहन्नम में भी जाएगे
👉🏾तो अब आप ही बताइये की इस बात की क्या ज़मानत है की वो मुसलमान ग़ज़बे इलाही का शिकार हो और जहन्नम में जाए
👉🏾लेकिन आप पर रहम इलाही की छमाछम बरसात हो और आप को दाखिले जन्नत किया जाए ❓ इस सिलसिले में हमारे अकाबिरिन का तर्ज़े अ'मल मुलाहज़ा कीजिये।

📨Continue.....

✒हवाला
📚तौबा की रिवायत व हिक़ायत, सफा 21

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♻Part~05

🌹रहमते इलाही के बारे में धोके का शिकार होना🌹

🔄Part~02

🌷अमीरुल मोअमिनिन् हज़रते उमर फ़ारूक़ رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया :

👉🏾अगर आवाज़ दी जाए की एक शख्स के सिवा सब जहन्नम में चले जाए तो मुझे उम्मीद है की वो (यानि जहन्नम में जानेवाला) शख्स में होऊंगा

👉🏾और अगर एलान किया जाए की एक आदमी के इलावा सब जन्नत में दाखिल हो जाए तो मुझे खौफ है की कही वो (यानि जन्नत में दाखिले से महरूम रह जाने वाला) में न होउ।

📨Continue....

✒हवाला
📚तौबा की रिवायत व हिक़ायत, सफा 21-22

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♻Part~06

💫रहमते इलाही के बारे में धोके का शिकार होना💫

🔄Part~03

👹नफ्सो शैतान के धोके से अपनी जान छुडाइये की गुनाह कर के तौबा किये बगैर मग्फिरत का उम्मीदवार बनने वाले को हदिशे नबवी में अहमक़ क़रार दिया गया है, चुनान्चे हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया :
👉🏾समझदार वो शख्स है जो अपना मुहासबा करे और आख़िरत की बेहतरी के लिये नेकियां करे
और अहमक़ वो है जो अपने नफ़्स की ख्वाहिशात की पैरवी करे और अल्लाह तआला से इनआमे आख़िरत की उम्मीद रखे।

👉🏾एक और मक़ाम पर इर्शाद फ़रमाया :
👉🏾तुम में से कोई अल्लाह तआला के हिल्म व बुर्दबारी से धोके में न पड़ जाए, जन्नत व दोज़ख़ तुम्हारे जूते के तस्मे से भी ज़्यादा क़रीब है, फिर आप ने ये आयत तिलावत फ़रमाई :

👉🏾तो जो एक ज़र्रा भर भलाई करे उसे देखेगा और जो एक ज़र्रा भर बुराई करे उसे देखेगा।
पारह 30

👉🏾उम्मीदे वाषिक है की इस नहज पर सोचने की बरकत से बहुत जल्द तौबा की तौफ़ीक़ मिल जाएगी। इन्शा अलाह
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☝🏽तूबू-इलल्लाह (अल्लाह तआला की बारगाह में तौबा करो)
👉🏾अस्तग़फिरुल्लाह (में अल्लाह की बारगाह में तौबा करता हु)
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✒हवाला
📚तौबा की रिवायत व हिक़ायत, सफा 23

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♻Part~07

⭕बादे तौबा इस्तिक़ामत न मिलने का खौफ⭕

👉🏾बाज़ लोग ये उज़्र पेश करते है की हमे अपने आप पर एतिमाद नहीं की बादे तौबा गुनाहो से बच पाएंगे या नहीं ? इस लिये तौबा करने का क्या फाइदा ?
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✔इसका हल

👆🏾ये सरासर शैतानी वस्वसा है, क्यू की आप को क्या मालुम की तौबा करने के बाद आप ज़िन्दा रहेंगे या नहीं ❓
👉🏾हो सकता है की तौबा करते ही मौत आ जाए और गुनाह करने का मौक़ा ही न मिले।
👉🏾वक़्ते तौबा आइन्दा के लिये गुनाहो से बचने का पुख्ता इरादा होना ज़रूरी है, गुनाहो से बचने पर इस्तिक़ामत देने वाली ज़ात तो रब्बुल आ'लमिन की है।

👉🏾अगर इर्तिकाबे गुनाह से महफूज़ रहना न भी नसीब हुवा तो भी कम अज़ कम गुज़श्ता गुनाहो से जान तो छूट जाएगी !
👉🏾और साबिक़ा गुनाहोबक मुआफ़ हो जाना मामूली बात नहीं।
अगर बादे तौबा गुनाह हो भी जाए तो दोबारा पुर ख़ुलूस तौबा कर लेनी चाहिये की हो सकता है यही आखरी तौबा हो और इसी पर दुन्या से जाना नसीब हो।
👉🏾हज़रते अबू सईद बयान करते है की रसूलुल्लाह ने इर्शाद फ़रमाया :
👹शैतान ने अल्लाह तआला की बारगाह में कहा : ऐ मेरे रब्ब ! मुझे तेरी इज़्ज़त व जलाल की क़सम ! जब तक बन्दों के जिस्मो में रूह बाक़ी है, में उन्हें बहकाता रहूंगा।

☝🏽अल्लाह तआला ने जवाबन इर्शाद फ़रमाया : मुझे अपनी इज्ज़तों जलाल और बुलंद मक़ाम की क़सम ! में हमेशा उस वक़्त तक उनकी मग्फिरत करता रहूंगा, जब तक की वो मुझसे मग्फिरत मागते रहेंगे।

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☝🏽तुबु-इलल्लाह (अल्लाह तआला की बारगाह में तौबा करो)
✔अस्तग-फिरुल्लाह (अल्लाह की बारगाह में तौबा करता हु)

✒हवाला
📚तौबा की रिवायत व हिक़ायत, सफा 23-24
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