Pages

Friday 30 June 2017

*बन्दों के हुक़ूक़* #10
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_रिश्तेदारो के साथ सीलए रहमी_*
     बन्दों के हुक़ूक़ में यु तो तमाम ही लोगो के हुक़ूक़ अहमिय्यत के हामिल है और सब की अदाएगी भी ज़रूरी है, लेकिन इन में सब से अहम रिश्तेदारो के हुक़ूक़ है, जब एक आम मुसलमान के साथ हुस्ने सुलूक करने और उस के हुक़ूक़ अदा करने की तरगिब् है, तो वो अफ़राद जिन के साथ खून के रिश्ते हो, उन से तो हुस्ने सुलूक करने और उन के हुक़ूक़ अदा करने की अहमिय्यत और ज़्यादा बढ़ जाती है। यही वजह है की अपने दिने इस्लाम ने हमे सीलए रहमी की तरगिब् दिलाई है। सीलए रहमी का मतलब ये है की अपने अज़ीज़ों और रिश्तेदारो से अच्छा सुलूक करना।

     हदिष में है की बेशक अल्लाह ने एक क़ौम की वजह से दुन्या को आबाद रखा है और उन की वजह से माल में इज़ाफ़ा करता है और जब से उन्हें पैदा फ़रमाया है, उन की तरफ ना पसन्दीदा नज़र से नही देखा। अर्ज़ की गई या रसुलूल्लाह صلى الله عليه وسلم ! वो कैसे ? इर्शाद फ़रमाया उन के अपने रिश्तेदारो के साथ तअल्लुक़ जोड़ने की वजह से।
*✍🏼المعجم الكبير، ١٢/٦٧، ١٢٥٥٦*

     सीलए रहमी के सब से ज़्यादा हक़दार वालिदैन और बहन-भाई होते है, इन के बाद हस्बे मरातिब दीगर रिश्तेदार सीलए रहमी के मुस्तहिक़ है। रिश्तेदारो के साथ सीलए रहमी करना, उन का हक़ है, क़ुरआन और अहादीस में इस की बहुत तरगिब् दिलाई गई है और "सारी उम्मत का इस पर इत्तिफ़ाक़ है की सीलए रहमी वाजिब है और क़तए रहम हराम है।"
*✍🏼बहारे शरीअत, 3/558*
*✍🏼बन्दों के हुक़ूक़, 17*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नमाज़ के 7 फराइज़* 10
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_6 क़ादए आखिरह_*
     नमाज़ की रकअते पूरी करने के बाद इतनी देर तक बैठना की पूरी अत्तहिय्यात पढ़ ली जाए फ़र्ज़ है।
*✍🏼आलमगिरी, जी.1 स.70*

     4 रकअत वाले फ़र्ज़ में चौथी रकअत के बाद क़ादह न किया तो जब तक पांचवी का सज्दा न किया हो बैठ जाए, और अगर पाचवी का सज्दा कर लिया या फ़ज्र में दूसरी पर नहीं बैठा तीसरी का सज्दा कर लिया या मगरिब में तीसरी पर नहीं बैठा और चौथी का सज्दा कर लिया
     इन सब सूरतो में फ़र्ज़ बातिल हो गए। मगरिब के इलावा और नमाज़ों में एक रकअत मज़ीद मिला ले।

*_7 खुरूजे बिसुनईहि_*
     यानी क़ादए आखिरह के बाद सलाम या बातचीत वगैरा कोई ऐसा फेल इरादतन करना जो नमाज़ से बाहर कर दे। मगर सलाम के इलावा कोई फेल कसदन पाया गया तो नमाज़ वाजीबुल ईआदा होगी। और अगर बिला क़स्द इस तरह का फेल पाया गया तो नमाज़ बातिल।
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 170*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*खुशबु लगाने की सुन्नते ओर आदाब* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_कौन कैसी खुशबु इस्तिमाल करे ?_*

     हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : मर्दाना खुशबु वो है की उस की खुशबु तो ज़ाहिर हो मगर रंग ज़ाहिर न हो और ज़नाना खुशबु वो है की उसका रंग तो ज़ाहिर हो मगर खुशबु ज़ाहिर न हो।

     मर्दों को अपने लिबास पर ऐसी खुशबु इस्तिमाल करनी चाहिये जिस की खुशबु फेले मगर रंग के धब्बे वगैरा नज़र न आए।
     औरत के लिये महक की मुमनअत इस सूरत में है जब की वो खुशबु अजनबी मर्दों तक पहुचे, अगर वो घर में इत्र लगाए जिस की खुशबु खाविन्द या औलाद या माँ बाप तक ही पहुचे तो हरज नही।

     मालुम हुआ की इस्लामी बहनो को ऐसी खुशबु नही लगानी चाहिये जिस की खुशबु उड़ कर गैर मर्दों तक पहुच जाए। चुनान्चे हज़रते अबू मूसा अशअरी رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : औरत जब खुशबु लगा कर किसी मजलिस के पास से गुज़रती है तो वो ऐसी और ऐसी है यानी ज़ानीया है।
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 85*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Thursday 29 June 2017

*बन्दों के हुक़ूक़* #09
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_अल्लाह वालो का खौफे खुदा_*
     अल्लाह का खौफ रखने वाले उस के नेक बन्दे, बन्दों के हुक़ूक़ के ब ज़ाहिर मामूली नज़र आने वाले मुआमलात में भी ऐसी एहतियात करते है की हैरत में डाल देते है।

     मन्कुल है की हज़रते अब्दुल्लाह बिन मुबारक رحمة الله عليه को सफर पर रवाना होते वक़्त किसी ने दूसरे को पहुचाने के लिये खत पेश किया, आप ने फ़रमाया : ऊंट किराए पर लिया है, सुवारी वाले से इजाज़त लेनी होगी, क्यूकी में ने उस को सारा सामान दिखा दिया है और ये खत ज़ाइद शै है।
*✍🏼माख़ज़ इहयाउल उलूम, 1/353*

     देखा आप ने हज़रते अब्दुल्लाह बिन मुबारक رحمة الله عليه का हुक़ूक़ल अब्द की अदाएगी का जज़्बा सद करोड़ मरहबा ! की ऊंट वाले को सारा सामान दिखाने के बाद मामूली से कागज़ का वज़न रखने के लिये भी ऊंट वाले से इजाज़त लेने का ज़ेहन रखते है ताकि उस की हक़ तलफी न हो जाए।
*✍🏼बन्दों के हुक़ूक़, 11*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नमाज़ के 7 फराइज़* #09
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_5 सुजूद_*
     सुल्ताने दो जहां ﷺ का फरमान है, मुझे हुक्म हुवा की 7 हड्डियों पर सज्दा करू, मुंह और दोनों हाथ और दोनों घुटने और दोनों पन्जे और ये हुक्म हुवा की कपड़े और बाल न समेटु।
*✍🏼सही मुस्लिम, जी.1 स.193*

★ हर रकअत में दो बार सज्दा फ़र्ज़ है।
★ सज्दे में पेशानी जमना ज़रूरी है। जमने के माना ये है की ज़मीन की सख्ती महसूस हो, अगर किसी ने इस तरह सज्दा किया की पेशानी न जमी तो सज्दा न होगा।
*✍🏼आलमगिरी, जी.1 स.70*

★ किसी नर्म चीज़ मसलन घास रुई या क़ालीन (carpet) वगैरा पर सज्दा किया तो अगर पेशानी जम गई यानि इतनी दबी कि अब दबाने से न दबे तो सज्दा हो जाएगा वरना नहीं।
★ आज कल मस्जिद में कार्पेट बिछाने का रवाज पड़ गया है, कार्पेट पर सज्दा करते वक़्त इस बात का ख़ास ख्याल रखना है की पेशानी अच्छी तरह जम जाए वरना नमाज़ न होगी। और नाक की हड्डी न दबी तो नमाज़ मकरुहे तहरीमि वाजीबुल ईआदा होगी।
*✍🏼बहरे शरीअत, जी.3 स.71*

★ कमानी दार (यानि स्प्रिंग वाले गद्दे) पर पेशानी खूब नहीं जमती लिहाज़ा नमाज़ न होगी।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 168-169*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*खुशबु लगाने की सुन्नते लर आदाब* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_खुशबु का तोहफा_*
     हज़रत अनस बिन मालिक رضي الله عنه खुशबु का तोहफा रद नही फ़रमाते थे आप फ़रमाते है की नबी صلى الله عليه وسلم की खिदमत में जब खुशबु तोहफ्तन पेश की जाती तो आप रद नही फ़रमाते।
*✍🏼तिर्मिज़ी*

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : तीन चीज़े वापस नही लौटानी चाहिए (1) तकिया (2) खुशबु व तेल (3) दूध।

     खुशबु, तकिया और दूध (और इन में तमाम कम क़ीमत की चीज़े शामिल है) का हदिया क़बूल करने की हिकमत मुहद्दिसिने किराम ये बयान करते है की उमुमन ये चीज़े इतनी क़ीमती नही होती और ज़ाहिर है जो सस्ती चीज़ होती है वो देने वाले के लिये ज़्यादा बोझ साबित नही होती और क़बूल न करने पर देने वाले का दिल टूटने का अन्देशा भी रहता है। और चुकी हमारे मदीने वाले आक़ा صلى الله عليه وسلم किसी का दिल तोडना पसन्द नही करते थे। इस लिए आप खुशबु का तोहफा रद नही फ़रमाते।
     चुनान्चे हमे भी चाहिये की अगर हमे कोई खुशबु या सस्ती चीज़ तोहफ्तन पेश करे तो उसे सुन्नत समझ कर क़बूल करने में कोई हरज नही मगर गौर कर लेना मुनासिब मालुम होता है की कही मुरुव्वत वगैरा में तो नही दे रहा की ये देना बाद में खुद उसी पर बार पड़ जाए।
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 87*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Wednesday 28 June 2017

*बन्दों के हुक़ूक़* #08
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_बन्दों के हुक़ूक़ और फरामीने मुस्तफा_*
★ मुसलमान की सब चीज़े मुसलमान पर हराम है, उस का माल और उस की आबरू और उस का खून। आदमी को बुराई से इतना ही काफी है की वो अपने मुसलमान भाई को हक़ीर जाने।
*✍🏼अबू दाऊद, 4/354, हदिष:4882*

★ जिस के जिम्मे अपने भाई का आबरू वगैरा किसी बात का ज़ुल्म हो, उसे लाज़िम है की क़यामत का दिन आने से पहले यही दुन्या में उस से मुआफ़ी मांग ले, क्यू की वहा न दिनार होंगे न दिर्हाम, अगर इस के पास कुछ नेकियां होंगी, तो ब क़दर उस के हक़ के, इस से ले कर उसे दी जाएगी, वरना उस (मलज़ुम) के गुनाह इस (ज़ालिम) पर रखे जाएंगे।
*✍🏼बुखारी, 2/128, हदिष:2448*

★ दफ्तर (रजिस्टर) तीन है, एक दफ्तर में अल्लाह कुछ न बख्शेगा और एक दफ्तर की अल्लाह को कुछ परवा नही और एक दफ्तर में अल्लाह कुछ न चोड़ेंगा, वो दफ्तर जिस में बिलकुल मुआफ़ी की जगह नही, वो तो कुफ़्र है की किसी तरह न बख्शा जाएगा और एओ दफ्तर जिस की अल्लाह को कुछ परवा नही, वो बन्दे का गुनाह है, खालिस अपने और अपने रब के मुआमले में (की किसी दिन का रोज़ा तर्क किया या कोई नमाज़ छोड़ दी, अल्लाह चाहे तो उसे मुआफ़ कर दे और दर गुज़र फरमाए) और वो दफ्तर जिस में से अल्लाह कुछ न छोड़ेगा वो बन्दों का आपस में एक दूसरे पर ज़ुल्म है की इस में ज़रूर बदला होना है।
*✍🏼मुस्तदरक, 5/794, हदिष:8757*

★ तुम लोग हुक़ूक़, हक़ वालो के सुपुर्द कर दोगे, हत्ता की बे सिंग वाली का सिंग वाली बकरी से बदला लिया जाएगा।
*✍🏼सहीह मुस्लिम, 1384, हदिष:2582*
(यानी अगर तुम दुन्या में लोगो के हुक़ूक़ अदा न किये तो हर सूरत में क़यामत में अदा करोगे, यहाँ दुन्या में माल से और आख़िरत में आमाल से, लिहाज़ा बेहतरी इसी में है की दुन्या ही में अदा कर दो, वरना पछताना पड़ेगा। "मीरआत शर्हे मिश्कात" में है : जानवर अगर्चे शरई अहकाम के मुकल्ल्फ़ नही है, मगर हुक़ुक़ुल इबाद जानवरो को भी अदा करने होंगे।
*✍🏼बन्दों के हुक़ूक़, 11*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नमाज़ के 7 फराइज़* 08
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_4 रूकू_*
     इतना झुकना की हाथ बढ़ाए तो घुटने को पहुच जाए ये रूकू का अदना दर्जा है. और पूरा ये की पीठ सीधी बिछा दे।

     सुल्ताने मक्कए मुकर्रमा ﷺ का फरमाने अज़मत निशान है, अल्लाह عزوجل बन्दे की उस नमाज़ की तरफ नज़र नहीं फ़रमाता जिस में रूकू व सुजूद के दरमियान पीठ सीधी न करे।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 167-168*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*खुशबु लगाना सुन्नत है*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हज़ूर صلى الله عليه وسلم को खुशबू बे हद पसंद है। लिहाज़ा आप हर वक़्त मुअत्तर मुअत्तर रहते। आप खुशबु का बहुत इस्तिमाल फ़रमाया करते थे ताकि गुलाम भी अदाए सुन्नत की निय्यत से खुशबु लगाया करे वरना इस बात में किसी को शक व शुबा हो सकता है की आप का वुजूदे मसऊद तो कुदरती तौर पर खुद ही महकता रहता और आप का मुबारक पसीना बजाते खुद काएनात की सब से बेहतरीन खुशबु है।
     हज़रते ज़ाबिर बिन समुरा رضي الله عنه फ़रमाते है की एक बार हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने अपना दस्ते पुर अनवर मेरे चेहरे पर फेरा में ने उसे ठंडा और ऐसी खुशबूदार हवा की तरह पाया जो किसी इत्र फरोश के इत्रदार से निकलती है।

*_सर में खुशबु लगाना सुन्नत है_*
     आप صلى الله عليه وسلم की आदते करीमा थी की आप मुश्क सरे अक़दस के मुक़द्दस बालो और दाढ़ी मुबारक में लगाते।
     हज़रत आइशा सिद्दिक़ा رضي الله عنها से मरवी है, में अपने सरताज صلى الله عليه وسلم को निहायत उम्दा से उम्दा खुशबु लगाती थी यहाँ तक की उस की चमक हुज़ूर صلى الله عليه وسلم के सरे मुबारक और दाढ़ी शरीफ में पाती।
*✍🏼सहीह बुखारी*
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 83*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

★ अल्लाह जिस के साथ भलाई का इरादा फ़रमाता है, उस को दीन की समझ अता फ़रमाता है।
*✍🏼सहीह बुखारी*

★ जो शख्स तलबे इल्म में रहता है, अल्लाह उस के रिज़्क़ का ज़ामिन है।
*✍🏼تاريخ بغداد*

★ आलिम का गुनाह एक गुनाह है और जाहिल के लिये दो गुनाह, आलिम पर वबाल सिर्फ गुनाह करने का और जाहिल पर एक अज़ाब गुनाह का और दूसरा (इल्मी दीन) न सिखने का।
*✍🏼الفرق دوس*
*✍🏼الجامع الصغير*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Tuesday 27 June 2017

*बन्दों के हुक़ूक़* #07
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_हुक़ूक़ पामाल करना ज़ुल्म भी है_*
     अल्लाह ने मुसलमानो के हुक़ूक़ की पासदारी न करने, उन्हें ज़ुल्मो सितम का निशाना बनाने और बिला वजह सताने वालो को अज़ाबे नार की वईद सुनाई है, इस  लिये खूब मोहतात रहिये और मुसलमानो को बिला वजह डराने, धमकाने और उन का हक़ दबाने से हमेशा बाज़ रहिये। किसी से ना इन्साफी करना, अकेला या भारे मजमा में ज़लील करना, बे इज़्ज़ती करना, गालिया देना, मारना, पीटना और हर वो काम करना जिस से दूसरे के हुक़ूक़ पामाल हो, हकीकतन ये भी ज़ुल्म है।
     शरीअत में ज़ुल्म से मुराद ये है की किसी का हक़ मारना, किसी को बगैर कुसूर के सज़ा देना।
     यद् रखिये ज़ुल्म का अन्जाम बहुत ही भयानक और खतरनाक है, ज़ालिम शख्स आख़िरत में तो अज़ाब का शिकार होता ही है, लेकिन बाज़ अवक़ात ऐसा शख्स दुन्या में भी सख्त हालात से दो चार होता है।
     हज़रते अबू मूसा अशअरी رضي الله عنه से रिवायत है, हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : बेशक अल्लाह ज़ालिम को मोहलत देता है, यहाँ तक की जब उस को अपनी पकड़ में लेता है तो फिर उस को नही छोड़ता। ये फरमा कर आप ने पारह 12 सूरए हुद की आयत 102 तिलावत फ़रमाई :
_और ऐसी ही पकड़ है तेरे रब की जब बस्तियों को पकड़ता है उन के ज़ुल्म पर, बेशक उस की पकड़ दर्दनाक कर्री (सख्त) है।_
*✍🏼बन्दों के हुक़ूक़, 9*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नमाज़ के 7 फराइज़* #07
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

_*❗खबरदार❗खबरदार❗खबरदार❗_*
     जिस से हरुफ़ सहीह अदा नहीं होते उस के लिये थोड़ी देर मश्क़ कर लेना काफी नहीं बल्कि लाज़िम है की इन्हें सिखने के लिये रात दिन पूरी कोशिश करे

     और अगर सहीह पढ़ने वाले के पीछे नमाज़ पढ़ सकता है तो फ़र्ज़ है की उस के पीछे पढ़े या वो आयते पढ़े जिस के हरुफ़ सहीह अदा कर सकता हो। और ये दोनों सूरते न मुम्किन हों तो ज़मानए कोशिश में उस की अपनी नमाज़ हो जाएगी।

     आज कल काफी लोग इस मरज़ में मुब्तला है की न उन्हें कुरआन सहीह पढ़ना आता है न सिखने की कोशिश करते है। याद रखिये ! इस तरह नमाज़े बर्बाद होती है।
*✍🏼मुलख्खस अज़ बहारे शरीअत, जी.3 स.116*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 166*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*ज़ीनत की सुन्नते और आदाब*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     इन्सान के बालो की चोटी बना कर औरत अपने बालो में गुंधे, ये हराम है। हदिष में उस पर लानत आई बल्कि उस पर भी लानत आई जिस ने किसी दूसरी औरत के सर में इन्सानी बालो की चोटी गंधी।
     अगर वो बाल जिस की चोटी बनाई गई खुद इस औरत के अपने बाल है जिस के सर में जोड़ी गई जब भी न जाइज़ है।
     उन या सियाह धागे की चोटी इस्लामी बहनो को सर में लगाना जाइज़ है।

     लड़कियों के कान नाक छेदना जाइज़ है। बाज़ लोग लड़को के भी कान छिदवाते है और बाली वगैरा पहनते है ये ना जाइज़ है।

     औरत को हाथ पाउ में मेहदी लगाना जाइज़ है। छोटे बच्चों के हाथ पाउ में मेहदी लगाना ना जाइज़ है।
   
     जानदार की तस्वीर वाले लिबास हरगिज़ न पहना करे न ही जानवरो या इन्सानो की तस्वीर वाले स्टिकर्ज़ अपने कपड़ो पर लगाए, न ही घरो में आवेज़ा करे।
   
     ख्वातीन अपने शौहर के लिये जाइज़ अश्या के ज़रिए, मगर घर की चार दिवारी में ज़ीनत करे, लेकिन मेकअप कर के और बन सवर के घर से बाहर न निकला करे की हमारे प्यारे आक़ा صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : औरत पूरी की पूरी औरत (यानी छुपाने की चीज़) है जब कोई औरत बाहर निकलती है तो शैतान उस को झांक झांक कर देखता है।

     नंगे सर फिरना सुन्नत नही है। लिहाज़ा इस्लामी भाइयो को चाहिये की अपने सर पर इमामा शरीफ का ताज सजाए रखे की ये हमारे आक़ा صلى الله عليه وسلم की निहायत ही मीठी सुन्नत है।

     मीठे इस्लामी भाइयो और बहनो ! बस ज़ीनत वही कीजिये जिस की शरीअते मूतह्हरा ने इजाज़त फ़रमाई और हरगिज़ हरगिज़ फिरंगी फैशन न अपनाइये जिस से अल्लाह का क़हरो गज़ब जोश पर आए।
     ऐ हमारे प्यारे अल्लाह ! हमे फिरंगी फैशन की आफत से छुड़ा कर अपने हबीब صلى الله عليه وسلم की सुन्नतो का दीवाना बना दे।
اٰمِيْن بِـجٙـاهِ النّٙـبِـىِّ الْاٙ مِيْن
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 81*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Monday 26 June 2017

*सूरए बक़रह, आयत 75*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

أَفَتَطْمَعُونَ أَن يُؤْمِنُوا۟ لَكُمْ وَقَدْ كَانَ فَرِيقٌ مِّنْهُمْ يَسْمَعُونَ كَلَٰمَ ٱللَّهِ ثُمَّ يُحَرِّفُونَهُۥ مِنۢ بَعْدِ مَا عَقَلُوهُ وَهُمْ يَعْلَمُونَ

(मुसलमानों) क्या तुम ये लालच रखते हो कि वह तुम्हारा (सा) ईमान लाएँगें हालाँकि उनमें का एक गिरोह (साबिक़ में) ऐसा था कि खुदा का कलाम सुनाता था और अच्छी तरह समझने के बाद उलट फेर कर देता था हालाँकि वह खूब जानते थे और जब उन लोगों से मुलाक़ात करते हैं.

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in



Sunday 25 June 2017

*ईद के आने की ख़ुशी है मगर..*
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

ईद के आने की ख़ुशी है मगर..
माहे रमज़ान जाने का दुःख है..
या मौला फ़िर वोही गुनाह फ़रेब
आने का दुःख है...

30 दिन काटे तेरी इबादत में हम सब ने
हाये आज उस इबादत के जाने का दुःख..

रुक सी गई है ज़िंदगी रोज़े के जाने से
हमें सहरी में उठना इफ़्तार के जाने
का दुःख है..

अल्लाह ने नवाजा था यह हंसीं
महिना हमको
फ़िर भी इसका हक़ ना निभाने का
दुःख है..

हमने करीं काफ़ी कोताहियाँ
तुझसे ए रमज़ान
न करवा पाये अपनी मग्फ़िरत
तुझसे ए अल्लाह
हमे बेहद अफ़सोस बहोत दुःख है..

ईद की आने की ख़ुशी है मगर..😊
माहे रमज़ान जाने का दुःख भी है...😢😢
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*​
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 9723 654 786
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*जूं ही शैतान आज़ाद होता है !*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

    रमज़ान के रुखसत होते ही, शैतान आज़ाद हो जाता और गुनाहो का ज़ोर खूब बढ़ जाता है। और ईद के दिन तो इस क़दर गुनाहो की कसरत हो जाती है की वो सिनेमा घर जो शायद सारे साल में कभी न भरते हो उन पर भी "हाउस फूल" का बोर्ड लग जाता है, पुरे साल में जिन तमाशो के मेले नही लगते वो भी ईद के रोज़ ज़रूर लग जाते है, गोया ऐसा मालुम होता है की एक महीने की क़ैद के सबब शैतान बे हद बिफर चूका है और रमज़ान की सारी कसर वो ईद के रोज़ ही निकाल देना चाहता है। तमाम तफ़रीह गाहे बे पर्दा औरतो और मर्दों से भर जाती है, तमाम डिरामा गाहों में इज़्दीहाम होता है, बल्कि ईद के लिये नई नई फिल्में और जदीद डिरामे लगा दिये जाते है।
     आह ! शैतान के हाथो बे शुमार मुसल्मान खिलौना बन कर रह जाते है। मगर ऐसे खुश नसीब मुसल्मान भी होते है जो अल्लाह की याद से गफलत नही करते और शैतान के बहकाने से महफूज़ रहते है।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 64*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नमाज़ के 7 फराइज़* #06
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_3 किराअत_* #03

*_हरुफ़ की सहीह अदाएगी ज़रूरी है_*
     अक्सर लोग ط ت، س ص ث، ا ء ع، ه ح، ض ذ ظ ز में कोई फ़र्क़ नहीं करते। याद रखिये ! हरुफ़ बदल जाने से अगर माना फासिद् हो गए तो नमाज़ न होगी।
     मसलन जिसने "सुब्हान रब्बियल अज़ीम" में अज़ीम में ( ظ के बजाए ز ) पढ़ दिया नमाज़ जाती रही लिहाज़ा जिस से अज़ीम सहीह अदा न हो वो "सुब्हान रब्बियल करीम" पढ़े।

*✍🏼क़ानूने शरीअत जी.1 स.119*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 165-166*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*तेल डालने और कंघा करने की सुन्नते और आदाब* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

हुज़ूर صلى الله عليه وسلم कंघा करते वक़्त आईने में अपना चेहरा मुबारक देखते तो इस तरह दुआ करते, اٙللّٰهُمّٙ حٙسّٙنْتٙ خٙلْقِى فٙحٙسِّنْ خُلْقِى "ऐ अल्लाह ! तूने मेरी सूरत अच्छी बनाई है मेरे अख़लाक़ भी अच्छे कर दे।

     यक़ीनन ये दुआ अपने गुलामो की तालीम के लिये है की वो अपने अख़लाक़ की इस्लाह के लिये दुआ करते रहें, वरना हमारे आक़ा صلى الله عليه وسلم के अख़लाक़ के तो क़ुरआन में चर्चा है। चुनान्चे पारह 29 सूरतुल क़लम, आयत 4 में इर्शाद होता है :
_और बेशक तुम्हारी खू बू (खुलक़्) बड़ी शान की है।_

     ऐ हमारे प्यारे अल्लाह ! हमे सुन्नत के मुताबिक़ अपने सर और दाढ़ी में तेल लगाने और कंघा करने की तौफ़ीक़ मर्हमत फरमा।
اٰمِيْن بِـجٙـاهِ النّٙـبِـىِّ الْاٙ مِيْن

*✍🏼सुन्नते और आदाब, 77*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Saturday 24 June 2017

*बन्दों के हुक़ूक़* #05
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*हुक़ूक़ दबाने वालो के लिये जहन्नम है !*
     बन्दों के हुक़ूक़ अदा करना निहायत ज़रूरी है, इस में गफलत बरतना दिनों दुन्या के नुक़्सान का बाइस है। हमारे प्यारे दिन ने बन्दों के हुक़ूक़ की अदाएगी पर बहुत ताकीद की है। बादशाह हो या वज़ीर, अमिर हो या फ़क़ीर, मालिक हो या गुलाम , हुक़ूक़ की अदाएगी के लिये सब को एक ही सफ में खड़ा  कर दिया और जब किसी मुसलमान पर दूसरे मुसलमान का हक़ साबित हो जाए, तो उस हक़ को अदा करने का हुक्म भी इर्शाद फ़रमाया है।
     मगर अफ़सोस ! आज कल गफलत का दौर है, जिस तरह मुसलमानो की एक तादाद हुकुकुल्लाह से गाफिल होती नज़र आ रही है, इसी तरह मुआशरे में बन्दों के हुक़ूक़ को पामाल करना भी बहुत आम होता जा रहा है। मुसलमान अपने अंजाम से बे खौफ हो कर ज़ुल्म व ज़्यादती करने, धमकियां दे कर लोगो से रक़म का मुतालबा करने और उन के माल व जायदाद पर क़ब्ज़ा करने, क़र्ज़ दबा लेने, चोरी, कत्लो गारत गरी जेसे गुनाहो में मुब्तला हो कर दूसरे मुसलमानो के हुक़ूक़ पामाल कर रहे है।
     हालांकि मुसलमान का हक़ दबाना, उसे किसी भी तरह से सताना, उस का दिल दुखना, हराम और जहन्नम में ले जाने वाला काम है। बिला वजह मुसलमानो को सताने के बारे में अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_बेशक जिन्होंने इज़ा दी मुसलमान मर्दों और मुसलमान औरतो को फिर तौबा न की उन के लिये जहन्नम का अज़ाब है और उन के लिये आग का अज़ाब।_
पारह 30
*✍🏼बन्दों के हुक़ूक़, 8*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नमाज़ के 7 फराइज़* #05
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_3 किराअत_* #02
     इमाम के पीछे मुक्तदि को नमाज़ में किराअत जाइज़ नहीं न सूरतुल फातिहा न आयत। चाहे आहिस्ता किराअत वाली नमाज़ हो या बुलंद आवाज़ में किराअत वाली नमाज़ हो। इमाम की किराअत मुक्तदि के लिये काफी है।

     अगर अकेले फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ रहा है और किसी रकअत में किराअत न की या फ़क़त एक में की, नमाज़ फासिद् हो गई।

     फर्ज़ो में ठहर ठहर कर किराअत करे और तरावीह में मुतवस्सीत अंदाज़ पर और रात के नवाफ़िल में जल्द पढ़ने की इजाज़त है, मगर ऐसा पढ़े की समझ में आ सके यानी कम से कम मद का जो दरजा क़ारियो ने रखा है उस को अदा करे वरना हराम है, इस लिये के तरतील से क़ुरआन पढ़ने का हुक्म है।
     आज कल के अक्सर हुफ़्फ़ाज़ इस तरह पढ़ते है की मद का अदा होना तो बड़ी बात है कुछ लफ़्ज़ों के अलावा बाकी लफ्ज़ का पता ही नहीं चलता न तसहिहे हरुफ़ होती बल्कि जल्दी में लफ्ज़ के लफ्ज़ खा जाते है और इस पर तफाखुर होता है की फुला इस क़दर पढ़ता है ! हाला की इस तरह क़ुरआने मजीद पढ़ना हराम है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 165*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*तेल डालने और कंघा करने की सुन्नते और आदाब* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_बाल बिखरे हुए न रखे_*
     हज़रते अता बिन यसार رضي الله عنه से रिवायत है  हुज़ूर मस्जिद में तशरीफ़ फरमा थे। इतने में एक शख्स आया जिस के सर के और दाढ़ी के बाल बिखरे हुए थे। हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने उस की तरफ इस अंदाज़ पर इशारा किया जिस से साफ़ ज़ाहिर होता था की आप उस को बाल दुरुस्त करने का हुक्म फरमा रजे है। वो शख्स बाल दुरुस्त कर के वापस आया, हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : क्या ये इस से बेहतर नही है की कोई शख्स बालो को इस तरह बिखेर कर आता है गोया वो शैतान है।

*_कंघा करते वक़्त सीधी तरफ से इब्तिदा कीजिये_*
     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم हर तकरिम वाला काम सीधी तरफ से शुरू फ़रमाते। जैसा की तिर्मिज़ी शरीफ में है की हज़रते आइशा सिद्दिक़ा رضي الله عنها फरमाती है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم दाई जानिब से वुज़ू करना पसन्द फ़रमाते और इसी तरह कंघा भी सीधी तरफ से ही करते, नीज़ नालैन मुबारक भी जब पहनने का इरादा फ़रमाते तो पहले सीधा क़दम नालैन शरीफ में दाखिल फ़रमाते।
*✍🏼तिर्मिज़ी, 5/509*
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 76*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Friday 23 June 2017

*बन्दों के हुक़ूक़* #04
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_बन्दों के हुक़ूक़ की अहम्मिय्यत_*
     बन्दों के हुक़ूक़ का मुआमला वाक़ई बहुत नाज़ुक है, हमें इस बारे में हर वक़्त मोहतात रहना चाहिये। अगर कभी दानिस्ता या ना दानिस्ता तौर पर किसी मुसलमान का हक़ तलफ हो जाए तो फौरन तौबा करते हुवे साहिब हक़ से मुआफ़ी भी मांगनी चाहिये। हुकुकुल्लाह सच्ची तौबा से मुआफ़ हो जाते है, जब की बन्दों के हुक़ूक़ में तौबा के साथ साथ जिस का हक़ मारा है, उस से भी मुआफ़ी मांगना ज़रूरी है।
     आला हज़रत, इमाम अहमद रज़ा खां رحمة الله عليه इर्शाद फ़रमाते है : हक़ किसी का भी हो, जब तक साहिबे हक़ मुआफ़ न करे, मुआफ़ नही होता, हुकुकुल्लाह में तो ज़ाहिर है की अल्लाह के सिवा दूसरा मुआफ़ करने वाला कौन हो सकता है ? की क़ुरआन में है _और गुनाह कौन बख्शे सिवा अल्लाह के_ और बन्दों के हुक़ूक़ में रब तआला ने येही ज़ाबिता मुक़र्रर फरमा रखा है की जब तक वो बन्दा मुआफ़ न करे, मुआफ़ न होगा।
     अगर्चे मौला तआला हमारा और हमारे जानो माल व हुक़ूक़ सब का मालिक है, अगर वो बे हमारी मर्ज़ी के, हमारे हुक़ूक़ जिसे चाहे मुआफ़ फरमा दे, तो भी ऐन हक़ और अदल है की हम भी उसी के और हमारे हुक़ूक़ भी उसी के मुक़र्रर फरमाए हुवे है, अगर वो हमारे खून, माल और इज़्ज़त वगैरा को मासूम व मोहतरम न करता तो हमे कोई कैसा ही आज़ार (तकलीफ) पहुचाता, कभी हमारे हक़ में गिरफ्तार न होता।
     युही अब भी अल्लाह जिसे चाहे, हमारे हुक़ुक़ मुआफ़ फरमा दे क्युकी वही मालिके हक़ीक़ी है, मगर उस करीम, रहीम की रहमत है की हमारे हुक़ुक़ का इख़्तियार हमारे हाथ में रखा है, बे हमारे बख्शे मुआफ़ हो जाने की शक्ल न रखी, ताकि कोई मज़लूम ये न कहे की ऐ मेरे मालिक ! मुझे मेरा हक़ न मिला।
*✍🏼फतवा रज़विय्या 24/460*
*✍🏼बन्दों के हुक़ूक़, 8*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नमाज़ के 7 फराइज़* #04
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_3 किराअत_* #01
     किराअत इस का नाम है की तमाम हरुफ़ मखारिज से अदा किये जाए की हर हर्फ़ गैर से सहीह तौर पर मुमताज़ हो जाए।
     आहिस्ता पढ़ने में भी ये ज़रूरी है की खुद सुन ले।
     अगर हरुफ़ तो सहीह अदा किये मगर इतने आहिस्ता की खुद न सुना और कोई रुकावट मसलन शोरो गुल या उचा सुनने का मरज़ भी नही तो नमाज़ न हुइ।
     अगर्चे खुद सुनना ज़रूरी है मगर ये भी एहतियात रहे की आहिस्ता किराअत वाली नमाज़ों में किराअत की आवाज़ दुसरो तक न पहुचे, इसी तरह तस्बिहात वग़ैरा में भी ख्याल रखिये।
     नमाज़ के इलावा भी जहा कुछ कहना या पढ़ना मुक़र्रर किया है इस से भी ये मुराद है की कम अज़ कम इतनी आवाज़ हो की खुद सुन सके मसलन तलाक़ देने, जानवर ज़बह करने के लिये अल्लाह का नाम लेने में इतनी आवाज़ ज़रूरी है की खुद सुन सके।
★ दुरुद शरीफ वग़ैरा अवराद पढ़ते हुए भी कम अज़ कम इतनी आवाज़ होनी चाहिये की खुद सुन सके जभी पढ़ना कहलाएगा।
     मुतलक़न एक आयत पढ़ना फ़र्ज़ की दो रकअतो में और वित्र्, सुन्नत और नवाफ़िल की हर रकअत में इमाम व मुनफरीद (तन्हा नमाज़ पढ़ने वाला) पर फ़र्ज़ है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 164*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*तेल डालने और कंघा करने की सुन्नते और आदाब* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हमारे प्यारे आक़ा صلى الله عليه وسلم अपने सरे अक़दस और दाढ़ी मुबारक में तेल डालते, कंघा करते, बिच सर में मांग निकलते। हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से मरवी है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : जिसके बाल हो तो वो उन का इकराम करे। (यानी उन को धोए, तेल लगाए, कंघा करे)
*अबू दाऊद, 4/103, हदिष:4123*

★ मांग सर के बिच में निकाली जाए कि सुन्नत है।

★ सर में तेल डालने से क़ब्ल بسم الله الرحمن الرحيم पढ़ लेना चाहिये।

★ सर में तेल लगाने का तरीक़ा ये है कि بسم الله الرحمن الرحيم पढ़ के उलटे हाथ की हथेली में थोडा सा तेल डेल, फिर पहले सीधी आँख के अब्र पर तेल लगाए फिर उलटी के। इस के बाद सीधी आँख की पलक पर, फिर उलटी पर। अब फिर بسم الله الرحمن الرحيم पढ़ कर सर में तेल डेल।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 72*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Wednesday 21 June 2017

*बन्दों के हुक़ूक़* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*मज़लूम और दुख्यारे फाइदे में !*
     बन्दों की हक़ तलफी आख़िरत के लिये बहुत ज़्यादा नुक़्सान देह है। हज़रते शैख़ अबू तालिब मुहम्मद बिन अली मक्की رحمة الله عليه "क़ुतुल कुलूब" में फ़रमाते है : ज़्यादा तर (अपने नही बल्कि) दुसरो के गुनाह ही दोज़ख में दाखिले का बाइस होंगे जो (हुक़ुक़ुल इबादत तलफ करने के सबब) इंसान पर डाल दिये जाएंगे। नीज़ बे शुमार अफ़राद (अपनी नेकियों के सबब नही बल्कि) दुसरो की नेकियां हासिल कर के जन्नत में दाखिल हो जाएंगे।
*✍🏼क़ुतुल कुलूब, 2/253*

     ज़ाहिर है, दुसरो की नेकियां हासिल करने वाले वही होंगे, जिन की दुन्या में दिल आज़ारियां और हक़ तलफियां हुई होंगी, यूं बरोज़े क़यामत मज़लूम और दुख्यारे लोग फाइदे में रहेंगे।
*✍🏼ज़ुल्म का अन्जाम, 17*
*✍🏼बन्दों के हुक़ूक़, 7*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नमाज़ के 7 फराइज़* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_2 क़याम :_* #02
      बाज़ मसाजिद में कुर्सियो का इंतिज़ाम भी होता है, बाज़ बूढ़े वग़ैरा उन पर बैठ कर फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ते है हाला की चल कर आए होते है, नमाज़ के बाद खड़े खड़े बातचीत भी कर लेते है, ऐसे लोग अगर बिगैर इजाज़ते शरई बैठ कर नमाज़े पढ़ेंगे तो उन की नमाज़े न होगी।
     खड़े हो कर पढ़ने की कुदरत हो जब भी बैठ कर नफ्ल पढ़ सकते है मगर खड़े हो कर पढ़ना अफज़ल है।
     हज़रते अब्दुल्लाह बिन अम्र رضي الله تعالي عنه से मरवी है, रहमते आलम صلى الله عليه وسلم ने इरशाद फ़रमाया : बैठ कर पढ़ने वाले की नमाज़ खड़े हो कर पढ़ने वाले की निस्फ़ (यानी आधा षवाब) है।
*✍🏼सहीह मुस्लिम जी.1 स.253*

     अलबत्ता उज़्र की वजह से बैठ कर पढ़े तो षवाब में कमी न होगी ये जो आज कल रवाज पड गया है की नफ्ल बैठ कर पढ़ा करते है ब ज़ाहिर ये मालुम होता है की शायद बैठ कर पढ़ने को अफज़ल समझते है, ऐसा है तो उन का ख्याल गलत है। वित्र् के बाद जो 2 रकअत नफ्ल पढ़ते है उन का भी यही हुक्म है की खड़े हो कर पढ़ना अफज़ल है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼बहारे शरीअत, जी.4 स.17*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 163*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*छींकने की सुन्नते और आदाब*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     छींक के वक़्त सर झुकाए, मुंह छुपाए और आवाज़ आहिस्ता निकले। छींक की आवाज़ बुलन्द करना हमाक़त है।
*✍🏼बहारे शरीअत, 6/103*
     हज़रते उबादा बिन सामित व शद्दाद बिन औस व हज़रते वासिला رضي الله عنهم से रिवायत है कि ताजदारे मदीना صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : किसी को डकार या छींक आए तो आवाज़ बुलन्द न करे कि शैतान को ये बात पसन्द है कि इन में आवाज़ बुलन्द की जाए।
*✍🏼शोएबुल ईमान, 7/32, हदिष:9355*

     हज़रते इब्ने अब्बास رضي الله عنه से रिवायत है कि हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : जब किसी को छींक आए और वो *اٙلْحٙمْدُ لِلّٰهِ* कहे तो फ़रिश्ते कहते है *رٙبِّ الْعٙالٙمِينْ* और वो *اٙلْحٙمْدُ لِلّٰهِ رٙبِّ الْعٙا لٙمِينْ* कहता है, तो फ़रिश्ते कहते है, *يٙرْ حٙمُكٙ اللّٰه* यानी अल्लाह तुझ पर रहम फरमाए।
*✍🏼तिबरानी अवसत, 2/305, हदिष:3371*

छिक आने पर *ٙلْحٙمْدُ لِلّٰهِ* कहना सुन्नत है बेहतर यर है कि *ٙلْحٙمْدُ لِلّٰهِ ربِّ الْعٙالٙمِين* कहे। सुनने वाले पर वाजिब है कि फौरन *يٙرْ حٙمُكٙ الله* (यानी अल्लाह तुज पर रहम करे) कहे। और इतनी आवाज़ से कहे की छींकने वाला खुद सुन ले। अगर आवाज़ में ताखीर करदी तो गुनाहगार होगा। सिर्फ जवाब देने से गुनाह मुआफ़ नही होगा तौबा भी करनी होगी।
*✍🏼बहारे शरीअत, 16/102*

     जवाब सुन कर छींकने वाला कहे, *يٙغْفِرُ اللّٰهُ لٙنٙاوٙلٙكُمْ* (अल्लाह हमारी और तुम्हारी मगफिरत फरमाए)
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 60*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Tuesday 20 June 2017

*बन्दों के हुक़ूक़* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*हमा वक़्त जारी गुनाहो का मीटर !*
     हज़रते इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली رحمة الله عليه फरमाते है : जो शख्स क़र्ज़ लेता है और ये निय्यत करता है कि में अच्छी तरह अदा करूंगा, तो अल्लाह उसकी हिफाज़त के लिये चन्द फ़रिश्ते मुक़र्रर फरमा देता है और वो दुआ करता है कि इसका क़र्ज़ अदा हो जाए।
*✍🏼اِتِحا فُ السّادٙة للزّبيدى ج6 ص409*
     और अगर क़र्ज़दार क़र्ज़ अदा कर सकता हो तो क़र्ज़ ख्वाह की मरज़ी के बगैर अगर एक घड़ी भर भी ताखीर करेगा तो गुनाहगार होगा और ज़ालिम क़रार पाएगा। ख्वाह रोज़े की हालत में हो या सो रहा हो, उस्के ज़िम्मे गुनाह लिखा जाता रहेगा। (गोया हर हाल में गुनाह का मीटर चलता रहेगा) और हर सूरत में उस पर अल्लाह की लानत पड़ती रहेगी। ये गुनाह तो ऐसा है की नींद की हालत में भी उसके साथ रहता है। अगर (मकरूज़) अपना सामन बेच कर क़र्ज़ अदा कर सकता है, तब भी करना पड़ेगा, अगर ऐसा नही करेगा तो गुनाहगार है। अगर क़र्ज़ के बदले ऐसी चीज़ दे, जो क़र्ज़ ख्वाह को ना पसन्द हो, तब भी देनेवाला गुनाहगार होगा और जब तक उसे राज़ी न करेगा, इस ज़ुल्म के ज़ुर्म से नजात नही पाएगा, क्यू की उसका ये फेल कबीरा गुनाहो में से है, मगर लोग इसे मामूली ख्याल करते है।
*✍🏼किमियाए सआदत, 1/336*
*✍🏼ज़ुल्म का अन्जाम, 14*
*✍🏼बन्दों के हुक़ूक़, 6*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नमाज़ के 7 फराइज़* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_2 क़याम :_* #01
     कमी की जानिब क़याम की हद ये है की हाथ बढ़ाए तो घुटनो तक न पहुचे और पूरा क़याम ये है की सीधा खड़ा हो।
     क़याम इतनी देर तक है जितनी देर तक किरअत है। ब क़दरे किराअते फ़र्ज़ क़याम भी फ़र्ज़, ब क़दरे वाजिब में वाजिब और ब क़दरे सुन्नत में सुन्नत।
     फ़र्ज़, वित्र्, इदैन और सुन्नते फ़र्ज़ में क़याम फ़र्ज़ है। अगर बिल उज़्रे सहीह कोई ये नमाज़े बैठ कर अदा करेगा तो न होगी।
     खड़े होने से महज़ कुछ तकलीफ होना उज़्र नही बल्कि क़याम उस वक़्त साकित होगा की खड़ा न हो सके या सज्दा न कर सके या खड़े होने या सज्दा करने में ज़ख्म बहता है या खड़े होने में क़तरा आता है या चौथाई सित्र खुलता है या किराअत से मजबूर महज़ हो जाता है। युही खड़ा हो सकता है मगर उस से मरज़ में ज्यादती होती अहै या देर में अच्छा होगा या ना क़ाबिले बर्दास्त तकलीफ होगी तो बैठ कर पढ़े।
     अगर असा या बैसाखी खादिम या दिवार पर टेक लगा कर खड़ा होना मुम्किन है तो फ़र्ज़ है की खड़ा हो कर पढ़े।
     अगर सिर्फ इतना खड़ा होना मुमकिन है की खड़े खड़े तकबीरे तहरिमा कह लेगा तो फ़र्ज़ है की खड़ा हो कर "अल्लाहु अक्बर" कहले और अब खड़ा रहना मुम्किन नही तो बैठ जाए।

बाक़ी अगली पोस्ट में. ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 162*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नाख़ून, हजामत, मुए बगल वगैरा से मुताल्लिक़ सुन्नते और आदाब* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

★ हाथ, पाउ और पेट के बाल दूर करना चाहे तो मना नही।

★ सीना और पीठ के बाल काटना या मुंडाना अच्छा नही।

★ दाढ़ी बढ़ाना सुनने अम्बिया व मुरसलीन से है। मुंडाना या एक मुश्त से कम करना हराम है। हा एक मुश्त से ज़ाइद हो जाए तो जितनी ज़्यादा है उस को कटवा सकते है।

 ★ मुछो के दोनों कनारो के बाल बड़े बड़े हो तो हरज नही। बाज़ अस्लाफ (यानी गुज़श्ता बुजुर्गो) की मुछे इस किस्म की थी।

★ मर्द को चाहिये की मुए ज़ेरे नाफ उस्तरे वगैरा से मुंड दे। इस काम के लिये बाल सफा पावडर वगैरा का इस्तिमाल मर्द व औरत दोनों को जाइज़ है।
     मुए ज़ेरे नाफ को नाफ के एन निचे से मुंडना शुरू करे।

★ जनाबत की हालत में (यानी गुस्ल फ़र्ज़ होने की सूरत में) न कहि के बाल मुंडे न ही नाख़ून तराशे की ऐसा करना मकरूह है।

★ इस्लामी बहने अपने सर वगैरा के बाल ऐसी जगह न डाले जहां गैर महरम की नज़र पड़े।

★ इंसान के बाल (ख्वाह वो जिस्म के किसी भी हिस्से के हो) नाख़ून, हैज़ का लत्ता (यानी वो कपड़ा जिस से हैज़ का खून साफ़ किया गया हो) और इंसानी खून इन चारो चीज़ों को दफन कर देने का हुक्म है।

     ऐ हमारे प्यारे अल्लाह ! हमे अपने ज़ाहिर व बातिन दोनों को साफ रखने की तौफ़ीक़ अता फरमा और इस मुआमले में जो जो सुन्नते है उन तमाम सुन्नतो पर खुश दिली से अमल करने की तौफिके रफ़ीक़ मर्हमत फरमा।
اٰمِيْن بِـجٙـاهِ النّٙـبِـىِّ الْاٙ مِيْن
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 68*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Monday 19 June 2017

*गेहू का दाना*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     एक शख्स को बादे वफ़ात किसी ने ख्वाब में देख कर पूछा : अल्लाह ने आप के साथ क्या मुआमला फ़रमाया ? कहा : अल्लाह ने मुझे बख्श दिया, लेकिन हिसाबो किताब हुवा, यहाँ तक की उस दिन के बारे में भी मुझ से पूछ गछ हुई, जिस रोज़ में रोज़े से था और अपने एक दोस्त की दूकान पर बेठा हुवा था, जब इफ्तार का वक़्त हुवा तो मेने गेहू की एक बोरी में से गेहू का एक दाना उठा लिया और उसको तोड़ कर खाना ही चाहता था की एक दम मुझे एहसास हुवा की ये दाना मेरा नही। चुनांचे में ने उसे जहा से उठाया था उसी जगह डाल दिया और मुझसे उसका भी हिसाब लिया गया, यहाँ तक की उस पराए गेहू के तोडे जाने के नुकसान के ब क़दर मेरी नेकिया मुझ से ली गई।
*✍🏽मिर्कातुल मफातिह, 8/811*

मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! गौर कीजिये ! की जब पराए गेहू के एक मामूली से दाने को बिला इजाज़त तोड़ने का इस क़दर नुकसान है की मरने के  बाद उस शख्स को नेकिया देनी पड गई, तो एक मुस्लमान के बुनयादी हुक़ूक़ को पामाल कर डालना और उन की कुछ परवा न करना किस क़दर नुकसान और खसारे का सबब बन सकता है. अफ़सोस ! सद अफ़सोस ! की हमारे मुआशरे में एक दूसरे के हुक़ूक़ को पूरी तरह पामाल किया जाता है.
*✍🏽बन्दों के हुक़ूक़, 4*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नमाज़ के 7 फराइज़* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

1 तकबीरे तहरीमा, 2 क़याम, 3 किरआत, 4 रूकू, 5 सुजूद, 6 कादए आख़िरा, 7 खुरूजे बिसुन्इही।

*_1 तकबीरे तहरीमा :_*
     दर हक़ीक़त तकबीरे तहरीमा (यानि तकबीरे ऊला) शराइते नमाज़ में से है मगर नमाज़ के अफआल से बिलकुल मिली हुई है इस लिये इसे नमाज़ के फराइज़ में भी शुमार किया गया है।
     मुक्तदि ने तकबीरे तहरीमा का लफ्ज़ "अल्लाह" इमाम के साथ कहा मगर "अक्बर" इमाम से पहले खत्म कर लिया तो नमाज़ न होगी।
     इमाम को रूकू में पाया और तकबीरे तहरिमा कहता हुवा रूकू में गया यानि तकबीर उस वक़्त खत्म हुई की हाथ बढ़ाए तो घुटने तक पहुच जाए, नमाज़ न होगी।
     ऐसे मौक़े पर क़ायदे के मुताबिक़ पहले खड़े खड़े तकबीरे तहरिमा कह लीजिये इस के बाद अल्लाहु अक्बर कहते हुए रूकू कीजिये, इमाम के साथ अगर रूकू में मामूली सी भी शिर्कत हो गई तो रकअत मिल गई अगर आप के रूकू में दाखिल होने से क़ब्ल इमाम खड़ा हो गया तो रकअत न मिली।
     जो शख्स तकबीर के तलफ़्फ़ुज़ पर क़ादिर न हो मसलन गूंगा हो या किसी और वजह से ज़बान बन्द हो गई हो उस पर तलफ़्फ़ुज़ लाज़िम नही, दिल में इरादा काफी है।
     लफ़्ज़े अल्लाह को "आल्लाह" या अक्बर को "आक्बर" या "अकबार" कहा नमाज़ न होगी बल्कि अगर इनके माना फासिद समझ कर जानबुझ कर कहे तो काफ़िर है।
     पहली रकअत का रूकू मिल गया तो तकबीरे ऊला की फ़ज़ीलत पा गया।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 161*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नाख़ून, हजामत, मुए बगल वगैरा से मुताल्लिक़ सुन्नते और आदाब* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

★ दांत से नाख़ून नही काटना चाहिये की मकरूह है और इस से मरज़े बर्स पैदा हो जाने का अन्देशा है।

★ लंबे नाख़ून शैतान की निशस्त गाह है। यानी इन पर शैतान बैठता है।

★ नाख़ून या बाल वगैरा काटने के बाद दफन कर देना चाहिए। बैतूल खला या गुस्ल खाने में डाल देना मकरूह है की इस से बिमारी पैदा होती है।

★ नाख़ून तराश लेने के बाद उंगलियो के पोरे धो लेने चाहिए।

★ बगल के बालो को उखाड़ना सुन्नत है और मुंडना गुनाह भी नही।

★ नाक के बाल न उखाड़े की इस से मरज़े आकिला पैदा हो जाने का खौफ है।

★ गर्दन के बाल मुंडना मकरूह है। यानी जब के सर के बाल न कटवाए सिर्फ गर्दन के बाल कटवाए। नबीए पाक صلى الله عليه وسلم ने हजामत के सिवा गर्दन के बाल मुंडाने से मना फ़रमाया।

★ अब्र के बाल अगर बड़े हो जाए तो उन को तरश्वा सकते है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 66*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Sunday 18 June 2017

*फैज़ाने लै-लतुल क़द्र* #11
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_शबे क़द्र में पढ़िये_*
     अमीरुल मुअमिनिन हज़रते शेरे खुदा رضي الله تعالي عنه फरमाते है : जो कोई शबे क़द्र में सूरतुल क़द्र 7 बार पढता है अल्लाह उसे हर बला से महफूज़ फरमा देता है और 70000 फ़रिश्ते उसके लिये जन्नत की दुआ करते है.
     और जो कोई साल भर में जब कभी जुमुआ के रोज़ नमाज़े जुमुआ से क़ब्ल 3 बार पढता है अल्लाह उस रोज़ के तमाम नमाज़ पढ़ने वालो की तादाद के बराबर नेकिया लिखता है।
*✍🏽नुजहतुल मजालिस 1/223*
*✍🏽फैज़ाने सुन्नत 1166*

_हो सके तो हर ताक यानी 21, 23, 25, 27 और 29 वी रात में सूरतुल क़द्र 7 बार पढ़लिजिये।_

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नमाज़ की 6 शराइत* #06
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_5 निय्यत :_* #02
     नमाज़े नफ्ल में मुतलक़ नमाज़ की निय्यत काफी है अगर्चे नफ्ल निय्यत में न हो।
_ये निय्यत की मुह मेरा किब्ला शरीफ की तरफ है शर्त नही।_
     इक़्तिदा में मुक्तदि का इस तरह निय्यत करना भी जाइज़ है की _जो नमाज़ इमाम की है वो नमाज़ मेरी है।_
     नमाज़े जनाज़ा की निय्यत ये है _"नमाज़ अल्लाह के लिये और दुआ इस मय्यित के लिये"।_
     वाजिब में वाजिब की निय्यत करना ज़रूरी है और इसे मुअय्यन भी कीजिये मसलन ईदुल फ़ित्र, ईदुल अज़्हा, नज़्र, नमाज़े बाद तवाफ़ (वाजीबुत्तवाफ) या वो नफ्ल नमाज़ जिस को जानबुझ कर फासिद् किया हो की उसकी क़ज़ा भी वाजिब हो जाती है।

     सज्दए शुक्र अगर्चे नफ्ल है मगर उस में भी निय्यत ज़रूरी है मसलन दिल में ये निय्यत हो की में सज्दए शुक्र करता हु।

     सज्दए सहव में भी "साहिबे नहरुल फाइक़" के नज़दीक निय्यत ज़रूरी है।यानि उस वक़्त दिल में ये निय्यत हो की में सज्दए सहव करता हु।

*_6 तकबीरे तहरीमा :_*
     यानि नमाज़ को "अल्लाहु अक्बर" कह कर शुरू करना ज़रूरी है।
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा  159-160*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नाख़ून, हजामत, मुए बगल वगैरा से मुताल्लिक़ सुन्नते और आदाब* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_हाथो के नाख़ून तराशने का तरीक़ा_*
     हाथो के नाख़ून तराशने है इन दोनों में से आप जिस तरीके पर भी अमल करेंगे أن شاء الله सुन्नत का षवाब पाएंगे।
     हज़रते अलिय्युल मुर्तज़ा كرم الله وجهه الكريم से नाख़ून काटने की ये सुन्नत मन्कुल है की सब से पहले सीधे हाथ की छुंगलिया, फिर बिच वाली, फिर अंगूठा, फिर मंझली (यानि छुंगलिया के बराबर वाली) फिर शहादत की ऊँगली। अब बाए हाथ में पहले अंगूठा, फिर बिच वाली, फिर छुंगलिया, फिर शहादत की ऊँगली, फिर मंझली से काटना शुरू करे और उलटे हाथ के नाख़ून और उलटे हाथ के नाख़ून अंगूठे से।
*✍🏼बहारे शरीअत, 16/195*

     दूसरा तरीक़ा आसान है और ये भी हमारे आक़ा صلى الله عليه وسلم से साबित है और वो ये है की सीधे हाथ की शहादत की ऊँगली से शुरू करके तरतीब वार छुंगलिया समेत नाख़ून तराशें मगर अंगूठा छोड़ दे। अब उलटे हाथ की छुंगलिया से शुरू करके तरतिब्वार अंगूठे समेत नाख़ून तराश ले। अब आखिर में सीधे हाथ का अंगूठा जो बाक़ी था उस का नाख़ून भी काट ले। इस तरह सीधे हाथ से शुरू हुवा और सीधे हाथ पर खत्म।
*✍🏼बहारे शरीअत, 16/196*

*_पाउ के नाख़ून काटने का तरीक़_*
     बहारे शरीअत में "दुर्रे मुख्तार" के हवाले से लिखा है की पाउ के नाख़ून तराशने की कोई तरतीब मन्कुल नही। बेहतर ये है की वुज़ू में पाउकि उंगलियो में खिलाल करने की जो तरतीब है उसी तरतीब के मुताबिक़ पाउ के नाख़ून काट ले। यानी सीधे पाउ की छुंगलिया से शुरू करके तरतीब वार अंगूठे समेत नाख़ून तराशे फिर उलटे पाउ के अंगूठे से शुरू करके छुनगलिया समेत नाख़ून काट ले।
*✍🏼बहारे शरीअत, 16/196*
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 66*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*फैज़ाने लै-लतुल क़द्र* 10
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_जादूगर का जादू नाकाम_*
     हज़रते इस्माइल हक्की رضي الله تعالي عنه नकल फरमाते है,  ये रात सलामती वाली रात है यानी इसमें बहुत सी चीज़ों से सलामती है। इस रात में बिमारी, शर और आफत से सलामती है, इसी तरह आंधी, बिजली वगैरा ऐसी बाते जिन से डर पैदा होता हो उन से भी सलामती है, बल्कि इस रात में जो कुछ नाज़िल होता है वो सलामती, नफा और खैर पर मुश्तमिल होता है। और न ही इस शैतान बुराई करवाने की ताक़त रखता है और न ही जादूगर का जादू इस में चलता है बस इस रात में सलामती ही सलामती है।
*✍🏽रुहुल बयान 10/485*
*✍🏽फैज़ाने सुन्नत 1147*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Saturday 17 June 2017

*फैज़ाने लै-लतुल क़द्र* 09
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_लड़ाई का वबाल_*
     हज़रते उबादा बिन सामित رضي الله تعالي عنه से रिवायत है के हुज़ूर ﷺ हुजरे से बहार तशरीफ़ लाए ताके हम को शबे क़द्र के बारे में बताए (के किस रात में है), दो मुसलमान आपस में जगड़ रहे थे। आप ﷺ ने इरशाद फ़रमाया :
     में इस लिये आया था के तुम्हे शबे क़द्र बताऊ लेकिन फुला फुला शख्स जगड़ रहे थे इस लिये इसका तअय्युन उठा लिया गया। और मुमकिन है के इसी में तुम्हारी बेहतरी हो। अब इसको आखरी अशरे की ताक रातो में ढूंढो।
*✍🏽शाहीह बुखारी 1/663*
*✍🏽फैज़ाने सुन्नत 1141*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*तीसरा अशरा _नजात_ का*
21 से 30 रोज़े तक ईस दुआ को कसरत से पढ़ा करे।
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

اٙللّٰهُمّٙ اٙجِـرْ نِـىْ مِـنٙ النّٙـارْ

तर्जमा :
अय अल्लाह हमें जहन्नम की आग से बचा।

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 9723 654 786
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*फैजाने लै-लतुल क़द्र* #08
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_सब्ज़ झन्डा_*
     हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास رضي الله تعالي عنه ने रिवायत किया है, हुज़ूर ﷺ का फरमान है : जब शबे क़द्र आती है तो अल्लाह के हुक्म से हज़रते जिब्राइल अलैहिस्सलाम एक सब्ज़ रंग का झन्डा लिये फरिश्तों की बहित बड़ी फ़ौज के साथ ज़मीन पर नुज़ूल होते है और उस सब्ज़ झन्डे को काबाए मुअज़्ज़्म पर लहरा देते है।
     हज़रते जिब्राइल के 100 बाज़ू है, जिन में से 2 बाज़ू सिर्फ इसी रात खोलते है। वो बाज़ू मशरिक व मगरिब में फेल जाते है। फिर जिब्राइल फरिश्तों को हुक्म देते है के जो कोई मुसलमान आज रात क़याम, नमाज़ या ज़िकरुल्लाह में मशगूल है उससे सलाम व मुसाफ़हा करो। नीज़ उनकी दुआओ पर आमीन कहो।
     चुनान्चे सुबह तक यही सिलसिला रहत है। सुबह होने पर हज़रते जिब्राइल फरिश्तों को वापसी का हुक्म देते ही। फ़रिश्ते अर्ज़ करते है, अल्लाह के प्यारे हबीब ﷺ की उम्मत की हाजत के बारे में क्या किया ? हज़रते जिब्राइल  फरमाते है, अल्लह ने इन लोगो पर खुसूसी नज़रे करम फ़रमाई और 4 किस्म के लोगो के इलावा तमाम कोंगो को मुआफ़ फरमा दिया।
1 शराब का आदि
2 वालिदैन के ना फरमान
3 रिश्तेदारो से तअल्लुक़ तोड़ने वाले
4 आपस में बुग्ज़ व किना रखते है और आपस में कतए तअल्लुक़ करने वाले।
*✍🏽शोएबुल ईमान 3/336*
*✍🏽फैजाने सुन्नत 1138*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi

  • 📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Friday 16 June 2017

*फैजाने लै-लतुल क़द्र* #07
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_तमाम बलाइयो से महरूम कौन ?_*
     हज़रत अनस बिन मालिक رضي الله تعالي عنه फरमाते है, एक बार जब माह रमज़ान तशरीफ़ लाया तो हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : तुम्हारे पास एक महीना आया है जिस में एक रात ऐसी भी है जो 1000 महीनो से अफज़ल है जो शख्स उस रात से महरूम रह गया, गोया तमाम की तमाम भलाई से महरूम रह गया, और उसकी भलाई से महरूम नही रहता मगर वो शख्स जो हकीकतन महरूम है।
*✍🏽सनन इब्ने माजह 2/298*
*✍🏽फैजाने सुन्नत 1136*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*बरकाते ज़कात* #22
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_अज़ाबात का नक्शा_* #01
     ज़कात अदा करने के जहा बे शुमार षवाब है, न देने के लिये वहा खौफनाक अज़ाबात भी है.

     आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान अलैरहमा क़ुरआनो हदिष में बयान कर्दा अज़ाबात का नक्शा खीचते हुए फरमाते है : जिस सोने चांदी की ज़कात न दी जाए, रोज़े क़यामत जहन्नम की आग में तपा कर इससे उनकी पेशानिया, करवटें, पीढ़े दागी जाएगी। उनके सर पिस्तान पर जहन्नम का गर्म पथ्थर रखेंगे कि छाती तोड़ता शाने से निकल जाएगा, पीठ तोड़ कर करवट से निकलेगा, गुद्दी तोड़ कर पेशानी से उभरेगा।

     जिस माल की ज़कात न दी जाएगी रोज़े क़यामत पुराना खबीस खू खार अज़हदा बन कर उसके पीछे दौड़ेगा, ये हाथ से रोकेगा, वो हाथ चबालेग, फिर गले में तोक बन कर पड़ेगा, इसका मुह अपने मुह में ले कर चबाएगा कि में हु तेरा माल, में हु तेरा खज़ाना। फिर उसका सारा बदन चबा डालेगा।

बाक़ी कल की पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏽फतावा रज़विय्या* 10/153
*✍🏽बरकाते ज़कात* 22

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Thursday 15 June 2017

*नमाज़ की 6 शराइत* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_3. इस्तिक़्बाले किब्ला :_*
     नमाज़ में किब्ला यानि काबे की तरफ मुह करना।
     नमाज़ी ने बिला उज़्र जानबुझ कर किब्ले से सीना फेर दिया अगर्चे फौरन ही किब्ले की तरफ हो गया नमाज़ फासिद् हो गई वे अगर बिला क़स्द फिर गया और ब क़दर 3 बार "सुब्हान अल्लाह" कहने के वक्फे से पहले वापस किब्ला रुख हो गया तो फासिद् न हुई
*✍🏼बुखारी जी.1 स.497*

     अगर सिर्फ मुह किब्ले से फेरा तो वाजिब है की फौरन किब्ले की तरफ मुह कर ले और नमाज़ न जाएगी मगर बिला उज़्र ऐसा करना मकरूहे तहरीमी है।
     अगर ऐसी जगह पर है जहां किब्ले की शनाख्त का कोई ज़रीआ नही है न कोई ऐसा मुसलमान है जिस से पूछ कर मालुम किया जा सके तो तहर्रि कीजिये यानि सोचिये और जिधर किब्ला होना दिल पर जमे उधर ही रुख कर लीजिये आप के हक़ में वोही किब्ला है।
     तहर्रि कर के नमाज़ पढ़ी बाद में मालुम हुवा की किब्ले की तरफ नमाज़ नहीं पढ़ी, नमाज़ हो गई लौटाने की हाजत नहीं।
     एक शख्स तहर्रि करके नमाज़ पढ़ रहा हो दूसरा उसकी देखा देखि उसी सम्त नमाज़ पढ़ेगा तो नही होगी दूसरे के लिये भी तहर्रि करने का हुक्म है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 156-157*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*बरकाते ज़कात* #21
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_माल वबाल बन जाएगा_*
     ज़कात न देने वाले के लिये बरोज़े क़यामत येही माल, वबाले जान बन जाएगा।

     हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : जिसको अल्लाह तआला ने माल दिया और वो उस की ज़कात अदा न करे तो क़यामत के दिन वो माल गंजे सांप की सूरत में कर दिया जाएगा, जिस के सर पर दो सियाही निशान होंगे, वो सांप उसके गले में तौक़ बना कर डाल दिया जाएगा। फिर उस की बाछे पकड़ेगा और कहेगा : में तेरा माल हु, में तेरा खजाना हु।
*✍🏽सहीह बुखारी* 1/474 हदिष 1403
*✍🏽बरकाते ज़कात* स.22

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Wednesday 14 June 2017

*फैजाने लै-लतुल क़द्र*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_सरकार ﷺ रंजीदा हो गए_*
     तफ़सीरे आजिज़ी में है के जब हमारे आक़ा ﷺ ने साबिका अम्बियाए किराम की उम्मतों की तवील उम्रों और अपनी उम्मत की कलिल उम्रों को मुलाहजा फ़रमाया तो गम खवारे उम्मत का मुबारक दिल शफ़क़त से भर आया और आप रंजीदा हो गए के मेरे उम्मती अगर खूब खूब नेकिया करे जब भी उन की बराबरी नही कर सकेंगे।
चुनान्चे अल्लाह की रहमत जोश पर आई और उस ने अपने प्यारे हबीब ﷺ को लै-लतुल क़द्र अता फ़रमाई।
*✍🏼तफ़सीरे आजिज़ी 4/434*
*✍🏼फैजाने सुन्नत 1128*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नमाज़ की 6 शराईत* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_1. तहारत :_*
     नमाज़ी का बदन, लिबास और जिस जगह नमाज़ पढ़ रहा है उस जगह का हर किस्म की नजासत से पाक होना ज़रूरी है।

*_2. सित्रे औरत :_*
     मर्द के लिये नाफ़ के निचे से ले कर घुटनो समेत बदन का सारा हिस्सा छुपा हुवा होना ज़रूरी है
     जब की औरत के लिये इन पाँच आज़ा : मुह की टिक्ली, दोनों हथेलिया और दोनों पाउ के तल्वो के इलावा सारा जिस्म छुपाना लाज़िमी है अलबत्ता अगर दोनों हाथ (गिट्टो तक) पाउ (तखनो तक) मुकम्मल ज़ाहिर हो तो एक मुफ़्ता बिहि क़ौल पर नमाज़ दुरुस्त है।
     अगर ऐसा बारीक कपड़ा पहना जिस से बदन का वो हिस्सा जिस का नमाज़ में छुपाना फ़र्ज़ है नज़र आए या जिल्द का रंग ज़ाहिर हो, नमाज़ न होगी।
     आजकल बारीक कपड़ो का रवाज बढ़ता जा रहा है। ऐसे बारीक कपड़े का पाजामा पहनना जिस से रान या सित्र का कोई हिस्सा चमकता हो इलावा नमाज़ के भी पहनना हराम है।
     मोटा कपड़ा जिस से बदन का रंग न चमकता हो मगर बदन से ऐसा चिपका हुवा हो की देखने से उज़्व की हैअत मालुम होती हो। ऐसे कपड़े से अगर्चे नमाज़ हो जाएगी मगर उस उज़्व की तरफ दुसरो को निगाह करना जाइज़ नहीं। ऐसा लिबास लोगो के सामने पहनना मना है और औरत के लिये ब दरजए औला मुमानअत।
     बाज़ ख्वातीन मलमल वग़ैरा की बारीक चादर नमाज़ में ओढ़ती है जिस से बालो की सियाही चमकती है या ऐसा लिबास पहनती है जिस से आज़ा का रंग नज़र आता है ऐसे लिबास में भी नमाज़ नहीं होती।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 155-156*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*फ़ैज़ाने एतिकाफ* #07
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_उन को अल्लाह से कुछ काम नही_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : लोगो पर एक ज़माना आएगा की मसाजिद में दुन्या की बाते होगी, तुम उन के साथ मत बेठो की उन को अल्लाह से कुछ काम नही।
*✍🏼शोएबुल ईमान, 3/87, हदिष:2962*

*_अल्लाह तेरी गुमशुदा चीज़ न मिलाए_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो किसी को मस्जिद में ब आवाज़ें बुलन्द गुमशुदा चीज़ ढुढते सुने तो वो कहे, अल्लाह वो गुमशुदा शय तुझे न मिलाए। क्यू की मस्जिद इस काम के लिये नही बनाई गई।
*✍🏼सहीह मुस्लिम, 284, हदिष:568*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Tuesday 13 June 2017

*फैजाने लै-लतुल क़द्र*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

     अल्लाह क़ुरआने पाक में इरशाद फ़रमाता है :
_बेशक हमने इसे शबे क़द्र में उतरा और तुम ने क्या जाना, क्या है शबे क़द्र ? शबे क़द्र हज़ार महीनो से बेहतर है, इस में फ़रिश्ते और जिब्राइल अलैहिस्सलाम उतरते है अपने रब के हुक्म से, हर काम के लिये, वो सलामती है सुबह चमकने तक।_
*पारह 30, सूरतुल क़द्र*

     शबे क़द्र कीस क़दर अहम रात है के इस की शान में अल्लाह ने पूरी एक सूरत नाज़िल फ़रमाई। इसी सूरए मुबारका में अल्लाह ने इस मुबारक रात की कई खुसुसिय्यत इरशाद फ़रमाई है।
     मुफ़स्सिरीने किराम इसी सूरए क़द्र के ज़िम्न में फरमाते है, इस रात में अल्लाह ने क़ुरआने मजीद को लौहे महफूज़ से आसमाने दुन्या पर नाज़िल फ़रमाया और फिर तकरीबन 23 बरस की मुद्दत में अपने प्यारे हबीब ﷺ पर इसे ब तदबीर नाज़िल किया।
*✍🏼तफसिरे सावी 6/2398*
*✍🏼फैजाने सुन्नत 1127*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*​
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 9723 654 786
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नमाज़ का तरीका* #08
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फिर 4 रकअते पूरी करके कादए आखिरह में तशह्हुद के बाद दुरुदे इब्राहिम पढ़िये, फिर दुआए मासुरा पढ़िये

     फिर नमाज़ खत्म करने के लिये पहले दाए कन्धे की तरफ मुह कर के "अस्सलामु अलैक वरहमतुल्लाह" कहिये और इसी तरह बाई तरफ।
अब नमाज़ खत्म हुई।

     इस्लामी भइयो और बहनो के दिये हुए इस तरीकए नमाज़ में बाज़ बाते फ़र्ज़ है की इसके बगैर नमाज़ होगी ही नही,
     बाज़ बाते वाजिब की इस का जानबूझ कर छोड़ना गुनाह और तौबा करना और नमाज़ का फिर से पढ़ना वाजिब, और भूल कर छूटने से सज्दए सहव वाजिब
     और बाज़ सुन्नते मुअक्कदा है की जिस के छोड़ने की आदत बना लेना गुनाह है और
     बाज़ मुस्तहब है की जिस का करना सवाब और न करना गुनाह नही।
*✍🏼बहारे शरीअत, ही.3 स.66*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 154-155*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*फ़ैज़ाने एतिकाफ* #06
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_ऐतिकाफे नफ्ल_*
     नज़र और सुन्नते मुअककदा के इलावा जो एतिकाफ किया जाए वो मुस्तहब (नफ्ल) व सुन्नते गैर मुअककदा है।
*✍🏼बहारे शरीअत, 5/152*
     इस के लिये न रोज़ा शर्त है न कोई वक़्त की क़ैद। जब भी मस्जिद में दाखिल हो एतिकाफ की निय्यत कर लीजिये। जब तक मस्जिद में रहेंगे कुछ पढ़े या न पढ़े एतिकाफ का षवाब मिलता रहेगा, जब मस्जिद से बाहर निकलेंगे एतिकाफ खत्म हो जाएगा।
     मेरे आक़ा आला हज़रत رحمة الله عليه फ़रमाते है : मज़्हबे मुफ्ताबेही पर (नफ्ल) एतिकाफ के लिये रोज़ा शर्त नही और एक साअत का भी हो सकता है जब से दाखिल हो बाहर आने तक एतिकाफ की निय्यत कर ले, इन्तिज़ारे नमाज़ व अदाए नमाज़ के साथ एतिकाफ का भी षवाब पाएगा।
*✍🏼फतवा रज़विय्या, 5/674*

*_एतिकाफ की निय्यत_*
نٙوٙيْتُ سُنّٙةُالْاِ عْتِكٙاف
मेने सुन्नते एतिकाफ की निय्यत की।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 346*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Monday 12 June 2017

*फैजाने लै-लतुल क़द्र*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_83 साल 4 माह से ज़्यादा इबादत का सवाब_*
     इस मुक़द्दस रात को हरगिज़ हरगिज़ गफलत में नही गुज़ारना चाहिये। इस रात इबादत करने वाले को 1000 माह यानी 83 साल 4 माह से भी ज़्यादा इबादत का सवाब अता किया जाता है।
और इससे ज़्यादा का इल्म अल्लाह जाने या इसके बताए से उसके हबीब जाने के कितना सवाब है।
     इस रात में हज़रते जिब्राइल अलैहिस्सलाम और फ़रिश्ते नाज़िल होते है और फिर इबादत करने वालो से मुसाफह करते है।
     इस मुबारक शब् का हर एक लम्हा सलामती है और ये सलामती सुब्हे सादिक़ तक बर क़रार रहती है। ये अल्लाह का खासुल ख़ास करम है के ये अज़ीम रात सिर्फ अपने हबीब को और आप के सदके में आप की उम्मत को अता की गई है।
*✍🏼फैजाने सुन्नत 1127*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*​
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 9723 654 786
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*बरकाते ज़कात* #19
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

~*माल की बर्बादी*~
     ज़कात न देना माल की बर्बादी का सबब है। इस ज़िम्न में दो फरमाने मुस्तफा ﷺ समआत फरमाइये :

★ खुश्की व तरी में जो माल ज़ाए हुवा है, वो ज़कात न देने की वजह से तलफ हुवा है।
★ ज़कात का माल जिस में मिला होगा, उसे तबाह व बर्बाद कर देगा।

     सदरूश्शरीअ मुफ़्ती अमजद अली आज़मी अलैरहमा इस हदिष की वज़ाहत करते हुवे लिखते है :
बाज़ अईम्मा ने इस हदिष के ये माना बयान किये कि ज़कात वाजिब हुई और अदा न की और अपने माल में मिलाए रहा तो ये हराम उस हलाल को हलाक कर देगा।

     इमाम अहमद अलैरहमा ने फ़रमाया कि माना ये है कि मालदार शख्स माले ज़कात ले तो ये माले ज़कात उसके माल को हलाक कर देगा कि ज़कात तो फ़क़ीरों के लिये है और दोनों माना सहीह है।
*✍🏼बहारे शरीअत 1/5/871*
*✍🏼बरकतें ज़कात स.21*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नमाज़ का तरीका* #07
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     क़ादह में तशह्हुद में "अशहदू अंल्ला-इलाह" के लाम के करीब पहुचे तो सीधे हाथ की बिच की ऊँगली और अंगूठे का हल्का बना लीजिये और छुंगलिया (छोटी ऊँगली) और बिन्सर यानि उसके बराबर वाली ऊँगली को हथेली से मिला दीजिये और कलिमे की ऊँगली उठाइये।

     मगर इसको इधर उधर मत हिलाये और "इला" पर ऊँगली गिरा दीजिये और फौरन सब उंगलिया सीधी कर लीजिये।

     अब अगर दो से ज्यादा रकअते पढ़नी है तो "अल्लाहु अकबर" कहते हुए खड़े हो जाइये।

     अगर फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ रहे है तो तीसरी और चौथी रकअत में क़याम में "बिस्मिल्लाह और अल्हम्दु शरीफ पढ़िये, सूरत मिलाने की ज़रूरत नहीं।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 152-153*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*फ़ैज़ाने एतिकाफ* #05
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_एतिकाफ की किस्मे_*
     एतिकाफ की तीन किस्मे है (1) ऐतिकाफे वाजिब, (2) ऐतिकाफे सुन्नत, (3) ऐतिकाफे नफ्ल।

*_ऐतिकाफे वाजिब_*
     एतिकाफ की नज़र (यानी मन्नत) मानी यानी ज़बान से कहा "में अल्लाह के लिये फुला दिन या इतने दिन एतिकाफ करूँगा"। तो अब जितने भी दिन का कहा है उतने दिन का एतिकाफ करना वाजिब हो गया।
     ये बात खास कर याद रखिये की जब कभी किसी भी किस्म की मन्नत मानी जाए जस में ये शर्त है की मन्नत के अल्फ़ाज़ ज़बान से अदा किये जाए सिर्फ दिल ही दिल में मन्नत की निय्यत कर लेने से मन्नत सहीह नही होती।
*✍🏼रद्दुल मुहतार, 3/430*

     मन्नत का एतिकाफ मर्द मस्जिद में करे और औरत मस्जिदे बैत में। इन में रोज़ा भी शर्त है। (औरत घर में जो जगह नमाज़ के लिये मखसुस कर ले उसे _मस्जिदे बैत_ कहते है)

*_ऐतिकाफे सुन्नत_*
     रमज़ान के आखरी 10 दिन का एतिकाफ "सुन्नते मुअक्कदा अलल किफाया" है
*✍🏼दुर्रे मुख्तार मअ रद्दुल मुहतार, 3/430*
     यानी पुरे शहर में किसी एक ने कर लिया तो सब की तरफ से अदा हो गया और अगर किसी एक ने भी न किया तो सभी मुजरिम हुए।
*✍🏼बहारे शरीअत, 5/152*
     इस एतिकाफ में ये ज़रूरी है की रमज़ान की बीसवी तारीख को गुरुबे आफताब से पहले पहले मस्जिद के अंदर ब निय्यते एतिकाफ मौजूद हो और उनतीस के चाँद के बाद या तिस के गुरुबे आफताब के बाद मस्जिद से बहार निकले।
*✍🏼बहारे शरीअत, 5/151*

     अगर 20 रमज़ान को गुरुबे आफताब के बाद मस्जिद में दाखिल हुए तो एतिकाफ की सुन्नते मुअककदा अदा न हुई बल्कि सूरज डूबने से पहले पहले मस्जिद में तो दाखिल हो चूके थे मगर निय्यत करना भूल गए थे यानी दिल में निय्यत ही नही थी (निय्यत दिल के इरादे को कहते है) तो इस सुरतमे भी एतिकाफ की सुन्नते मुअककदा अदा न हुई। अगर गुरुबे आफताब के बाद निय्यत की तो नफ्लि एतिकाफ हो गया।
     दिल में निय्यत कर लेना ही काफी है ज़बान से कहना शर्त नही। अलबत्ता दिल में निय्यत हाज़िर होना ज़रूरी है साथ ही ज़बान से भी कह लेना ज़्यादा बेहतर है।

*_एतिकाफ की निय्यत इस तरह कीजिये_*
     में अल्लाह की रिज़ा के लिये रमज़ान के आखरी 10 दिन का सुन्नते एतिकाफ की निय्यत करता हु।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 343*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Sunday 11 June 2017

*फैजाने लै-लतुल क़द्र* #02
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_शबे क़द्र बदलती रहती है_*
     इमामे मालिक رضي الله تعالي عنه के नज़दीज शबे क़द्र रमज़ानुल मुबारक के आखरी अशरे की ताक रातो में होती है। मगर इसके लिये कोई एक रात मख़्सूस नही, हर साल इन ताक रातो में घूमती रहती है, यानी कभी 21, 23, 25, 27 तो कभी 29 वी शब भी शबे क़द्र हो जाया करती है।
*✍🏼तफ़सीरे सावी 6/2300*
*✍🏼फैजाने सुन्नत 1161*

     इसी वजह से अल्हम्दु लिल्लाह हमारे शहर पादरा शरीफ में कई सालो सो इसी आखरी अशरे की ताक रातो में शबीना तरावीह का इंतज़ाम किया जाता है। ताकी शबे क़द्र चाहे किसी भी रात हो उस रात शबे क़द्र की इबादत का सवाब मिल जाये।

     आप भी अपने शहरों में इस तरह का इंतज़ाम करवाइये और शबे क़द्र पाने के हक़दार बन जाइये।

*शबे क़द्र की रात इबादत करने वाले को 1000 माह यानी 83 साल 4 माह से भी ज़्यादा इबादत का सवाब अता किया जाता है*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*​
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 9723 654 786
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*फ़ैज़ाने एतिकाफ* #04
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_एतिकाफ की तारीफ़_*
     मस्जिद में अल्लाह की रिज़ा के लिये ब निय्यते एतिकाफ ठहरना एतिकाफ है। इस के लिये मुसलमान का अक़ील और जनाबत और हैज़ो नफास से पाक होना शर्त है। बुलुग शर्त नही ना बालिग़ भी जो तमीज़ रखता है अगर ब निय्यते एतिकाफ मस्जिद में ठहरे तो उस का एतिकाफ सहीह है।
*✍🏼आलमगिरी, 1/211*

*_एतिकाफ के ल्फ़ज़ी माना_*
     एतिकाफ के लुग्वी माना है "धरना मारना" मतलब ये की मोतकिफ अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की बारगाह में उस की इबादत पर कमर बस्ता हो कर धरना मार कर पड़ा रहता है। उस की ये धुन होती है की किसी तरह उस का परवर्दगार उस से राज़ी हो जाए।

*_अब तो गनी के दर पर बिस्तर जमा दिये है_*
     हज़रते अता खुरासानी फ़रमाते है : मोतकिफ की मिसाल उस शख्स की सी है जो अल्लाह के दर पर पड़ा हो और ये कह रहा हो, _या अल्लाह जब तक तू मेरी मगफिरत नही फरमा देगा में यहाँ से नही टलूंगा।_
*✍🏼शोएबुल ईमान, 3/426, हदिष:3970*
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 341*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*बरकाते ज़कात*  #18

*_ज़कात की अदाएगी की हिकमते_* #02
     शरीअत ने ज़कात फ़र्ज़ करके कोई अनहोनी चीज़ नहीं की बल्कि अगर हम अपने अतराफ़ में गौरो फ़िक़्र करे तो ज़कात की हिक्मत हर जगह मौजूद है। जेसे कि फलो का गुदा इंसान के लिये है मगर छिलका जानवरो का हक़ है। गन्दुम में फल (यानी बिज) हमारा हिस्सा मगर भूसा जानवरो का। हमारे जिस्म में बाल और नाख़ून वग़ैरा का हद्दे शरई से बढ़ने की सूरत में अलाहदा करना ज़रूरी है की ये सब जिस्म की ज़कात यानी इज़ाफ़ी चीज़ मेल है। बिमारी तंदुरस्ती की ज़कात, मुसीबत राहत की ज़कात, नमाज़े दुन्यवि कारोबार की गोया की ज़कात है।

     अगर हर चीज़ वो शख्स जिस पर ज़कात फ़र्ज़ है, ज़कात की अदाएगी का अपने ऊपर लाज़िम करले तो मुसलमान कभी दुसरो के मोहताज न होंगे। मुसलमानो की ज़रूरते मुसलमानो से ही पूरी हो जाएगी और किसी को भी मांगने की भी हाजत न होगी।

     बहर हाल दौलत को तिजोरियों में बंद करने के बजाए ज़कात व सदक़ात की सूरत में राहे खुदा में खर्च करे, वरना यक़ीन कीजिये कि ज़कात अदा न करना, आख़िरत के दर्दनाक अज़ाब और दुन्या में मआशी बद हाली का सबब बन सकता है।
*✍🏼बरकाते ज़कात, स.20*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नमाज़ का तरीक़ा* #06
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     दूसरे सज्दे से खड़े होते हुए पहले सर उठाइए फिर हाथो को घुटनो पर रख कर पन्जो के बल खड़े हो जाइये।उठते वक़्त बिगैर मजबूरी ज़मीन पर हाथ से टेक मत लगाइये।
     ये आप की एक रकअत पूरी हुई।

     अब दूसरी रकअत में "बिस्मिल्लाह" पढ़ कर अल हम्द और सूरह पढ़िये और पहले की तरह रुकूअ और सज्दे कीजिये,

*मर्द :*
     दूसरे सज्दे से सर उठाने के बाद सीधा क़दम खड़ा कर के उल्टा क़दम बिछा कर बैठ जाइये

*औरत :*
     दूसरे सज्दे से सर उठाने के बाद दोनों पाउ सीधी तरफ निकाल दीजिये और उल्टी सुरीन पर बैठिये और सीधा हाथ सीधी रान के बिच में और उल्टा हाथ उल्टी रान के बिच में रखिये।

     दो रकअत के दूसरे सज्दे के बाद बैठना कादह कहलाता है, अब कादह में तशह्हुद (अत्तहिय्यात) पढ़िये।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 151-152*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*फ़ैज़ाने एतिकाफ* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_दो हज और दो उम्रों का षवाब_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिसने रमज़ान में 10 दिन का एतिकाफ कर लिया वो ऐसा है जेसे दो हज और दो उम्रे किये।
*✍🏼शुएबुल ईमान, 3/425, हदिष:2966*

*_गुनाहो से तहफ़्फ़ुज़_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : एतिकाफ करने वाला गुनाहो से बचा रहता है और उस के लिये तमाम नेकियां लिखी जाती है जेसे उन के करने वाले के लिये होती है।
*✍🏼इब्ने माजह, 2/365, हदिष:1781*

*_बगैर किये नेकियों का षवाब_*
     एतिकाफ का एक बहुत बड़ा फायदा ये भी है की जितने दिन मुसलमान एतिकाफ में रहेगा गुनाहो से बचा रहेगा। लेकिन ये अल्लाह की खास रहमत है की बाहर रह कर जो नेकियां वो किया करता था, एतिकाफ की हालत में अगर्चे वो इन को अन्जाम न दे सकेगा मगर फिर भी वो इस के नामए आमाल में बदस्तूर लिखी जाती रहेगी और उसे इन का षवाब भी मिलता रहेगा। मसलन कोई इस्लामी भाई मरीज़ों की इयादत करता था, और एतिकाफ की वजह से ये काम नही कर सका तो वो इस के षवाब से महरूम नही होगा बल्कि इस को ऐसा ही षवाब मिलता रहेगा जेसे वो खुद इस को अन्जाम देता रहा हो।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 340*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Saturday 10 June 2017

*फैजाने लै-लतुल क़द्र* #01
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

     लै-लतुल क़द्र इन्तिहाई बरकत वाली रात है। इसको लैलतुल क़द्र इस लिये कहते है के इसमें साल भर के अहकाम नाफ़िज़ किये जाते है। यानी फ़रिश्ते रजिस्टरमे आइन्दा साल होने वाले मुआमलात लिखते है।
उसे (यानी उमूरे तकदीर को) मुक़र्रब फरिश्तों के रजिस्टरों में ज़ाहिर कर दिया जाता है।
*✍🏼तफ़सीरे सावी 6/2398*

     हज़रत मुफ़्ती अहमद यार खान على رحما फरमाते है : इस शब को लैलतुल क़द्र चन्द वुजुहात से कहते है।
     1. इसमें साले आइन्दा के उमूर मुकर्रर करके मलाइका के सुपुर्द कर दिये जाते है। क़द्र ब माना तक़दीर या क़द्र ब माना इज़्ज़त यानी इज़्ज़त वाली रात।
     2. इसमें क़द्र वाला क़ुरआने पाक नाज़िल हुवा।
     3. जो इबादत इसमें की जावे उस की क़द्र है।
     4. क़द्र ब माना तंगी यानी मलाइका इस रात में इस क़दर आते है के ज़मीन तंग हो जाती है। इन वुजुह से इसे शबे क़द्र यानी क़द्र वाली रात कहते है।
*✍🏼मवाइज़े निमिय्या 62*

     बुखारी शरीफ की हदीश में है जिसने इस रात में ईमान और इखलास के साथ क़याम किया तो उसके उम्र भर के गुज़श्ता गुनाह मुआफ़ कर दिये जाएंगे।
*✍🏼सहीह बुखारी 1/660*
*✍🏼फैजाने सुन्नत 1126*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*​
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 9723 654 786
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*बरकाते ज़कात* #17

*_ज़कात की अदाएगी की हिकमते_* #01
     सखावत इंसान का कमाल है और बुख्ल ऐब है। इस्लाम ने ज़कात की अदाएगी जैसा प्यारा अमल मुसलमानो को अता फ़रमाया ताकि इंसान में सखावत जैसा कमाल पैदा हो और बुख्ल जैसा बद तरीन ऐब उसकी ज़ात से खत्म हो।
     जैसे एक मुल्की निज़ाम होता है कि हमारी कमाई में हुकूमत का भी हिस्सा होता है, जिसे वो टेक्स के तौर पर वसूल करती है और फिर वोही टेक्स हमारे ही मफाद में यानी मुल्की इन्तिज़ाम पर खर्च होता है, बिला तशबीह हमे मालो दौलत और दीगर तमाम नेमतों से नवाजने वाली हमारे रब की ही प्यारी जाते पाक है और ज़कात अल्लाह का हक़ है, जो हमारे ही गुरबा पर खर्च किया जाता है।

     रब चाहता तो सब को मालो दौलत अता फ़रमा कर गनी कर देता, लेकिन उसकी मशिय्यत है कि उसने अपने बन्दों में बाज़ो को आमिर और दौलत मन्द किया और बाज़ो को गरीब रखा और अमीरो यानी साहिबे निसाब पर ज़कात की अदाएगी लाज़िम कर दी ताकि इससे अमीरो और गरीबो में प्यार, महब्बत और बाहमी इमदाद का जज़्बा पैदा हो और अल्लाह की नेमत को सब मिल बाट कर खाए और उस का शुक्र अदा करे।

बाक़ी कल की पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼बरकाते ज़कात, स.19*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*फ़ैज़ाने एतिकाफ* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_10 दिन का एतिकाफ_*
     अल्लाह के प्यारे हबीब صلى الله عليه وسلم का ये मामूल हो गया की हर रमज़ान शरीफ के आखरी 10 दिन का एतिकाफ फ़रमाया करते और इसी सुन्नत को ज़िन्दा रखते हुए उम्महातुल मुअमिनिन رضي الله عنها भी एतिकाफ फरमाती रही। चुनान्चे उम्मुल मुअमिनिन हज़रते आइशा सिद्दिक़ा رضي الله عنها रिवायत फरमाती है की मेरे सरताज صلى الله عليه وسلم रमज़ान के आखरी 10 दिन का एतिकाफ फ़रमाया करते। यहाँ तक की अल्लाह ने आप को वफ़ाते ज़ाहिरी अता फ़रमाई। फिर आप के बाद आप की अज़्वाजे मुतह्हरात एतिकाफ करती रही।
*✍🏼सहीह बुखारी, 1/664, हदिष:2026*

*_एक दिन के एतिकाफ की फ़ज़ीलत_*
     जो रमज़ान के इलावा भी सिर्फ एक दिन मस्जिद के अंदर इखलास के साथ एतिकाफ कर ले उस के लिये भी ज़बरदस्त षवाब की बिशारत है।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो शख्स अल्लाह की रिज़ा व ख़ुशनूदी के लिये एक दिन का एतिकाफ करेगा अल्लाह उस के और जहन्नम के दरमियान 3 खन्दके हाइल कर देगा जिन की मसाफत मशरिक़ व मगरिब के फासिल से भी ज़्यादा होगी।
*✍🏼अद्दुररुल मन्सूर, 1/486*

*_साबिक़ा गुनाहो की बख्शीश_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिस शख्स ने ईमान के साथ षवाब हासिल करने की निय्यत से एतिकाफ किया उस के तमाम पिछले गुनाह बख्श दिये जाएंगे।
*✍🏼जामेइस्सगिर 516, हदिष:8480*
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 335*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*नमाज़ का तरीका* #05
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     सज्दे से इस तरह उठिये की पहले पेशानी फिर नाक फिर हाथ उठे।

*मर्द :*
     फिर सीधा कदम खड़ा करके उसकी उंगलिया किब्ला रुख कर दीजिये और उल्टा क़दम बिछा कर उस पर खूब सीधे बेथ जाइये और हथेलिया बिछा कर रानो पर घुटनो के पास रखिये की दोनों हाथो की उंगलिया किब्ले की जानिब और उंगलियो के सिरे घुटनो के पास हो।

*औरत :*
     दोनों पाउ सीधी तरफ निकाल दीजिये और उलटी सुरीन पर बैठिये और सीधा हाथ सीधी रान के बिच में और उल्टा हाथ उलटी रान रान के बिच में रखिये।

     दोनों सजदों के दरमियान बैठने को जल्सा कहते है।
     फिर कम अज़ कम एक बार सुब्हान अल्लाह कहने की मिक़दार ठहरिये

     यहा "अल्लाहुमग-फिरलि" (यानि ए अल्लाह मेरी मगफिरत फरमा) पढ़ना मुस्तहब है
     फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पहले सज्दे की तरह दूसरा सज्दा कीजिये।
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 151*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*फ़ैज़ाने एतिकाफ* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_एतिकाफ पुरानी इबादत है_*
     पिछली उम्मतों में भी एतिकाफ की इबादत मौजूद थी। चुनान्चे पारह 1 सूरतुल बक़रह की आयत 125 में इर्शाद होता है...
_और हम ने ताकीद फ़रमाई इब्राहिम व इस्माइल को की मेरा घर खूब सुथरा करो तवाफ़ वालो और एतिकाफ वालो और रुकूअ व सुजूद वालो के लिये।_

*_मस्जिदों को साफ रखने का हुक्म_*
     नमाज़ व एतिकाफ के लिये काबाए मुशर्रफ की पाकीज़गी और सफाई का खुद रब्बे काबा की तरफ से फरमान जारी किया गया है। मुफ़स्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान عليه رحما फ़रमाते है : मालुम हुवा की मस्जिदों को पाक साफ़ रखा जाए, वहा गंदगी और बदबूदार चीज़ न लाइ जाए ये सुन्नते अम्बिया है। ये भी मालुम हुवा की एतिकाफ इबादत है और पिछली उम्मतों की नमाज़ों में रुकूअ सुजूद दोनों थे ये भी मालुम हुवा की मस्जिदों का मुतवल्ली होना चाहिये और मुतवल्ली सालेह (परहेज़गार) इंसान होना चाहिये। मज़ीद आगे फ़रमाते है : तवाफ़ व नमाज़ व एतिकाफ बड़ी पुरानी इबादतें है जो ज़मानए इब्राहिम में भी थी।
*✍🏼नुरुल इरफ़ान, 29*
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 331*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi

  • 📧Deen-e-nabi.blogspot.in

Friday 9 June 2017

*अहकामे रोज़ा* #27
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_मकरुहाते रोज़ा_* #02
★ बीवी का बोसा लेना और गले लगाना और बदन को छूना मकरूह नही। हा अगर ये अन्देशा हो की इन्ज़ाल हो जाएगा या जिमाअ में मुब्तला होगा और हॉट और ज़बान चूसना रोज़े में मुतलक़न मकरूह है।

★ रोज़े में मिस्वाक करना मकरूह नही बल्कि और दिनों की तरह सुन्नत है।
     अक्सर लोगो में मशहूर है की दोपहर बाद रोज़ादार के लिये मिस्वाक करना मकरूह है ये हमारे मज़्हबे हनफिया के खिलाफ है।
     अगर मिस्वाक चबाने से रेशे छूटे या मज़ा महसूस हो तो ऐसी मिस्वाक रोज़े में नही करना चाहिए। अगर रोज़ा याद होते हुए मिस्वाक का रेशा या कोई जुज हल्क़ से निचे उतर गया तो रोज़ा फासिद् हो जाएगा।

★ बाज़ लोगो का रोज़े में बार बार थूकते रहते है शायद वो समझते है की रोज़े में थूक नही निगलना चाहिये, ऐसा नही। अलबत्ता मुह में थूक इकठ्ठा कर के निगल जाना, ये तो बगैर रोज़े के भी ना पसंदीदा है और रोज़े में मकरूह।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 215*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📧facebook.com/deenenabi

  1. 📧Deen-e-nabi.blogspot.in