*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*हुज़ूरे अक़दसﷺ के मोअज़्ज़िनो की तादाद 4 है*
1. हज़रत बिलाल (हब्शी) बिन रबाह رضي الله تعالي عنه
2. हज़रत उमया उमरे बिन उम्मे मकतुम رضي الله تعالي عنه
ये दोनों मदीना में
मस्जिदे नबवी के मोअज़्ज़िन थे।
3. हज़रते असद बिन आईज
رضي الله تعالي عنه
ये मस्जिदे कुबा के
मोअज़्ज़िन थे।
4. हज़रते अबू मखदुरह
رضي الله تعالي عنه
ये मक्का की
मस्जिदे हराम में अज़ान देते थे।
*✍🏽अल मवाहिबुल
लदुन्नीया, 1/455*
*____________________________________________*
मिट जाए गुनाहो का
तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन
के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है,
अल्लाह देख रहा है...*
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*जुम्मा को रुहो का
अपने घर आना*
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हजरत शाह अब्दुल हक मुहद्दिस (रहमतुल्लाह अलैह)
नक्ल करते है की:-
"बाज रिवायतो मे
आया है की मय्यत की रुह सबे जुम्मा को अपने घर आती है और देखती है की उसकी तरफ से कोई
सदका करता है या नही??
*✍🏽अशहतुल लमआत
शरहे मिश्कात बाब : किताबुल जनैज जियारते कुबुर जिल्द-2, सफा-924-925*
*✍🏽फत्वा रिजवीया
जिल्द-9, सफा-652*
मोमीन की रुह हर सबे जुम्मा, ईद के दिन, आशुरह
के दिन, और शबे बरात, अपने घर आकर बाहर खड़ी होती है और हर रुह गमनाक बुलन्द अवाज से
निदा करती है की ऐ मेरे घर वालो ऐ मेरे औलाद ऐ मेरे रिश्तेदारो सदका करके हम पे मेहरबानी
करो।
*✍🏽कशफुल गैत
बाब : अहकामे दुआ सफा-66*
*✍🏽फत्वा रिजवीया
जिल्द-9, सफा-652*
कम से कम जुम्मा के दिन अपने घर इन्तेकाल कर
चुके घरवालो को इसाले सवाब जरुर कर दिया करे। क्योंकी हम जो पढ़कर या करके इसाले सवाब
करेंगे ओ उनको पहुंचेगा जिससे उनको फायदा हासिल होगा।
अगर वो मय्यत गुनाहगार थी तो गुनाह माफ होंगे
और नेकियां मिलेगी और मय्यत नेक थी तो उसके जन्नत मे दर्जे बुलन्द होंगे।
*___________________________________*
मिट जाए गुनाहो का
तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन
के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है,
अल्लाह देख रहा है...*
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*फरिश्तों की तरह दुआ*
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फरमाने मुस्तफा :
जब बीमार के पास जाओ, उस से अपने लिये दुआ चाहो की उस की दुआ मिस्ले दुआए मलाइका
है।
*✍🏽सुनने इब्ने
माजह, 2/191, हदिष, 1441*
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मिट जाए गुनाहो का
तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन
के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है,
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*हुज़ूरे अक़दस ﷺ के नामे
पाक चूमने वाले की बख्शीश*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ
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बनी इस्राइल में
मस्तह नामी एक शख्स 200 बरस तक फिस्क़ व फुजुर में मुब्तला रहा और बादे इंतिक़ाल उस
की मगफिरत फरमा दी गई, इस वजह से की उस ने तौरेत शरीफ में नाम पाक हुज़ूरे अक़दस ﷺ
को देख कर चूम लिया था।
*✍🏽हिल्यातूल
औलिया, 4/45, हदिष, 4695*
*✍🏽मलफुज़ाते
आला हज़रत, 429*
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*फरमाने मुस्तफा ﷺ*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
जो किसी मुसलमान के
खिलाफ ऐसी बात की गवाही दे जो उसमे न हो तो उसे चाहिए के अपना ठिकाना जहन्नम में
बना ले।
*✍🏽मौसूअता
इब्ने अबिल लदन्या, 4/398, हदिष, 123*
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मिट जाए गुनाहो का
तसव्वुर ही दुन्या से,
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