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Thursday 31 January 2019

*तज़किरतुल अम्बिया* #378


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*क़ौम ने बछड़े की पूजा शुरू की*

     मूसा अलैहिस्सलाम जब अपनी कौम के सत्तर अफराद को लेकर तूर पर किताब लेने गये क़ौम से चालीस दिनों का वादा करके गये आप अपनी कौम के अफराद से जरा जल्दी ही तूर पर पहुंच गये रब तआला ने पूछा तुम अपनी कौम के अफ़राद से पहले क्यों आ गये तो आपने अर्ज कि ऐ मौलए कायनात वह भी मेरे पीछे ही आ रहे हैं सिर्फ तेरी खुशनूनी हासिल करने के लिए जल्दी आ गया। तूर पर ही अल्लाह तआला को आपने यह खबर दी थी कि तुम्हरी कौम गुमराह हो चुकी है। 

     आपको गए हुए जब बीस दिन मुकम्मल हो गये तो सामरी ने कहा कि मूजा अलैहिस्सलाम को गये बीस दिन और बीस रातें हो चुकी हैं चालीस की तकमील हो गई आप नहीं आए इसकी वजह सिर्फ यह है कि तुम्हारे पास फिरौनियो के ज़ेवरात हैं यह तुम पर हराम हैं इसलिए वह जेवरात तुम लोग मुझे दे दो की मैं एक खुदा बना दु क्योंकि वो पहले ही देख चुका था की क़ौम ऐसा खुदा चाहती हैं जो उन्हें नजर आये। यह खुद भी गाए की परष्टिश करता था इसलिए उसने तमाम जेवरात जमा करके उन्हें एक बड़ा बना दिया। 


*बछड़े के बोलने की वजह* ये वाकया अगली पोस्ट में ان شاء الله.

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 314

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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अगर जन्नत चाहते हो तो?*

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     एक सहाबी ने अर्ज़ किया : या रसूलल्लाह ﷺ! आप मेरे लिये दुआ फरमाए कि में भी उन्हीं लोगो में शामिल रहूँ जिनकी क़यामत के दिन आप शफ़ाअत फरमाएंगे और मुझे जन्नत में आप की तफ़ाक़त (साथ) चाहिये। आपने फ़रमाया : इस सिलसिले में सजदों की कसरत से मेरी मदद करो (यानी ज़्यादा से ज़्यादा सज्दे करो ताकि इस मनसब के लाइक हो जाओ।

*✍🏼नुज़हतुल मजालिस*


*सही नमाज़ और सही तहारत जन्नत पहुंचाएगी*

     हज़रत इमाम ग़ज़ाली رحمة الله عليه तहरीर फ़रमाते है: नबीए पाक ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : मेरे पास अल्लाह का पैगाम लेकर जिब्राइल आए और कहा : ऐ मुहम्मद ﷺ! अल्लाह फ़रमाता है : मेने आपकी उम्मत पर पांच नमाज़े फ़र्ज़ की है, जो शख्स उन्हें सही वुज़ू से, सही वक़्त में, सही रूकू और सज्दा से अदा करेगा, मेरा उन नमाज़ों के सबब उससे ये वादा है कि में उसे जन्नत में दाखिल करूँगा।

*✍🏼मकाशफतुल कुलूब* 390

*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 26

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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सूरतुल बक़रह, रुकुअ-30, आयत, ②③②*

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और जब तुम औरतों को तलाक़ दो और उनकी मीआद पूरी हो जाए (1) तो ऐ औरतों के वालियों (स्वामियों), उन्हें न रोको इससे कि अपने शौहरों से निकाह कर लें  (2) जब कि आपस में शरीअत के अनुसार रज़ामंद हो जाएं (3) यह नसीहत उसे दी जाती है जो तुम में से अल्लाह और क़यामत पर ईमान रखता हो यह तुम्हारे लिये ज़्यादा सुथरा और पाकीज़ा है और अल्लाह जानता है और तुम नहीं जानते.


*तफ़सीर*

(1) यानी उनकी इद्दत गुज़र चुके.

(2) जिनको उन्होंने अपने निकाह के लिये चुना हो, चाहे वो नए हों या यही तलाक़ देने वाले या उनसे पहले जो तलाक़ दे चुके थे.

(3) अपने क़ुफ़्व यानी बराबर वाले में मेहरे मिस्ल पर, क्योंकि इसके ख़िलाफ़ की सूरत में सरपरस्त हस्तक्षेप और एतिराज़ का हक़ रखते हैं. मअक़ल बिन यसार मुज़नी की बहन का निकाह आसिम बिन अदी के साथ हुआ था. उन्होंने तलाक़ दी और इद्दत गुज़रने के बाद फिर आसिम ने दरख़ास्त की तो मअक़ल बिन यसार आड़े आए. उनके बारे में यह आयत उतरी. (बुख़ारी शरीफ़)

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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दोज़ख का बयान* #01

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     *सवाल* - दोज़ख क्या है ? 

     *जवाब* - येह एक मकान हैं जो ज़ालिमों, सरकशों के अज़ाब के लिये बनाया गया है इस में सख्त अंधेरा और तेज़ आग हैं। इस में सत्तर हज़ार वादियां हैं, हर वादी में सत्तर हज़ार घाटियां, हर घाटी में सत्तर हज़ार अज़दहे बहुत बड़े सांप और सत्तर हजार बिच्छू हैं। हर काफिर व मुनाफिक को इन घाटियों में ज़रूर पहुंचना है। 


     *सुवाल* - हिसाब किताब के बाद लोगों पर क्या मुसीबत तारी होगी ? 

     *जवाब* - कियामत की मुसीबतें झेल कर अभी लोग इस की तक्लीफ़ और खौफ़ में मुब्तला होंगे कि अचानक उन को अंधेरियां घेर लेंगी और लपट मारने वाली आग उन पर छा जाएगी और उस के गैजो ग़ज़ब की आवाज़ सुनने में आएगी। उस वक्त बदकारों को अजाब का यकीन होगा और लोग घुटनों के बल गिर पड़ेंगे और फ़िरिश्ते निदा करेंगे : कहां है फुलां फुलां का बेटा ! जिस ने दुन्या में लम्बी उम्मीदें बांध कर अपनी ज़िन्दगी को बदकारी में जाए किया। अब येह मलइका उन लोगों को आहिनी गुर्ज़ों यानी लोहे के हथोड़ों से हंकाते दोज़ख में ले जाएंगे।

*✍️बुन्यादी अक़ाइद और मामुलाते अहले सुन्नत* 48

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #10

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*_बाज़ार में दाखिल होते वक़्त की दुआ_*

لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَحْدَهُ لَاشَرِيْكَ لَهُ لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الَحَمْدُ يُحْيِىْ وَيُمِيْتَ وَهُوَ حَىُّ لَّايَمُوْتُ بِيَدِهِ الْخَيْرُ وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَىْءٍ قَدِيْرٌ

*तर्जमा* - अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नही, वो अकेला है, उसका कोई शरीक नही, उसी के लिये है बादशाही और उसी के लिए हम्द है, वही ज़िन्दा करता और मारता है वो ज़िन्दा है उसको हरगिज़ मौत नही आएगी, तमाम भलाइया उसी के दस्ते क़ुदरत में है और वो हर चीज़ पर क़ादिर है।

*✍🏽सुनन तिर्मिज़ी, 5/271*

     अल्लाह इस दुआ के पड़ने वाले के लिये 10 लाख नेकिया लिखता है और उस के 10 लाख गुनाह मिटाता है और उसके 10 लाख दर्जे बुलंद करता है और उस के लिये जन्नत में घर बनाता है।

*✍🏽मिरआतुल मनाजिह, 4/39*

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 211*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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Wednesday 30 January 2019

*तज़किरतुल अम्बिया* #377


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*मूसा अलैहिस्सलाम को रब तआला के दीदार की तमन्ना* #02

     मूसा अलैहिस्सलाम ने रब तआला से कलाम को सुनकर ऐसी लज़्ज़त महसूस की कि आपके दिल नब तआला को देखने की ख्वाहिश पैदा हो गई और अर्ज़ की ऐ अल्लाह तआला मैं तुझे देखना चाहता हु तू मुझे अपने दीदार से मुशर्रफ फरमा। रब तआला ने फरमाया तुम मुझे नहीं देख सकते, यह नहीं फ़रमाया मुझे नहीं देखा जा सकता यही वजह है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने मेराज की रात रब का दीदार किया। नीज़ देखने की नफी दुनिया से मुताल्लिक है जन्नत में मोमिनीन रब तआला का दीदार करेंगे।

     मूसा अलैहिस्सलाम का सवाल करना ही इस चीज़ पर दलालत कर रहा है की आपने मुमकिन सवाल किया अगर रब तआला को देखना मुहाल होता तो आप सवाल न करते। 

     रब ने फ़रमाया कि मैं अपनी तज़ल्लियात का ज़हूर पहाड़ पर करता हूं पहाड़ को देखो अगर तुम ने पहाड़ को देख लिया तो समझना कि मुझे भी देख लोगे लेकिन रब तआला की तजल्लियात की ताब पहाड़ न ला सका की वह कायम रहता बल्कि वह भी पाश पाश हो गया और मूसा अलैहिस्सलाम भी होश बरकरार न रख सके।


*क़ौम ने बछड़े की पूजा शुरू की* ये वाकया अगली पोस्ट में ان شاء الله.

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 313

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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इब्लीस की नाकामी*

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हज़रत ईसा عليه السلام की एक मर्तबा इब्लीस से मुलाक़ात हुई, आपने इब्लीस से कहा : तुझे अल्लाह की क़सम ! ये बता कि वो कौन सा अमल है जो तेरी पुश्त तोड़ डालता है ? (यानी तुझे नाकाम बना देता है) ये सुनते ही वो गिर पड़ा और कहने लगा : फराइज़ (यानी फ़र्ज़ नमाज़ों) के अलावा घर में नमाज़ पढ़ना।

*✍🏼नुज़हतुल मजालिस*


     मालुम हुआ कि नमाज़ की पाबन्दी और खूब नमाज़ की अदायगी इब्लीस की नाकामी का सबब है लेकिन बदकिस्मती से मुसलमान नमाज़ न पढ़कर खुद को नाकाम बना रहा है।

*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 26

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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सूरतुल बक़रह, रुकुअ-29, आयत, ②③①*

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और  जब तुम औरतों को तलाक़ दो और  उनकी मीआद (अवधि) आ लगे (10) तो उस वक़्त तक या भलाई के साथ रोक लो (11) या नेकी के साथ छोड़ दो (12) और उन्हें ज़रर (तक़लीफ़) देने के लिये रोकना न हो कि हद से बढ़ो और जो ऐसा करे वह अपना ही नुक़सान करता है (13) और अल्लाह की आयतों को ठठ्ठा न बना लो. (14) और याद करो अल्लाह का एहसान जो तुमपर है (15) और वह जो तुम पर किताब और हिकमत (16) उतारी तुम्हें नसीहत देने को और अल्लाह से डरते रहो और जान रखो कि अल्लाह सब कुछ जानता है (17)


*तफ़सीर*

(10) यानी इद्दत ख़त्म होने के क़रीब हो. यह आयत साबित बिन यसार अन्सारी के बारे में उतरी. उन्होंने अपनी औरत को तलाक़ दी थी और जब इद्दत ख़त्म होने के क़रीब होती थी, रूजू कर लिया करते थे ताकि औरत कै़द में पड़ी रहे.

(11) यानी निबाहने और अच्छा मामला करने की नियत से रूजू करो.

(12) और इद्दत गुज़र जाने दो ताकि इद्दत के बाद वो आज़ाद हो जाएं.

(13) कि अल्लाह के हुक्म की मुख़ालिफ़त करके गुनहगार होता है.

(14) कि उनकी पर्वाह न करो और उनके ख़िलाफ़ अमल करो.

(15) कि तुम्हें मुसलमान किया और सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम का उम्मती बनाया.

(16) किताब से क़ुरआन और हिकमत से क़ुरआन के आदेश और रसूले अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की सुन्नत मुराद है.

(17) उससे कुछ छुपा हुआ नहीं है.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*जन्नत का बयान* #04


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सवाल* - क्या जन्नती जन्नत में हमेशा रहेंगे ? 

     *जवाब* - जी हां! एक मुनादी अहले जन्नत को निदा करेगा : ऐ बिहिश्त वालो! तुम्हारे लिये सिहत हैं कभी बीमार न होगे। तुम्हारे लिये हयात है कभी न मरोगे। तुम्हारे लिये जवानी है बूढे न होगे। तुम्हारे लिये नेमतें हैं कभी मोहताज न होगे। 


     *सुवाल* - जन्नत में जन्नतियों के लिये सब से बड़ी नेमत क्या होगी ? 

     *जवाब* - तमाम नेमतों से बढ़ कर सब से प्यारी दौलत रब्बुल इज्ज़त का दीदार है जिस से अहले जन्नत की आंखें मुस्तफ़ीद होती रहेंगी। अल्लाह हमें भी मयस्सर फ़रमाए। آمين، ثم آمين


     *सवाल* - सबसे कम दर्जे के जन्नती को क्या मिलेगा*

     *जवाब* - सबसे कम दर्जे के जन्नती को भी बाग़ात, तख्त, हूरें और खुद्दाम मिलेंगे।

*✍️बुन्यादी अक़ाइद और मामुलाते अहले सुन्नत* 47

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

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दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #09

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*_बारिश की ज़्यादती के वक़्त की दुआ_*

اَللّٰهُمَّ حَوَالَيْنَا وَلَا عَلَيْنَا اَللّٰهُمَّ عَلَى الْاٰكَامِ وَالظِّرَابِ وَبَطُوْنِ الْاَوْدِيَةِ وَمَنَابِتِ الشَّجَرِ

*तर्जमा* - ऐ अल्लाह ! हमारे इर्द गिर्द बरसा और हम पर न बरसा, ऐ अल्लाह ! टीलो पर और पहाड़ियों पर और वादियो पर और दरख्त उगने के मक़ामात पर बरसा। (यानी जहां जानी व माली नुक़सान होने का अन्देशा न हो)

*✍🏽सहीह बुखारी, 1/348*


*_आंधी के वक़्त की दुआ_*

اَللّٰهُمَّ اِنِّىْٓ اَسْأَلُكَ خَيْرَهَا وَخَيْرَ مَافِيْهَا وَخَيْرَ مَااُرْسِلَتُ بِهٖ وَاَعُوْذُبِكَ مِنْ شَرِّهَا وَشَرِّمَا فِيْهَا وَشَرِّمَا اُرْسِلَتُ بِهٖ

*तर्जमा* - या इलाही ! में तुझ से इस (आंधी) की और जो कुछ इसमें है और जिसके साथ ये भेजी गई है, उस की भलाई का सुवाल करता हु और में तेरी पनाह मांगता हु इस आंधी के शर से और उस चीज़ के शर से जो इसमें है और उसके शर से जिस के साथ ये भेजी गई है।

*✍🏽सहीह मुस्लिम, 446*

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 210*


*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।

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Tuesday 29 January 2019

*नमाज़ और पुलसिरात*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     क़यामत के दिन पुलसिरात पर कुछ लोग परेशानी के आलम में खड़े होंगे, जिब्राइल तशरीफ़ ला कर पूछेंगे : तुम क्यों परेशान हो ? वो कहेंगे : पुलसिरात कैसे पार करें ? कहा जाएगा : तुम समन्दर कैसे पार किया करते थे ? लोग कहेंगे जहाज़ के ज़रिये से पार करते थे।

     फिर लोगों के लिये जो दुन्या में नमाज़ पढ़ते होंगे जहाज़ की शक्ल में उनकी नमाज़ आएगी जिस पर नमाज़ी सवार होकर पुलसिरात से ऐसे गुज़रेंगे जेसे जहाज़ से गुज़रते है।

*✍🏼नुज़हतुल मजालिस*

*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 25

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सूरतुल बक़रह, रुकुअ-29, आयत, ②③ⓞ*

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

फिर अगर तीसरी तलाक़ उसे दी तो अब वह औरत उसे हलाल न होगी जब तक दूसरे शौहर के पास न रहे (8) फिर वह दूसरा अगर उसे तलाक़ दे दे तो उन दोनों पर गुनाह नहीं कि आपस में मिल जाएं (9) अगर समझते हों कि अल्लाह कि हदें निभाएंगे और ये अल्लाह की हदें है जिन्हें बयान करता है अक़ल वालों के लिये.


*तफ़सीर*

(8) तीन तलाक़ों के बाद औरत शौहर पर हराम हो जाती है, अब न उससे रूजू हो सकता है न दोबारा निकाह, जब तक कि हलाला हो, यानी इद्दत के बाद दूसरे से निकाह करे और वह सहवास के बाद तलाक़ दे, फिर इद्दत गुज़रे.

(9) दोबारा निकाह कर लें.

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जन्नत का बयान* #03

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

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     *सवाल* - जन्नत में और क्या चीजें होंगी ?

     *जवाब* - इस का मुख़्तसर सा बयान येह है कि जन्न्त में साफ़, शफ़ाफ़, चमकदार सफेद

मोती के बड़े बड़े खेमे नस्ब हैं इन में रंगारंग, अजीबो गरीब, नफ़ीस फ़र्श हैं इन पर याकूते सुर्ख के मिम्बर हैं। शहद व शराब की नहरें जारी हैं इन के किनारों पर मुरस्सअ यानी नगीने जड़े तख्त बिछे हैं। जन्नत के बागात के दरमियान याकुत के कुसूर व महल्लात बनाए गए हैं इन में यह हुरें जल्वागर हैं। परवरदगारे करीम की तरफ से हर घड़ी अन्वाओ अक्साम के तोहफे और हदये पहुंचते हैं। हमेशा की ज़िन्दगी अता की गई। हर ख्वाहिश बिला ताखीर पूरी होती है। दिल में जिस चीज़ का ख्याल आया वोह फ़ौरन हाज़िर। किसी क़िस्म का खौफ़ व गम नहीं। हर साअत हर आन नेमतों में हैं। जन्नती नफीस व लज़ीज़ गिज़ाएं, लतीफ़ मेवे खाते हैं। बिहिश्ती नहरों से दूध शराब शहद वगैरा पीते हैं। इन नहरों की ज़मीन चांदी की, संगरेज़े जवाहिरात के, मिट्टी खालिस मुश्क की, सब्ज़ा ज़ाफ़रान का है। इन नहरो से नूरानी प्याले भर कर वोह जाम पेश करते हैं जिन से आफ्ताब सरमाए। 

*✍️बुन्यादी अक़ाइद और मामुलाते अहले सुन्नत* 47

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #08

*

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*_मुसीबत ज़दा को देख कर पढ़ने की दुआ_*

اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِىْٓ عَافَانِىْ مِمَّا ابْتَلَاكَ بِهٖ وَفَضَّلَنِىْ عَلٰى كَثِيْرٍ مِمَّنْ خَلَقَ تَفْضِيْلًا

*तर्जमा* - अल्लाह का शुक्र है जिस ने मुझे मुसीबत से आफिय्यत दी जिस में तुझे मुब्तला किया और मुझे अपनी बहुत सी मख्लूक़ पर फ़ज़ीलत दी।

*✍🏽सुनन तिर्मिज़ी, 5/272*

     जो शख्स किसी बला रसीदा को देख कर ये दुआ पढ़ लेगा انشاء الله उस बला से महफूज़ रहेगा।


     हर तरह के अमराज़ व बला में मुब्तला को देख कर ये दुआ पड़ सकते है। लेकिन 3 किस्म की बीमारियो में मुब्तला को देख कर ये दुआ न पढ़ी जाए, इस लिये की मन्कुल है की 3 बीमारियो को मकरूह न रखो।

     1 ज़ुकाम की हस की वजह से बहुत सी बीमारियो की जड़ कट जाती है।

     2 खुजली की इस से अमराज़े जिल्दिया और जुज़ाम वगैरा का इंसीदाद हो जाता है।

     3 आशोबे चश्म न बिनाई को दफा करता है।

*✍🏽तलफुज़ाते आला हज़रत, 1/28*

     इस दुआ को पढ़ते वक़्त इस बात का ख्याल रखे की मुसीबत ज़दा तक आवाज़ न पहुचे क्यू की इससे उसकी दिल शिकनी हो सकती है।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 209*


*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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Monday 28 January 2019

*तज़किरतुल अम्बिया* #376


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*मूसा अलैहिस्सलाम को रब तआला के दीदार की तमन्ना* #01

     अल्लाह तआला ने हज़रत मूसा अलैहीरसलाम से कलाम फ़रमाया अलबत्ता इस कलाम की हकीकत को ब्यान करना मुमकिन नही। जब मूसा अलैहिस्सलाम कलाम सुनने के लिए हाजिर हुए तो आपने तहारत की और पाकीज़ा लिबास पहना और रोज़ा रखकर तूर सीना में हाजिर हुए अल्लाह तआला ने एक बादल नाज़िल फरमाया जिसने पहाड़ को हर तरफ बक़दरे चार फरसंग के ढक लिया, शयातीन और जमीन के जानवर यहां तक कि साथ रहने वाले फ़रिश्ते तक वहां से अलग कर दिये गये और आपके लिए आस्मान खोल दिया गया तो आपने फ़रिश्तों को देखा और आपने अर्शे मुअल्ला को देखा लौहे महफूज़ को देखा अल्लाह तआला ने आपसे कलाम फ़रमाया आपने उसकी बारगाह में अपने मअरुजात पेश किये हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम अगर साथ थे लेकिन वह भी रब तआला की कुदरत से मूसा अलैहिस्सलाम और रब के दरमियान होने वाले कलाम को न सुन सके। 


बाकी अगली पोस्ट में ان شاء الله.

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 313

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*नमाज़ी के लिये क़यामत तक का षवाब*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     इब्ने अता رحمة الله عليه बयान करते है : जब मुसलमान नमाज़ अदा करता है और उसकी नमाज़ क़ुबूल कर ली जाती है तो अल्लाह उस नमाज़ी की शक्ल का एक फ़रिश्ता पैदा फरमा देता है जो क़यामत तक रूकू और सुजूद में लगा रहेगा और उन तमाम आमाल का षवाब नमाज़ी के नामए आमाल में लिखा जाएगा।

*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 24

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*नमाज़ी के लिये क़यामत तक का षवाब*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     इब्ने अता رحمة الله عليه बयान करते है : जब मुसलमान नमाज़ अदा करता है और उसकी नमाज़ क़ुबूल कर ली जाती है तो अल्लाह उस नमाज़ी की शक्ल का एक फ़रिश्ता पैदा फरमा देता है जो क़यामत तक रूकू और सुजूद में लगा रहेगा और उन तमाम आमाल का षवाब नमाज़ी के नामए आमाल में लिखा जाएगा।

*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 24

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-29, आयत, ②②⑨*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

यह तलाक़ (1) दो बार तक है फिर भलाई के साथ रोक लेना है (2) या नेकी के साथ छोड़ देना है (3) और तुम्हें रवा नहीं कि जो कुछ औरतों को दिया (4) उसमें से कुछ वापिस लो (5) मगर जब दोनों को डर हो कि अल्लाह की हदें क़ायम न करेंगे (6) फिर अगर तुम्हें डर हो कि वो दोनों ठीक उन्हीं हदों पर न रहेंगे तो उनपर कुछ गुनाह नहीं इसमें जो बदला देकर औरत छुट्टी ले (7) ये अल्लाह की हदें हैं इनसे आगे न बढ़ो तो वही लोग ज़ालिम हैं.


*तफ़सीर*

(1) यानी तलाक़े रजई. एक औरत ने सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की ख़िदमत में हाज़िर होकर अर्ज़ किया कि उसके शौहर ने कहा है कि वह उसको तलाक़ देता और रूजू करता रहेगा. हर बार जब तलाक़ की इद्दत गुज़रने के क़रीब होगी रूजू कर लेगा, फिर तलाक़ दे देगा, इसी तरह उम्र भर उसको क़ैद में रखेगा. इस पर यह आयत उतरी और इरशाद फ़रमाया कि तलाक़ रजई दो बार तक है. इसके बाद फिर तलाक़ देने पर रूजू करने का हक़ नहीं.

(2) रूजू करके.

(3) इस तरह कि रूजू न करे और इद्दत गुज़रकर औरत बयान हो जाए.

(4) यानी मेहर.

(5) तलाक़ देते वक़्त.

(6) जो मियाँ बीवी के हुक़ूक के बारे में है.

(7) यानी तलाक़ हासिल करे. यह आयत जमीला बिन्ते अब्दुल्लाह के बारे में उतरी. यह जमीला साबित बिन क़ैस इब्ने शमास के निकाह में थीं और शौहर से सख़्त नफ़रत रखतीं थीं. रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के हुज़ूर में अपने शौहर की शिकायत लाई और किसी तरह उनके पास रहने पर राज़ी न हुई, तब साबित ने कहा कि मैं ने इनको एक बाग़ दिया है अगर यह मेरे पास रहना गवारा नहीं करतीं और मुझसे अलग होना चाहती हैं तो वह बाग़ मुझे वापस करें, मैं इनको आज़ाद कर दूँ. जमीला ने इसको मंज़ूर कर लिया. साबित ने बाग़ ले लिया और तलाक़ दे दी. इस तरह की तलाक़ को ख़ुला कहते हैं. ख़ुला तलाक़े बयान होता है. ख़ुला में “ख़ुला” शब्द का ज़िक्र ज़रूरी है. अगर जुदाई की तलबगार औरत हो तो ख़ुला में मेहर की मिक़दार से ज़्यादा लेना मकरूह है और अगर औरत की तरफ़ से नुशूज़ न हो, मर्द ही अलाहिदगी चाहे तो मर्द को तलाक़ के बदले माल लेना बिल्कुल मकरूह है.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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जन्नत का बयान* #02

*

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सवाल* - दारोगए जन्नत यानी जन्नत के निग्रान का क्या नाम है ? 

     *जवाब* - हज़रते रिज़वान हैं।


     *सुवाल* - जन्नत कितनी बड़ी है ?

     *जवाब* - जन्नत की वुस्अत यानी कुशादगी का येह बयान है कि इस में सौ दरजे हैं हर दरजे से दूसरे दरजे तक इतना फ़ासिला है जितना आस्मानो जमीन के दरमियान। अगर तमाम जहां एक दरजे में जम्अ हो तो एक दरजा सब के लिये किफायत करे। दरवाजे इतने वसीअ कि एक बाजू से दूसरे तक तेज घोड़े की सत्तर बरस की राह हैं।


     *सवाल* - क्या जन्नत में इंसानों के इलावा भी कोई होगा?

     *जवाब* - जन्नत में अल्लाह के नेक बन्दों के इलावा उन की खिदमत के लिये हूरो गिलमान होंगे।


     *सवाल* - गिलमान किसे कहते है ?

     *जवाब* - जन्नत के वो नौ उम्र, पाकीज़ा सूरत व लिबास वाले लड़के जो हर वक़्त जन्नतियों की खिदमत पर मामूर होंगे, जो बहिशती नेमतों के जाम व पैमाने और प्याले लिये जन्नत की ह्यूरोन और जन्नतियों के पास गर्दिश कर रहे होंगे।

*✍️बुन्यादी अक़ाइद और मामुलाते अहले सुन्नत* 46

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दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #07

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*_अदाए क़र्ज़ की दुआ_*

اَللّٰهُمَّ اكْفِنِىْ بِحَلَالِكَ عَنْ حَرَامِكَ وَاَغْنِنِىْ بِفَضْلِكَ عَمَّنْ سِوَاكَ

*तर्जमा* - ऐ अल्लाह ! मुझे हलाल रिज़्क़ अता फरमा कर हराम से बचा और अपने फ़ज़लो करम से अपने सिवा गैरो से बे नियाज़ कर दे।

*✍🏽अलमुस्तदरक लिल्हाकिम, 2/230*

     ये दुआ तीर ब हदफ़ नुस्खा है अगर हर मुसलमान हमेशा ही ये दुआ हर नमाज़ के बाद ज़रूर एक बार पढ़ लिया करे तो انشاء الله क़र्ज़ व ज़ुल्म से महफूज़ रहेगा।

*✍🏽मिरआतूल मनाजिह, 4/51*


*_गुस्सा आने के वक़्त की दुआ_*

اَعُوْذُبِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطٰنِ الرَّجِيْمِ

*तर्जमा* - में शैतान मर्दुद से अल्लाह की पनाह चाहता हु।

*✍🏽सहीह बुखारी, 4/131*


*_इल्म में इज़ाफ़े की दुआ_*

رَبِّ زِدْنِىْ عِلْمًا

*तर्जमा* - ऐ मेरे रब! मुझे इल्म ज़्यादा दे।

*✍🏽पारह, 16*

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 207*


*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,

गर होजाए यक़ीन के.....

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Sunday 27 January 2019

*पंचगाना नमाज़ों की बरकत*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     पंच गाना नमाज़ों के औक़ात मुक़र्रर करने का सबब ये है :

     ज़ोहर के वक़्त जहन्नम भड़काई जाती है तो जिसने ज़ोहर की नमाज़ पढ़ी वो गुनाहों से ऐसा पाक हो गया जेसे अभी ही पैदा हुआ है।

     अस्र के वक़्त हज़रत आदमعليه السلام ने ममनुआ दरख्त से कुछ खा लिया था (यानी उस दरख्त से जिससे आपको खाने से मना किया गया था) तो जो अस्र की नमाज़ अदा करेगा उसे दोज़ख से रिहाई हासिल होगी।

     मगरिब के वक़्त अल्लाह ने हज़रत आदम عليه السلام की तौबा क़ुबूल फ़रमाई थी तो जो मगरिब की नमाज़ पढ़कर अल्लाह से सवाल करेगा उसे पूरा किया जाएगा।

     ईशा और फज्र का वक़्त  क़ब्र और क़यामत की तारीकी से मुशाबहत (मेल) रखता है। तो जो ईशा की नमाज़ पढ़ेगा, अल्लाह उसे क़ब्र और क़यामत में अनवारो तजल्लियात से नवाज़ेग और जिसने फज्र अदा की अल्लाह उसे दोज़ख और निफ़ाक़ से महफूज़ रखेगा। (आमीन)

*✍🏼नुज़हतुल मजालिस*

*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 24

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सूरतुल बक़रह, रुकुअ-28, आयत, ②②⑧*

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और तलाक़ वालियाँ अपनी जानों को रोके रहें तीन हैज़  (माहवारी) तक (7) और उन्हें हलाल नहीं कि छुपाएँ वह जो अल्लाह ने उनके पेट में पैदा किया  (8) अगर अल्लाह और क़यामत पर ईमान रखती हैं (9) और उनके शौहरों को इस मुद्दत के अन्दर उनक फेर लेने का हक़ पहुंचता है अगर मिलाप चाहे (10) और औरतों का भी हक़ ऐसा ही है जैसा उनपर है शरीअत के अनुसार (11) और मर्दों को फ़ज़ीलत  (प्रधानता) है और अल्लाह ग़ालिब हिकमत वाला है.


*तफ़सीर*

(7) इस आयत में तलाक़ शुदा औरतों की इद्दत का बयान है. जिन औरतों को उनके शौहरों ने तलाक़ दी, अगर वो शौहर के पास न गई थीं और उनसे तनहाई में सहवास न हुआ था, जब तो उन पर तलाक़ की इद्दत ही नहीं है जैसा कि आयत “फ़मालकुम अलैहिन्ना मिन इद्दतिन” यानी निकाह करो फिर उन्हें बेहाथ लगाए छोड़ दो तो तुम्हारे लिये कुछ इद्दत नहीं जिसे गिनो. (सूरए अहज़ाब, आयत 49) में इरशाद है और जिन औरतों को कमसिनी या बुढ़ापे की वजह से हैज़ या माहवारी न आती हो या जो गर्भवती हों, उनकी इद्दत का बयान सूरए तलाक़ में आएगा. बाक़ी जो आज़ाद औरतें हैं, यहाँ उनकी इद्दत और तलाक़ का बयान है कि उनकी इद्दत तीन 

माहवारी है.

(8) वह गर्भ हो या माहवारी का ख़ून, क्योंकि उसके छुपाने से, रजअत और वलद में जो शौहर का हक़ है, वह नष्ट होगा.

(9) यानी ईमानदारी का यही तक़ाज़ा है.

(10) यानी तलाक़े रजई में इद्दत के अन्दर शौहर औरत की तरफ़ पलट सकता है, चाहे औरत राज़ी हो या न हो. लेकिन अगर शौहर को मिलाप मंज़ूर हो तो ऐसा करे. कष्ट पहुंचाने का इरादा न करे जैसा कि जाहिल लोग औरतों को परेशान करने के लिये करते थे.

(11) यानी जिस तरह औरतों पर शौहरों के अधिकार की अदायगी वाजिब है, उसी तरह शौहरों पर औरतों के हुक़ूक़ की रिआयत लाज़िम है.

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*जन्नत का बयान* #01


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

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     *सुुुवाल* - दुन्या के बाद भी क्या कोई दार (यानी मकान) है ? 

     *जवाब* - जी हां! अल्लाह तआला ने इस दुन्या के सिवा दो और अजीमुश्शान दार पैदा किये हैं एक दारुन्नईम यानी नेमत की जगह है इस का नाम "जन्नत" हैं। एक दारुल अज़ाब यानी अजाब की जगह है इस को "दोज़ख" कहते हैं। 


     *सुवाल* - जन्नत क्या है ? 

     *जवाब* - जन्नत एक मकान है जो अल्लाह ने ईमान वालों के लिये बनाया है। 


     *सुवाल* - जन्नत में किस तरह की नेमतें हैं ? 

     *जवाब* - जन्नत में अल्लाह तआला ने अपने ईमानदार बन्दों के लिये अन्वा व अक्साम की ऐसी नेमतें जम्अ फ़रमाई हैं जिन तक आदमी का वहम व ख़याल नहीं पहुंचता, न ऐसी नेमतें किसी आंख ने देखीं, न किसी कान ने सुनीं, न किसी दिल में इन का खयाल गुजरा। इन का वस्फ़ पूरी तरह बयान में नहीं आ सकता। अल्लाह तआला अता फ़रमाए तो वहीं इन की कद्र मालूम होगी। 

*✍️बुन्यादी अक़ाइद और मालूमाते अहले सुन्नत* 45

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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #06


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

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*_किसी मुसलमान को मुस्कराता देख कर पढ़ने की दुआ_*

اَضْحَكَ اللّٰهُ سِنَّكَ

*तर्जमा* - अल्लाह आप को हमेशा मुस्कराता रखे।

*✍🏽सहीह बुखारी, 2/403*


*_शुक्रिया अदा करने की दुआ_*

جَزَاكَ اللّٰهُ خَيْرًا


*तर्जमा* - अल्लाह तुझे जज़ाए खैर दे।

*✍🏽सुनन तिर्मिज़ी, 3/417*


     इस मुख़्तसर से जुमले में उस की नेमत का इक़रार भी हो गया अपने इज्ज़ का इज़हार भी हो गया और उस के हक़ में दुआए खैर भी, शुक्रिया का मक़सद भी यही होता है।

*✍🏽मिरातुल मनाजिह्, 4/257*


     हदिष में है कि जो लोगो का शुक्रिया अदा न करे वो अल्लाह का शुक्रिया भी अदा न करेगा।

*✍🏽मिशकतुल मसाइह, 2/557*

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 207*


*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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Saturday 26 January 2019

तज़किरतुल अम्बिया* #375

*

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*तौरात लेने के लिए मूसा अलैहिस्सलाम का तूर पर जाना*      

     मूसा अलैहिस्सलाम ने अपनी कौम को पहले ही बता दिया था कि जब अल्लाह तआला हमें फिरौनियों से नजात देगा तो मैं तुम्हें रब तआला से एक किताब लाकर दूंगा जिसमें हराम व हलाल अम्र का जिक्र होगा इसी वादे के मुताबिक आप अल्लाह तआला के हुक्म से तौरात लैने तूर पर आये। 

     अल्लाह तआला ने मूसा अलैहिस्सलाम से वादा फ़रमाया कि तूम तूर पर आओ तुम्हें चालीस दिनो के बाद किताब दी जाएगी आप को हुक्म दिया गया कि तूम तीस दिन ऐसे नेक आमाल करना जो मेरे क़ुर्ब का जरिया बनें फिर दस दिनों में तुम्हें किताब अता कर दी जायेगी इस तरह तीस देनों का वादा चालीस दीनों तक हुआ और यह भी बयान किया गया है कि मुसा अलैहिस्सलाम को जीकादा के तीस रोजे रखने का हुक्म दिया जब आपने तीस दिन के रोजे मुक़म्मल कर लिए तो मुंह में बु नामुनासिब समझकर मिस्वाक की। फ़रिश्तों ने कहा कि हम तो तुम्हारे मुंह से कस्तूरी की खुश्बू सूंघ रहे थे लेकिन तुमने मिस्वाक करके जाया कर दी तो अल्लाह तआला ने आपको वही की: क्या तुम्हें मालूम नहीं ? कि  रोजेदार के मुंह की बू मेरे नज़दीक कस्तूरो से भी ज्यादा अच्छी है। आपको अल्लाह तआला ने हुक्म दिया कि जिल हिज्जा के दस रोजे और रखें इस तरह दसा बड़ा कर चालीस कर दिये गये। 

     मूसा अलैहिस्सलान ने जाते हुए अपने बड़े भाई हारून अलैहिस्सलाम को अपना नायब बनाया जो खुद भी मुस्तकिल नबी थे यह नयाबत नबुव्वत में नहीं थी बल्कि रिसालत भी यानी इजरत हारून अलैहिस्सलाम फ़क़त नबी थे और मूसा अलैहिस्सलाम रसूल भी थे इसलिए उन्हें अपने मनसबे रिसालत का नायव और ख़लीफ़ा बनाया वह भी फ़क्त तूर से वापसी तक।

*रब तआला के दीदार की तमन्ना* ये वाकया अगली पोस्ट में ان شاء الله.

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 312

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*गुनाहों से पाक होने का ज़रिया*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     एक मर्तबा हज़रत इसा عليه السلام समन्दर के किनारे से गुज़रे तो उन्होंने एक निहायत ही खूबसूरत परिन्दा देखा जो देखते ही देखते कीचड़ में दाखिल हो गया फिर कीचड़ से लतपत हो कर उसने समन्दर में गुस्ल किया तो वो पहले की तरह खूबसूरत नज़र आने लगा। इस तरह उसने ये अमल पांच मर्तबा किया। आप ये देखकर हैरत में थे कि या अल्लाह ! ये क्या मामला है ? उसी वक़्त हज़रत जिब्राइल عليه السلام तशरीफ़ लाए और अर्ज़ किया : ये उम्मते मुहम्मदिया की पांच नमाज़े की मिसाल है। कीचड़ गुनाह है और समन्दर में गुस्ल करना नमाज़ के मानिन्द है यानी जब वो नमाज़ पढ़ेंगे तो उनके गुनाह धूल जाएंगे।

*✍🏼नुज़हतुल मजालिस*

*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 23

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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ot.in

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-28, आयत, ②②⑦*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और अगर छोड़ देने का इरादा पक्का कर लिया तो अल्लाह सुनता जानता है (6)


*तफ़सीर*

(6) जाहिलियत के दिनों में लोगों का यह तरीक़ा था कि अपनी औरतों से माल तलब करते, अगर वह देने से इन्कार करतीं तो एक साल, दो साल, तीन साल या इससे ज़्यादा समय तक उनके पास ना जाते और उनके साथ सहवास न करने की क़सम खा लेते थे और उन्हें परेशानी में छोड़ देते थे. न वो बेवा ही थीं कि कहीं अपना ठिकाना कर लेतीं, न शौहर वाली कि शौहर से आराम पातीं. इस्लाम ने इस अत्याचार को मिटाया और ऐसी क़सम खाने वालों के लिये चार महीने की मुद्दत निश्चित फ़रमादी कि अगर औरत से चार माह के लिये सोहबत न करने की क़सम खाले जिसको ईला कहते हैं तो उसके लिये चार माह इन्तिज़ार की मोहलत है. इस अर्से में ख़ूब सोच समझ ले कि औरत को छोड़ना उसके लिये बेहतर है या रखना. अगर रखना बेहतर समझे और इस मुद्दत के अन्दर रूजू करले तो निकाह बाक़ी रहेगा और क़सम का कफ़्फ़ारा लाज़िम आएगा, और अगर इस मुद्दत में रूजू न किया और क़सम न तोड़ी तो औरत निकाह से बाहर हो गई और उस पर तलाक़े बायन वाक़े हो गई. अगर मर्द सहवास की क्षमता रखता हो तो रूजू हमबिस्तरी से ही होगा और अगर किसी वजह से ताक़त न हो तो ताक़त आने के बाद सोहबत का वादा रूजू है. (तफ़सीरे अहमदी)

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

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*हौज़े कौसर का बयान* #02


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सुवाल* - हिसाब के बाद आदमी कहां जाएंगे ? 

     *जवाब* - मुसलमान जन्नत में और काफ़िर दोज़ख में।  


     *सुवाल* - क्या सब मुसलमान जन्नत में जाएंगे और सब कफ़िर दोज़ख में ? और यह दोनों जन्नत और दोजख में कितना अरसा रहेंगे ? 

     *जवाब* - नेक मुसलमान और वोह गुनाहगार मुसलमान जिन के गुनाह अल्लाह तआला अपने करम और अपने महबूब ﷺ की और दीगर नेक बन्दों की शफ़ाअत से बख्श दे वह सब के सब जन्नत में रहेंगे और बाज़ गुनहगार मुसलमान जो दोज़ख़ में जाएंगे वोह भी जितना अर्सा खुदा चाहे दोज़ख के अज़ाब में मुब्तला रह कर आखिरे कार नजात पाएंगे और काफ़िर सब के सब जहन्नम में जाएंगे और हमेशा उसी में रहेंगे। 


     *सुवाल* - क्या जन्नत और दोजख पैदा हो चुकी हैं या पैदा की जाएंगी ? 

     *जवाब* - जन्नत और दोजख पैदा हो चुकी हैं और हजारों बरस से मौजूद हैं। 

*✍️बुन्यादी अक़ाइद और मामुलाते अहले सुन्नत* 45

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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #05


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*_दूध पिने के बाद की दुआ_*

اَللّٰهُمَّ بَارِكْ لَنَا فِيْهِ وَزِدْنَا مِنْهُ

*तर्जमा* - ऐ अल्लाह ! हमारे लिये इस में बरकत दे और हमे इससे ज़्यादा इनायत फरमा।

*✍🏽सुनन अबी दाऊद, 3/476*


*_आइना देखते वक़्त की दुआ_*

اَللّٰهُمَّ اَنْتَ حَسَّنْتَ خَلْقِىْ فَحَسِّنْ خُلُقِىْ

*तर्जमा* - या अल्लाह ! तूने मेरी सूरत तो अच्छी बनाई है मेरे अख़लाक़ भी अच्छे कर दे।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 206*


*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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Friday 25 January 2019

तज़किरतुल अम्बिया* #374

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*बनी इस्राइल की नाशुक्री*

     अल्लाह तआला ने जब बनी इस्राईल के दुश्मनों को हलाक कर दिया जिसका वह मुशाहिदा कर रहे थे उन्हें दरिया में सलामती से गुजार दिया हक़ तो यह था कि वह अल्लाह तआला का शुक्रिया अदा करते लेकिन रब ताला ने उनकी जहालत का तजकिरा फरमाया कि वह कितने जाहिल और नाशुक्रे लोग थे कि वह बुत परस्तों को देखकर कहने लगे कि हमें भी ऐसा खुदा बना दो। 

     बनी इस्राईल ने जो बुत देखे थे वह गाए की शक्ल के थे (बुत परस्ती की तरफ इनके मीलान को देखकर ही सामरी ने इन्हें बछड़ो की पूजा पर लगा दिया था) 

     मूसा अलैहिस्सलाम ने उन्हें कहा कि तुम तो जाहिल लोग हो क्या तुम्हें मालूम नहीं कि इबाद तो आला दर्जे की ताज़ीम का नाम है और आला दर्ज़े की ताज़ीम उसी ज़ात की हो सकती है जिसके अजीम इनामात हों और सबसे बड़े इनामात जिस्म की तखलीक़, ज़िन्दगी अता करना, ख्वाहिशात, कुदरत अता करना और नफ़ामंद आशिया का पैदा करना उन अशिया पर कादिर सिवाए अल्लाह के और कोई नहीं और इबादत के लायक भी उसके सिवा कोई नहीं।


**तौरात लेने के लिए मूसा अलैहिस्सलाम का तूर पर जाना* ये वाकया अगली पोस्ट में ان شاء الله.

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 312

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नमाज़ की बरकतें वाक़ीयात की रौशनी में* #02

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     नमाज़ की बरकतों के सिलसिले में हज़रत अब्दुर्रहमान सफुरी عليه رحما नुज़हतुल मजालिस में तहरीर फ़रमाते है : नबीए करीम ﷺ ने फ़रमाया : तवील क़याम (यानी नमाज़ में देर तक खड़ा रहना) क़यामत में अमान का ज़ामिन (जमानतदार) है।

*✍🏼नुज़हतुल मजालिस*


     हज़रत ईशा عليه السلام ने फ़रमाया : तवील क़याम पुलसिरात पर अमान का बाइस है और तवील सज्दा अज़ाबे क़ब्र से बचने का ज़रिया है। बाज़ बुज़ुर्गो ने फ़रमाया : सकरात मौत में आसानी का सबब है। आप ने मज़ीद फ़रमाया : तवील सज्दा अल्लाह की महबूबियत का वसीला है।

     हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास رضي الله عنه ने फ़रमाया : लम्बा सज्दा जन्नत में हमेशगी का सबब है।

*✍🏼नुज़हतुल मजालिस*

*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 22

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सूरतुल बक़रह, रुकुअ-28, आयत, ②②⑤*

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

अल्लाह तुम्हें नहीं पकड़ता उन क़स्मों में जो बेईरादा ज़बान से निकल जाएं, हाँ उसपर पकड़ फ़रमाता है जो काम तुम्हारे दिलों ने किये (5) और अल्लाह बख़्शने वाला हिल्म  (सहिष्णुता) वाला है.


*तफ़सीर*

(5) क़सम तीन तरह की होती है : (1) लग्व (2) ग़मूस (3) मुनअक़िदा. लग्व यह है कि किसी गुज़री हुई बात पर अपने ख़याल में सही जानकर क़सम खाए और अस्ल में वह उसके विपरीत हो, यह माफ़ है, और इस पर कफ़्फ़ारा नहीं. ग़मूस यह है कि किसी गुज़री हुई बात पर जान बूझकर झूठी क़सम खाए, इसमें गुनाहगार होगा. मुनअक़िदा यह है कि किसी आने वाली बात पर इरादा करके क़सम खाए. क़सम को अगर तोड़े तो गुनाहगार भी है और कफ़्फ़ारा भी लाज़िम.


*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-28, आयत, ②②⑥*

      और वो जो क़सम खा बैठते हैं अपनी औरतों के पास जाने की उन्हें चार महीने की मोहलत  (अवकाश) है तो अगर इस मुद्दत में फिर आए तो अल्लाह बख़्शने वाला मेहरबान है.

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*हौज़े कौसर का बयान* #01


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सुवाल* - हौजे कौसर क्या चीज़ है ? 

     *जवाब* - येह एक हौज है जिस की तेह मुश्क यानी कस्तूरी की है, याकूत और मोतियों पर जारी है, दोनों किनारे सोने के हैं और इन पर मोतियों के कुब्बे यानी गुम्बद नस्ब हैं इस के बरतन (कुज़े) आस्मान के सितारों से ज्यिादा हैं।


     *सुवाल* - होज़े कौसर का पानी कैसा होगा ? 

     *जवाब* - ईस का पानी दूध से जियादा सफेद, शहद से ज़ियादा शीरीं, मुश्क से ज़ियादा खुश्बूदार है। जो एक मरतबा पियेगा फिर कभी प्यासा न होगा। 


     *सुवाल* - येह हौज़ किसे अता किया जाएगा ? 

     *जवाब* - अल्लाह तआला ने येह हौज़ अपने हबीने अकरम ﷺ को अता फरमाया है। हुजूर ﷺ इस से अपनी उम्मत को सैराब फरमाएंगे। 

*✍️बुन्यादी अक़ाइद और मामुलाते अहले सुन्नत* 44

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*ख़ुत्बा सुनने व बैठने के एहकाम*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     जो काम नमाज़ की हालत में करना हराम और मना है, ख़ुत्बा होने की हालत में भी हराम और मना है।

*(हुल्या, जामऊर्-रमुज़, आलमगीरी, फतावा रज़विय्या)*

     ख़ुत्बा सुनना फ़र्ज़ है और ख़ुत्बा इस तरह सुनना फ़र्ज़ है कि हमा-तन (समग्र एकाग्रता) उसी तरफ तवज्जोह दे और किसी काम में मश्गुल न हो। सरापा तमाम आज़ा ए बदन उसी की तरफ मुतवज्जेह होना वाजिब है। अगर किसी ख़ुत्बा सुनने वाले तक खतीब की आवाज़ न पहुचती हो, जब भी उसे चुप रहना और ख़ुत्बा की तरफ तवज्जोह रखना वाजिब है। उसे भी किसी काम में मश्गुल होना हराम है।

*(फत्हुल क़दीर, रद्दुल मोहतार, फतावा रज़विय्या)*

     ख़ुत्बा के वक़्त ख़ुत्बा सुननेवाला "दो जानू" यानी नमाज़ के क़ायदे में जिस तरह बैठते है उस तरह बैठे।

*(आलमगीरी, रद्दुल मोहतार, गुन्या, बहारे शरीअत)*

     ख़ुत्बा हो रहा हो तब सुनने वाले को एक घूंट पानी पीना हराम है और किसी की तरफ गर्दन फेर कर देखना भी हराम है।

     ख़ुत्बा के वक़्त सलाम का जवाब देना भी हराम है।

     जुमुआ के दिन ख़ुत्बा के वक़्त खतीब के सामने जो अज़ान होती है, उस अज़ान का जवाब या दुआ सिर्फ दिल में करें। ज़बान से अस्लन तलफ़्फ़ुज़ (उच्चार) न हो।

     जुमुआ की अज़ाने सानी (ख़ुत्बे से पहले की अज़ान) में हुज़ूर صلى الله عليه وسلم का नाम सुनकर अंगूठा न चूमें और सिर्फ दिल में दुरुद शरीफ पढ़े।

*✍🏼फतावा रज़विय्या*

     ख़ुत्बा में हुज़ूर صلى الله عليه وسلم का नाम सुन कर दिल में दुरुद शरीफ पढ़े, ज़बान से खामोश रहना फ़र्ज़ है।

*(दुर्रे मुख्तार, फतावा रज़विय्या)*

     जब इमाम ख़ुत्बा पढ़ रहा हो, उस वक़्त वज़ीफ़ा पढ़ना मुतलक़न ना जाइज़ है और नफ्ल नमाज़ पढ़ना भी गुनाह है।

     ख़ुत्बा के वक़्त भलाई का हुक्म करना भी हराम है, बल्कि ख़ुत्बा हो रहा हो तब दो हर्फ़ बोलना भी मना है। किसी को सिर्फ "चुप" कहना तक मना और लग्व (व्यर्थ) है।

     सहाह सित्ता (हदिष की 6 सहीह किताबों) में हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से रिवायत है कि हुज़ूर صلى الله عليه وسلم फ़रमाते है कि बरोज़े जुमुआ ख़ुत्ब ऐ इमाम के वक़्त तूँ दूसरे से कहे "चुप" तो तूने लग्व (व्यर्थ काम) किया।

     इसी तरह मुसन्दे अहमद, सुनने अबू दाऊद में हज़रत अली كرم الله وجهه الكريم से है कि हुज़ूर ﷺ फ़रमाते है कि जो जुमुआ के दिन (ख़ुत्बा के वक़्त) अपने साथी से "चुप" कहे उसने लग्व किया और जिसने लग्व किया उसके लिये जुमुआ में कुछ "अज्र" (षवाब) नही।

     ख़ुत्बा सुनने की हालत में हरकत (हिलना-डुलना) मना है। और बिला ज़रूरत खड़े हो कर ख़ुत्बा सुनना खिलाफे सुन्नत है। अवाम में ये मामूल है कि जब खतीब ख़ुत्बा के आखिर में इन लफ़्ज़ों पर पहुचता है "व-ल-ज़ीक़रुल्लाहे तआला आला" तो उसको सुनते ही लोग नमाज़ के लिये खड़े हो जाते है। ये हराम है, कि अभी ख़ुत्बा नही हुआ, चंद अलफ़ाज़ बाक़ी है और ख़ुत्बा की हालत में कोई भी अमल करना हराम है।

*✍🏼फतावा रज़विय्या*

*✍🏼मोमिन की नमाज़* 220

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Thursday 24 January 2019

*तज़किरतुल अम्बिया* #373


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*फ़िरऔन का ग़र्क़ होने पर ईमान लाना और क़बूल न होना*

     मालिकुल मुल्क की कितनी अजीम कुदरत है? कि वह शख़्स जो कभी (मैं तुम्हारा बड़ा रब हु) का दावा कर रहा था आज उसकी गिरफ्त में आता है दरिया की तुगयानी में शदीद मौजों के थपेड़ों में आते ही एक मर्तबा नहीं बल्कि 3 मर्तबा ईमान लाता है एक मर्तबा कहा आमन्तु मैं ईमान लाया दूसरी मर्तबा कहा केई सच्चा माबूद नहीं सिवा उसके जिस पर बनी इस्राईल ईमान लाये। तीसरी मर्तब कहाः और मैं मुसलमान हूं। 

     लेकिन यह इसका ईमान कबूल न हुआ क्योंकि रब तआला के अज़ाब को देखकर, फ़रिश्तों का सामना करते हुए ईमान लाना नफा मंद नहीं हो सकता।

     रब तआला ने फरमाया अब तु ईमान लाता है पहले नाफरमानियां करता रहा और फ़साद फैलाता रहा यानी पहले तुम्हें ईमान लाने का कितना वक्त दिया? कई मर्तबा तुझे आज़माईश में मुब्तला करके ईमान लाने की तरफ सोचने के मौके फ़राहम किये, लेकिन उस वक्त तू ईमान न लाया, अब गर्क होने पर तेरे इमान लाने को क़बूल नहीं किया जा सकता। अब तो तेरे जिस्म को दरिया की मौजों से बाहर फेंक कर लोगो के लिए निशानी बनाया जयेगा सब को पता चल जाये कि आज खुदाई दावेदार गर्क होकर मुर्दा हालत में पड़ा है खुदाए हक़ीक़ी तो वह हो सकता है जो हमेशा के लिए कायम व दायम है। 


*बनी इस्राइल की नाशुक्री* का बयान अगली पोस्ट में ان شاء الله.

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 311

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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नमाज़ की बरकतें वाक़ीयात की रौशनी में* #01

*

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हज़रत इमाम ग़ज़ाली عليه رحما मुकाशफतुल कुलूब में तहरीर फ़रमाते है : बाज़ उलमा का कहना है और हदिष में भी है कि जो नमाज़ की पाबन्दी करता है अल्लाह उसे 5 चीजों से सरफ़राज़ फ़रमाता है : 

     (1) उससे तंगदस्ती खत्म कर दी जाती है। 

     (2) उसे अज़ाबे क़ब्र नहीं होगा।

     (3) नामए आमाल उसके दाए हाथ में दिया जाएगा। 

     (4) पुलसिरात से वो बिजली की तरह गुज़रेगा। 

     (5) जन्नत में बिला हिसाब दाखिल होगा।

*✍🏼मकाशफतुल कुलूब* 392

*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 22

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-28, आयत, ②②④*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और अल्लाह को अपनी क़िस्मतों का निशाना न बना लो (4) कि एहसान और परहेज़गारी और लोगों में सुलह करने की क़सम कर लो और अल्लाह सुनता जानता है.


*तफ़सीर*

(4) हज़रत अब्दुल्लाह बिन रवाना ने अपने बेहनोई नोमान बिन बशीर के घर जाने और उनसे बात चीत करने और उनके दुश्मनों के साथ उनकी सुलह कराने से क़सम खाली थी. जब इसके बारे में उनसे कहा जाता था तो कह देते थे कि मैं क़सम खा चुका हूँ इसलिये यह काम कर ही नहीं सकता. इस सिलसिले में यह आयत नाज़िल हुई और नेक काम करने से क़सम खा लेने को मना किया गया. अगर कोई व्यक्ति नेकी से दूर रहने की क़सम खाले तो उसको चाहिये कि क़सम को पूरा न करे बल्कि वह नेक काम ज़रूर करे और क़सम का कफ़्फ़ारा दे. मुस्लिम शरीफ़ की हदीस में है, रसूले अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया जिस शख़्स ने किसी बात पर क़सम खाली फिर मालूम हुआ कि अच्छाई और बेहतरी इसके ख़िलाफ़ में है तो चाहिये कि उस अच्छे काम को करे और क़सम का कफ़्फ़ारा दे. कुछ मुफ़स्सिरों ने यह भी कहा है कि इस आयत से बार बार क़सम खाने की मुमानिअत यानी मनाही साबित होती है.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*सिरात का बयान*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

    *सुवाल* - सिरात किसे कहते हैं ? 

     *जवाब* - जहन्नम के ऊपर एक पुल हें उस को “सिरात" कहते हैं। येह बाल से ज़ियादा बारीक तलवार से जियादा तेज़ है। 


     *सुवाल* - क्या कोई पुल सिरात से गुज़रे बिगैर भी जन्नत में जा सकता है ? 

     *जवाब* - नहीं, सब को इस पर से गुजरना है, जन्नत का येही रास्ता है। 


     *सुवाल* - पुल सिरात से गुज़रने में सब की हालत एक जैसी होगी या मुख़्तलिफ़ ? 

     *जवाब* - उस पुल पर गुजरने में लोगों की हालत जुदागाना होगी, जिस दरजे का शख्स होगा उस के लिये ऐसी ही आसानी या दुश्वारी होगी बाज़ तो बिजली चमकने की तरह गुज़र जाएंगे। अभी इधर थे, अभी उधर पहुंचे। बाज़ हवा की तरह, बाज़ तेज़ घोड़े की तरह, बाज़ आहिस्ता आहिस्ता, बाज़ गिरते पड़ते लरज़ते लंगड़ाते और बाज़ जहन्नम में गिर जाएंगे। कुफ्फार के लिये बड़ी हसरत का वक्त होगा जब वोह पुल से गुज़र न सकेंगे और जहन्नम में गिर पड़ेंगे और ईमानदारों को देखेंगे कि वोह उसी पुल पर बिजली की तरह गुज़र गए या तेज हवा की तरह उड़ गए या सरीउस्सैर यानी तेज रफ्तार घोड़े की तरह दौड़ गए।

*✍️बुन्यादी अक़ाइद और मामुलाते अहले सुन्नत* 43

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #04

*

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*_खाना खाने से पहले की दुआ_*

     खाना शुरू करने क़ब्ल ये दुआ पढ़ ली जाए, अगर खाने पिने में ज़हर भी होगा तो انشاء الله असर नही करेगा।

بِسْمِ اللّٰهِ وَبِاللّٰهِ الَّذِىْ لَا يَضُرُّ مَعَ اسْمِهٖ شَىْءٌ فِى الْاَرْضِ وَلَا فِى اسَّمَآءِ يَا حَىُّ  يَا قَيُّوْمُ

*तर्जमा* - अल्लाह के नाम से शुरू करता हु जिस के नाम की बरकत से ज़मीन व आसमान की कोई चीज़ नुक़सान नही पंहुचा सकती, ऐ हमेशा ज़िन्दा व क़ाइम रहने वाले।


*_खाने के बाद की दुआ_*

الْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِىْٓ اَطْعَمَنَا وَسَقَانَا وَجَعَلَنَا مُسْلِمِيْنَ

*तर्जमा* - अल्लाह का शुक्र है जिसने हमे खिलाया, पिलाया और हमे मुसलमान बनाया।

*✍🏽सुनन अबी दाऊद, 3/513*

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 205*


*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*_तंगदस्ती का इलाज_*


  بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

       

      मक-त-बतूल मदीना की किताब मदनी पंजसूरह के सफ़हा 246 पर है, *يَا مَلِكُ*  नब्बे (90) बार जो ग़रीब व नादार रोज़ाना पढ़ा करे इन्शा अल्लाह गुरबत से नजात पाएगा।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله

*✍🏼 ग़रीब फाएदे में है   पेज 20*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

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Wednesday 23 January 2019

*तज़किरतुल अम्बिया* #372


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*मूसा अलैहिस्सलाम को दरिया में असा मारने का हुक्म*

      अल्लाह तआला ने मूसा अलैहिस्सलाम को हुक्म दिया कि आप अपना असा दरिया पर मारो जब अपना असा दरिया पर मारा तो दरिया फट गया उसने रास्ता छोड़ दिया दर्मियान में खुश्क रास्ता और इधर उधर पानी की बुलंदी इतनी अजीम थी जैसे बड़े पहाड़ हों। बनी इस्राईल चूंकि बारह क़ाबिले थे एक ही रास्ते में एक दूसरे के साथ चलना मुनासिब नहीं समझते थे इसलिए हर क़बीला के लिये अलग रास्ता बनाया गया यानी दरिया में बारह रास्ते बनाए गये। हर रास्ता के दायें बायें पानी के अजीम पहाड़ों जैसे थे वह कहने लगे कि हमें क्या मालूम है कि हमारे दूसरे भाई जिन्दा है या पानी की तूगयानी में ग़र्क हो चुके हैं। तो दर्मियान से रौशनदानों की तरह पानी को हटा दिया गया वह एक वह एक दूसरे को देखते हुए दरिया उबुर कर गये। फ़िरऔन और उसके लश्कर ने भी दरिया में रास्ता देखकर अपने ने घोड़े दौड़ाए लेकिन वह बनी इस्राईल को न पा सके। 


*फ़िरऔन का ग़र्क़ होने पर ईमान लाना और क़बूल न होना* ये वाकया अगली पोस्ट में ان شاء الله.

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 310

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

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_नमाज़ छोड़ने का वबाल अहादिष की रौशनी में_* #07

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     मेराज की रात हुज़ूर ﷺ का गुज़र एक ऐसी क़ौम पर हुआ जिनके सर पथ्थर से कुचले जा रहे थे, जब वो रेज़ा रेज़ा हो जाते फिर अपनी असली हालत पर आ जाते और यही अज़ाब उन्हें बराबर दिया जा रहा था। आपने पूछा : जिब्राइल ! ये कौन लोग है ? फ़रमाया : ये वो लोग है जिनके सर नमाज़ पढ़ने से भारी हो जाते थे (यानी नमाज़ नहीं पढ़ते थे, या नमाज़ को बोझ समझते थे)

*✍🏼मुकाशफतुल कुलूब* 386

     क़ुरआन और हदिष के इन वाज़ेह इर्शादात से वाक़ीफ़ होने के बाद हर उस शख्स को जो नमाज़ से गफलत बरत रहा हो उसे चाहिये कि नमाज़ी बन जाए ताकि अल्लाह और रसूल ﷺ की रज़ा हासिल हो ओर हर तरह की आफत और मुसीबत से दुन्या और आख़िरत में हिफाज़त हो।

*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 21

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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-28, आयत, ②②③*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

तुम्हारी औरतें तुम्हारें लिये खेतियां हैं तो आओ अपनी खेतियों में जिस तरह चाहो (2) और अपने भले का काम पहले करो (3) और अल्लाह से डरते रहो और जान रखो कि तुम्हें उससे मिलना है और ऐ मेहबूब बशारत दो ईमान वालों को.


*तफ़सीर*

(2) यानी औरतों की क़ुर्बत से नस्ल का इरादा करो न कि वासना दूर करने का.

(3) यानी नेक और अच्छे कर्म या हमबिस्तरी से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ना.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*हिसाब का बयान*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सुवाल* - मीज़ान से क्या मुराद है ? 

     *जवाब* - मीजान से मुराद वोह तराजू है जिस में कियामत के दिन बन्दों के आमाल तोले जाएंगे, नेक भी बद भी, कौल भी फेल भी, काफिरों के भी मोमिनों के भी। 


     *सुवाल* - क्या कियामत के दिन सब का हिसाब लिया जाएगा ? 

     *जवाब* - अल्लाह के बाज़ मुसलमान बन्दे ऐसे भी होंगे जो बिगैर हिसाब के जन्नत में जाएंगे। 


     *सवाल* - फ़िरिश्ते जो आमाल नामे दुन्या में लिखते हैं उन का क्या बनेगा ? 

     *जवाब* - कियामत के दिन हर शख्स को उस का नामए आमाल दिया जाएगा जो फ़िरिश्ते लिखते हैं, नेकों के नामए आमाल दाहने हथ में दिये जाएंगे और बदो के बाए में।

*✍️बुन्यादी अक़ाइद और मामुलाते अहले सुन्नत* 43

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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #03


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*_घर से निकलते वक़्त की दुआ_*

بِسْمِ اللّٰهِ تَوَكَّلْتُ عَلَى اللّٰهِ لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ اِلَّا بِاللّٰهِ

*तर्जमा* - अल्लाह के नाम से, में ने अल्लाह पर भरोसा किया, गुनाह से बचने की क़ुव्वत और नेकी करने की ताक़त अल्लाह ही की तरफ से है।

*✍🏽सुनन अबी दाऊद, 4/420*


*_घर में दाखिल होते वक़्त की दुआ_*

اَللّٰهُمَّ اِنِّىْٓ اَسْئَلُكَ خَيْرَ الْمَوْلَجِ وَخَيْرَ الْمَخْرَجِ بِسْمِ اللّٰهِ وَلَجْنَا وَبِسْمِ اللّٰهِ خَرَجْنَا وَعَلَى اللّٰهِ رَبِّنَا تَوَكَّلْنَا

*तर्जमा* - ऐ अल्लाह ! में तुझसे दाखिल होने और निकलने की जगहों की भलाई तलब करता हु, अल्लाह के नाम से हम अन्दर दाखिल हुए और अल्लाह के नाम से बाहर निकले और हम ने अपने रब अल्लह पर भरोसा किया।

*✍🏽सुनन अबी दाऊद, 4/421*

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 204*


*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।

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*_रोजी में बरकत का बेहतरीन नुस्खा_*



بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हुजरते सय्यदुना सल बिन सा'द साइदी رضی اﷲ تعالٰی عنه बयान करते हैं कि एक शख्स ने हुजूरे अक्दस, शफ़ीए रोजे महशर ﷺ की खिदमते बा बरकत में हाज़िर हो कर अपनी गुरबत और तंगदस्ती की शिकायत की। 

    नबिय्ये करीम ﷺ ने इर्शाद फरमाया: जब तुम अपने घर में दाखिल हो तो सलाम करो अगर्ने कोई भी न हो, फिर मुझ पर सलाम भेजो और एक बार قُلْ هُوَ ﷲ शरीफ़ पढ़ो। उस शख्स ने ऐसा ही किया तो अल्लाह तआला ने उसे इतना मालदार कर दिया कि उस ने अपने हमसायों और रिश्तेदारों में भी तक्सीम करना शुरू कर दिया।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله

*✍🏼 ग़रीब फाएदे में है   पेज 19*

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Tuesday 22 January 2019

_नमाज़ छोड़ने का वबाल अहादिष की रौशनी में_* #06

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : नमाज़ जन्नत की कुन्जी है।

*✍🏼मुसन्दे अहमद बिन हम्बल*

     जब नमाज़ जन्नत की चाबी है तो उसके बगैर जन्नत का दरवाज़ा हरगिज़ नहीं खुल सकता।


     रहमते आलम ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : बन्दा जब नमाज़ के लिये खड़ा होता है तो उसके लिये जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते है, उसके और परवरदिगार के दरमियान से हिजाबात (पर्दे) हटा दिये जाते है और हूरे इन उसका इस्तिक़बाल करती है।

*✍🏼अत्तरगिब् वत्तरहिब*

     यानी बन्दा नमाज़ के वक़्त अल्लाह की रहमत के बेहद क़रीब हो जाता है।

*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 18

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*क़यामत और उसकी निशानियां* #12


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सुवाल* - महशर की हौलनाकियों, आफ्ताब की नज़दीकी से भेजे खोलने, बदबूदार पसीनों की तकालीफ़ और इन मुसीबतों में हजारहा बरस की मुद्दत तक मुब्तला और परेशान रहने का जो बयान फ़रमाया येह सब के लिये है या अल्लाह तआला के कुछ बन्दे उस से मुस्तसना भी हैं यानी जो इस में शामिल नहीं ? 

     *जवाब* - इन अहवाल में से कुछ भी अम्बिया व औलिया व अतकिया (परहेज़गार) व सुलह (नेक) को न पहुंचेगा वोह अलाह तआला के करम से इन सब आफ़तों और मुसीबतों से महफूज़ होंगे। कियामत का पचास हजार बरस का दिन जिस में न एक लुक्मा खाने को मयस्सर होगा, न एक कतरा पीने को, न एक झोंका हवा का। ऊपर से आफ्ताब की गर्मी भुन रही होगी, नीचे जमीन की तपिश, अन्दर से भूक की आग लगी होगी। प्यास से गर्दनें टूटी जाती होगी, सालहा साल की मुद्दत खड़े खड़े बदन कैसा दुखा हुवा होगा, शिद्दते खौफ़ से दिल फटे जाते होंगे। इन्तिजार में आंखें उठी होंगी, बदन का पुर्जा पुर्जा लरज़ता कांपता होगा, बोह तवील दिन अल्लाह तआला के फज़ल से उस के खास बन्दों के लिये एक फ़र्ज़ नमाज के वक्त से ज़ियादा हल्का और आसान होगा।

*✍️बुन्यादी अक़ाइद और मामुलाते अहले सुन्नत* 43

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #02

*

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*_बैतूल खला में दाखिल होने से पहले की दुआ_*

اَللّٰهُمَّ اِنِّىْ اَعُوْذُ بِكَ مِنَ الْخُبُثِ وَالْخَبَآئِثِ

*तर्जमा* - ऐ अल्लाह ! में नापाक जिन्न और जिन्नीयो से तेरी पनाह मांगता हु।

*✍🏼सहीह बुखारी, 4/195*

     चुकी पखाने में गंदे जिन्नात रहते है। इस लिये ये दुआ पढ़नी चाहिए।


*_बैतूल खला से बाहर आने के बाद की दुआ_*

اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِىْ اَذْهَبَ  عَنِّى الْاَذٰى وَعَافَانِىْ

*तर्जमा* - अल्लाह का शुक्र है जिसने मुझ से अज़िय्यत दूर की और मुझे आफिय्यत दी।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 204*


*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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Monday 21 January 2019

तज़किरतुल अम्बिया* #371

*

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*सुबह होने पर फ़िरऔन और उसकी क़ौम की हलाकत की तरफ रवानगी*

     फिरऔन ने जब देखा कि बनी इस्राईल मौजूद नहीं हैं तो बहुत गुस्से में हुआ उसने हर तरफ अपने कारिंदे दौड़ाकर अपनी फौजों, लश्करों और अपने तमाम हामियों को जमा कर लिया और कहने लगा कि बनी इस्राईल हमारे मुकाबले में एक छोटी सी जमाअत है वह हमेशा गैज़ व गजब को भड़काते रहते हैं मैं चाहता हूं कि इनको मुकम्मल तौर पर तबाह व बर्बाद कर दिया जाये। 

     अल्लाह ने फ़िरऔन को बर्बाद करने के लिए उनके दिलों में यह बार साबित कर दी की जब लोग बनी इस्राईल का पीछा करके उनका मुक़म्मल सफाया कर दो इस तरह अल्लाह तआला ने अपनी हिकमते कामिला से उन तमाम फिरौनियों को बर्बाद करके अपना वादा पूरा फरमा दीया। फ़िरऔन को मानने वाले तमाम उसके कहने पर अपनी नेमतों अपने आला किस्म के मकानात और फलदार दरख्तों के बागात और अपने समाने तअय्युश ऐश व इशरत के सामान को छोड़ कर बज़ाहिर बनी इस्राइल को तबाह करने के लिए चले जो दरहक़ीक़त अपनी ही बर्बादी की तरफ चल रहे थे। 

     फ़िरऔन के कहने पर सब लोग जमा होकर बनी इस्राइल के तआक़कुब में चल पड़े, दरियाए कुलज़म के किनारे पर उनके सामने पहुंच गये बनी इस्राईल ने जब देखा तो कहने लगे कि अब तो हम पकड़ लिये जायेंगे उनके दिलों में पहले ही फरऔन का रोब छाया हुआ था और वह तादाद में भी फिरौनियो से बहुत कम थे और किसी किस्म का उनके पास कोई असलहा भी नहीं था इसलिए उन पर बहुत ज्यादा खौफ तारी हुआ तो मूसा अलैहिस्सलाम ने कहा कि मेरा रब तआला मेरे साथ हैं वह अभी मेरी रहनुमाई फ़रमायेगा। 


*मूसा अलैहिस्सलाम के दरिया में असा मारने का हुक्म* ये वाकिया अगली पोस्ट में ان شاء الله.

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 310

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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_नमाज़ छोड़ने का वबाल अहादिष की रौशनी में_* #05

*

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : बन्दा जब सज्दे की आयत पढ़कर सज्दा करता है तो शैतान अलाहिदा (अलग) होकर रोता है और कहता है : हाय मुसीबत ! इसे सज्दे का हुक्म हुआ, इसने सज्दा किया तो इसे जन्नत नसीब हुई और मुझे सज्दे का हुक्म हुआ और मेने नहीं किया तो मुझे दोज़ख मिली।

*✍🏼सहीह मुस्लिम*

     शैतान को जन्नत से इसलिये निकलना पड़ा क्योंकि अल्लाह के हुक्म के बावुजूद उसने सज्दा करने से इनकार कर दिया था। हमें भी अल्लाह ने नमाज़ पढ़ने यानी सजदारेज़ होने का हुक्म फ़रमाया है। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम भी इसी सज्दे से गाफिल होने की वजह से जन्नत से महरूम कर दिये जाए।


     हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : अपने अहले खाना (घर वालो) को नमाज़ पढ़ने का हुक्म दो बेशक अल्लाह तुम्हें ऐसी जगह से रोज़ी देगा जिसके मुतअल्लिक़ तुम गुमान भी नहीं कर सकते।

*✍🏼इहयाउल उलूम*

     मालुम हुआ कि नमाज़ पढ़ने वालों को अल्लाह बेरोज़गार नहीं रहने देता, उन्हें ऐसी जगह से रोज़ी देता है जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता।

*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 18

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ot.in

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-28, आयत, ②②②*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और तुमसे पूछते हैं हैज़ का हुक्म (1) तुम फ़रमाओ वह नापाकी है तो औरतों से अलग रहो हैज़ के दिनों और उनके क़रीब न जाओ जब तक पाक न हो लें फिर जब पाक हो जाएं तो जहां से तुम्हें अल्लाह ने हुक्म दिया बेशक अल्लाह पसन्द करता है बहुत तौबह करने वालों को और पसन्द रखता है सुथरों को.


*तफ़सीर*

(1) अरब के लोग यहूदियों और मजूसीयों यानी आग के पुजारियों की तरह माहवारी वाली औरतों से सख़्त नफ़रत करते थे. अरब खाना पीना, एक मकान में रहना गवारा न था, बल्कि सख़्ती यहाँ तक पहुँच गई थी कि उनकी तरफ़ देखना और उनसे बात चीत करना भी हराम समझते थे, और ईसाई इसके विपरीत माहवारी के दिनों में औरतों के साथ बड़ी महब्बत से मशग़ूल होते थे, और सहवास में बहुत आगे बढ़ जाते थे. मुसलमानों ने हुज़ूर से माहवारी का हुक्म पूछा. इस पर यह आयत उतरी और बहुत कम तथा बहुत ज़्यादा की राह छोड़ कर बीच की राह  अपनाने की  तालीम दी गई  और बता दिया गया कि  माहवारी के दिनों में  औरतों से  हमबिस्तरी 

करना मना है.

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क़यामत और उसकी निशानियां* #11

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

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     *सुवाल* - इस मुश्किल घड़ी में हुजूर ﷺ अपने चाहने वालों की कैसे मदद फ़रमाएंगे ? 

     *जवाब* - इस बे कसी के वक्त में बे कसों के मददगार , हुजूर ﷺ काम आएंगे और अपने नियाज़ मन्दों और उम्मीदवारों की शफाअत फरमाएंगे। हुजूर ﷺ की शफ़ाअतें कई तरह की होंगी बहुत लोग तो आप की शफाअत से बे हिसाब दाखिले जन्नत होंगे और बहुत लोग जो दोज़ख के मुस्तहिक होंगे हुजूर ﷺ की शफाअत से दुखूले दोज़ख़ से बचेंगे और जो गुनाहगार मोमिन दोजख में पहुंच चुके होंगे वोह हुजूर ﷺ की शफाअत से दोज़ख से निकाले जाएंगे। अहले जन्नत भी आप ﷺ की शफाअत से फैज़ पाएंगे, इन के दरजात बुलन्द किये जाएंगे। बाकी और अम्बिया व मुर्सलीन व सहाबए किराम व शुहदा व उलमा व औलिया अपने मुतवस्सिलीन यानी वसीला ढूंडने वालों की शफाअत करेंगे। लोग उलमा को अपने तअल्लुकात याद दिलाएंगे, अगर किसी ने आलिम को दुन्या में वुजू के लिये पानी ला कर दिया होगा तो वोह भी याद दिला कर शफ़अत की दरख्वास्त करेगा और वोह उस की शफ़ाअत करेंगे। 

*✍️बुन्यादी अक़ाइद और मामुलाते अहले सुन्नत* 42

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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआए* #01


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

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*_दुआए मुस्तफा_*

     अल्लाह के प्यारे हबीबﷺ अक्सर ये दुआ भी माँगा करते थे :

يَا مُقَلِّبَ الْقُلُوْبِ ثَبِّتْ قَلْبِىْ عَلٰى دِيْنِكَ

*तर्जमा* - ऐ दिलो के फेरने वाले ! मेरे दिल को अपने दिन पर क़ाइम रख।

*✍🏼मिरआत, 1/109*


*_सोते वक़्त की दुआ_*

اَللّٰهُمَّ بِاسْمِكَ اَمُوْتُ وَاَحْيَا

*तर्जमा*  - ऐ अल्लाह ! में तेरे नाम के साथ ही मरता और जीत हु (यानी सोता और जागता हु)


*_नींद से बेदार होने के बाद की दुआ_*

اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِىْ  اَحْيَانَا بَعٍدَمَآ اَمَاتَنَا وَاِلَيْهِ النُّشُوْرُ

*तर्जमा* - तमाम तारीफे अल्लाह के लिये जिस ने हमें मौत (नींद) के बाद हयात (बेदारी) अता फ़रमाई और हमे उसी की तरह लौटना है।

*✍🏽सहीह बुखारी, 4/193*

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 203*

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Sunday 20 January 2019

तज़किरतुल अम्बिया* #370

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*बनी इस्राईल को मिस्र से ले जाने का हुक्म*

     मूसा अलैहिस्सलाम को रब तआला ने हुक्म दिया कि बनी इसाइल को रात में मिस्र से निकाल कर ले जाओ यानी अब बनी इस्राईल की नजात और फिरऔन और उसकी कौम की तबाही का वक़्त आ चुका है। 

     रात को निकालने का हुक्म दिया ताकि बनी इस्राईल का इज्तेमा दुश्मन के सामने न हो और वह उनकी मुराद की तकमील में रोडा न बने रात को निकालने की दूसरी वजह यह भी थी कि फ़िरऔन और उसका एक लश्कर उनका पीछा करके उनको रोक न सके और फ़िरऔन के अजीम लश्कर को देखकर बनी इस्राईल खौफ न करें। चांदनी रात में मूसा अलैहिस्सलाम अपनी कौम को साथ लेकर चले बनी इस्राइल के पास काफी मिकदार में सोने और चांदी के जेवरात भी थे जो उन्होंने कुब्तियों से मांग कर लीये हुए थे कि हम इन्हें अपनी ईद में इस्तेमाल करेंगे वह पहले भी उनसे जेवरात लेते रहते थे।  

     यूसुफ अलैहिस्सलाम ने वसीयत फ़रमाई थी कि जब तुम मिस्र से निकलो तो मेरा ताबूत भी साथ लेकर जाना तो मूसा अलैहिस्सलाम ने आपकी वसीयत के मुताबिक एक बुढ़ी औरत की निशानदेही पर वह ताबूत निकाल कर खुद बनफ़्से नफिस उठाया। 

     

*सुबह होने पर फ़िरऔन और उसकी क़ौम की हलाकत की तरफ रवानगी* ये वाकिया अगली पोस्ट में ان شاء الله.

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 309

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_नमाज़ छोड़ने का वबाल अहादिष की रौशनी में_* #04

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हज़रत उबादा बिन सामित से मरवी है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : पांच वक़्त की नमाज़ अल्लाह ने फ़र्ज़ फ़रमाई है, जिसने अच्छे ढंग से वुज़ू किया और नमाज़ों को उनके वक़्तों पर अदा किया और उनका हक़ हल्का समझकर बर्बाद नहीं किया तो अल्लाह फ़रमाता है "उनका मेरे जिम्मे ये वादा है कि ऐसे आदमी को बख्श दूंगा।

*✍🏼मुस्नदे अहमद*


     हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : नमाज़ दरमियानी औक़ात (वक़्तों) के गुनाहों का कफ़्फ़ारा है जबकि कबीरा (बड़े) गुनाहों से ओरहेज़ किया जाए।

*✍🏼कन्जुल उम्माल*

*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 17

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सूरतुल बक़रह, रुकुअ-27, आयत, ②②①


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और  शिर्क वाली  औरतों से निकाह न करो जब तक मुसलमान न हो जाएं (14) और बेशक मुसलमान लौंडी मुश्रिका औरत से अच्छी है (15) अगरचे वह तुम्हें भाती हो  और मुश्रिको के निकाह में न दो जब तक वो ईमान न लाएं (16) और बेशक मुसलमान ग़ुलाम मुश्रिकों से अच्छा है अगरचे वो तुम्हें भाता हो, वो दोज़ख़ की तरफ़ बुलाते हैं (17) और अल्लाह जन्नत और बख़्शिश की तरफ़ बुलाता है अपने हुक्म से और अपनी आयतें लोगों के लिये बयान करत है कि कहीं वो नसीहत मानें.


*तफ़सीर*

(14) हज़रत मरसद ग़नवी एक बहादुर सहाबी थे. हुज़ूर सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने उन्हें मक्कए मुकर्रमा रवाना किया ताकि वहाँ से तदबीर के साथ मुसलमानों को निकाल लाएं. वहाँ उनाक़ नामक एक मुश्रिक औरत थी जो जाहिलियत के ज़माने में इनसे महब्बत रखती थी. ख़ूबसूरत और मालदार थी. जब उसको इनके आने की ख़बर हुई तो वह आपके पास आई और मिलने की चाह ज़ाहिर की. आपने अल्लाह के डर से उससे नज़र फेर ली और फ़रमाया कि इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता. तब उसने निकाह की दरख़ास्त की. आपने फ़रमाया कि यह भी रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की इजाज़त पर निर्भर है. अपने काम से छुट्टी पाकर जब आप सरकार की ख़िदमत में हाज़िर हुए तो हाल अर्ज़ करके निकाह के बारे में दर्याफ़्त किया. इस पर यह आयत उतरी. (तफ़सीरे अहमदी). कुछ उलमा ने फ़रमाया जो कोई नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के साथ कुफ़्र करे वह मुश्रिक है, चाहे अल्लाह को एक ही कहता हो और तौहीद का दावा रखता हो. (ख़ाज़िन)

(15) एक रोज़ हज़रत अब्दुल्लाह बिन रवाहा ने किसी ग़लती पर अपनी दासी के थप्पड़ मारा फिर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की ख़िदमत में हाज़िर होकर उसका ज़िक्र किया. सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने उसका हाल दर्याफ़्त किया. अर्ज़ किया कि वह अल्लाह तआला के एक होने और हुज़ूर के रसूल होने की गवाही देती है, रमज़ान के रोज़े रखती है, ख़ूब वुज़ू करती है और नमाज़ पढ़ती है. हुज़ूर ने फ़रमाया वह ईमान वाली है. आप ने अर्ज़ किया, तो उसकी क़सम जिसने आपको सच्चा नबी बनाकर भेजा, मैं उसको आज़ाद करके उसके साथ निकाह करूंगा और आपने ऐसा  ही किया. इस पर लोगों ने ताना किया कि तुमने एक काली दासी से निकाह किया इसके बावुजूद कि अमुक मुश्रिक आज़ाद औरत तुम्हारे लिये हाज़िर है. वह सुंदर भी है. मालदार भी है. इस पर नाज़िल हुआ “वला अमतुम मूमिनतुन”यानी मुसलमान दासी मुश्रिका औरत से अच्छी है. चाहे आज़ाद हो और हुस्न और माल की वजह से अच्छी मालूम होती हो.

(16) यह औरत के सरपस्तों को सम्बोधन है. मुसलमान औरत का निकाह मुश्रिक व काफ़िर के साथ अवैध व हराम है.

(17) तो उनसे परहेज़ ज़रूरी है और उनके साथ दोस्ती और रिश्तेदारी ना पसन्दीदा.

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*क़यामत और उसकी निशानियां* #10


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सुवाल* - इस मुसीबत से लोगों को कैसे नजात मिलेगी ? 

     *जवाब* - इस हालत में तवील अर्सा गुज़रेगा। पचास हजार साल का तो वोह दिन होगा और इस हालत में आधा गुजर जाएगा। लोग सिफ़ारिशी तलाश करेंगे जो इस मुसीबत से नजात दिलाए और जल्द हिसाब शुरू हो। अम्बिया عليه السلام की बारगाह में हाज़िरी होगी लेकिन मक्सद पूरा न होगा। आखिर में हुजूरे पुरनूर, सय्यदे अम्बिया, रहमते आलम ﷺ के हुजूर में फरयाद लाएंगे और सिफारिश की दरख्वास्त करेंगे। हुजूर ﷺ फरमाएंगे मैं इस के लिये मौजूद हूं। येह फ़रमा कर हुजूर ﷺ बारगाहे इलाही  में सजदा करेंगे। अल्लाह तआला की तरफ से इरशाद होगा ऐ मुहम्मद सजदे से सर उठाइये बात कहिये सुनी जाएगी, शफाअत कीजिये कबूल की जाएगी। ' हुजूर ﷺ की येह शफाअत तो तमाम अहले महशर के लिये है जो शदीद डर और खौफ की वज्ह से फरयाद कर रहे होंगे और येह चाहते होंगे कि हिसाब फरमा कर इन के लिये हुक्म दे दिया जाए। अब हिसाब शुरू होगा। मीज़ाने अमल में आमाल तोले जाएंगे, आमाल नामे हाथों में होंगे। अपने ही हाथ, पाउं, बदन के आजा अपने खिलाफ गवाहियां देंगे। जमीन के जिस हिस्से पर कोई अम्ल किया था वोह भी गवाही देने को तय्यार होगा। अजीब परेशानी का वक्त होगा कोई यार न गमगुसार। न बेटा बाप के काम आ सकेगा न बाप बेटे के। आमाल की पुरसिश यानी पुछगछ है। जिंदगी भर का किया हुवा सामने है। न गुनाह से मुकर सकता है, न कहीं से नेकियाँ मिल सकती है।

*✍️बुन्यादी अक़ाइद और मामुलाते अहले सुन्नत* 41

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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दुआ मांगने के मदनी फूल* #04

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     ★ येह दुआ करना, "खुदाया ! सब मुसलमानों के सब गुनाह बख्श दे।" जाइज़ नहीं कि इस में उन अहादीसे मुबारका की तक्ज़ीब (झुटलाना) होती है जिन में बाज़ मुसल्मान का दोजख में जाना वारीद हुवा। अलबत्ता यूं दुआ करना “सारी उम्मते मुहम्मद ﷺ की मग्फिरत (बख्रिाश) हो या सारे मुसलमानों की मग्फ़िरत हो जाइज़ है।

     ★ अपने लिये और अपने दोस्त अहबाब, अहलो माल और औलाद के लिये बद दुआ न करे, क्या मालूम कि कबूलिय्यत का वक्त हो और बद दुआ का असर ज़ाहिर होने पर नदामत हो।

     ★ जो चीज हासिल हो (यानी अपने पास मौजूद हो) उस की दुआ न करे मसलन मर्द यूं न कहे, "या अल्लाह मुझे मर्द कर दे कि इस्तिहजा (मजाक बनाना) है। अलबत्ता ऐसी दुआ जिस में शरीअत के हुक्म की तामील या आजिजी व बन्दगी का इज़हार या परवर्द गार और मदीने के ताजदार ﷺ से महब्बत या दीन या अहले दीन की तरफ रग्बत या कुफ़्रो काफिरीन से नफरत वगैरा के फवाइद निकलते हों वोह जाइज़ है अगर्चे इस अम्र का हुसूल यकीनी हो। जैसे दुरूद शरीफ़ पढ़ना, वसीले की, सिराते मुस्तक़ीम की अल्लाह व रसूल ﷺ के दुश्मनों पर गजब व लानत की दुआ करना।  

     ★ दुआ में तंगी न करे मसलन यूं न मांगे या अल्लाह तन्हा मुझ पर रहम फरमा या सिर्फ मुझे और मेरे फुल फुलां दोस्त को नेमत बख्श। बेहतर येह है कि सब मुसल्मानों को दुआ में शामिल करले इस्केक फायदा यह भी होगा कि अगर खुद उस नेक बात के हक़दार न भी हुवा तो अच्छे मुसलमानों के तुफैल पा लेगा।

     ★ हज़रते इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली رحمة الله عليه फरमाते है : मज़बूत अक़ीदे के साथ दुआ मांगे और क़बूलिय्यत का यक़ीन रखे।

*✍️मदनी पंजसुरह* 190

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*_हकीकी मुफ्लिस कौन_* #2



بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

    डर जाओ! लरज़ उठो! हकीकत में मुफ्लिस वोह है जो नमाज़, रोज़ा, हज, ज़कात व सदकात, सखावतों, फलाही कामों और बड़ी बड़ी नेकियों के बा वुजूद बरोजे कियामत खाली का खाली रह जाए ! 

    कभी गाली दे कर , कभी तोहमत लगा कर , बिला इजाज़ते शरई डांट डपट कर, बे इज्ज़ती कर के , ज़लील कर के, मारपीट कर , आरियतन ( या'नी आरिज़ी तौर पर ) ली हुई चीजें कस्दन न लौटा कर , कर्ज दबा कर और दिल दुखा कर जिन को दुन्या में नाराज कर दिया होगा वोह उस की सारी नेकियां ले जाएंगे और नेकियां खत्म हो जाने की सूरत में उन के गुनाहों का बोझ उस पर डाल कर वासिले जहन्नम कर दिया जाएगा । 

*इलाही ! वासिता देता हूं मैं मीठे मदीने का*

*बचा दुन्या की आफत से,बचा उक्बा की आफत से*

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله

*✍🏼 ग़रीब फाएदे में है   पेज 17*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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Saturday 19 January 2019

तज़किरतुल अम्बिया* #369

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*मुख्तलिफ किस्म के अज़ाब* #05

     फिर अल्लाह तआला ने उन पर खून का अज़ाब नाजिल किया उनके तमाम कुंओं का पानी नहरों और चश्मों के पानी दरिगाए नील का पानी गर्ज कि हर पानी उनके लिये ताजा खुन बन गया, उन्होंने फिरऔन से इसकी शिकायत की तो कहने लगा कि मूसा अलैहिस्सलाम ने अपने जादू से तुम्हारी नजर बंदी की है उन्होंने कहा नजर बंदी कैसे हमारे बर्तनों में खून ही है पानी का नमो निशान ही नहीं तो उसने हुक्म दिया कि कुबती और बनी इस्राईल एक बर्तन से पानी लिया करें। लेकिन इसका भी उन्हें कोई फायदा न हुआ। बनी इस्रईल जब निकालते तो पानी ही निकलता लेकिन जब उसी बर्तन से कुब्ति निकालते तो खुन निकलता। यहां तक कि फ़िरऔनी औरतें प्यास से आजिज़ होकर बनी इस्राईल की औरतों के पास आई और उनसे पानी मांगा तो वह पानी उनके बर्तन में आते ही खून हो गया तो फिरऔनी औरतें कहने लगी कि तू पानी अपने मुंह में लेकर मेरे मुंह में डाल दे जब तक वह पानी बनी इस्राईली औरत के मुंह में रहा पानी था जब फ़िरऔनी औरत के मुंह में आया तो खून बन गया। 

     फिरऔन का शिद्दते प्यास की वजह से बुरा हाल था दरख्तों का रस चूस रहा था वह भी मुह में पहुंचते ही खून बन जाता। फिर इसी मुसीबत से तंग आकर मूसा अलैहिस्सलाम से दुआ की दरख्वास्त की और ईमान लाने का वादा किया।

     उन तमाम पर अज़ाब एक एक हफ्ता रहे जब भी कोई अज़ाब आता मुसा अलैहिस्सलाम से ईमान लाने का वादा करते की तुम दुआ करो कि अगर यह अज़ाब हम से उठा लिया जये तो हम ईमान ले आयेंगे अज़ाब जब उठा लिया जाता फिर वादा तोड़ देते एक महीना उनका आराम से गुज़र जता फिर दूसरे अज़ाब में मुब्तला हो जाते हर बार उन्होंने ईमान लाने का वादा किया लेकिन तोड़ दिया।


*बनी इस्राईल को मिस्र से ले जाने का हुक्म* अगली पोस्ट में ان شاء الله.

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 308

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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_नमाज़ छोड़ने का वबाल अहादिष की रौशनी में_* #03

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हज़रत मुआज़ कहते है कि मेने रसुलल्लाह ﷺ से सवाल किया : या रसूलल्लाह ﷺ ! वो बात बताइये जो मुझे जन्नत में ले जाए और जहन्नम से बचाए ? फ़रमाया : अल्लाह की इबादत करो, उसके साथ किसी को शरीक न ठहराओ, नमाज़ क़ायम करो, ज़कात दो,रमज़ान के रोज़े रखो और बैतुल्लाह का हज करो।

*✍🏼सहीह मुस्लिम*

     मालुम हुआ कि जन्नत में दाखिल और जहन्नम से नजात के लिये नमाज़ की अदायगी ज़रूरी है।


     हज़रत अबू हुरैरा رضي الله عنه से मरवी है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : जो शख्स अपने घर में तहारत (वुज़ू) करके फ़र्ज़ नमाज़ अदा करने के लिये मस्जिद जाता है तो एक क़दम पर एक गुनाह मिटता है और दूसरे पर एक दर्जा बुलन्द होता है।

*✍🏼मुस्लिम शरीफ*

*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 16

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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ot.in

सूरतुल बक़रह, रुकुअ-27, आयत, ②②ⓞ*

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

दुनिया  और आख़िरत के काम (12) और तुमसे यतीमों के बारे में पूछते हैं(13) तुम फ़रमाओ उनका भला करना बेहतर है  और अगर अपना उनका ख़र्च मिला लो तो वो तुम्हारे भाई हैं  और ख़ुदा ख़ूब जानता है बिगड़ने वाले को संवारने वाले से  और अल्लाह चाहता तो तुम्हें मशक्कत (परिश्रम) में डालता बेशक अल्लाह ज़बरदस्त हिकमत वाला है.


*तफ़सीर*

(12) कि जितना तुम्हारी सांसरिक आवश्यकता के लिये काफ़ी हो, वह लेकर बाक़ी सब अपनी आख़िरत के नफ़े के लिये दान कर दो. (ख़ाज़िन)

(13) कि उनके माल को अपने माल से मिलाने का क्या हुक्म है. आयत “इन्नल लज़ीना याकुलूना अमवालल यतामा ज़ुलमन” यानी वो जो यतीमों का माल नाहक़ खाते हैं वो तो अपने पेट में निरी आग भरते हैं. (सूरए निसा, आयत दस) उतरने के बाद लोगों ने यतीमों के माल अलग कर दिये और उनका खाना पीना अलग कर दिया. इसमें ये सूरतें भी पेश आई कि जो खाना यतीम के लिये पकाया गया और उसमें से कुछ बच रहा वह ख़राब हो गया और किसी के काम न आया. इस में यतीमों का नुक़सान हुआ. ये सूरतें देखकर हज़रत अब्दुल्लाह बिन रवाहा ने हुज़ूर सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से अर्ज़ किया कि अगर यतीम के माल की हिफ़ाज़त की नज़र से उसका खाना उसके सरपरस्त अपने खाने के साथ मिलातें तो उसका क्या हुक्म है. इस पर आयत उतरी और यतीमों के फ़ायदे के लिये मिलाने की इजाज़त दी गई.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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क़यामत और उसकी निशानियां* #09

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सुवाल* - कियामत कब काइम होगी ? 

     *जवाब* - इस का इल्म तो खुदा को है और उस के बताने से हुजूर ﷺ को है। हमें इस कदर मालूम है कि जब येह सब अलामतें ज़ाहिर हो चुकेगी और रूए जमीन पर कोई खुदा का नाम लेने वाला बाकी न रहेगा तब हज़रते इसराफील  ब हुक्मे इलाही सूर फुकेंगे। उस की आवाज़ शुरू शुरू में तो बहुत नर्म होगी और आहिस्ता आहिस्ता बुलन्द होती चली जाएगी। लोग उस को सुनेंगे और बेहोश हो कर गिर पड़ेंगे और मर जाएंगे, ज़मीनो आस्मान और तमाम जहान फना हो जाएगा। फिर जब अल्लाह तआला चाहेगा हज़रते इसराफ़ील को ज़िन्दा करेगा और दोबरा सूर फुकने का हुक्म देगा। सूर फुकते ही फिर सब कुछ मौजूद हो जाएगा। मुर्दे कब्रों से उठेंगे। नमए आमाल उन के हाथों में दे कर महशर में लाए जाएंगे। वहां जज़ा और हिसाब के लिये मुन्तज़िर खड़े होंगे। आफ्ताब निहायत तेजी पर और सरों से बहुत करीब ब कदरे एक मील होगा। शिद्दते गर्मी से दिमाग खोलते होंगे, इस कसरत से पसीना निकलेगा कि सत्तर गज़ ज़मीन में जज़्ब हो जाएगा फिर जो पसीना जमीन न पी सकेगी वोह ऊपर चढ़ेग, किसी के टलों तक होगा, किसी के घुटनों तक, किसी के कमर, किसी के सीने, किसी के गले तक और काफिर के तो मुंह तक चढ़ कर मिस्ले लगाम के जकड़ जाएगा। हर शख्स हस्बे हाल व आमाल होगा, फिर पसीना भी निहायत बदबूदार होगा। 

*बुन्यादी अक़ाइद और मामुलाते अहले सुन्नत* 40

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

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दुआ मांगने के मदनी फूल* #03

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     ★ किसी मुसल्मान को येह बद दुआ न दे कि "तू काफ़िर हो जाए कि बाज़ उलमा के नज़दीक (ऐसी दुआ गांगना) कुफ्र है और तहकीक येह है कि अगर कुफ्र को अच्छा या इस्लाम को बुरा जान कर कहे तो बेशक कुफ्र है वरना बड़ा गुनाह है कि मुसल्मान की बद ख़्वाहि (यानी बुरा चाहना) हराम है, खुसूसन येह बद ख़्वाही (कि फुलां का ईमान बरबाद हो जाए) तो सब बद ख्वाहियों से बदतर है।

     ★ किसी मुसल्मान पर लानत न करे और उसे मरदूद व मलऊन न कहे और जिस काफ़िर का कुफ्र पर मरना यकीनी नहीं उस पर भी नाम ले कर लानत न करे। 

     ★ किसी मुसल्मान को येह बद दुआ न दे कि “तुझ पर खुदा का ग़ज़ब नाज़िल हो और तू (भाड़ और) आग या दोजख में दाखिल हो।" कि हदीस शरीफ़ में इसकी मुमानअत वारिद है।

     ★ जो काफ़िर मरा उस के लिये दुआए मगफिरत हराम व कुफ्र है।

*✍️मदनी पंजसुरह* 190

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*_हकीकी मुफ्लिस कौन_* #1



بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

      दुन्यवी मालो जर की मोहताजी उखवी नेमतें पाने का सबब है बशर्ते कि सब्र का दामन हाथ से न छूटे। लिहाजा इस हालत से परेशान हों न तश्वीश में मुब्तला हों। तश्वीश नाक गुरबत तो आखिरत की गुरबत है और येही गुरबत दर हकीकत मुसीबत है। 

      जैसा कि हज़रते सय्यदुना अबू हुरैरा رضی اﷲ تعالٰی عنه से मरवी है कि पैकरे अन्वार , तमाम नबियों के सरदार, मदीने के ताजदार ﷺ ने सहाबए किराम عليهِم الرّضْوَان से इस्तिफ्सार फ़रमाया : क्या तुम जानते हो मुफ्लिस कौन है ? सहाबए किराम عليهِم الرّضْوَان ने अर्ज की : हम में मुफ्लिस ( या ' नी गरीब , मिस्कीन ) वोह है जिस के पास न दिरहम हों और न ही कोई माल।

     तो इर्शाद फरमाया : "मेरी उम्मत में मुफ्लिस वोह है। जो कियामत के दिन नमाज, रोजा और जकात ले कर आएगा लेकिन उस ने फुलां को गाली दी होगी, फुलां पर तोहमत लगाई होगी, फुलां का माल खाया होगा, फुलां का खून बहाया होगा और फुलां को मारा होगा। पस उस की नेकियों में से उन सब को उन का हिस्सा दे दिया जाएगा। अगर उस के ज़िम्मे आने वाले हुकूक के पूरा होने से पहले उस की नेकियां खत्म हो गई तो लोगों के गुनाह उस पर डाल दिये जाएंगे , फिर उसे जहन्नम में फेंक दिया जाएगा।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله

*✍🏼 ग़रीब फाएदे में है   पेज 17*

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Friday 18 January 2019

तज़किरतुल अम्बिया* #368

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

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*मुख्तलिफ किस्म के अज़ाब* #04

     फिर अल्लाह ने उन पर मेढक भेजे और यह हाल हुआ कि आदमी बैठता था तो उसकी मजलिस में मेढक भर जाते थे बात करने के लिये मुंह खोलता तो मेढक कूद कर मुंह में दाखिल हो जाता। हांडियों में मेढक खाने में मेढक और चुल्हों में मेढक भर जाते थे आग बुझ जाती थीं मेढक ऊपर सवार हो जाते थे। इस मुसीबत से फ़िरऔनी रो पड़े और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से अर्ज किया इस दफा हम पक्का वादा करते हैं कि तौबा करेंगे ईमान लायेंगे आप दुआ करें यह मुसीबत इम से टल जाये। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उनसे अहद व पैमान लेकर फिर दुआ फरमाई सात रोज यह अज़ाब भी उन पर रहा आखिर मूसा अलैहिरसलाम की दुआ से यह भी दूर हुआ एक महीना उनका फिर अमन व आफ़ियत में गुज़र गया लेकिन उन्होंने फिर वादा तोड़ दिया और अपने कुफ़ पर बरकरार रहे।


बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله

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*_नमाज़ की फ़ज़ीलत अहादिष की रौशनी में_* #02


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हज़रत अब्दुल्लाह बिन अम्र कहते है कि एक रोज़ नबीए करीम ﷺ ने नमाज़ का ज़िक्र किया और फ़रमाया : जिसने नमाज़ की पाबन्दी की तो नमाज़ उसके लिये क़यामत के दिन रौशनी, हुज्जत और नजात का सबब बनेगी।

*✍🏼मुसन्दे अहमद बिन हम्बल*

 

     हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद फ़रमाते है कि मेने महबूबे खुदा ﷺ से दरयाफ़्त किया या रसूलल्लाह ﷺ ! अल्लाह को बन्दों का कौन सा अमल सबसे ज़्यादा पसन्द है ? फ़रमाया वक़्त पर नमाज़ पढ़ना।

*✍🏼सहीह बुखारी*

*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 16

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