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Tuesday 31 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 35* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_दुन्या के लिये इल्म सीखना और इल्म छुपाना_* #01
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_अल्लाह से उस के बन्दों में वही डरते है जो इल्म वाले है।_
*✍🏼فاطر ٢٨*
_बेशक वो जो हमारी उतारी हुई रौशन बातों और हिदायत को छुपाते है बाद इस के कि लोगो के लिये हम उसे किताब में वाजेह फरमा चुके उन पर अल्लाह की लानत और लानत करने वालो की लानत।_
*✍🏼البقرة ١٧٤*
_और याद करो जब अल्लाह ने अहद लिया उन से जिन्हें किताब अता हुई कि तुम ज़रूर उसे लोगो से बयान कर देना और न छुपाना तो उन्हों ने उसे अपनी पीठ के पीछे फेक दिया।_
*✍🏼ال عمران ١٨٧*
*_हुसुले इल्म के मुतअल्लिक़ फरमाने मुस्तफा_*
     जिस शख्स ने रिज़ाए इलाही के लिये तलब किया जाने वाला इल्म फ़क़त दुन्यवी सामान हासिल करने के लिये सिखा वो बरोज़े क़यामत जन्नत की खुश्बू भी न सूंघ पाएगा।
*✍🏼ابو داود*
     इल्म इस लिये मत सीखो कि इस के ज़रीए तुम उलमा पर फख्र जताओ या जाहिलों से झगड़ो और न इस लिये इल्म सीखो कि इस के ज़रीए मजलिसों में मकामो मर्तबा हासिल करो और जो इस निय्यत से इल्म हासिल करेगा तो उस के लिये जहन्नम की आग है।
*✍🏼ابن ماجة*
बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 125

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*नमाज़े जनाज़ा का तरीक़ा* #09
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_जनाज़े को कन्धा देने का तरीक़ा_*
     जनाज़े को कन्धा देना इबादत है। सुन्नत ये है कि एक के बाद दूसरा ऐसे चारो पायो को कन्धा दे और हर बार *10-10 क़दम* चले। पूरी सुन्नत ये है कि पहले सीधे सिरहाने कन्धा दे फिर सीधे पाउ की तरफ, फिर उलटे सिरहाने फिर उलटे पाउ और *10-10 क़दम* चले तो कुल 40 क़दम हुए।
*✍🏼आलमगिरी 1/162*
*✍🏼बहारे शरीअत 1/822*
     बाज़ लोग जनाज़े के जुलुस में ऐलान करते रहते है, *दो दो क़दम चलो !* उनको चाहिये की इस तरह ऐलान करे *10-10 क़दम चलो*

*_बच्चे का जनाज़ा उठाने का तरीक़ा_*
     छोटे बच्चे के जनाज़े को अगर एक शख्स हाथ पर उठा कर ले चले तो हरज नही और एक बे बाद दूसरा हाथ पर लेते रहे।
*✍🏼आलमगिरी 1/162*
     औरतो को जनाज़े के साथ जाना ना जाइज़ व ममनुअ है।
*✍🏼नमाज़ के अहकाम 278*

मुकम्मल...
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*83 आसान नेकियां* #63
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_यतीम के सर पर शफ़क़त से हाथ फेरना_*
     यतीमों पर रहमत व शफ़क़त और उस के साथ हुस्ने सुलूक करना बेहद अज़्रो षवाब का बाईष है हत्ता कि उन के सर पर शफ़क़त व महब्बत से हाथ फेरने का भी षवाब मिलता है, लिहाज़ा अगर कोई मानेऐ शरई न हो तो किसी यतीम के सर पर शफ़क़त से हाथ फेरिये कि हाथ के निचे जितने बाल आएँगे हर बाल के इवज़ एक एक नेकी मिलेगी।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो अल्लाह की रिज़ा के लिये किसी यतीम के सर पर हाथ फेरेगा तो जिस जिस बाल पर से उस का हाथ गुज़रेगा इस के इवज़ हाथ फेरने वाले के लिये नेकियां लिखी जाएंगी और जो अपने ज़ेरे किफालत यतीम के साथ अच्छा सुलूक करेगा में और वो जन्नत में इस तरह होंगे। फिर आप ने अपनी शहादत और बिच वाली उँगलियों को जुदा कर दिया।
*✍🏼आसान नेकियां* 154

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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Monday 30 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 34*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_खियानत करना_*
     किसी का हक़ मारना खियानत कहलाता है। ख्वाह अपना हक़ मारे या अल्लाह व रसूल का या इस्लाम का या किसी बन्दे का।
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_ऐ ईमान वालो अल्लाह व रसूल से दगा न करो और न अपनी अमानतों में दानिस्ता खियानत।_
*✍🏼الانفال ٢٧*
_और अल्लाह दगाबाज़ो का मक्र नहीं चलने देता।_
*✍🏼يوسف ٥٢*
_और अगर तुम किसी क़ौम से दगा का अन्देशा करो तो उन का अहद उन की तरफ फेक दो बराबरी पर बेशक दगा (अहद शिकन) वाले अल्लाह को पसन्द नहीं।_
*✍🏼الانفال ٥٨*
*_खियानत के मुतअल्लिक़ फरमाने मुस्तफा_*
     जिस को अमानत का पास नहीं उस का कोई ईमान नहीं और जिसे अहद का लिहाज़ नहीं उस का कोई दीन नहीं।
*✍🏼ابن حبان*
     मुनाफ़िक़ की तीन निशानियां है : (1) जब बात करे तो झूट बोले (2) जब वादा करे तो पूरा न करे (3) जब उस के पास अमानत रखवाई जाए तो खियानत करे।
*✍🏼مسلم*
     खियानत जिस शै के बारे में भी की जाए बुरी है और बाज़ खियानतें बाज़ के मुकाबले में ज़्यादा बुरी होती है। जो शख्स रुपे पैसे के मुआमले में खियानत करे वो उस शख्स की तरह नहीं जो किसी के अहलो इयाल के बारे में खियानत और कई बड़े गुनाहों का इर्तिकाब करे।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 123

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*नमाज़े जनाज़ा का तरीका* #08
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_जनाज़े की पूरी जमाअत न मिले तो ?_*
     मस्बुक़ (यानी जिसकी बाज़ तकबीर फौत हो गई वो) अपनि बाक़ी तकबिरे इमाम के सलाम फेरने के बाद कहे और अगर ये अंदेशा हो कि दुआ वगैरा पढ़ेगा तो पूरी करने से क़ब्ल लोग जनाज़े को कंधे तक उठा लेंगे तो सिर्फ तकबिरे कहले दुआ वगैरा छोड़ दे।
     चौथी तकबीर के बाद जो शख्स आया तो जब तक इमाम ने सलाम नही फेरा, शामिल हो जाए और इमाम के सलाम के बाद 3 बार "अल्लाहु अकबर" कहे। फिर सलाम फेर दे।
*✍🏽दुर्रेमुखतार 3/136*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 276*

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*83 आसान नेकियां* #62
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_अदा करने की निय्यत से क़र्ज़ लेना_*
     हज़रते अब्दुल्लाह बिन जाफर رضي الله عنه से रिवायत है कि हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : अल्लाह क़र्ज़ की अदाएगी तक क़र्ज़ लेने वाले के साथ होता है जब तक वो अल्लाह की नाफ़रमानी न करे।
     हज़रते अब्दुल्लाह बिन जाफ़र رضي الله عنه अपने ख़ाज़िन से फ़रमाया करते : जाओ मेरे लिये क़र्ज़ ले कर आओ क्यूकीं जब से में ने रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم से ये हदिष सुनी है में पसन्द करता हु की में इस हल में रात गुजारूं कि अल्लाह मेरे साथ हो।
*✍🏼سنن ابن ماجة*
*✍🏼आसान नेकियां* 151

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Sunday 29 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 33*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_रियाकारी_*
     रियाकारी का तअल्लुक़ निफ़ाक़ से है। अल्लाह मुनाफिक़ीन के बारे में फ़रमाता है :
_लोगो को दिखावा करते है और अल्लाह को याद नही करते मगर थोडा।_
*✍🏼النساء ١٤٢*
_उस की तरह जो अपना माल लोगो के दिखावे के लिये खर्च करे।_
*✍🏼البقرة ٢٦٤*
*_रियाकारी में मुतअल्लिक़ फरमाने मुस्तफा_*
     बरोज़े क़यामत लोगो में सब से पहले फैसला एक ऐसे शख्स के बारे में होगा जो शहीद हुवा होगा उसे लाया जाएगा, अल्लाह उसे अपनी नेमते याद दिलाएगा और वो उन नेमतों का इक़रार करेगा फिर अल्लाह उस से फ़रमाएगा : इन नेमतों के बदले में तूने क्या अमल किया ? वो अर्ज़ करेगा : में ने तेरी राह में जिहाद किया हत्ता कि मुझे शहीद कर दिया गया। अल्लाह इर्शाद फ़रमाएगा : रु झुटा है तूने जिहाद इस लिये किया कि तुझे बहादुर कहा जाए और वो कह लिया गया। फिर उस के बारे में हुक्म दिया जाएगा तो उसे चेहरे के बल घसीट कर जहन्नम में डाल दिया जाएगा।
     और दुसरा वो शख्स होगा जिस ने इल्म सीखा और सिखाया होगा नीज़ क़ुरआन पढ़ा होगा उसे लाया जाएगा, अल्लाह उसे अपनी नेमतें याद दिलाएगा। वो उन नेमतों का इक़रार करेगा फिर अल्लाह उस से फ़रमाएगा : इन नेमतों के बदले में तूने क्या अमल किये ? अर्ज़ करेगा : में ने इल्म सीखा और सिखाया और तेरी रिज़ा के लिये क़ुरआन पढ़ा। अल्लाह इर्शाद फ़रमाएगा : तू झुटा है बल्कि तूने इल्म इस लिये सीखा कि तुझे आलिम कहा जाए और तूने क़ुरआन इस लिये पढ़ा कि तुझे क़ारी कहा जाए और वो कह लिया गया। फिर उस के बारे में हुक्म दिया जाएगा तो उसे चेहरे के बल घसीट कर जहन्नम में डाल दिया जाएगा।
     तीसरा शख्स वो होगा जिसे अल्लाह ने बहुत वुसअत और कसीर माल अता फ़रमाया होगा उसे लाया जाएगा, अल्लाह उसे अपनी नेमतें याद दिलाएगा और वो उन नेमतों का इक़रार करेगा फिर अल्लाह उस से फ़रमाएगा : इन नेमतों के बदले में तूने क्या किया ? वो अर्ज़ करेगा : में ने ऐसा कोई मौक़ा नही छोड़ा जिस में खर्च करना तुझे पसन्द हो और में ने तेरी रिज़ा के लिये खर्च न किया हो। अल्लाह फ़रमाएगा : तू झुटा है और तूने ये काम इस लिये किया ताकि तुझे सखी कहा जाए और वो कह लिया गया, फिर उस के बारे में हुक्म दिया जाएगा तो उसे भी चेहरे के बल घसीट कर जहन्नम में डाल दिया जाएगा।
*✍🏼مسلم*
     थोड़ी सी रियाकारी भी शिर्क है।
*✍🏼مستدرك حاكم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 121

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*नमाज़े जनाज़ा का तरीका* #07
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_जूते पर खड़े हो कर जनाज़ा पढ़ना_*
     जूता पहन कर अगर नमाज़े जनाज़ा पढ़े तो जूते और ज़मीन दोनों का पाक होना ज़रूरी है और जूता उतार कर उस पर खड़े हो कर पढ़े तो जूते के तले और जमीन का पाक होना ज़रूरी है।
     आला हज़रत अलैरहमा एक सुवाल के जवाब में इरशाद फ़रमाता है : अगर वो जगह पेशाब वगैर से नापाक थी या जिन के जूतो के तले नापाक थे और इस हालत में जूता पहने हुए नमाज़ पढ़ी उन की नमाज़ न हुई, एहतियात यही है कि जूता उतार कर उस पर पाउ रख कर नमाज़ पढ़ी जाए कि ज़मीन या तला अगर नापाक हो तो नमाज़ में खलल न आए।
*✍🏽फतावा रज़विय्या 9/188*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 275*

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*83 आसान नेकियां* #61
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*क़र्ज़ देना*
     आम तौर पर हम क़र्ज़ का लेन देन करते ही रहते है लेकिन बहुत कम इस्लामी भाइयों को मालुम होगा कि क़र्ज़ देना भी कारे षवाब है।

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : मेराज की रात में ने जन्नत के दरवाज़े पर लिखा देखा कि सदके का षवाब दस गुना है और क़र्ज़ का अठ्ठारा (18) गुना।
*✍🏼سنن ابن ماجة*
*✍🏼आसान नेकियां* 150

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Saturday 28 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 32*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_नाजाइज़ टेक्स वसूल करना_*
     नाजाइज़ टेक्स वसूल करने वाला अल्लाह के इस फरमान के तहत दाखिल है :
_मुवाखज़ तो उन्ही पर है जो लोगों पर ज़ुल्म करते है और ज़मीन में नाहक़ सर्कशी फैलाते है उन के लिये दर्दनाक अज़ाब है।_
*✍🏼الشورى ٤٢*
     रसूले अकरम صلى الله عليه وسلم ने एक ज़ानीया के बारे में जिस ने अपने आप को रज्म करवा कर पाक किया था, फ़रमाया : बेशक उस ने ऐसी तौबा कर ले अगर नाजाइज़ टेक्स वसूल करने वाला भी इस तरह की तौबा कर ले तो उस की भी मगफिरत हो जाए और उस की तौबा भी क़बूल कर ली जाए।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 118

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*नमाज़े जनाज़ा का तरीका* #06
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     मुक्तदि इस तरह निय्यत करे : में निय्यत करता हु इस जनाज़े की नमाज़ की वासिते अल्लाह के, दुआ इस मय्यित के लिये, पीछे इस इमाम के,
     अब इमाम व मुक़्तदि पहले कानो तक हाथ उठाए और "अल्लाहु अकबर" कहते हुए फौरन हस्बे मामूल नाफ के निचे बांध ले और सना पढ़े। इसमें وَتَعَالٰى جَدُّكَ के बाद
 وَجَلَّ ثَنَآءُكَ وَلَااِلٰهَ غَيْرُك पढ़े,
     फिर बगैर हाथ उठाए " अल्लाहु अकबर" कहे और "दुरुद इब्राहिम" पढ़े,
     फिर बगैर हाथ उठाए " अल्लाहु अकबर" कहे दुआ पढ़े
     दुआ के बाद फिर "अल्लाहु अकबर" कहे और हाथ लटका दे फिर दोनों तरफ सलाम फेर दे।
     सलाम में मय्यित और फरिश्तों और हाज़िरीने नमाज़ की निय्यत करे, उसी तरह जेसे और नमाज़ों के सलाम में निय्यत की जाती है,
     यानी इतनी बाद ज्यादा है कि मय्यित की भी निय्यत करे।
*✍🏽बहारे शरीअत 1/829*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 273*

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Friday 27 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 31*
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*_पेशाब से न बचना_*
     पेशाब से न बचना ये ईसाईयों की निशानी है। अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और अपने कपडे पाक रखो।_
*✍🏼المدثر ٤*

*_पेशाब से न बचने के मुतअल्लिक़ फरमाने मुस्तफा_*
     रसूले पाक صلى الله عليه وسلم का गुज़र दो क़ब्रो के पास से हुवा, तो इर्शाद फ़रमाया : ये दोनों अज़ाब दिये जा रहे है और किसी बड़ी चीज़ में अज़ाब नहीं दिये जा रहे। इन में एक अपने पेशाब से नही बचा करता था और दूसरा चुगली खाता था।
*✍🏼بخارى*
     पेशाब से बचो, आम तौर पर अज़ाबे क़ब्र इस के सबब होता है।
*✍🏼دارقطنى*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 117

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*नमाज़े जनाज़ा का तरीका* #05
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*_नमाज़े जनाज़ा फर्ज़े किफ़ाया है_*
     नमाज़े जनाज़ा फर्ज़े किफ़ाया है यानी कोई एक भी अदा करले तो सब बरीय्यूज़्ज़िम्मा हो गए वरना जिन जिन को खबर पहुची थी और नहीं आए वो सब गुनाहगार होंगे। इस के लिये जमाअत शर्त नही एक शख्स भी पढ़ ले तो फ़र्ज़ अदा हो गया। इसी फरज़िय्यत का इन्कार कुफ़्र है।
*✍🏽बहारे शरीअत 1/825*

*_नमाज़े जनाज़ा में दो रुक्न और तिन सुन्नत है_*
     दो रुक्न ये है (1) चार बार "अल्लाहु अकबर" कहना (2) क़याम।
*दुर्रेमुखतार 3/124*
     इसमें तिन सुन्नते मुअक्कदा ये है (1) सना (2) दुरुद शरीफ (3) मय्यित के लिये दुआ।
*✍🏽बहारे शरीअत 1/829*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 272*

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*83 आसान नेकियां* #60
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*सुवाल न करना*
     दूसरों से सुवाल करना मुरव्वत के खिलाफ है, सुवाल से बचिये और जन्नत की ज़मानत के हक़दार बनिये।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो मुझे इस बात की ज़मानत दे कि किसी से सुवाल न करेगा तो में उसे जन्नत की ज़मानत देता हूँ। हज़रते षौबान رضي الله عنه फ़रमाते है कि में ने अर्ज़ की : में ज़मानत देता हूँ। लिहाज़ा आप رضي الله عنه किसी से कुछ न माँगा करते थे। एक रिवायत में यहाँ तक आया है कि अगर हज़रते षौबान घोड़े पर सुवार होते और आप का कोड़ा निचे गिर जाता तो किसी से उठाने के लिये न कहते बल्कि घोड़े से निचे उतर कर खुद हो कोड़ा उठाते थे।
*✍🏼سنن ابن ماجة*

*_मुझे प्यास लगी है_*
     मन्कुल है कि मुफ्तिये आज़मे हिन्द मौलाना मुस्तफा रज़ा खान عليه رحما को जब प्यास लगती तो फरमाते : मुझे प्यास लगी है। खिदमत गार मुआमला समझ कर आप की बारगाह में पानी हाज़िर कर देते और यूँ आप को सुवाल भी न करना पड़ता।
*✍🏼आसान नेकियां* 150

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Thursday 26 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 30*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_मुर्दार, खून और सूअर का गोश्त खाना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_तुम फ़रमाओ में नही पाता उस में जो मेरी तरफ वही हुई किसी खाने वाले पर कोई खाना हराम मगर ये कि मुर्दार हो या रागों का बहता खून या बद जानवर का गोश्त वो नफासत है।_
*✍🏼الانعام ١٤٥*
     जो शख्स बिला ज़रूरते शरई जान बुझ कर खिन्ज़िर का गोश्त खाए वो ज़रूर मुजरिम है और मुझे ये गुमान नहीं कि कोई मुसलमान जान बुझ कर खिन्ज़िर का गोश्त खा सकता है। बसा औक़ात ये फेल जंगलों और पहाड़ो में रहने वाले बे दीन करते है जो दीने इस्लाम से खारिज है। मुसलमानों के दिलों में ये बात जा गुजीं है कि खिन्ज़िर का गोश्त खाने का गुनाह, शराब पीने से भी बड़ा है।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो गोश्त हराम से नशवो नुमा पाएगा वो जन्नत में दाखिल नहीं होगा, आग उस की ज़्यादा हक़दार है।
*✍🏼مستدرك حاكم*
     मुसलमानो का इस बात पर इजमाअ है कि नर्द (चौसर) खेलना हराम है। क़ाइलिने हुरमत की ये एक दलील तुम्हे काफी है कि हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : जिस ने नर्द खेला तो गोया उस ने अपना हाथ खिन्ज़िर के गोश्त और खून में रंग लिया।
*✍🏼مسلم*
     यक़ीनन मुसलमान का खिन्ज़िर के गोश्त और खून में हाथ आलूदा करना नर्द खेलने से कहीं बड़ा गुनाह है तो खिन्ज़िर का गोश्त खाने इस का खून पीने की हुरमत के बारे में क्या ख्याल है ? अल्लाह अपने फज़्लो करम से हमे इस से बचाए रखे।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 115

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*नमाज़े जनाज़ा का तरीका* #04
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_जनाज़ा देख कर पढ़ने का विर्द_*
     हज़रते मालिक बिन अनसرضي الله تعالي عنه को बादे वफ़ात किसी ने ख्वाब में देख कर पूछा : अल्लाह ने आप के साथ क्या सुलूक किया ? कहा : एक कलिमे की वजह से बख्श दिया जो हज़रते उष्मानرضي الله تعالي عنه जनाज़े को देख कर कहा करते थे।
سُبْحٰنَ الْحَيِّ الَّذِيْ لَايَمُوْت
सुब्हान-ल हय्यिल-लज़ी ला-यमुत
_तर्जमा_
वो ज़ात पाक है जो ज़िन्दा है उसे कभी मौत नही आएगी।
     लिहाज़ा में भी जनाज़ा देख कर यही कहा करता था ये कलिमा कहने के सबब अल्लाह ने मुझे बख्श दिया।
*✍🏼अहयाउल उलूम 5/266*

*हुज़ूरﷺ ने सबसे पहला जनाज़ा किस का पढ़ा ?*
     नमाज़े जनाज़ा की इब्तिदा हज़रते आदम अलैहिस्सलाम के दौर से हुई है, फरिश्तों ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के जनाज़ए मुबारक पर 4 तकबीर पढ़ी थी।
     इस्लाम में वुजूबे नमाज़े जनाज़ा का हुक्म मदीना में नाज़िल हुवा। हज़रते असअद बिन ज़ुरराहرضي الله تعالي عنه का विसाले मुबारक हिज़रत के बाद 9वे महीने के आखिर में हुवा और ये पहले सहाबी की मैयित थी जिस पर नबीﷺ ने नमाज़े जनाज़ा पढ़ी।
*✍🏽फतावा रज़विय्या 5/375*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 272*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*83 आसान नेकियां* # 59
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*अहले खाना पर खर्च करना*
     इस दुन्या में हर कोई अपने घर वालों के लिये कमाता और इन पर खर्च करता है, लेकिन इस मुआशी दौड़ धुप में ज़्यादा तर क़ल्बी जज़्बात कार फरमा होते है कि मेरे माँ बाप, बीवी बच्चों और भाई बहनों को खुशहाली मिले इन्हें भूक प्यास और तंगदस्ती का सामान न करना पड़े, लेकिन ये बहुत कम इस्लामी भाइयों का मामूल होगा की अगर अल्लाह की रिज़ा के लिये अपने घर वालों पर खर्च किया जाए तो इसका षवाब है, महज़ निय्यत दुरुस्त कर लेने की सूरत में आसानी से षवाब कमाया जा सकता है।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जब कोई शख्स षवाब की निय्यत से अपने अहले खाना पर खर्च करता है तो वो उस के लिये सदक़ा होता है।

*_चादर ज़ौजा को देना भी सदक़ा_*
     हज़रते अम्र बिन उमय्या رضي الله عنه कहते है कि हज़रते उष्मान बिन अफ्फान या अब्दुर्रहमान बिन औफ एक ऊनी चादर को खरीदने के लिये भाव तै कर रहे थे कि मेरा वहां से गुज़र हुवा और में ने वो चादर खरीद कर अपनी बीवी सुखैला बिन्ते उबैदा رضي الله عنها को ओढ़ा दी। जब हज़रते उष्मान या अब्दुर्रहमान رضي الله عنهما का वहां से गुज़र हुवा तो उन्हों ने पूछा : तुमने जो चादर खरीदी थी उस का क्या हुवा ? में ने कहा उस में ने अपनी बीवी पर सदक़ा कर दिया है। तो उन्हों ने पूछा जो कुछ तुम अपने घर वालो पर खर्च करते हो क्या वो सदक़ा है ? में ने जवाब दिया : में ने हुज़ूर صلى الله عليه وسلم को इसी तरह फ़रमाते हुवे सुना है। जब मेरी ये बात हुज़ूर صلى الله عليه وسلم के सामने ज़िक्र की गई तो फ़रमाया : अम्र ने सच कहा है तुम जो कुछ अपने घर वालों पर खर्च करते हो वो उन पर सदक़ा ही है।
*✍🏼الترغيب والترهيب*
*✍🏼आसान नेकियां* 148

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Wednesday 25 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 28*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_मर्दों का जनानी और औरतों का मर्दानी वज़अ अपनाना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और वो जो बड़े बड़े गुनाहों और बे हयाईयों से बचते है।_
*✍🏼الشورى ٣٧*

*_लानत के मुस्तहिक़ मर्द व औरत_*
     हज़रते इब्ने अब्बास رضي الله عنه इर्शाद फ़रमाते है कि हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने ज़नानी वज़अ बनाने वाले मर्दों और मर्दानी वज़अ इख़्तियार करने वाली औरतों पर लानत फ़रमाई है।
*✍🏼بخارى*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो मर्द औरतों का लिबास पहने और वो औरत जो मर्दों का लिबास पहने उन पर लानत है।
*✍🏼ابوداود*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 111

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*नमाज़े जनाज़ा का तरीका* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_नमाज़े जनाज़ा बाइसे इब्रत है_*
     हज़रते अबू ज़रرضي الله تعالي عنه गिफारि का इरशाद है, मुझसे हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : क़ब्रो की ज़ियारत करो ताकि आख़िरत की याद आए और मुर्दे को नहलाओ की फानी जिस्म का छूना बहुत बड़ी नसीहत है और नमाज़े जनाज़ा पढ़ो ताकि ये तुम्हे गमगीन करे क्यू की गमगीन इंसान अल्लाह के साए में होता है और नेकी का काम करता है।
*✍🏽अल मुस्तदरक लिलहकिम 1/711*

*_मैय्यत को नहलाने वगैरा की फ़ज़ीलत_*
     हज़रते अली मुर्तजा शेरे खुदाرضي الله تعالي عنه से रिवायत है के हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया कि जो किसी मैयित को नहलाए, कफ़न पहनाए, खुशबु लगाए, जनाज़ा उठाए, नमाज़ पढ़े और जो नाक़ीस बात नज़र आए उसे छुपाए वो अपने गुनाहो से ऐसा पाक हो जाता है जैसा जिस दिन माँ के पेट से पैदा हुवा था।
*✍🏽इब्ने माजह 2/201*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 271*

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*83 आसान नेकियां* #58
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*छुप कर सदक़ा देना*
     सदक़ा व खैरात की कषरत नेकियों में इज़ाफ़े, गुनाहों के इज़ाले और अज़ाबे दोज़ख से बचने का मुअश्शिर ज़रीआ है। ये सब फ़ज़ाइल व फ़वाइद अपनी जगह मगर छुपा कर सदक़ा देने का षवाब ज़्यादा है, इस लिये अगर अलानिय्या सदक़ा व खैरात करने में दूसरों को तरगिब् देने जेसी कोई मसलेहत न हो तो रियाकारी से बचने की अच्छी अच्छी निय्यतो के साथ छुपा कर सदक़ा दीजिये और इस बिशारत के हक़दार बनिये।
     एक बार हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने उन सात अफ़राद का तज़किरा फ़रमाया जिन्हें अल्लाह अपने अर्श के साए में उस दिन जगह देगा जिस दिन अल्लाह के अर्श के साए के इलावा कोई साया न होगा, इन में से एक शख्स वो होगा जो इस तरह छुपा कर सदक़ा दे कि उस के दाए हाथ ने जो सदक़ा दिया बाएं हाथ को इस का पता न चले।
*✍🏼صحيح البخاري*
*✍🏼आसान नेकियां* 146

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Tuesday 24 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 27*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_दय्यूसी_*
(जो लोग बा वुजूदे कुदरत अपनी औरतों और महारिम को बे पर्दगी से मना न करें वो "दय्यूसी" है।)

     हज़रते इब्ने उमर رضي الله عنه से रिवायत है कि हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : तीन शख्स जन्नत में दाखिल न होंगे : (1) वालिदैन का ना फरमान (2) दय्यूसी (3) मर्दाना वज़अ बनाने वाली औरत।
*✍🏼مسندرك حاكم*

     जिस शख्स को अपनी बीवी के फहाशि में मुब्तला होने का (ग़ालिब) गुमान हो फिर भी वो अपनी महब्बत की वजह से उस से गफलत बरते तो ऐसा शख्स अगर्चे गुनाहगार है लेकिन इस का गुनाह उस शख्स से कम है जो खुद अपनी बीवी को फहाशि के लिये पेश करता हो। जिस में गैरत नही उस में कुछ भलाई नहीं।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 110

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*नमाज़े जनाज़ा का तरीका* #02
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

*_जनाज़े का साथ देने का सवाब_*
     हज़रते दावूद अलैहिस्सलाम ने बारगाहे खुदा वन्दी में अर्ज़ की : या अल्लाह ! जिसने महज़ तेरी रिज़ा के लिये जनाज़े का साथ दिया, उसकी जज़ा क्या है ?
अल्लाह ने फ़रमाया : जिस दिन वो मरेगा तो फ़रिश्ते उसके जनाज़े के हमराह चलेंगे और में उसकी मग़फ़िरत करूँगा।
*✍🏽शुरहु स्सुदुर 97*

*_उहुद पहाड़ जितना सवाब_*
     हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जो शख्स (ईमान का तक़ाज़ा समझ कर और हुसूले सवाब की निय्यत से) अपने घर से जनाज़े के साथ चले, नमाज़े जनाज़ा पढ़े ओर दफ़्न होने तक जनाज़े के साथ रहे उसके लिये दो क़ीरात सवाब है जिस में से हर क़ीरात उहुद पहाड़ के बराबर है।
     और जो शख्स सिर्फ जनाज़े की नमाज़ पढ़ कर वापस आ जाए उसके लिये एक क़ीरात सवाब है।
*✍🏽मुस्लिम 472*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 270*

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*रिश्तेदार पर सदक़ा करना*
     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : रिश्तेदार पर किये जाने वाले सदके का षवाब दोगुना कर दिया जाता है।
*✍🏼المعجم الكبير*
*_तंगदस्त का बक़दरे ताक़त सदक़ा करना_*
     आम तौर पर यही समझा जाता है कि सदक़ा व खैरात वही करे जिस के पास बहुत सारा माल हो, हालाकिं तंगदस्त मुसलमान भी अपनी हैशिय्यत के मुताबिक़ सदक़ा करने का षवाब कमा सकता है बल्कि ये अफ़्ज़ल है।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : तंगदस्त का बक़दरे ताक़त सदक़ा देना और वो सदक़ा जो फ़क़ीर को पोशीदा तौर पर दिया जाए।
*✍🏼سنن ابن داود*
*_अंगूर का दाना सदक़ा किया_*
     हज़रते आइशा सिद्दिक़ा رضي الله عنها से खाने का सुवाल किया। आप के सामने कुछ अंगूर रखे हुवे थे, आप ने किसी से फ़रमाया इस में से एक दाना उठा कर उसे दे दो। उसे इस पर बड़ा तअज्जूब हुवा लेकिन आप رضي الله عنها ने फ़रमाया तुम हैरान क्यू हो रहे हो ये तो देखो कि इस दाने में कितने ज़र्रात है।
*✍🏼आसान नेकियां* 146

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Monday 23 October 2017

*नमाज़े जनाज़ा का तरीका* #01
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

*_क़ब्र में पहला तोहफा_*
     हुज़ूरﷺ से किसी ने पूछा मोमिन जब क़ब्र में दाखिल होता है तो उसको सब से पहला तोहफा क्या दिया जाता है ? तो इरशाद फ़रमाया : उस की नमाज़े जनाज़ा पढ़ने वालो की मगफिरत कर दी जाती है।
*✍🏽शोएबुल ईमान 7/8*

*_जन्नती का जनाज़ा_*
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जब कोई जन्नती शख्स फौत हो जाता है, तो अल्लाह हया फ़रमाता है कि उन लोगो को अज़ाब दे जो उस का जनाज़ा ले कर चले और जो इसके पीछे चले और जिन्होंने इसकी नमाज़े जनाज़ा अदा की।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 269-270*

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Sunday 22 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 26*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_क़ुरआनो सुन्नत के खिलाफ फैसला करना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और जो अल्लाह के उतारे पर हुक्म न करे वही लोग ज़ालिम है।_
*✍🏼الماىٔدة ٤٥*

*_फरमाने मुस्तफा_*
     अल्लाह उस हाकिम की नमाज़ क़बूल नहीं फ़रमाता जो अल्लाह के उतारे हुवे के खिलाफ फैसला करे।
*✍🏼مسندرك حاكم*
     जो शख्स भी इस उम्मत के किसी काम पर मुक़र्रर हो फिर वो उन में इन्साफ से काम न ले तो अल्लाह उसे औंधा कर के जहन्नम में डाल देगा।
*✍🏼مستدرك حاكم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 107

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*क़ज़ा नमाज़ का तरीका* #14
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

*_क्या मगरिब का वक़्त थोडा सा होता है ?_*
     मगरिब की नमाज़ का वक़्त गुरुबे आफताब से इब्तदाए वक़्ते ईशा तक होता है। ये वक़्त मक़ामात और तारीख के ऐतिबार से घटता व बढ़ता रहता है।
     फुक़हाए किराम फरमाते है : रोज़े अब्र (यानी जिसदिन बादल छाए हो) उस वक़्त के सिवा मगरिब में हमेशा जल्दी करना मुस्तहब है और दो रकाअत से ज़ाइद कि ताखीर मकरुहे तन्ज़िहि और अगर बगैर उज़्र सफर व मरज़ वगैरा इतनी ताखीर की, कि सितारे गुथ गए तो मकरुहे तहरिमि।
*✍🏽बहारे शरीअत 1/453*

आला हज़रत अलैरहमा फरमाते है : मगरिब का वक़्ते मुस्तहब जब तक है कि सितारे खूब ज़ाहिर न हो जाए, इतनी देर  करनी कि (बड़े बड़े सितारे के इलावा) छोटे छोटे सितारे भी चमक आए मकरूह है।
*✍🏽फतावा रज़विय्या 5/153*

*_तरावीह की क़ज़ा का क्या हुक्म है ?_*
     जब तरावीह छूट जाए तो उस की क़ज़ा नही, न जमाअत से न तन्हा और अगर कोई क़ज़ा पढ़ भी लेता है तो ये नफ्ल हो जाएगी, तरावीह से इनका तअल्लुक़ नही।
*✍🏽तनविरुल अबसार व दुर्रेमुखतार 2/598*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 255*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Saturday 21 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 25*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_ख़ुदकुशी करना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और अपनी जाने क़त्ल न करो बेशक अल्लाह तुम पर मेहरबान है और जो ज़ुल्मो ज़ियादती से ऐसा करेगा तो अन क़रीब हम उसे आग में दाखिल करेंगे और ये अल्लाह को आसान है अगर बचते रहो कबीरा गुनाहों से जिन की तुम्हें मुमानअत है तो तुम्हारे और गुनाह हम बख्श देंगे और तुम्हें इज़्ज़त की जगह दाखिल करेंगे।_
*✍🏼النساء ٢٩ تا ٣١*
_और वो जो अल्लाह के साथ किसी दूसरे मअबूद को नहीं पूजते और उस जान को जिस की अल्लाह ने हुरमत रखी नाहक़ नहीं मरते।_
*✍🏼الفرقان ٦٨*

*_ख़ुदकुशी की मज़्ज़्मत में फरमाने मुस्तफा_*
     जो खुद को किसी लोहे (के हथियार) से क़त्ल करे तो वो उस के हाथ में होगा वो जहन्नम की आग में उसे अपने पेट में घोंपता रहेगा और हमेशा जहन्नम में रहेगा।
     जिस ने ज़हर पि कर खुद को मार डाला तो उस का ज़हर उस के हाथ में होगा, वो जहन्नम की आग में उसे पिता रहेगा और हमेशा जहन्नम में रहेगा।
     जिसने आपने आप को पहाड़ से गिरा कर हलाक कर लिया, वो जहन्नम की आग में (बुलन्दी से) गिरता रहेगा और वो जहन्नम में हमेशा रहेगा।
*✍🏼مسلم*
     मोमिन को लानत करना उस को क़त्ल करने की तरह है और जो जिस चीज़ के ज़रीए ख़ुदकुशी करेगा अल्लाह बरोज़े क़यामत उसे उसी चीज़ के ज़रीए अज़ाब देगा।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 105

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Friday 20 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 24* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_झूट बोलना_* #02
*झूट की मज़्ज़्मत में फरमाने मुस्तफा*

*_झुटा ख्वाब बयान करने पर वईद_*
     जिसने वो ख्वाब बयान किया जो देखा नहीं था तो उसे बरोज़े क़यामत, इस बात की तकलीफ दी जाएगी कि वो जव के दो दानों के दरमियान गिरह लगाए और वो हरगिज़ ऐसा न कर सकेगा।
*✍🏼بخارى*
     बिलाशुबा बदतरीन झूट ये है कि आदमी अपनी आँखों को वो दिखलाए जो उन्हों ने नहीं देखा।
*✍🏼بخارى*
     आदमी के गुनाहगार होने के लिये यही काफी है कि वो हर सुनी सुनाई बात को बयान कर दे।
*✍🏼مسلم*
     न दी हुई चीज़ का ज़ाहिर करने वाला दो झुटे कपड़े पहनने वाले की तरह है।
*✍🏼مسلم*
(यानी कोई शख्स अमानत या आरियत के आला कपड़े पहन कर फिरे लोग समझें कि इस के कपड़े है फिर बाद में हाल खुलने में बदनामी भी हो गुनाह भी, ऐसे ये भी है जेसे कोई फासिक़ो फाजिर मुत्तक़ी का लिबास पहन कर सूफी बना फिरे फिर हाल खुलने पर रुस्वा हो।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्* 5/14
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 103

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*क़ज़ा नमाज़ का तरीका* 13
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

*_ज़ोहर की 4 सुन्नते रह जाए तो क्या करे?_*
     अगर ज़ोहर के फ़र्ज़ पहले पढ़ लिये तो दो रकाअत सुन्नत अदा करने के बाद चार रकाअत सुनत अदा कीजिये उसके बाद दो नफ्ल अदा किजोये।

*_फज्र की सुन्नते रह जाए तो क्या करे ?_*
     सुन्नते पढ़ने से अगर फज्र की जमाअत छूट जाने का अंदेशा हो तो बगैर पढ़े शामिल हो जाए। मग़र सलाम फेरने के बाद पढ़ना जाइज़ नही।
     तुलुए आफताब के कम अज़ कम 20 मिनट बाद से ले कर ज़हवए कुब्रा तक पढ़ले कि मुस्तहब है। ईसके बाद मुस्तहब भी नही।
*✍🏽नमाज़ के हकाम 254*

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Thursday 19 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 24* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_झूट बोलना_* #01
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_बेशक अल्लाह राह नहीं देता उसे जो हद से बढ़ने वाला झुटा हो।_
*✍🏼المؤمن ٢٨*
_फिर मुबाहला करें तो झूटों पर अल्लाह की लानत डालें।_
*✍🏼ال عمران ٦١*

*_झूट की मज़म्मत में फरमाने मुस्तफा_*
     बेशक झूट फिसको फुजुर की तरफ ले जाता है और बेशक फिसको फुजुर जहन्नम तक ले जाता है और एक शख्स झूट बोलता रहता है हत्ता कि वो अल्लाह क्र नज़दीक कज़्ज़ाब (बहुत बड़ा झुटा) लिख दिया जाता है।
*✍🏼مسلم*

*_मुनाफ़िक़ की निशानियां_*
     मुनाफ़िक़ की तीन निशानियां है (1) जब बात करे तो झूट बोले (2) जब वादा करे तो पूरा न करे (3) जब उस के पास अमानत रखवाई जाए तो खियानत करे।
*✍🏼مسلم*
     जिस में चार खसलते हो वो पक्का मुनाफ़िक़ है और जिस में इन में से एक खसलत हो उस में निफ़ाक़ की एक खसलत है हत्ता कि वो इसे छोड़ दे : (1) जब उस के पास अमानत रखवाई जाए तो खयानत करे (2) जब बात करे तो झूट बोले (3) जब वादा करे तो पूरा न करे (4) जब झगडे तो गाली दे।
*✍🏼بخارى*

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 100

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*क़ज़ा नमाज़ का तरीका* #13
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

*_फ़ज्र व असर के बाद नवाफ़िल नही पढ़ सकते_*
     नमाज़े फ़ज्र और असर के बाद वो तमाम नवाफ़िल अदा करना मकरुहे तहरिमि है, अगर्चे फ़ज्र व असर की सुन्नते ही क्यू न हो।
*✍🏽दुर्रेमुखतार 2/44*

     क़ज़ा के लिये कोई वक़्त मुअय्यन नही उम्र में जब भी पढ़ेगा बरियूज़्ज़िम्मा हो जाएगा। मगर तुलुअ व गुरुब और ज़वाल के वक़्त नमाज़ नहीं पढ़ सकता कि इन वक़्तों में नमाज़ जाइज़ नही।
*✍🏽बहारे शरीअत 1/702*
*✍🏽आलमगिरी 1/52*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 254*

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Wednesday 18 October 2017

*क़ज़ा नमाज़ का तरीका* #11
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

*_क़ज़ा का लफ्ज़ कहना भूल गया तो?_*
     आला हज़रत फरमाते है : हमारे उलमा तसरिह फरमाते है : क़ज़ा ब निययते अदा और अदा ब निययते क़ज़ा दोनों सहीह है।
*✍🏽फतावा रज़विय्या 8/161*

*_क़ज़ा नमाज़े नवाफ़िल की अदाएगी से बेहतर_*
     क़ज़ा नमाज़े नवाफ़िल की अदाएगी से बेहतर और अहम है मगर सुन्नते मुअक्क्दा, नमाज़े चाश्त, स्लातुत्तस्बीह और वो नमाज़े जिन के बारे में अहादीस मरवी है यानी जेसे तहिय्यतुल मस्जिद असर से पहले की चार रकअत (सुन्नते गैर मुअक्कदा) और मगरिब के बाद 6 रकअत पढ़ी जाएगी।
*✍🏼रद्दुलमोहतार 2/646*
     याद रहे क़ज़ा नमाज़ के बिना पर सुन्नते मुअक्कदा छोड़ना जाइज़ नहीं, अलबत्ता सुन्नते गैर मुअक्कदा और अहादिसो में वारिद शुदा मखसुस नवाफ़िल पढ़े तो षवाब का हक़दार है मगर इन्हें न पड़ने पर कोई गुनाह नही।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 253*

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Tuesday 17 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 23*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_झूटी क़सम खाना_*

*_नाजाइज़ क़समों की मज़म्मत में फरमाने मुस्तफा_*
     एक शख्स ने कहा : खुदा की क़सम ! अल्लाह फूलां शख्स की मगफिरत नहीं फ़रमाएगा तो अल्लाह ने इर्शाद फ़रमाया ये कौन है जो मुझ पर क़सम खा रहा है कि में फुला की मगफिरत नहीं करूँगा। बेशक में ने उस की मगफिरत कर दी और इस के अमल को अकारत कर दिया है।
*✍🏼مسلم*
     3 लोगों से अल्लाह क़यामत के दिन कलाम फ़रमाएगा न उन्हें पाक करेगा और उन के लिये दर्दनाक अज़ाब है : (1) तकब्बुर से अपना तहबन्द लटकाने वाला (2) एहसान जताने वाला (3) झूटी क़सम खा कर सौदा बेचने वाला।
*✍🏼مسلم*

*_गैरुल्लाह की क़सम_*
     जिसने अल्लाह के इलावा किसी की क़सम खाई बिलाशुबा उस ने कुफ़्र किया।
*✍🏼ترمذى*
     जिसने इस लिये क़सम खाई कि इस के ज़रीए किसी मुसलमान का माल हासिल कर ले वो अल्लाह से इस हाल में मिलेगा कि अल्लाह उस पर गज़बनाक होगा। अर्ज़ की गई : अगर्चे वो मामूली चीज़ हो ? फ़रमाया : अगर्चे वो पीलू की मिस्वाक हो।
*✍🏼مسلم*
     असर के बाद झूटी क़सम खाने और रसूलल्लाह صلى الله عليه وسلم के मिम्बर शरीफ के पास झूटी क़सम खाने का गुनाह ज़्यादा सख्त है। ये बात ब तरीके सहीह मन्क़ुल है।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 97

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*क़ज़ा नमाज़ का तरीका* #10
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_जमानए इर्तिदाद की नमाज़े_*
     जो शख्स मआजअल्लाह मुर्तद हो गया फिर इस्लाम लाया तो जमानए इर्तिदाद की नमाज़ की क़ज़ा नही और मुर्तद होने से पहले जमानए इस्लाम में जो नमाज़े जाती रही थी उनकी क़ज़ा वाजिब है।
*✍🏽रद्दुलमोहतार 2/647*

*_मरीज़ को नमाज़ कब मुआफ़ है?_*
     ऐसा मरीज़ कि इशारे से भी नमाज़ नही पढ़ सकता अगर ये हालत पुरे 6 वक़्त तक रही तो इस हालत में जो नमाज़े हुई उनकी क़ज़ा वाजिब नही।
*✍🏽आलमगिरी 1/121*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 252*

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Monday 16 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 22*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_डाका डालना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_वो की अल्लाह और उस के रसूल से लड़ते और मुल्क में फसाद करते फिरते है उन का बदला येही है कि गिन गिन कर क़त्ल किये जाएं या सूली दिये जाएं या उन के एक तरफ के हाथ और दूसरी तरफ के पाऊं काटे जाएं या ज़मीन से दूर कर दिये जाएं ये दुन्या में उन की रुसवाई है और आख़िरत में उन के लिये बड़ा अज़ाब।_
*✍🏼الماىٔدة ٣٣*
     जब मुसाफिरों को फ़क़त ख़ौफ़ज़दा करने वाला भी शरीअत की नज़र में कबीरा गुनाह का मूर्तक़िब है तो जब वो लोगों का माल भी छीन ले तो कैसा सख्त मुआमला होगा ! और अगर वो लोगों को ज़ख़्मी कर दे या क़त्ल कर दे तो कैसा संगीन मुआमला होगा ! और वो मुतअद्दिद गुनाहों का मूर्तक़िब क़रार पाएगा। इस फेल के करने के साथ साथ उन लोगों का नमाज़ों को छोड़ देने और डाके के माल को शराब नोशी और ज़िनाकारी में खर्च करने वगैरा का आदी होने का गुनाह मज़ीद बरआं है।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 95

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*क़ज़ा नमाज़ का तरीका* #09
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_क़ज़ाए उम्री का तरीका_*
     क़ज़ा हर रोज़ की 20 रकअत होती है।
2 फ़र्ज़ फ़ज्र की, 4 ज़ोहर की, 4 असर की, 3 मगरिब की, 4 ईशा की और 3 वित्र।
निय्यत इस तरह कीजिये
*सबसे पहली फ़ज्र जो मुझ से क़ज़ा हुई उसको अदा करता हु* हर नमाज़ में इसी तरह नियत कीजिये।

*_नमाज़े क़सर की क़ज़ा_*
     अगर हालते सफर की क़ज़ा नमाज़ हालते इक़ामत में पढ़ेंगे तो क़सर ही पढ़ेंगे और हालते इक़ामत की क़ज़ा हालते सफर में पढ़ेंगे तो पूरी पढ़ेंगे।
*✍🏽आलमगिरी 1/121*
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*83 आसान नेकियां* #55
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*तंगदस्त क़र्ज़दार को मोहलत देना या उस के क़र्ज़ में कुछ कमी करना* #01
     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم मस्जिद में तशरीफ़ लाए तो ज़मीन की तरफ इशारा करते हुवे फरमा रहे थे, जिस ने तंग दस्त को मोहलत दी या उस के क़र्ज़ में कमी की अल्लाह उसे जहन्नम की गर्मी से बचाएगा।
*✍🏼مجمع الزوائد*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिसने तंगदस्त को मोहलत दी या उसका क़र्ज़ में कमी की अल्लाह उसे क़यामत के दिन अपने अर्श के साए में जगह देगा जिस दिन उस साए के इलावा कोई साया न होगा।
*✍🏼ترمذى*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिसे ये पसन्द हो कि अल्लाह उसे क़यामत की बे चेनियों से नजात दिलाए तो उसे चाहिये कि वो किसी तंग दस्त की मुश्किल आसान कर दे या उस के क़र्ज़े में रिआयात कर दे।
*✍🏼صحيح مسلم*
बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼आसान नेकियां* 142

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Sunday 15 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 21*
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*_चोरी करना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और जो मर्द या औरत चोर हो तो उन का हाथ काटो उन के किये का बदला अल्लाह की तरफ से सज़ा और अल्लाह ग़ालिब हिक़मत वाला है।_
*✍🏼الماىٔدة ٣٨*

*_चोरी की मज़म्मत में फरमाने मुस्तफा_*
     अल्लाह चोर पर लानत फरमाए जो रस्सी चुराता है तो उस का हाथ काट दिया जाता है।
*✍🏼مسلم*
     अगर मुहम्मद صلى الله عليه وسلم की बेटी फातिमा चोरी करती तो में ज़रूर उस का भी हाथ काट देता।
*✍🏼مسلم*
     ज़ानी ज़िना करते वक़्त मोमिन नहीं होता और चोर चोरी करते वक़्त मोमिन नहीं होता लेकिन इन अफआल के बा वुजूद तौबा की गुन्जाइश बाक़ी रहती है।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 94

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*क़ज़ा नमाज़ का तरीका* #08
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

*_जल्द से जल्द क़ज़ा पढ़ लीजिये_*
     जिसके ज़िम्मे क़ज़ा नमाज़े हो उन का जल्द से जल्द पढ़ना वाजिब है मगर बाल बच्चों की परवरिश और अपनी जरूरियात की फराहमी के सबब ताखीर जाइज़ है। लिहाज़ा कारोबार भी करता रहे और फुर्सत का जो वक़्त मिले उसमे क़ज़ा पढता रहे यहाँ तक कि पूरी हो जाए।
*✍🏽दुर्रेमुखतार 2/646*

*_छुप कर क़ज़ा पढ़िये_*
     क़ज़ा नमाज़े छुप कर पढ़िये लोगो पर इस का इज़हार न कीजिये की गुनाह का इज़हार भी मकरुहे तहरिमि व गुनाह है।
*✍🏽रद्दुल मोहतार 2/650*
     लिहाज़ा अगर लोगो की मौजूदगी में वित्र क़ज़ा पढ़े तो तकबिरे क़ुनूत के लिये हाथ न उठाए।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 250*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*83 आसान नेकियां* #54
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_ताज़िय्यत करना_*
     जब किसी का बच्चा बीमार हो जाए, कोई बे रोज़गार या क़र्ज़दार हो जाए, हादषे का शिकार हो जाए, चोर या डाकू माल ले कर फरार हो जाए, कारोबार में नुक़्सान से हमकिनार हो जाए कोई चीज़ गम हो जाने के सबब बे क़रार हो जाए, अल गर्ज़ किसी तरह की भी परेशानी से दो चार हो जाए उस की दिलजुइ करना, उसे तसल्ली देना बहुत बड़े षवाब का काम है।

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो किसी ग़मज़दा शख्स से ताज़िय्यत करेगा अल्लाह उसे तक़्वा का लिबास पहनाएगा और रूहों के दरमियान उस की रूह पर रहमत फ़रमाएगा और जो किसी मुसीबत ज़दा से ताज़िय्यत करेगा अल्लाह उसे जन्नत के जोड़ो में से दो जोड़े पहनाएगा जिन की क़ीमत (सारी) दुन्या भी नहीं हो सकती।
*✍🏼المعجم الاوسط*
*✍🏼आसान नेकियां* 138

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Saturday 14 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 20* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_नाजाइज़ व बातिल तरीके से लोगों का माल ले कर ज़ुल्म करना_* #02

*_सब से बड़ा ज़ुल्म_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिस शख्स ने क़सम की वजह से किसी मुसलमान शख्स का हक़ मार लिया तो बिलाशुबा अल्लाह के उस के लिये जहन्नम को वाजिब कर दिया। अर्ज़ की गई : या रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم ! अगर्चे वो मामूली चीज़ हो ? इर्शाद फ़रमाया : अगर्चे वो पीलू की मिस्वाक ही हो।
*✍🏼مسلم*
     जिसे हमने किसी काम पर मुक़र्रर किया फिर उस ने हम से सुई या उस से बढ़ कर कोई चीज़ छुपाई तो ये खयानत है, वो उस चीज़ को बरोज़े क़यामत ले कर आएगा।
*✍🏼مسلم*

*_क़र्ज़ मुआफ़ न होगा_*
     एक शख्स ने बारगाहे रिसालत में अर्ज़ की : या रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم ! अगर में सब्र करते हुवे षवाब की उम्मीद से पीछे हटते नहीं बल्कि आगे बढ़ते हुवे मारा जाऊं तो क्या ये अमल मेरी खताओं को मिटा देगा ? इर्शाद फ़रमाया : हा क़र्ज़ के सिवा।
*✍🏼مسلم*

*_हराम से पलने वाला जिस्म जहन्नमी है_*
     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : जो गोश्त हराम से नशवो नुमा पाएगा वो जन्नत में दाखिल नहीं होगा, आग उस की ज़्यादा हक़दार है।
*✍🏼مستدرك حاكم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 92

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*क़ज़ा नमाज़ का तरीका* #07
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

*_अदा, क़ज़ा और वाजीबुल इआदा की तारीफ़_*
     जिस चीज़ का बन्दों को हुक्म है उसे वक़्त में बजा लाने को अदा कहते है और वक़्त खत्म होने के बाद अमल में लाना क़ज़ा है और अगर उस हुक्म के बाज लाने में कोई खराबी पैदा हो जाए तो उस खराबी को दूर करने के लिये वो अमल दोबारा बजा लाना इआदा कहलाता है।
     वक़्त के अंदर अंदर अगर तहरिमा बांध ली तो नमाज़ क़ज़ा न हुई बल्कि अदा है।
*✍🏼दुर्रे मुख़्तार 2/627*

    नमाज़े फ़ज्र, जुमुआ और इदैन में वक़्त के अंदर सलाम फिरना लाज़िम है वरना नमाज़ न होगी
*✍🏽बहारे शरीअत 1/701*

     बिला उज़्रे शरई नमाज़ क़ज़ा कर देना सख्त गुनाह है, इस पर फ़र्ज़ है कि उसकी क़ज़ा पढ़े और सच्चे दिल से तौबा भी करे, तौबा या हज्जे मक़बूल से इन्शा अल्लाह ताखीर का गुनाह मुआफ़ हो जाएगा
*✍🏽दुर्रे मुख्तार 2/626*
     तौबा उसी वक़्त सहीह है जब कि क़ज़ा पढ़ ले उसको अदा किये बगैर तौबा किये जाना तौबा नही कि जो नमाज़ इस के ज़िम्मे थी उसको पढ़ना तो अब भी बाक़ी है और जब गुनाह से बाज़ न आया तो तौबा कहा हुई ?
*✍🏽रद्दल मोहतार 2/627*

     हज़रते इब्ने अब्बास رضي الله تعالي عنه से मरवी है, हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फ़रमाया : गुनाह पर क़ाइम रह कर तौबा करने वाला उस की मिस्ल है जो अपने रब से ठठा यानी मज़ाक करता है।
*✍🏽शोएबुल ईमान 5/436*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 246*

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Friday 13 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 20* #01

*_नाजाइज़ व बातिल तरीके से लोगों का माल ले कर ज़ुल्म करना_* #01
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और आपस में एक दूसरे का माल नाहक़ न खाओ और न हाकिमों के पास उन का मुक़दमा इस लिये पहुँचाओ कि लोगों का कुछ माल नाजाइज़ तौर पर खा लो जान बुझ कर।_
*✍🏼البقرة ١٨٨*
_मुवखज़ा तो उन्हीं पर है जो लोगों पर ज़ुल्म करते है और ज़मीन में नाहक सरकशी फैलाते है उन के लिये दर्दनाक अज़ाब है।_
*✍🏼الشورى ٤٢*
_और ज़ालिमों का न कोई दोस्त न मददगार।_
*✍🏼الشورى ٨*

*_ज़ुल्मन लोगों के माल लेने के मुतअल्लिक़ फरमाने मुस्तफा_*
     ज़ुल्म क़यामत के दिन अंधेरियों की सूरत में होगा।
*✍🏼مسلم*
     जो ज़ुल्मन किसी की एक बालिश्त भर ज़मीन ले लेगा उसे बरोज़े क़यामत सात ज़मीनों का तौक़ पहनाया जाएगा।
*✍🏼مسلم*
     एक दफ्तर ऐसा है अल्लाह उस में से कुछ भी मुआफ़ नहीं फ़रमाएगा और वो दफ्तर लोगों पर ज़ुल्म करने के मुआमलात पर मुश्तमिल है।
*✍🏼مسند احمد*
     मालदार शख्स का (हुक़ूक़ की अदाएगी में) टाल मटोल से काम लेना ज़ुल्म है।
*✍🏼مسلم*

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 90

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*क़ज़ा नमाज़ का तरीका* #07
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الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

*_रात के आखरी हिस्से में सोना केसा ?_*
     नमाज़ का वक़्त दाखिल हो जाने के बाद सो गया फिर वक़्त निकल गया और नमाज़ क़ज़ा हो गई तो गुनाहगार हुवा जब की जागने पर सहीह ऐतिमाद या जगाने वाला मौजूद न हो, बल्कि फ़ज्र में दुखुले वक़्त से पहले भी सोने की इजाज़त नही हो सकती जब की अक्सर हिस्सा रात का जागने में गुज़रा और ज़न्ने ग़ालिब है कि अब सो गया तो वक़्त में आँख न खुलेगी।
*✍🏽बहारे शरीअत 1/701*

*_रात देर तक जागना_*
     नात ख्वानी, ज़िक्रो फ़िक्र की महफ़िलो नीज़ सुन्नतो भव इज्तेमाअ वगैरा में रात देर तक जागने के बाद सोने के सबब अगर नमाज़े फ़ज्र क़ज़ा होने का अंदेशा हो तो ब निययते एतिकाफ मस्जिद में क़याम करे या वहा सीए जहा कोई क़ाबिले एतिमाद इस्लामी भाई जगाने वाला मौजूद हो। या अलार्म लगाले इससे आँख खुल जाती हो।
     फ़ुक़हाए किराम फरमाते है : जब ये अंदेशा हो की नमाज़ जाती रहेगी तो बिला ज़रूरते शरईय्या उसे रात देर तक जागना ममनुअ है।
*✍🏽रद्दलमुहतार 2/33*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 245*

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*83 आसान नेकियां* #53
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*_एतिकाफ करना_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिस शख्स ने ईमान के साथ षवाब हासिल करने की निय्यत से एतिकाफ किया उस के तमाम पिछले गुनाह बख्श दिये जाएंगे।
*✍🏼جامع صغير*
     मस्जिद में अल्लाह की रिज़ा के लिये ब निय्यते एतिकाफ ठहरने को एतिकाफ कहते है। इस की 3 किस्मे है :
     (1) *ऐतिकाफे वाजिब* : एतिकाफ की मन्नत मानी यानी ज़बान से कहा : में अल्लाह के लिये फुला दिन या इतने दिन का एतिकाफ करूँगा तो अब जितने भी दिन का कहा है उतने दिन एतिकाफ करना वाजिब हो गया।
     (2) *ऐतिकाफे सुन्नत* : रमज़ान के आखरी अशरे का एतिकाफ सुन्नते मुअक्कदा अलल किफ़ाया है।
     (3) *ऐतिकाफे नफ्ल* : नज़्र और सुन्नते मुअक्कदा के इलावा जो एतिकाफ किया जाए वो मुस्तहब व सुन्नते गैर मुअक्कदा है।

     नफ्लि एतिकाफ करना निस्बतन आसान है क्यू की इस के लिये न रोज़ा शर्त है न कोई वक़्त की क़ैद, ये चन्द लम्हात के लिये भी किया जा सकता है, लिहाज़ा जब भी मस्जिद में दाखिल हो एतिकाफ की निय्यत कर लीजिये। *मेने सुन्नत एतिकाफ की निय्यत की।* जब तक मस्जिद में रहेंगे कुछ पढ़ें या न पढ़ें एतिकाफ का षवाब मिलता रहेगा। जब मस्जिद से बाहर निकलेगा एतिकाफ खत्म हो जाएगा।
*✍🏼आसान नेकियां* 137

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Thursday 12 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 19*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_माले गनीमत बैतूल माल और ज़कात के माल में खियानत करना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और किसी नबी पर ये गुमान नहीं हो सकता कि वो कुछ छुपा रखे और जो छुपा रखे वो क़यामत के दिन अपनी छुपाई चीज़ ले कर आएगा।_
*✍🏼ال عمران ١٦١*

*_ज़ुल्म की अक़्साम_*
     ज़ुल्म की तीन किस्मे है : (1) बातिल तरीके से लोगों का माल खा लेना। (2) लोगों को क़त्ल, मार पिट, हड्डियां तोड़ कर और ज़ख़्मी कर के उन पर ज़ुल्म करना। (3) लोगों को गालियां दे कर, लान तान, बुरा भला कह कर और ज़िना की तोहमत लगा कर उन पर ज़ुल्म ढाना।
     रसूले पाक صلى الله عليه وسلم ने मिना में ख़ुत्बा देते हुवे इर्शाद फ़रमाया : बिलाशुबा तुम्हारे खून, तुम्हारे अमवाल और तुम्हारी इज़्ज़ते तुम (में एक दूसरे) पर ऐसे हराम है जेसे आज के दिन की तुम्हारे इस महीने और तुम्हारे इस शहर की हुरमत है।
*✍🏼بجارى*
     अल्लाह बगैर तहारत के नमाज़ क़बूल नहीं फ़रमाता और खियानत के माल से सदक़ा क़बूल नहीं करता।
*✍🏼مسلم*
     हज़रते ज़ैद बिन खालिद जुहनी رضي الله عنه बयान करते है : एक शख्स ने ग्ज़वऐ खैबर में खियानत की थी, हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने उस की नमाज़े जनाज़ा नहीं पढ़ी और फ़रमाया : तुम्हारे साथी ने राहे खुदा में खियानत की है। ये खबर सुन कर हम ने उस के सामान की तलाशी ली तो उस में एक मोती पाया जिस की क़ीमत दो दिरहम के बराबर थी।
*✍🏼أبو داود*
     इमाम अहमद बिन हम्बल عليه رحما फ़रमाते है : हम नहीं जानते कि खाइन और ख़ुदकुशी करने वाले के इलावा आप صلى الله عليه وسلم ने किसी शख्स की नमाज़े जनाज़ा पढ़ना तर्क की हो।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 88

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Wednesday 11 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 18*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_पाक दामन औरतों पर ज़िना की तोहमत लगाना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_बेशक वो जो ऐब लगाते है अन्जाम पारसा ईमान वालियों को उन पर लानत है दुन्या और आख़िरत में और उन के लिये बड़ा अज़ाब है।_
*✍🏼النور ٢٣*
_और जो पारसा औरतों को ऐब लगाएं फिर चार गवाह मुआईने के न लाएं तो उन्हें 80 कोड़े लगाओ।_
*✍🏼النور ٤*

*_तोहमते ज़िना की मज़म्मत में फरमाने मुस्तफा_*
     सात हलाक करने वाले गुनाहों से बचो। ये कह कर आप صلى الله عليه وسلم ने इन में भोली भाली पाक दामन मुसलमान औरतों पर ज़िना की तोहमत लगाने का भी ज़िक्र फ़रमाया।
*✍🏼مسلم*
     मुसलमान वो है जिस की ज़बान और हाथ से दूसरे मुसलमान महफूज़ रहें।
*✍🏼مسلم*
     जिस ने अपनी गुलाम या लौंडी पर ज़िना की तोहमत लगाई अगर वो हक़ीक़त में ऐसा न हो जैसा उस ने कहा तो बरोज़े क़यामत उसे हद्दे क़ज़फ् लगाई जाएगी।
*✍🏼مسلم*
     जो बदबख्त हज़रते आइशा सिद्दिक़ा رضي الله عنه की आसमान से बराअत नाज़िल हो जाने के बाद भी आप पर (معاذ الله) तोहमते ज़िना लगाए वो पक्का काफ़िर और क़ुरआन को झुटलाने वाला है। ऐसे शख्स को क़त्ल किया जाएगा।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 83

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*क़ज़ा नमाज़ का तरीका* #05
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الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

*_अगर नमाज़ पढ़ना भूल जाए तो..?_*
     हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फ़रमाया : जो नमाज़ से सो जाए या भूल जाए तो जब याद आए पढ़ ले कि वोही उसका वक़्त है।
*✍🏼मुस्लिम 346*

     हुक़हाए किराम फरमाते है : सोते में या भूले से नमाज़ क़ज़ा हो गई तो उसकी क़ज़ा पढ़नी फ़र्ज़ है अलबत्ता क़ज़ा का गुनाह उस पर नही मगर बेदार होने और याद आने पर अगर वक़्ते मकरूह न हो तो उसी वक़्त पढ़ ले ताखीर मकरूह है।
*✍🏼बहारे शरीअत 1/701*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम 243*

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Tuesday 10 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 17*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_लिवातत_*
     अल्लाह ने क़ुरआन में कई मक़ामात पर हज़रते लूत عليه السلام की क़ौम का किस्सा हमारे लिये बयान फ़रमाया है कि अल्लाह ने उन्हें उन के नापाक फेल के सबब हलाक फरमा दिया। मुसलमानों और दीगर तमाम मिल्ल्तो का इस पर इत्तिफ़ाक़ है की मर्दों के साथ बद फेली करना बहुत बुरा फेल है। अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_क्या मख्लूक़ में मर्दों से बद फेली करते हो और छोड़ते हो वो जो तुम्हारे लिये तुम्हारे रब ने जो रुए (बीवियां) बनाई बल्कि तुम लोग हद से बढ़ने वाले हो।_
*✍🏼الشعراء ١٦٥، ١٦٦*
     लिवातत ज़िना से कही ज़्यादा बढ़ कर बे हयाई और बुराई का काम है।

*_लिवातत की मज़म्मत में फरमाने मुस्तफा_*
     बद फेली करने और करवाने वाले दोनों को क़त्ल कर दो।
*ابوداود*
     जो क़ौम लूत का सा अमल करे उस पर अल्लाह की लानत है।
*✍🏼ترمذى*
   
*_लिवातत की सज़ा_*
     हज़रते इब्ने अब्बास رضي الله عنه फ़रमाते है : लिवातत की सज़ा ये है कि ऐसे शख्स को शहर की सब से बुलन्द इमारत से गिरा कर फिर उस पर पथ्थर बरसाए जाए।
*✍🏼مصنف إبن أبي شيبة*
     औरतो का आपस में शर्मगाहे मिलाना उन का बाहमी ज़िना है।

     इमाम शाफ़ेई عليه رحما का मज़हब ये है कि ज़िना और लिवातत दोनों की हद यकसाँ है। उम्मते मुस्लिमा का इस पर इज्माअ है कि जो शख्स अपने गुलाम के साथ ये फेले बद करे वो लूती और सख्त गुनाहगार है।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 80

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*तर्जमाए कन्जुल ईमान व तफ़सीर खजाईनुल इरफ़ान, हिन्दी*

पारह 1 से 5 का PDF link 👇🏽
https://www.dropbox.com/sh/4l66frtuixnfct5/AACEYJ56KZsVOBSmeWOElVS1a?dl=0

आप इस तफ़सीर को आसानी से समजना चाहते है तो पहले एक रूकू इस ऑडिओ का सुने फिर एक रूकू पढ़े, ان شاء الله समझने में आसानी होगी।

ऑडियो इस 👇🏽लिंक से डाऊनलोड करे
https://www.dropbox.com/sh/4jv6o6l4173pcm3/AAAO5UrQIjCQ401IsWMz5RyAa?dl=0

दुआए खैर का तालिब
جزاك الله خيرا

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*क़ज़ा नमाज़ का तरीका* #04
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

*हज़ारो बरस के अज़ाब का हक़दार*
     मौलाना शाह इमाम अहमद रज़ा खान अलैरहमा फरमाते है : जिसने कसदन एक वक़्त की नमाज़ छोड़ी हज़ारो बरस जहन्नम में रहने का मुस्तहिक़ हुवा, जब तक तौबा न करे और उस की क़ज़ा न कर ले, मुसलमान अगर उसकी ज़िन्दगी में उसे यक-लख्त छोड़ दे उससे बात न करे, उसके पास न बेठे, तो ज़रूर वो इस का सज़ावार है।
अल्लाह तआला फ़रमाता है :
_और जो कही तुझे शैतान भुलावे तो याद आए पर जालिमो के पास न बेठे।_
*✍🏼पारह 7*
*✍🏽फतावा रज़विय्या 9/158*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 242*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*83 आसान नेकियां* #52
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_झगड़े से बचना_*
     लड़ाई झगड़ा अच्छी बात नहीं, इस से बचने वाले को अज़ीम बशारत से नवाज़ा गया है।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो हक़ पर होने के बा वुजूद झगड़ा नहीं करता में उस के लिये अतराफे जन्नत में घर का ज़ामिन हु।
*✍🏼سنن ابن داود*
     मुसलमान के लिये ज़रूरी है कि उस की ज़ात से किसी मुसलमान को किसी तरह की भी नाहक़ तकलीफ न पहुंचे, न उस का माल लुटे, न इज़्ज़त खराब करे, न उसे झाडे न उसे मारे नीज़ मुसलमानों को आपस में झगड़ने से क्या वासिता ! ये तो एक दूसरे के मुहाफ़िज़ होते है।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : (कामिल) मुसलमान वो है जिस की ज़बान और हाथ से किसी मुसलमान को तकलीफ न पहुंचे।
*✍🏼صحيح بخارى*
     इस हदिष के तहत मुफ़्ती अहमद यार खान عليه رحما फ़रमाते कि कामिल मुसलमान वो है जो लुग्वी ऐतिबार से और शरअन भी हर तरह मुसलमान हो। और वो मोमिन है जो किसी मुसलमान की गीबत न करे, गाली, ताना, चुगली वगैरा न करे, किसी को न मारे पिटे, न उस के खिलाफ कुछ तहरीर करे।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 1/29*
*✍🏼आसान नेकियां* 136

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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Monday 9 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 16*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_झूटी गवाही देना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_तो दूर हो बुतों की गन्दगी से और बचो झूटी बात से।_
*✍🏼الحج ٣٠*

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : क़यामत के दिन झूटी गवाही देने वाले के क़दम अपनी जगह से हट भी न पाएंगे कि उस के लिये जहन्नम वाजिब हो जाएगी।
*✍🏼إبن ماجه*

*_झूटी गवाही के सबब गुनाहों का इर्तिकाब_*
     *पहला गुनाह* : झूट और बोहतान है जिस की मज़म्मत में अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_बेशक अल्लाह राह नहीं देता उसे जो हद से बढ़ने वाला बड़ा झुटा हो।_
*✍🏼المؤمن ٢٨*
     हदिष में है : मोमिन की फितरत में खियानत और झूट के सुवा हर खसलत हो सकती है।
*✍🏼مسند احمد*

     *दूसरा गुनाह* : झूटी गवाही देने वाला जिस के खिलाफ गवाही देता उस पर ज़ुल्म करता है हत्ता कि उस की झूटी गवाही की वजह से उस का माल, इज़्ज़त और जान सब कुछ चला जाता है।

     *तीसरा गुनाह* : जिसके हक़ में झूटी गवाही देता है उस पर भी ज़ुल्म करता है कि उस गवाही के ज़रीए उस तक माले हराम पहुचता है और वो उस गवाही के ज़रीए उसे लेता है तो उस के लिये जहन्नम वाजिब हो जाता है।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिस के लिये में उस के भाई के माल में से कुछ फैसला कर दू हालांकि वो हक़ पर न हो तो उस को चाहिये कि उस को न ले क्यू की उस के लिये आग का एक टुकड़ा काटा गया है।
*✍🏼مسلم*

     *चौथा गुनाह* : झुटे गवाह ने उस माल, खून और इज़्ज़त को जाइज़ ठहरा लिया जिसे अल्लाह ने हुरमत व इस्मत अता की थी।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : हर मुसलमान पर दूसरे मुसलमान का माल, खून और इज़्ज़त हराम है।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 78

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*कज़ा नमाज़ का तरीका* #03
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*सर कुचल ने की सज़ा*
     हुज़ूर ﷺ ने सहाबए किराम से फ़रमाया : आज रात दो शख्स (यानी जिब्राइल अलैहिस्सलाम और मीकाइल अलैहिस्सलमा) मेरे पास आए और मुझे अर्ज़े मुक़द्दसा में ले आए। में ने देखा कि एक शख्स लेता है और उस के सिरहाने एक शख्स पथ्थर उठाए खड़ा है और पै दर पै पथ्थर से उसका सर कुचल रहा है, हर बार कुचलने के बाद सर ठीक हो जाता है। मेने फरिश्तों से कहा : ये कौन है ? उन्होंने अर्ज़ की : आगे तशरीफ़ ले चलिये (मज़ीद मनाज़िर दिखाने के बाद) फिरिश्तो ने अर्ज़ की, की : पहला शख्स जो आप ने देखा ये वो था जिस ने क़ुरआन पढ़ा फिर उसको छोड़ दिया था और फ़र्ज़ नमाज़ों के वक़्त सो जाता था इस के साथ ये बर्ताव क़यामत तक होगा।
*✍🏽बुखारी 1-4/425-468*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 241*

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Sunday 8 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 15* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_तकब्बुर करना, फख्र करना, शेखी मारना और खुद पसन्दी में मुब्तला होना_* #03

*बदतरीन मुतकब्बिर*
     बदतरीन मुतकब्बिर वो है जो अपने इल्म के सबब लोगों पर तकब्बुर करे और इल्मी फ़ज़ीलत के सबब अपने आप को दिल में बड़ा जाने। बिलाशुबा ऐसे शख्स को उस का इल्म नफा नहीं देता और जो शख्स आख़िरत के लिये इल्म हासिल करता है तो उस का इल्म उस की सफसकुशि करता है, उस के दिल को इन्किसारी करने वाला और नफ़्स को आजिज़ी करने वाला बना देता है। ऐसा शख्स हर वक़्त अपने नफ़्स की ताक में रहता है, नफ़्स से धोका नहीं खाता बल्कि हर आन नफ़्स का मुहासबा करता और उस को उयुब से पाक करने में लगा रहता है और अगर बन्दा नफ़्स की चालों से गाफिल हो जाए तो ये नफ़्स उसे सिरते मुस्तक़ीम से हटा देगा और हलाकत में मुब्तला कर देगा।
   
     जो शख्स इज़हारे फख्र और लोगों पर बड़ाई जताने के लिये इल्म सीखे नीज़ इल्मी फ़ज़ीलत की वजह से दीगर मुसलमानों को ब नज़रे हक़ारत देखे और उन से अहमक़ाना सुलूक करे और उन्हें अदना तसव्वुर करे तो ऐसा शख्स अज़ीम तरीन तकब्बुर का शिकार है और जिस शख्स के दिल में ज़र्रा बराबर भी तकब्बुर होगा वो जन्नत में दाखिल नहीं होगा।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 76

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*क़ज़ा नमाज़ का तरीका* #02
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

*_जहन्नम की खौफ नाक वादी_*
     हज़रत मौलाना मुहम्मद अमजद अली आज़मी अलैरहमा फरमाते है : जहन्नम में वेल नामी एक खौफनाक वादी है जिसकी सख्ती से खुद जहन्नम भी पनाह मांगता है। जान बुझ कर नमाज़ क़ज़ा करने वालेको उस वादी में डाला जायेगा।
*✍🏽बहारे शरीअत 1/347*

*_पहाड़ गर्मी से पिघल जाए_*
     हज़रत इमाम मुहम्मद बिन अहमद ज़हबी अलैरहमा फरमाते है: कहा गया है कि जहन्नम में एक वादी है जिसका नाम वैल है, अगर उसमे दुन्या के पहाड़ डाले जाए तो वो भी उसकी गरमी से पिघल जाए और ये उन लोगो का ठिकाना है जो *नमाज़ में सुस्ती* करते और *वक़्त के बाद क़ज़ा* कर के पढ़ते है, मगर ये की वो आओनी कोताही पर नादिम हो और बारगाहे खुदा वन्दी में तौबा करे।
*✍🏽किताबुल कबाइर 18*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 241*

*नोट :-* ये 👆🏽👆🏽👆🏽 सज़ा नमाज़ क़ज़ा करने वालो के लिये है। तो जो लोग नमाज़ छोड़ देते है उनकी सज़ा का आलम क्या होगा। ज़रा गौर करे।

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*केन्सर का रूहानी इलाज*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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इसमें 2 इलाज है। पहला इलाज सभी के लिये है। दूसरा इलाज केन्सर के मरीज़ के लिये।
     किताब इस👇🏽 लिंक से लोड करे...
https://drive.google.com/file/d/0BxNzOp0x1IN_NmdEeW9feXNncG8/view?usp=drivesdk

इसे खुद भी रखे और दुसरो तक भी पोहचाये।

दुआए खैर का तालिब
جزاك الله خيرا

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Saturday 7 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 15* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_तकब्बुर करना, फख्र करना, शेखी मारना और खुद पसन्दी में मुब्तला होना_* #02

*गुरुर व तकब्बुर और उज्ब की मज़म्मत में फरमाने मुस्तफा* #01
     जिस के दिल में ज़र्रा बराबर भी तकब्बुर होगा वो जन्नत में दाखिल न होगा।
*✍🏼مسلم*

     एक मर्द अपनी दो चादरों में फख्र व गुरुर से अकड़ता हुवा चला जा रहा था की अल्लाह ने उसे ज़मीन में धंसा दिया वो क़यामत तक ज़मीन में धंसता रहेगा।
*✍🏼مسلم*

     ज़ुल्म करने वालों और तकब्बुर करने वालों को बरोज़े क़यामत च्यूटियों की मिस्ल उठाया जाएगा लोग उन्हें रौंदते होंगे।
*✍🏼موسوعة إبن إلى الدنيا*

     तकब्बुर हक़ को झुटलाने और लोगों को हक़ीर समझने का नाम है।

     क्या में तुम्हें जहन्नमियो के बारे में खबर न दूँ ? हर नाहक़ झगड़ा करने वाला, अकड़ कर चलने वाला और तकब्बुर करने वाला जहन्नमी है।
*✍🏼مسلم*

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 75

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*कज़ा नमाज़ का तरीका* #01
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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     पारह 30 सूरतुल माऊन की आयत 4 व 5 में इरशाद होता है :
_तो उन नमाज़ियों की खराबी है जो अपनी नमाज़ से भूले बेठे है_

     हज़रत मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा आयत 5 के तहत फरमाते है : कभी न पढ़ना, पाबंदी से न पढ़ना, सहीह वक़्त पर न पढ़ना, नमाज़ सहीह तरीके से अदा न करना, शौक़ से न पढ़ना, समझ बुझ कर अदा न करना, कसल व सुस्ती, बे परवाइ से पढ़ना।
*✍🏽नुरुल इरफ़ान 958*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 204*

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Friday 6 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 15* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_तकब्बुर करना, फख्र करना, शेखी मारना और खुद पसन्दी में मुब्तला होना_* #01
   
*गुरुर व तकब्बुर की मज़म्मत में तीन फरमाने बारी तआला*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और मूसा ने कहा में तुम्हारे और अपने रब की पनाह लेता हु हर मुतकब्बिर से कि हिसाब के दिन पर यक़ीन नही लाता।_
*✍🏼المؤمن ٢٧*

_बेशक वो मगरूरों को पसन्द नहीं फ़रमाता।_
*✍🏼النحل ٢٣*

_वो जो अल्लाह की आयतों में झगड़ा करते है बे किसी सनद के जो उन्हें मिली हो उन के दिलों में नहीं मगर एक बड़ाई की हवस जिसे न पहुंचेंगे तो तुम अल्लाह की पनाह मांगो।_
*✍🏼المؤمن ٥٢*

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 71

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*मुसाफिर की नमाज़* #09
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

_*मुसाफिर तीसरी रकअत के लिये खड़ा हो जाए तो ?*_
     अगर मुसाफिर क़सर वाली नमाज़ की तीसरी रकअत शुरू कर दे तो इसकी दो सूरते है...
     ★ ब क़दरे तशह्हुद क़ायद ए आख़िरा कर चूका था तो जब तक तीसरी रकअत का सज्दा न किया हो लौट आए और सज्दए सहव करके सलाम फेर दे अगर न लौटे और खड़े खड़े सलाम फेर दे तो भी नमाज़ हो जाएगी मगर सुन्नत तर्क हुई। अगर तीसरी रकअत का सज्दा कर लिया तो एक और रकअत मिला कर सज्दए सहव करके नमाज़ मुकम्मल करे ये आखरी दो रकअते नफ्ल शुमार होगी।
     ★ क़ायदए आख़िरा किये बैगेर खड़ा हो गया था तो जब तक तीसरी रकअत का सज्दा न किया लोट आए और सज्दए सहव कर के सलाम फेर दे अगर तीसरी रकअत का सज्दा कर लिया फ़र्ज़ बातिल हो गए अब एक और रकअत मिला कर सज्दए सहव करके नमाज़ मुकम्मल करे चारो रकअत नफ्ल शुमार होगी। दो रकअत फ़र्ज़ अदा करने अभी जिम्मे बाक़ी है।
*✍🏼दुर्रेमुखतार मअ रद्दलमोहतार 2/550*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम 235*

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Thursday 5 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 14*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_शराब पीना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_तुम से शराब और जुए का हुक्म पूछते है तुम फरमा दो कि इन दोनों में बड़ा गुनाह है।_
*✍🏼البقرة ٢١٩*

_ऐ ईमान वालो शराब और जुआ और बूत और पांसे नापाक ही है शैतानी काम तो इन से बचते रहना।_
*✍🏼الماىٔدة ٩١،٩٠*

*_शिर्क के बराबर_*
     हज़रते इब्ने अब्बास رضي الله عنه से ये बात साबित है कि आप ने इर्शाद फ़रमाया : जब शराब की हुरमत की आयत नाज़िल हुई तो सहाबए किराम एक दूसरे के पास चल कर जाते और कहते : शराब को हराम क़रार दिया गया है और उसे शिर्क के बराबर क़रार दिया गया है।
*✍🏼معجم الكبير*

     हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर رضي الله عنه का मौक़िफ़ ये है कि शराब पीना सब से बड़ा कबीरा गुनाह है।
     बिलाशुबा शराब सब बुराइयो की जड़ है और कई अहादिष में शराबी पर लानत आई है।

*_शराब की मज़म्मत में फरमाने मुस्तफा_*
     जो शख्स शराब पिये उस को कोड़े मारो फिर अगर दोबारा पिये तो उस को कोड़े लगाओ फिर दोबारा पिये तो कोड़े लगाओ फिर चौथी बार पिये तो उस को क़त्ल कर डालो।
*✍🏼ترمذى*

     जो दुन्या में शराब पियेगा तो आख़िरत में उस पर शराबे तहुर हराम कर दी जाएगी।
*✍🏼مسلم*

     शराबी अगर बगैर तौबा किये मर जाए तो बूत परस्त शख्स की तरह अल्लाह से मिलेगा।
*✍🏼مسند احمد، مسند عبدالله بن عباس بن عبدالمطلب*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 70

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*मुसाफिर की नमाज़* #08
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

_*क़सर के बदले चार की निय्यत बांध ली तो..*_
    मुसाफिर ने क़सर के बजाए चार रकअत फ़र्ज़ की निय्यत बांध ली फिर याद आने पर दो पर सलाम फेर दिया तो नमाज़ हो जाएगी।
*✍🏼दुर्रेमुखतार मअ रद्दलमोहतार 2/97*

_*क्या मुसाफिर को सुन्नते मुआफ़ है ?*_
     सुन्नतो में क़सर नही बल्कि पूरी पढ़ी जाएगी, खौफ और घबराहट की हालत में सुन्नते मुआफ़ है और अम्न की हालत में पढ़ी जाएगी।
*✍🏼आलमगिरी 1/139*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम 234*

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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*83 आसान नेकियां* #51
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*जाइज़ सिफारिश करना*
     किसी मुसलमान की जाइज़ सिफारिश करना भी बड़े षवाब का काम है, हज़रते अबू मूसा رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم के पास जब कोई साईल आता या आप से कोई ज़रूरत बयान की जाती तो आप (हमे साईल के बारे में) इर्शाद फ़रमाते : सिफारिश करो षवाब दिये जाओगे और अल्लाह अपने नबी की ज़बान पर जो चाहे फैसला फरमाए।
*✍🏼صحيح البخاري*

     इस बात का ख्याल रखना बेहद ज़रूरी है की सिफारिश जाइज़ मक़सद के लिये हो, कोई नाजाइज़ या नाहक़ काम निकलवाना मक़सूद न हो नीज़ सिफारिश हतमी अंदाज़ के बजाए लचक वाले अलफ़ाज़ में होनी चाहिये मषलन अगर आप मुनासिब समझो तो फुला का ये काम कर दीजिये।
     हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान عليه رحما हदिष के इस जुज़ "सिफारिश करो षवाब दिये जाओगे" के तहत फ़रमाते है, यानी उस साईल या हाजत मन्द की हाजत रवाई के लिये हम से सिफारिश करो तुम को सिफारिश करने का षवाब मिलेगा।
     मालुम हुवा की हकीम से हक़ और अहले हक़ की सिफारिश करना षवाब है की नेकी करना, नेकी करना, नेकी का मशवरा देना सब ही षवाब है। बातिल की सिफारिश गुनाह है, फ़ुक़हाए किराम फ़रमाते है की शरई हुदूद (यानी अल्लाह व रसूल की तरफ से मुक़र्रर करदा सज़ा) में सिफारिश हराम है और ताज़ीरात (यानी क़ाज़ी की तरफसे बगर्ज़े मसलेहत दी जाने वाली सज़ा) में सिफारिश जाइज़।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्* 6/550
*✍🏼आसान नेकियां* 135

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Wednesday 4 October 2017

*रात को सोते वक़्त का अमल*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

रात को सोते वक़्त दुआए वगैरा पढ़ के इस तरह कहे..
★ या अल्लाह मेने सब को मुआफ़ किया, इसे क़ुबूल फरमा।
★ या अल्लाह मुझसे जाने अन्जाने में जो भी गुनाह हुए है उसे मुआफ़ फरमा।
★ या अल्लाह मेरे वालिदैन की मगफरित फरमा।
★ या अल्लाह तमाम मोमिनो की मगफिरत फरमा।
★ या अल्लाह आज के दिन में मेने जो भी नेकियां की है उसमे जो भी गलतियां हुई हो उसे मुआफ़ फरमा।
★ या अल्लाह मेने आज के दिन में जो भी नेकियां की है वो तेरे महबूब व मेरे आक़ा हज़रत मुहम्मद صلى الله عليه وسلم की बारगाह में नज़्र कर रहा/रही हु इसे क़ुबूल फरमा।
★ तमाम अज़्वाजे मुतह्हरात व आले रसूल की बारगाह में नज़्र कर रहा/रही हु इसे क़ुबूल फरमा।
★ तमाम अम्बियाऐ किराम की बारगाह में नज़्र कर रहा/रही हु इसे क़ुबूल फरमा।
★ तमाम सहाबाऐ किराम, शोहदाए किराम, ताबेईन, तबे ताबेईन, गौषे आज़म, ख्वाजा गरीब नवाज़, इमाम अहमद रज़ा खान, *अब अपने पीर का नाम ले* व हज़रत आदम ता क़यामत तक के तमाम वली व पिरो मुर्शिद की बारगाह में नज़्र कर रहा/रही हु इसे क़ुबूल फरमा।
★ *अब अपने रिश्तेदार जो फौत हो गए हो उनका नाम ले* फिर यु कहे...व मेरे व मेरी ऐहलिया/मेरे शौहर के व मेरे वालिदैन के तमाम मोमिनो की रूह को बख्श रहा/रही हु इसे क़ुबूल फरमा।
★ हज़रत आदम ता क़यामत तक के तमाम मोमिनीन, मोमिनात मुस्लिमीन, मुस्लिमात की रूह को बख्श रहा/रही हु इसे क़ुबूल फरमा और तमाम की मगफिरत फरमा दे।
आमीन।

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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*मुसाफिर की नमाज़* #07
ﺑِﺴْـــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

_*औरत के सफर का मसअला*_
     औरत को बैगेर महरम के 3 दिन 92k.m या ज़्यादा की राह जाइज़ नही। ना बालिग़ बच्चा या पागल के साथ भी सफर नही कर सकती, हमराही में बालिग़ महरम या शौहर का होना ज़रूरी है।
*✍🏼आलमगिरी 1/142*

*औरत का सुसराल व मायका*
     औरत बियाह कर सुसराल गई और यही रहने सहने लगी तो मायका इसके लिये वतने असली न रहा यानी अगर सुसराल 92k.m पर है वहा से मयके आई और 15 दिन ठहरने की निय्यत न की तो क़सर पढ़े और अगर मयके रहना नही छोड़ा बल्कि सुसराल आरिज़ि तौर पर गई तो मयके आते ही सफर खत्म हो गया नमाज़ पूरी पढ़े।
*✍🏼बहारे शरीअत 4/84*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम 228*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*_मुसलमान की हाजत रवाई करना_* #02

*_परेशानी दूर फ़रमाएगा_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : मुसलमान मुसलमान का भाई है, न उस पर ज़ुल्म करता है और न ही उसे रुस्वा करता है और जो कोई अपने भाई की हाजत पूरी करता है अल्लाह उस की हाजत पूरी फ़रमाता है और जो किसी मुसलमान की एक परेशानी दूर करेगा अल्लाह क़यामत की परेशानियों में से उस की एक परेशानी दूर फ़रमाएगा।
*✍🏼صحيح مسلم*

*_मेने तुम्हारी हाजत पूरी की थी_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : क़यामत के दिन लोगो को सफों में खड़ा किया जाएगा। फिर जब अहले जहन्नम वहां से गुज़रेंगे तो इन में से एक शख्स एक जहन्नमी के पास से गुज़रेगा तो वो जहन्नमी कहेगा : ऐ फुला ! क्या तुझे वो दिन याद नही जब तू ने मुझ से पानी माँगा था और मेने तुझे एक घूंट पानी पिलाया था ? फिर वो उस शख्स के लिये शफ़ाअत करेगा। फिर उस शख्स का गुज़र दूसरे जहन्नमी के क़रीब से होगा तो वो उस से कहेगा : क्या तुझे वो दिन याद नही की जब में ने तुझे वुज़ू के लिये पानी दिया था ? तो वो उस के लिये भी शफ़ाअत करेगा। फिर उस का गुज़र तीसरे शख्स के क़रीब से होगा तो वो उस से कहेगा : ऐ फुला !क्या तुझे वो दिन याद नहीं जब तू ने मुझे फुला की हाजत रवाई के लिये भेजा था तो में तेरी वजह से चला गया था। तो वो उस की भी शफ़ाअत करेगा।
*✍🏼سنن ابن ماجة*
*✍🏼आसान नेकियां* 134

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Tuesday 3 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 13*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_हाकिम का अपनी रिआया को धोका देना और उन पर ज़ुल्मो जब्र करना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_मुवाखज़ा तो उन्ही पर है जो लोगो पर ज़ुल्म करते है और ज़मीन में नाहक़ सरकशी फैलाते है उन के लिये दर्दनाक अज़ाब है।_
*✍🏼الشورى ٤٢*

_जो बुरी बात करते आपस में एक दूसरे को न रोकते ज़रूर बहुत ही बुरे काम करते थे।_
*✍🏼الماىٔدة ٧٩*

*_हाकिम के ज़ुल्मो जब्र के मुतअल्लिक़ फरमाने मुस्तफा_*
     जिसे अल्लाह ने किसी रिआया का निगरान बनाया फिर उस ने उन के साथ खैरख्वाहि नही की मगर ये की अल्लाह उस पर जन्नत को हराम फरमा देगा।
*✍🏼بخارى*

     जो दस आदमियों लर भी अमीर होगा उसे बरोज़े क़यामत इस हाल में लाया जाएगा की उस का हाथ उस की गर्दन के साथ बन्धा होगा, उस का अदल उसे छुड़ा लेगा या उस का ज़ुल्म उसे हलाक कर देगा।
*✍🏼معجم الأوسط*

     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने दुआ की : ऐ अल्लाह जो इस उम्मत के किसी मुआमले का जिम्मेदार हो फिर वो उन पर नरमी करे तो तू भी उस के साथ नरमी फरमा और जो उन पर सख्ती करे तो तू भी उस पर सख्ती फरमा।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 60

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