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फैज़ाने खादीजतुल कुब्रा






*फैज़ाने खादीजतुल कुब्रा* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_कुरैश की एक बा किरदार खातुन_* #01
     हज़रते खादीजतुल कुब्राرضي الله تعالي عنها जो मिमिनिन की माँ, प्यारे आक़ाﷺ की गम गुसार, हज़रते फातिमाرضي الله تعالي عنها और दीगर शाहज़ादो और शाहज़ादियो की वालिदा और इमाम हसन व हुसैनرضي الله تعالي عنهم की नानी जान है।
     आपرضي الله تعالي عنها बड़े पैमाने पर तिजारत किया करती थी। हर ताजिर की तरह आप को भी ऐसे ज़ी शुऊर, होश्यार, बा स्लाहिय्यत और सलीक़ा मन्द अफ़राद की ज़रूरत रहती थी जो अमीन और दियानतदार हो।
     उधर सरकारﷺ के हुस्ने अख़लाक़, सच्चाई, ईमानदारी और डियानतदारी का शोहरा हर खासो आम की ज़बान पर था। आपﷺ अपने गेर मामूली अख़लाक़ी व मुआशरती औसाफ की बिना पर अख़लाक़ी पस्ती के उस दौरे जाहिलिय्यत में ही अमीन कह का पुकारे जाते थे।
     हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها तक भी अगर्चे आप की इन सिफ़ाते आलिया की शोहरत पहुच चुकी थी और इस वजह से आप, हुज़ूरﷺ को अपना सामान दे कर तिजारती काफ्ले के साथ रवाना भी करना चाहती थी, लेकिन ये ख्याल करके के मालूम नही हुज़ूरﷺ इसे क़बूल फरमाएंगे भी या नही, अपना इरादा तर्क कर देती।
     शबो रोज़ गुज़रते रहे, हत्ता कि रसूले खुदा के एलाने नुबुव्वत से तक़रीबन 15 बरस पहले का दौर आया। गुज़श्ता सालो की तरह इस साल भी अहले अरब का तिजारती काफिला मुल्के शाम के सफर पर जाने को तैयार है। हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها ने भी आपﷺ की तरफ पैगाम भेजा कि मुझे आप की सच्चाई, अमानतदारी और अच्छे अख़लाक़ का इल्म है, अगर आप मेरे माल को तिजारत के लिये ले जाने की पेशकश क़बूल फरमा ले तो में आप को उससे दुगना मुआवज़ा दूंगी, जो आप की क़ौम के दूसरे लोगो को देती हु। रसूलल्लाहﷺ ने इसे क़ुबूल फ़रमाया।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. انشاء الله
*✍🏽फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा, 4*
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*फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा* #02
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*_कुरैश की एक बा किरदार खातुन_* #02
     हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها ने अपने गुलाम मैसरह को हुज़ूरﷺ के साथ कर दिया और ये ताकीद की, कि किसी बात में आप की ना फ़रमानी न करे और न ही आप की राय से इख़्तिलाफ़ करे।
     अल्लाह ने अपने हबीबﷺ के सदके इस तिजारत में इस क़दर बरकत और नफा अता फ़रमाया कि पहले कभी नही हुवा था। चुनांचे इतना कशिर नफा देख कर हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها के गुलाम मैसरह ने कहा : ऐ मुहम्मद ! में ने इतना ज़्यादा नफा कभी नही देखा जो आप की बदौलत हुवा है।
     खरीदो फरोख्त से फारिग हो कर काफिले वालो ने वापसी के लिये सफर शुरू कर दिया। दौराने सफर मैसरह ने देखा कि जब दोपहर होती और गर्मी की शिद्दत बढ़ जाती तो दो फिरिश्ते सूरज से बचाव के लिये आपﷺ पर साया फिगन हो जाते। अल्लाह ने मैसरह के दिल में रसूले करीमﷺ की महब्बत डाल दी थी, लिहाज़ा वो आप के रूबरू ऐसे होते कि गोया आप के गुलाम है।
     जब हुज़ूरﷺ हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها केपास पहुचे और उन्हें तिजारत में होने वाले नफा के बारे में बताया, तो आप इस पर बहुत खुश हुई नीज़ तिजारत में पिछले बरसो की निस्बत बहुत ज़्यादा नफा देखा तो तै शुदा मिक़दार से भी दुगना माल आपﷺ की बारगाह में पेश कर दिया।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. انشاء الله
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 4*
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*फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा* #03
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*_कुरैश की एक बा किरदार खातुन_*
     हमने पिछली पोस्ट में पढ़ा के हमारे आक़ाﷺ ने तिजारत के माल को किस तरह दियानतदारि के साथ फरोख्त फ़रमाया और अपने अमीन होने का अमली सुबूत पेश करके ये बता दिया की लोगो के अमवाल की हिफाज़त करना और उसमे किसी किस्म की खियानत न करना हर मुसलमान बिल खुसुस एक अच्छे ताजिर की ज़िम्मेदारी है।
     हदिष में है : बेशक सबसे पाकीज़ा कमाई उन ताजीरो की है जो बात करे तो झूट न बोले, जब उनके पास अमानत रखी जाए तो उस में खियानत न करे, जब वादा करे तो उसकी खिलाफ वरज़ी न करे।
*✍🏽शोएबुल ईमान, 4/221*
     याद रकिये ! अमानत में खियानत, हराम और जहन्नम में ले जाने वाला काम है। अल्लाह ने हमे इससे बचने का हुक्म फ़रमाया है। पारह 9 सूरतुल अनफाल की आयत 27 में इरशाद होता है :
*ऐ ईमान वालो ! अल्लाह व रसूल से दगा न करो और न अपनी अमानतों में दानिस्ता खियानत*
     और पारह 5, सुरतुन्निसा की आयत 58 में अमानतों को लौटाने का हुक्म फ़रमाया है :
*बेशक अल्लाह तुम्हे हुक्म देता है की अमानतें जिन की है उन्हें सिपुर्द करो*
     हदिष में कामिल मोमिन की ये सिफत बयान की गई है कि मोमिन हर आदत अपना सकता है मगर झुटा और खियानत करने वाला नही हो सकता।
जब की मुनाफ़िक़ अमानत में खियानत करता है जैसा कि फरमाने मुस्तफाﷺ है :
     मुनाफ़िक़ की 3 निशानिया है, जब बात करे झूट कहे, जब वादा करे तो खिलाफ करे और जब उसके पास अमानत रखी जाए तो खियानत करे।
*✍🏽फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा, 5*
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*फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा* #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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     आपرضي الله تعالي عنها की पाकीज़ा सिफ़ात और खुसुसिय्यात में से ये भी है की आपرضي الله تعالي عنها ने औरतो में सब से पहले इस्लाम क़बूल किया। आपرضي الله تعالي عنها को हुज़ूरﷺ की सबसे पहली ज़ौजा होने का शरफ हासिल है।
     अल्लाह ने आपرضي الله تعالي عنها को जिब्राईले अमिन अलैहिस्सलाम के ज़रिए सलाम भेजा।
     आपرضي الله تعالي عنها ने हबिबे किब्रियाﷺ की सोहबते बा बरकत में कमो बेश 25 साल रहने की सआदत हासिल की। आप ने शिबे अबी तालिब में रसूलुल्लाहﷺ के साथ क़ैद रहकर रफ़ाक़त और महब्बत का मिसालि नमूना पेश किया।
     अपرضي الله تعالي عنهاने अपनी सारी दौलत हुज़ूरे अन्वरﷺ के क़दमो में ढेर कर दी, आप की क़ब्र में हादिये बर हक़ﷺ उतरे और अपने दस्ते अक़दस से आप को क़ब्र में उतारा।
     तारीख में आपرضي الله تعالي عنها को ताहिरा व सिद्दीक़ा जैसे अज़ीमुश्शान अल्क़बात से याद किया जाता है। आप सरवरे दो आलमﷺ की बहुत ही महबूब ज़ौजए मुतह्हरा है। आप की हयात में रसूलुल्लाहﷺ ने किसी और से निकाह न फ़रमाया और आप को जन्नत में शोरो गुल से पाक महल की बशारत सुनाई गई।
*✍🏽फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा, 6*
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*फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा* #03
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*_नाम व नसब, कून्यत व अल्क़ाबात_*
     आपرضي الله تعالي عنها का नाम खदीजा, वालिद का नाम खुवैलिद और वालिदा का नाम फातिमा है।
     नसब के हवाले से आपرضي الله تعالي عنها को ये फ़ज़ीलत हासिल है की दीगर अज़्वाजे मुतह्हरात की निस्बत सब से कम वासितो से आप का नसब रसूले करीमﷺ के नसब से मिल जाता है।
     आपرضي الله تعالي عنها की कून्यत उम्मुल क़ासिम और उम्मे हिन्द है और आपرضي الله تعالي عنها के अल्क़ाबात बहुत है, जिन में से चन्द ये है।
     चुनांचे सब से मशहूर लक़ब "अल कुब्रा" है, ये आपرضي الله تعالي عنها के नाम के साथ इस कसरत से बोला जाता है कि गोया नाम ही का हिस्सामालूम होता है। एक मश्हूर लक़ब "ताहिरा" है कि ज़मानए जाहिलिय्यत में भी आपرضي الله تعالي عنها को ताहिरा कह कर पुकारा जाता थान नीज़ आपرضي الله تعالي عنها को "सय्यिदतुल कुरैश" भी कहा जाता था। इसी तरह "सिद्दीक़ा" भी आपرضي الله تعالي عنها का लक़ब है। रिवायत में है कि प्यारे आक़ाﷺ ने इरशाद फ़रमाया : ये मेरी उम्मत की सिद्दीक़ा है।

*✍🏽फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा, 7*
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*_फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा​_* #04
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*_अल्लाह का सलाम_*
     हज़रते खदीजतुल कुब्राرضي الله تعالي عنها की शान और अल्लाह के नज़दीक आप का मकामो मर्तबा किस क़दर अरफ़अ व आला है, इस का अंदाज़ा इस रिवायत से लगाइये।
     हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से मरवी है कि एक दफा हज़रते जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने रसूले अकरमﷺ की खिदमत में हाज़िर हो कर अर्ज़ की : या रसूलल्लाहﷺ ! ये खदीजा आ रही है, उन के पास बर्तन है जिसमे खाना है। जब वो आप के पास पहुचे तो उन्हें, उन के रब का और मेरा सलाम कहिये और जन्नत में खौल दार (यानी अंदर से खाली) मोती से बने हुए घर की बिशारत दीजिये, जिस में शोर है न कोई तकलीफ।
*✍🏽सहीह बुखारी, 2/565*

*_सलाम का जवाब_*
     हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها ने सलाम का जवाब देते हुवे कहा : अल्लाह सलाम है और हज़रते जिब्राईल और आप पर सलामती, अल्लाह की रहमते और बरकतें नाज़िल हो।

*_हज़रते ख़दीजा की शाने फ़क़ाहत_*
     इस रिवायत से हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها की दीनी मसाइल की मालूमात और इल्मी क़ाबिलिय्यत मालुम हुई क्यू की आपرضي الله تعالي عنها ने अल्लाह के सलाम के जवाब में इस तरह नही कहा : यानी उस पर सलामती हो। क्यू की आप ने अपनी बे मिसाल फहमो फिरासत से ये बात जान लि थी की अल्लाह के स्लाम का जवाब इस तरह नही दिया जाएगा, जेसे मख्लूक़ को दिया जाता है। सलाम तो अल्लाह के नामो में से एक नाम है नीज़ इन अलफ़ाज़ के ज़रिए मुखातब को सलामती की दुआ दी जाती है।
     चुनांचे, आपرضي الله تعالي عنها ने अल्लाह के सलाम के जवाब में अल्लाह की हम्दो सना बयान की, फिर जिब्राईल और फिर हुज़ूरﷺ की बारगाह में जवाब सलाम अर्ज़ किया। इस से मालुम हुवा की सलाम भेजने वाले के साथ साथ सलाम पहुचाने वाले को भी सलाम का जवाब देना चाहिए।
*फुतूह अलबारी, 8/117*
*फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा, 8*
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*फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा* #05
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*रसूले खुदा के साथ निकाह का सबब*
     हुज़ूरﷺ के साथ हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها के निकाह का एक सबब आप का सफर शाम था की जब हज़रते खदीजा ने अपने गुलाम मैसरह् की ज़बानी प्यारे आक़ाﷺ की पैग़म्बराना सिफ़ात सुनी और खुद भी फरिश्तों को आपﷺ पर साया किये देखा तो ये बाते आप के साथ निकाह करने में सगबत का बाईस बनी।
     नीज़ ये भी मरवी है की ख्वातीने कुरैश की एक ईद हुवा करती थी, जिसमे वो बैतुल्लाह शरीफ में जमा हुवा करती। एक दिन यदि सिलसिले में वो यहा जमा थी की मुल्के शाम का एक शख्स आया और उन्हें पुकार कर कहा : ऐ गिरोहे कुरैश की औरतो ! अं क़रीब तुम में एक नबी ज़ाहिर होगा जिसे अहमद कहा जाएगा, तुम में से जो औरत भी उन की ज़ौजा बनने का शरफ हासिल कर सकती हो, वो ऐसा ज़रूर करे। ये सुन कर औरतो ने उसे पथ्थर और कंकर मारे, बहुत बुरा भला कहा और निहायत सख्त कलामी की, लेकिन हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها ने खामिशी इख़्तियार फ़रमाई और इस बात को अपने जहन में महफूज़ कर लिया।
     इसके बाद जब मैसरह् ने आपرضي الله تعالي عنها को वो निशानिया बताई जो उन्हों ने देखि थी और खुद आपرضي الله تعالي عنها ने भी जो कुछ देखा था, इस की वजह से आप के ज़हन में ये ख्याल पैदा हुवा की अगर उस शख्स ने सच कहा था तो वो येही शख्सिय्यत हो सकते है।
*✍🏽फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा, 11*
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*फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा* #06
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*तक़रीबे निकाह*
     हुज़ूरﷺ के अख़लाक़ व आदात से मुतअस्सिर हो कर हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها ने अपनी सहेली (नफीसा बिन्ते मुन्या) को आपﷺ की रिज़ा मालुम करने के लिये भेजा, हुज़ूरﷺ की रिज़ा मालुम करने के बाद नफीसा हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها के पास आई और कहने लगी : मुबारक हो ! मुहम्मद मुस्तफाﷺ ने आप की दरख्वास्त क़बूल फरमा ली है। इस पर हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها बहुत खुश हुई और इज़हारे मज़र्रत किया। फिर किसी को अपने चचा अम्र बिन असद के पास भेजा की ब वक़्ते अक़्द वो भी मौजूद हो।
     इधर हुज़ूरﷺ भी अबू तालिब, हज़रते हम्ज़ा और बाज़ दीगर चाचाओं के साथ और हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़رضي الله تعالي عنهم और क़बिलए मूजर के दीगर रुअसा के साथ हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها के मकान पर तशरीफ़ लाए और निकाह फ़रमाया।
     निकाह की ये पुर सईद तक़रीब हुज़ूरﷺ के सफरे शाम से वापसी के दो माह 25 दिन बाद हुईं। और हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها ने रसूल के ज़ौजिय्यत में आ कर क़यामत तक के तमाम मोमिनीन की माँ यानी उम्मुल मोमिनीन होने का शरफ हासिल किया।
*✍🏽फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा, 12*
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*फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा* #07
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*_क़दम क़दम हुज़ूरﷺ के साथ_*
     उम्मुल मोमिनीन हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها बहुत मालदार खातुन थी, अगर आप चाहती तो खूब आराम और सुकून से अपनी ज़िन्दगी के अय्याम बसर कर सकती थी लेकिन आप ने अपने सरताजﷺ की खातिर शाहाना अंदाज़ को ठुकरा कर अपनी सारी ज़िन्दगी हुज़ूर पुर नूरﷺ की खिदमत और तकालिफ् और मुसीबते बर्दाश्त करते हुवे गुज़ार दी, जो आप की प्यारे आक़ाﷺ से महब्बत की वाजेह दलील है।
     चुनांचे जब सरकारे अली वक़ारﷺ ने अल्लाह के हुक्म से ऐलाने नुबुव्वत फ़रमाया और खल्के खुदा को सिर्फ एक माबुदे हक़ीक़ी की इबादत की तरफ बुलाया तो आपﷺ की दावते इस्लाम को क़बूल करने के बजाए आप पर मसाइबो आलाम के पहाड़ तोड़े गए, राह में काटे बिछाए गए। ऐसे नाजुक और कठिन मराहिल में जिन हस्तियों ने हक़ की पुकार पर लबैक कहते हुवे सब से पहले आपﷺ की दावत क़बूल करने की सआदत पाई उन में से एक नुमाया नाम हज़रते खदीजतुल कुब्राرضي الله تعالي عنها का है। आपرضي الله تعالي عنها परवानो की तरह आप पर निसार होती रही और हर मुश्किल में आपﷺ का साथ दिया।
     हज़रते अल्लामा मुहम्मद बिन इस्हाक़ मदनी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है की सय्यिदे आलम जब भी कुफ़्फ़ार की जानिब से अपनी दिल शिकनी वाली कोई ना पसंदीदा बात सुन कर गमगीन होते, उस के बाद हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها के पास तशरीफ़ लाते तो इन के ज़रिए अल्लाह आपﷺ की वो रंजो गम की केफिय्यत दूर फरमा देता।
*✍🏽फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा, 16*
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*_हज़रते खदीजा की सखावत_*
     हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها की एक बहुत आला सिफत ये भी थी की आप खुले हाथ और फराख दिल की मालिक थी और दिल खोल कर सखावत फ़रमाया करती थी।
     एक मर्तबा नबिय्ये करीमﷺ ने आइशाرضي الله تعالي عنها से फ़रमाया : अल्लाह की क़सम ! खदीजा से बेहतर मुझे कोई बीवी नही मिली, जब सब लोगो ने मेरे साथ कुफ़्र किया, उस वक़्त वो मुझ पर ईमान लाइ और जब सब लोग मुझे झुटला रहे थे, उस वक़्त उन्हों ने मेरी तस्दीक़ की और जिस वक़्त कोई शख्स मुझे कोई चीज़ देने के लिये तैयार न था, उस वक़्त खदीजा ने मुझे अपना सारा सामान दे दिया और उन्ही से अल्लाह ने मुझे औलाद अता फ़रमाई।

*_हज़रते हलीमा को तोहफा_*
     इसी तरह एक दफा रसूले अकरमﷺ की रज़ाई वालिदा हज़रते हलीमाرضي الله تعالي عنها मक्का शरीफ में आक़ाﷺ की बारगाह में हाज़िर हुई, क़हत साली और मवेशियों के हलाक होने की शिकायत की। उस वक़्त हुज़ूरﷺ की हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها से शादी हो चुकी थी, आपﷺ ने इस सिलसिले में हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها से बात की तो उन्हों ने हज़रते हलीमाرضي الله تعالي عنها को 40 बक़रीया और एक ऊंट तोहफ्तन पेश किये।

*सखावत के 3 फरमाने मुस्तफाﷺ*
     1) जन्नत सखियो का घर है।
     2) सखी अल्लाह से क़रीब है, जन्नत से क़रीब है, लोगो से क़रीब है, आग से दूर है और कंजूस अल्लाह से दूर है, जन्नत से दूर है, लोगो से दूर है, आग के क़रीब है और जाहिल सखी, अल्लाह के नज़दीक बखिल आलिम से बेहतर है।
     3) ऐ इंसान ! अगर तुम बचा माल खर्च कर दो तो तुम्हारे लिये अच्छा है और अगर उसे रोक रखो तो तुम्हारे लिये बुरा है और ब क़दरे ज़रूरत अपने पास रख लो तो तुम पर मलामत नही और देने में अपने अयाल से इब्तिदा करो और ऊपर वाला हाथ निचे वाले हाथ से बेहतर है।
*फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा, 20*
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