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Monday 30 April 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #128
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत इब्राहिम عليه السلام की क़ुरबानी*
     आप عليه السلام ने हिजरत के बाद बेटे के लिये दुआ की "ऐ अल्लाह मुझे नेक औलाद अता फरमा"।
      आपकी दुआ में तीन मुतालबे थे ऐ अल्लाह औलादे नरीना यानी मुज़ककर अता फरमा, और वह बुर्दबारी की उम्र तक पहुंचे और बुर्दबार ही रहे। आप عليه السلام भी हलीम है आपकी शान में अल्लाह ने फ़रमाया: "बेशक इब्राहिम बहुत आहें करने वाले मुतहम्मिल बुर्दबार है"।
     आपका बेटा भी हलीम अता किया ताकि बेटा भी बाप की तरह शरफ़ व फ़ज़ीलत वाला हो और जलिलुल क़द्र नबी हो। सलाह यानी नेकी और अल्लाह का कुर्ब बहुत ही अच्छा सिफत है इसलिये इब्राहिम عليه السلام ने बेटे के लिये भी यही दुआ की और अपनी ज़ात के लिये भी दुआ करते हुए अर्ज़ किया: "ऐ मेरे रब मुझे हुक्म अता फरमा और मेरे रब मुझे उनसे मिला जो तेरे कुर्ब के लायक़ है।"
     फिर जब वह उसके साथ काम के क़ाबील हो गया, कहा ऐ मेरे बेटे मेने ख्वाब देखा, में तुम्हे ज़िबह करता हूँ अब तू देख तेरी क्या राय है? कहा ऐ मेरे बाप! कीजिये जिस बात का आपको हुक्म होता है, खुदा ने चाहा तो क़रीब है की आप मुझे साबिर पाओगे।

*क़ुरबानी के वक़्त इस्माइल عليه السلام की उम्र*
     बाज़ अहले इल्म का क़ौल यह है कि ज़िबह का वाक़ीआ दरपेश आने के वक़्त आप عليه السلام की उम्र 13 साल थी।

*इम्तेहान की वजह*
     चुकी आयते करीमा में यह ज़िक्र हुआ की अल्लाह ने इब्राहिम عليه السلام को हलीम बेटे की बशारत दी, अब इम्तेहान लेकर उसे वाज़ेह कर दिया की कितना अज़ीम साबिर और बुर्दबार बेटा आपको रब ने अता किया जिस ने इतने बड़े इम्तेहान को सब्र और खन्दा पेशानी से पास किया।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 103
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*क़ुर्बे मुस्तफा ﷺ*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     एक दिन एक शख्स आया तो हुज़ूर ﷺ ने उसे अपने और सिद्दिके अकबर رضي الله عنه के दर्मियान बिठा लिया। इससे सहाबा को तअज्जुब हुवा कि ये कौन ज़ी मर्तबा है!!! जब वो चला गया तो हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया: ये जब मुझ पर दुरुदे पाक पढ़ता है तो यूँ पढ़ता है...
اٙللّٰهُمّٙ صٙلِّ عٙلٰى مُحٙمّٙدٍ كٙمٙا تُحِبُّ وٙتٙرْضٰى لٙهُ
*✍🏽اٙلْقٙوْلُ الْبٙدِيْع ١٢٥*

*हर रात इबादत में गुज़ारने का आसान नुस्खा*
     गराइबुल क़ुरआन पर एक तिवायत नक़्ल की गई है कि जो शख्स रात में इसे 3 मर्तबा पढ़ लेगा तो गोया उसने शबे क़द्र पा लिया।
لٙآاِلٰهٙ اِلّٙااللّٰهُ الْحٙلِيْمُ الْكٙرِيْمٙ، سُبٙحٰنٙ اللّٰهِ رٙبِّ السّٙمٰوٰتِ السّٙبْعِ وٙرٙبِّ الْعٙرْشِ الْعٙظِيْم
*तर्जमा* : खुदाए हलीम व करीम के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं। अल्लाह पाक है जो सातों आसमानों और अर्शे अज़ीम का परवर दगार है।
*✍🏽फ़ैज़ाने सुन्नत*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*40 हज़ार अवलाद का इज्तिमाअ!*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया: अल्लाह ने जब हज़रते आदम को ज़मीन पर उतारा तो जितना अल्लाह ने चाहा उतना अर्सा आप ज़मीन पर रहे। एक रोज़ आप की अवलाद ने आप से कहा: ऐ वालीदे मोहतरम! हम से गुफ्तगू कीजिये। आप ने अपने बोटों, पोतों और पड़पोतों के 40 हज़ार का मजमा से खिताब करते हुवे इर्शाद फ़रमाया: अल्लाह ने मुझे हुक्म दिया है की ऐ आदम! गुफ्तगू कम करो ये अमल तुम्हें मेरे कुर्ब (यानी जन्नत) की तरफ लौटा देगा।
*✍🏽एक चुप सौ सुख* 4
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #08
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*माहे रमज़ान में मदनी फूल* #04
क़ुरआन में सिर्फ रमज़ान ही का नाम लिया गया और इसी के फ़ज़ाइल बयान हुए। किसी दूसरे महीने का न सराहतन नाम है न ऐसे फ़ज़ाइल। औरतो में सिर्फ बीबी मरयम رضي الله عنها का नाम क़ुरआन में आया। सहाबा में सिर्फ हज़रते ज़ैद इब्ने हारिसा رضي الله عنه का नाम क़ुरआन में लिया गया जिस से इन तीनो की अज़मत मालुम हुई।
     रमज़ान में इफ्तार और सहरी के वक़्त दुआ क़बूल होती है। यानि इफ्तार करते वक़्त और सहरी खा कर। ये मर्तबा किसी और महीने को हासिल नहीं।
     रमज़ान में 5 हरुफ़ है رمضان.  इन में ر से मुराद "रहमते इलाही" م से मुराद "महब्बते इलाही" ض से मुराद "ज़माने इलाही" ا से मुराद "अमाने इलाही" ن से मुराद "नुरे इलाही"।
     और रमज़ान में 5 इबादत खुसूसी होती है। रोज़ा, तरावीह, तिलावते क़ुरआन, एतिकाफ, शबे क़द्र में इबादत। तो जो कोई सिद्के दिल से ये 5 इबादत करे वो उन 5 इनामो का मुस्तहक़ है।
*✍🏽तफ़सीरे नईमी, 2/208*
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 19*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*नमाज़ का तरीक़ा* #109
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*मुसाफिर की नमाज़* #07

_*औरत के सफर का मसअला*_
     औरत को बैगेर महरम के 3 दिन 92k.m या ज़्यादा की राह जाइज़ नही। ना बालिग़ बच्चा या पागल के साथ भी सफर नही कर सकती, हमराही में बालिग़ महरम या शौहर का होना ज़रूरी है।
*✍🏼आलमगिरी 1/142*

*औरत का सुसराल व मायका*
     औरत बियाह कर सुसराल गई और यही रहने सहने लगी तो मायका इसके लिये वतने असली न रहा यानी अगर सुसराल 92k.m पर है वहा से मयके आई और 15 दिन ठहरने की निय्यत न की तो क़सर पढ़े और अगर मयके रहना नही छोड़ा बल्कि सुसराल आरिज़ि तौर पर गई तो मयके आते ही सफर खत्म हो गया नमाज़ पूरी पढ़े।
*✍🏼बहारे शरीअत 4/84*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम 228*
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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*आज का चाँद :* 13
*माह 8 :* माहे शअबान
*हिजरी :* 1439

*विसाल*
एजाज़ कामटवी (नागपुर)
हज़रत ज़करिया (वीरमगाम)

*उर्स*
हज़रत सीदी शहीद (अहमदाबाद)
हज़रत नूरशाह पीर (समी, मेहसाणा)
क़ाज़ी शहीद अजीमुद्दीन (उमरेठ)
सैय्यिद जलाल उर्फ़ शेख फरीदबाबा (वीजापुर)
अली पीर (पोरबन्दर)

*संदल*
उम्मीदपिर (डभोई)

*नॉट :*
3 बार कुल्हुवल्लाह, एक बार सूरए फातिहा आगे पीछे दुरुद शरीफ पढ़ के हुज़ूर ﷺ की व इन बुज़ुर्गाने दिन की बारगाह में और हज़रत आदम ता क़यामत तक के तमाम मोमिनो की रूह को नज़र करदीजिये।
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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Sunday 29 April 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #127
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत हाजरा और इस्माइल عليه السلام को हरम की ज़मीन में छोड़ना* #04
      इसी तरह हज़रते हाजरा ने जब चश्मा से पानी पिया तो आपका दूध भी जारी हो गया जो बच्चे को पिलाया, फ़रिश्ते ने आप को कहा: तुम कोई खौफ न करो कि तुम ज़ाया हो जाओगी बेशक यहाँ बैतुल्लाह है इस की तामीर यह बच्चा और इसका बाप करेंगे बेशक अल्लाह अपने मुक़ररेबिन के अज्र को ज़ाया नहीं करता।
     कुछ देर के बाद वहां से जहरम क़बीला का गुज़र हुआ जिन्होंने देखा कि परिन्दे उड़ रहे है उन्होंने ख्याल किया की परिन्दे वहा ही होते है जहाँ पानी हो यक़ीनन यहाँ कहि पानी होगा, उन्होंने औने एक शख्स को भेजा जिसने देखा कि एक पानी का चश्मा है और उसके क़रीब एक औरत बैठी हुई है उन्होंने कहा तुम हमें पानी में शरीक करो तो हम तुम्हे अपने जानवरों के दूध में शरीक करेंगे, हजरते हाजरा ने उनसे इस शर्त पर मुआहिदा कर लिया। इसी जहरम क़बीला ने एक लड़की का निकाह इस्माइल عليه السلام से कर दिया।
     *फायदा* : इब्राहिम عليه السلام की दुआ के असरात आज भी वाज़ेह तौर पर नज़र आ रहे है कि मक्का की सर ज़मीन पहाड़ी और रेतीली है लेकिन फल हर किस्म के आला से आला वहा मौजूद रहते है लोग हर तरफ से इस मक़ाम पर खिचे चले आते है हर मुसलमान के दिल में एक तड़प पाई जाती है कि वह बैतुल्लाह की ज़ियारत कर ले।
     हज़रत हाजरा तो बच्चे की प्यास को देखकर बे क़रार होकर सफा व मरवा के चक्कर लगा रही थी लेकिन अल्लाह को अपने खलील की ज़ौजा और इस्माइल عليه السلام की वालदा की अदा ऐसी पसन्द आई की ता क़यामत हाजी इस याद को ताज़ा करने के लिये वहा चक्कर लगाते रहेंगे।
     हक़ीक़त यह है की हज अल्लाह के मक़बूल बन्दों की अदा के बगैर कुछ नहीं। हुज़ूर ﷺ और सहाबा की याद को ताज़ा करने के लिये तवाफ़ में पहलवानों की तरह अकड़ कर चलना, इब्राहिम عليه السلام की याद को ताज़ा करने के लिये मिना में जमरात को कांकरिया मारना इस किस्म के काम ही हज है।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 103
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*छे लाख दुरुद शरीफ का षवाब*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     हज़रत अहमद सावी رحمة الله عليه बाज़ बुज़ुर्गों से नक़्ल करते है: इस दुरुद शरीफ को एक बार पढ़ने से छे लाख दुरुद शरीफ पढ़ने का षवाब हासिल होता है।
اٙللّٰهُمّٙ صٙلِّ عٙلٰى سٙيِّدِنٙا  مُحٙمّٙدٍ عٙدٙدٙمٙافِىْ عِلْمِاللّٰهِ صٙلٙاةً دٙآىِٔمٙةًم بِدٙوٙامِ مُلْكِاللّٰهِ
*✍🏽اٙفْضٙلُ الصّٙلٙوات عٙلٰى سٙيِّدِالسّادٙات*

*हर रात इबादत में गुज़ारने का आसान नुस्खा*
     गराइबुल क़ुरआन पर एक तिवायत नक़्ल की गई है कि जो शख्स रात में इसे 3 मर्तबा पढ़ लेगा तो गोया उसने शबे क़द्र पा लिया।
لٙآاِلٰهٙ اِلّٙااللّٰهُ الْحٙلِيْمُ الْكٙرِيْمٙ، سُبٙحٰنٙ اللّٰهِ رٙبِّ السّٙمٰوٰتِ السّٙبْعِ وٙرٙبِّ الْعٙرْشِ الْعٙظِيْم
*तर्जमा* : खुदाए हलीम व करीम के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं। अल्लाह पाक है जो सातों आसमानों और अर्शे अज़ीम का परवर दगार है।
*✍🏽फ़ैज़ाने सुन्नत*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*बरकती दिन व रातें*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     इस किताब में आप को शबे बराअत के नवाफ़िल व दुआ हासिल होंगे ان شاء الله.
     इस किताब को शबे मे'राज से पहले पहले आम करे।
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*बात दोज़ख में ओंधे मुंह गिराएगी*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     हज़रते उबादा बिन सामित رضي الله عنه बयान करते है की हुज़ूर ﷺ एक रोज़ घर से बाहर तशरीफ़ लाए और सुवारी पर सुवार हुवे तो हज़रते मुआज़ बिन जबल رضي الله عنه ने अर्ज़ की: कौन सा अमल सबसे अफ़्ज़ल है? आप ने अपने मुबारक मुंह की तरफ इशारा करके इर्शाद फ़रमाया नेकी की बात के इलावा खामोश रहना। अर्ज़ की हम ज़बान से जो कुछ बोलते है क्या उस पर अल्लाह हमारी पकड़ फ़रमाएगा? आप ने उनकी रान पर हाथ मारते हुवे इर्शाद फ़रमाया: ऐ मुआज़! तुम्हे तुम्हारी माँ रोए! (इसका ज़ाहिरी माना तो ये है की, तुम्हे मौत आ जाए, मगर अहले अरब ये जुमला अदब सिखाने, गफलत से बेदार करने और अपनी बात की अहमिय्यत व अज़मत बयान करने के लिये बोला करते थे) ज़बानों का कहा हुवा ही लोगों को ओंधे मुंह जहन्नम में गिराएगा। पस जो अल्लाह और आख़िरत के दिन पर ईमान रखता है उसे चाहिये की अच्छी बात करे या बुरी बात से खामोश रहे। (फिर फ़रमाया) अच्छी बात कहो फायदे में रहोगे और बुरी बातों से खामोश रहो सलामत रहोगे।
*✍🏽एक चुप सौ सुख* 4
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*नमाज़ का तरीक़ा* #108
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*मुसाफिर की नमाज़* #06

*काम हो गया तो चला जाऊंगा*
     मुसाफिर किसी काम के लिये या अहबाब के इन्तिज़ार में दो चार या तेरह चौदह दिन की निय्यत से ठहरा, या ये इरादा है कि काम हो जाएगा तो चला जाएगा, दोनों सूरतो में अगर आज कल आज कल करते बरसो गुज़र जाए जब भी मुसाफिर ही है, वो नमाज़ क़सर पढ़ेगा।
*✍🏼आलमगिरी 1/139*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम 227*
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गर होजाए यक़ीन के.....
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*आज का चाँद :* 12
*माह 8 :* माहे शअबान
*हिजरी :* 1439

*शहादत*
हज़रत मुहम्मद बिन कासिम (इजिप्त)

*उर्स*
हज़रत जलालुद्दीन व् तबे ताबेइन (रांदेर, सूरत)
हज़रत पीर बटावशाह (प्रांतिज)

*संदल*
हजरत कासमअली कौषर (जेतपुर)
हज़रत बालापीर व गैबनशाह (वडागाम)

*नॉट :*
3 बार कुल्हुवल्लाह, एक बार सूरए फातिहा आगे पीछे दुरुद शरीफ पढ़ के हुज़ूर ﷺ की व इन बुज़ुर्गाने दिन की बारगाह में और हज़रत आदम ता क़यामत तक के तमाम मोमिनो की रूह को नज़र करदीजिये।
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*तज़किरतुल अम्बिया* #126
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*हज़रत हाजरा और इस्माइल عليه السلام को हरम की ज़मीन में छोड़ना* #03
     हज़रत हाजरा अपने बच्चे इस्माइल को दूध पिलाती रही यहाँ तक की मश्किज़ा में जो पानी था वह खत्म हो गया और खजूरें भी खत्म हो गई हज़रत हाजरा भी भूखी प्यासी हो गई दूध का बनना भी खत्म हो गया बच्चा भी भूख प्यास से परेशान हाल था अपने होटों पर ज़बान फेरने लगा, बच्चा का यह हाल माँ से बर्दाश्त न हो सका आप क़रीब एक पहाड़ी सफा पर चढ़ती है कि कहीं से पानी का पता चल जाये या कोई इंसान नज़र आये फिर इसी ख्याल से मरवा पर आती है दर्मियान में नशेबी जगह जब पहुँचती है बच्चा नज़र नहीं आता वहां दौड़ती है, और जब नशेबी जगह पार करलेती है और जहा से बच्चा नज़र आये ऐसी जगह आहिस्ता दौड़ती है।
     मरवा पर पहुचकर भी पानी या इंसान नज़र नहीं आता तो आप बेक़रारी के आलम में फिर सफा पर फिर मरवा पर सात चक्कर ऐसे ही लगा देती है। आखरी मर्तबा मरवा पर आपने एक आवाज़ सुनी, अपने आपको कहने लगी खामोश! ख्याल किया शायद मेरे औसान खता हो गये, यहाँ कौन है? यह मुझे वेसे ही आवाज़ आ रही है।
     फिर दोबारा आवाज़ सुनने पर कहा कि अगर यहाँ कोई फरियाद को सुनकर पहुचने वाला हो सकता है तो फ़रिश्ता ही हो सकता है, देखा तो बच्चे के क़रीब फरिश्ता खड़ा है, इस्माइल عليه السلام की एड़ी के पास उसने अपनी एड़ी या पर मारा, या हज़रत इस्माइल عليه السلام के एड़ी रगड़ने से पानी का एक चश्मा जारी हो गया, हाजरा ने पानी के इर्द गिर्द बंद बांध कर एक हौज़ की शक्ल दे दी वह पानी जोश मार रहा था, आपने खुद भी पिया और बच्चे को भी पिलाया और पानी को कहा "ज़मज़म" रुक जा।
     हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : अल्लाह इस्माइल की वालिदा पर रहम करे अगर आप ज़मज़म को इस तरह रहने देती या आप ने फ़रमाया अगर आप इससे जल्दी से चुल्लू न भर्ती तो ज़मज़म जारी चश्मा होता।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 102
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Saturday 28 April 2018

*रहमत के सत्तर दरवाज़े*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     जो ये दुरुदे पाक पढ़ता है तो उस पर रहमत के 70 दरवाज़े खोल दिये जाते है।
صٙلّٙى اللّٰهُ عٙلٰى مُحٙمّٙدٍ
*✍🏽الْقٙوْلُ الْبٙدِيْع ٢٧٧*

*हर रात इबादत में गुज़ारने का आसान नुस्खा*
     गराइबुल क़ुरआन पर एक तिवायत नक़्ल की गई है कि जो शख्स रात में इसे 3 मर्तबा पढ़ लेगा तो गोया उसने शबे क़द्र पा लिया।
لٙآاِلٰهٙ اِلّٙااللّٰهُ الْحٙلِيْمُ الْكٙرِيْمٙ، سُبٙحٰنٙ اللّٰهِ رٙبِّ السّٙمٰوٰتِ السّٙبْعِ وٙرٙبِّ الْعٙرْشِ الْعٙظِيْم
*तर्जमा* : खुदाए हलीम व करीम के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं। अल्लाह पाक है जो सातों आसमानों और अर्शे अज़ीम का परवर दगार है।
*✍🏽फ़ैज़ाने सुन्नत*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*आलिम की ज़ीनत और जाहिल का पर्दा*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     हज़रते मुहरिज़ बिन ज़ुहैर अस्लमी رضي الله عنه बयान करते है की मुस्तफा जाने रहमत ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया: खामोशी आलिम की ज़ीनत और जाहिल का पर्दा है।
*✍🏽एक चुप सौ सुख* 3
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #07
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*माहे रमज़ान में मदनी फूल* #02
रमज़ान में नफ्ल का षवाब फ़र्ज़ के बराबर और फ़र्ज़ का षवाब 70 गुना मिलता है।
     बाज़ उलमा फ़रमाते है की जो रमज़ान में मर जाए उस से सुवालाते क़ब्र भी नही होते।
     इस महीने में शबे क़द्र है। गुज़श्ता आयत से मालुम हुवा की क़ुरआन रमज़ान में आया और दूसरी जगह फ़रमाया : बेशक़ हम ने शबे क़द्र में उतारा। (पारह 30, अल क़द्र:1)
     दोनों आयतो के मिलाने से मालुम हुवा की शबे क़द्र रमज़ान में ही है और वो गालिबन 27वी शब् है। क्यू की लैलतुल क़द्र में 9 हरुफ़ है और ये लफ्ज़ सूरए क़द्र में 3 बार आया। जिस से 27 हासिल हुए मालुम हुवा की वो 27वी शब् है।
*✍🏽तफ़सीरे नईमी, 2/208*
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 17*
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*नमाज़ का तरीक़ा* #107
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*मुसाफिर की नमाज़* #05

*_वतन की किस्मे_*
     वतन की दो किस्मे है
1 : वतने असली : यानी वो जगह जहा इसकी पैदाइश हुई है या इस के घर के लोग वहा रहते है या वहा सुकूनत कर ली और ये इरादा है कि यहा से न जाएगा।
2 : वतने इक़ामत : यानी वो जगह कि मुसाफिर ने 15 दिन या इससे ज़्यादा ठहर ने का वहा इरादा किया हो।

*_वतने इक़ामत बातिल होने की सूरत_*
     वतने इक़ामत दूसरे वतने इक़ामत को बातिल कर देता है यानी एक जगह 15 दिन के इरादे से ठहरा फिर दूसरी जगह इतने ही दिन के इरादे से ठहरा तो पहली जगह वतन न रही। दोनों के दरमियान मसाफते सफर हो या न हो। यु ही वतने इक़ामत वतने असली और सफर से बातिल हो जाता है।
*✍🏽आलमगिरी 1/145*
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हज़रते ज़ैद बिन हारिषा रदिअल्लाहो तआला अन्हो का इश्के रसूल ﷺ*
#22
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     जब हुज़ूर ﷺ का निकाह हज़रते ख़दीजा रदिअल्लाहो तआला अन्हा से हुवा तो उन्होंने जैद रदिअल्लाहो तआला अन्हो को हुज़ूरे अक़दस ﷺ की ख़िदमत में ब तौरे हदिय्या पेश किया। जैद रदिअल्लाहो तआला अन्हो के वालिद को उन के फ़िराक का बहुत सदमा था और होना भी चाहिये था कि अवलाद की महब्बत फ़ितरी चीज़ है। वोह ज़ैद रदिअल्लाहो तआला अन्हो के फ़िराक में रोते और अशआर पढ़ते फिरा करते थे। अक्शर जो अशआर पढ़ते थे उन का मुख्तसर तर्जमा यह है कि "मैं ज़ैद की जुदाई में रो रहा हूं और येह भी नहीं जानता कि वोह ज़िन्दा है कि उस की उम्मीद रखूं या मौत ने उस का काम तमाम कर दिया कि उस से मायूस हो जाऊं, खुदा की कसम मुझे येह भी मा'लूम नहीं कि तुझे ऐ ज़ैद नर्म ज़मीन ने हलाक किया या किसी पहाड़ ने हलाक किया । काश मुझे येह मालूम हो जाता कि तू उम्र भर में कभी भी वापस आएगा या नही, सारी दुन्या में मेरी इन्तिहाई ग़रज़ तेरी वापसी है।
      जब आफताब तुलूअ होता है तो मुझे ज़ैद ही याद आता है और जब बारिस होने को आती है तो भी उसी की याद को भड़काती हैं। हाए मेरा ग़म और मेरी फिक्र किस क़दर तवील हो गई मैं उस की तलाश और कोशिश में सारी दुन्या में ऊंट की तेज़ रफ्तारी को काम मे लाऊंगा और दुन्या का चक्कर लगाने से न उक्ताउंगा।
अपनी सारी जिंदगी इसी में गुज़ार दूंगा। हां मेरी मौत ही आ गई तो खैर की मौत हर चीज़ को फ़ना कर देने वाली है आदमी ख़्वाह कितनी ही उम्मीदे लगाए मगर मैं अपने बा'द फुलां फुलां रिस्तेदारों और आल व अवलाद को वसिय्यत कर जाऊंगा कि वोह भी इसी तरह ज़ैद को ढूंढते रहें।"
       ग़रज़ वोह यह अशआर पढ़ते और रोते हुवे ढूंढते फ़िरा करते थे। इत्तिफाक से उन की जाम के चंद लोगों का हज को जाना हुवा और उन्हों ने ज़ैद को पहचाना। बाप का हाल सुनाया, शेर सुनाए उन की याद व फ़िराक की दास्तान सुनाई। हज़रते ज़ैद रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने उनके हाथ तीन शेर कह भेजे जिन का मतलब येह था कि "मैं यहां मक्का में हू।"
     उन लोगों ने जा कर ज़ैद की खैर व खबर उन के बाप को सुनाई और वोह अशआर सुनाए जो ज़ैद ने कहे थे और पता बताया।
     ज़ैद के बाप और चचा फिदये की रक़म ले कर उनको ग़ुलामी से छुड़ाने की ख़ातिर मक्कए मुकर्रमा पहुंचे , तहक़ीक़ की, पता चलाया, हुज़ूर ﷺ की खिदमत में पहुंचे और अर्ज़ किया: ऐ हाशिम की अवलाद! अपनी कौम के सरदार! तुम लोग हरम के रहने वाले हो और अल्लाह के घर के पड़ोसी, तुम खुद कैदियों को रिहा कराते हो, भूकों को खाना खिलाते हो। हम अपने बेटे की तलब में तुम्हारे पास पहुंचे हैं हम पर एहसान फ़रमाओ और कर्म करम करो। फिदया क़बूल करो और इस को रिहा कर दो बल्कि जो फिदया हो उस से ज़ियादा ले लो। 
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 88,89
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