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फैज़ाने फ़ारुके आज़म



*फैज़ाने फ़ारुके आज़म* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_फ़ारुके आज़म का नामें नामी इसमें गिरामी_*
     दौरे जाहिलिय्यत के दौरे इस्लाम में आपرضي الله تعالي عنه का नाम "उमर" ही रहा। उमर के माना है "आबाद रखने वाला" या "आबाद करने वाला"। हज़रते उमरرضي الله تعالي عنه के सबब चुकी इस्लाम आबाद होना था इस लिये अल्लाह ने पहले ही आप को "उमर" नाम अता फरमा दिया और इस्लाम आप के सबब आबाद हुआ लिहाज़ा आप इसमें बा मुसम्मा है।
     इंसानी ज़िन्दगी की मुद्दत को भी उम्र कहते है यानी जिस्म की आबादी का ज़माना। फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه का अहदे खिलाफत चुकी इस्लाम की आबादी का ज़माना है इस ऐतिबार से भी आपرضي الله تعالي عنه इसमें बा मुसम्मा हुवे।

_*आसमानों, इंजील, तौरेत और जन्नत में आप का नाम*_
     मरवी है की अमीरुल मोमिनीन हज़रते उमर फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه का नाम आसमानों में "फारूक़" इंजील में "काफी" तौरात में "मन्तकुल हक़" और जन्नत में "सिराज" है।

*_बारगाहे रिसालत से अताकर्दा नाम_*
     हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها से रिवायत है : रसूलुल्लाहﷺ ने हज़रते उमर फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه का नाम फारूक रखा।
*फैज़ाने फ़ारुके आज़म, 39*
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*फैज़ाने फ़ारुके आज़म* #02
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*_फ़ारुके आज़म की पैदाइश और जाए परवरिश_*
*फ़ारुके आज़म की पैदाइश*
     आपرضي الله تعالي عنه आमूल फिल के 13 साल बाद पैदा हुवे, यु आप की तारीखे विलादत 583 ईस्वी तक़रीबन 41 साल क़ब्ले हिजरत है। हज़रते सिद्दीके अकबरرضي الله تعالي عنه आमूल फिल के ढाई साल बाद पैदा हुवे यु आप सिद्दीके अकबरرضي الله تعالي عنه से उम्र में तक़रीबन साढ़े दस साल छोटे है और सरकारे मदीनाﷺ चुकी आमूल फिल के साल दुन्या में तशरीफ़ लाए यु आपرضي الله تعالي عنه हुज़ूरﷺ से उम्र में तक़रीबन 13 साल छोटे है।

*फ़ारुके आज़म की जाए परवरिश*
     आपرضي الله تعالي عنه मक्का में ही पैदा हुवे और मक्का ही आप की जाए परवरिश है, बचपन से ले कर जवानी तक, नीज़ मदीना हिजरत से क़ब्ल तक आप ने मक्का में ही ज़िन्दगी गुज़ारी।

*दौरे जाहिलिय्यत में फ़ारुके आज़म का घर*
     हज़रते अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद बिन साद ने उमुरे मक्का के आलिम हज़रते अबू बक्र बिन मुहम्मद मक्कीرضي الله تعالي عنه से पूछा : ज़मानए जाहिलिय्यत में आप का घर कहा था ? फ़रमाया : फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه की रिहाइश गाह उस पहाड़ पर थी जो आज कल "जबले उमर" के नाम से मशहूर है, ज़मानए जाहिलिय्यत में इसका नाम आकिर था फिर आप के नाम से मन्सूब कर दिया गया, इसी पहाड़ पर क़बिलए बनू अदिय्य (फ़ारुके आज़म का क़बीला) आबाद था।
*✍🏽फैज़ाने फ़ारुके आज़म, 58*
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*फैज़ाने फ़ारुके आज़म* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*फ़ारुके आज़म का हुस्ने ज़ाहिरी* #01
*_फ़ारुके आज़म की मुबारक रंगत_*
     हज़रते इब्ने कुतैबा रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है की "कूफा के लोगो ने अमीरुल मुअमिनिन हज़रते उमर फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه का जो हुल्या बयान किया है उस के मुताबिक़ आप का रंग गहरा गन्दुमी था। जब की अहले हिजाज़ ने जो आप का हुल्या बयान किया है उसके मुताबिक़ आप की रंगत बहुत सफेद थी बल्कि ऐसी सफेद थी जेसे चुना होता है और लगता था की आप के जिसमे मुबारक में खून ही नही है।
     अल्लामा वाकिदि अलैरहमा फरमाते है  की जिन्होंने आपرضي الله تعالي عنه के गन्दुमी रंग होने का क़ौल किया है उन की बात दुरुस्त नही की उन्हों ने आप को "आमुर्रमादा" यानी कहत साली वाले साल देखा था। आप ने उस साल दूध और चर्बी वगैरा खाना छोड़ दिया था सिर्फ ज़ैतून का तेल इस्तिमाल फरमाते जिस के सबब आप की रंगत गन्दुमी हो गई थी। अल्लामा इब्ने हजर असक्लानि अलैरहमा ने भी बाज़ फारुकी हज़रात से यही क़ौल नक़ल किया है।

*_फ़ारुके आज़म का क़दे मुबारक_*
     हज़रते ज़र बिन हुबैश और अक्सर लोगो ने यही बयान किया है की अमीरुल मुअमिनिन उमर फारूकرضي الله تعالي عنه लम्बे क़द वाले और भारी जिस्म वाले थे। चन्द लोगो में जब आप खड़े होते तो यु मालुम होता था की आप दीगर लोगो को ऊपर से देख रहे है।

*_फ़ारुके आज़म की मुबारक आँखे और रुखसार_*
     हज़रते ज़र बिन हुबैशرضي الله تعالي عنه फरमाते है की अमीरुल मुअमिनिन फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه की आँखे लाल-सुर्ख और रुखसार बहुत ही पतले और कमज़ोर थे।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله
*फैज़ाने फ़ारुके आज़म, 59*
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*फैज़ाने फ़ारुके आज़म* #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*​फ़ारुके आज़म का हुस्ने ज़ाहिरी*​ #02
*_फ़ारुके आज़म की दाढ़ी मुबारक_*
     हज़रते अबू उमरرضي الله تعالي عنه फरमाते ही की अमीरुल मुअमिनिन हज़रते उमर फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه की दाढ़ी मुबारक घनी व घुंगरियाली थी।
     आला हज़रत अलैरहमा फरमाते है : शैखे मुहक़्क़ीक़ मदारिजुन्नुबुव्वत में फरमाते है : अस्लाफ की आदत इस बारे में मुख़्तलिफ़ थी चुनांचे, मन्कुल है की अमीरुल मुअमिनिन हज़रते अलीكَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم की दाढ़ी इन के सीने को भर देती थी इस तरह हज़रते फ़ारुके आज़म और हज़रते उष्मानرضي الله تعالي عنهم की मुबारक दाढ़िया थी, और लिखते है की शैख़ मोहयुद्दीन अब्दुल क़ादिर जिलानीرضي الله تعالي عنه लंबी और चौड़ी दाढ़ी वाले थे।

*_फ़ारुके आज़म की मुछे_*
     आपرضي الله تعالي عنه की मुछे दरमियान से पस्त और दाए बाए बढ़ी हुई थी। हज़रते ज़र बिन हुबैशرضي الله تعالي عنه फरमाते है : आप की मुछो के बाल दाए बाए से काफी बढ़े हुवे थे और उन में भूरा पन भी था।
     हज़रते अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैरرضي الله تعالي عنه से रिवायत है, आप को जलाल आता तो अपनी मुछो को ताव देते थे।
     हज़रते अस्लम रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है, फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه को जब जलाल आता तो अपनी मुछो को अपनी मुह की तरफ करते और इन में फुक मारते।

*_फ़ारुके आज़म मेहदी से खिज़ाब फरमाते_*
     हज़रते अनस बिन मालिकرضي الله تعالي عنه से रिवायत है, अबू बक्र सिद्दीक़رضي الله تعالي عنه ने मेहदी और कतम दोनों का खिज़ाब लगाया और फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه ने फ़क़त मेहदी का खिज़ाब लगाया।
     एक रिवायत में यु फ़रमाया है, फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه अपने बालो को मेहदी से आरास्ता किया करते थे। हज़रते खालिद बिन अबी बक्रرضي الله تعالي عنه से रिवायत है फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه अपनी दाढ़ी और सर में मेहदी लगाया करते थे।

*_फ़ारुके आज़म से मुशाबे सहाबी_*
     हज़रते खालिद बिन वलीदرضي الله تعالي عنه अमीरुल मुअमिनिन उमर फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه की ज़ाहिरी शक्लो सूरत के मुशाबे थे।
*✍🏽फैज़ाने फ़ारुके आज़म, 61*
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*फैज़ाने फ़ारुके आज़म* #04
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*फारुके आज़म के मुबारक अंदाज़* #01
    
*_फारुके आज़म के चलने का मुबारक अंदाज़_*
     हज़रते सीमाक बिन हर्बرضي الله تعالي عنه से रिवायत है : अमीरुल मुअमिनिन फारुके आज़मرضي الله تعالي عنه कुशादा क़दमो के साथ चला करते थे और चलते हुवे ऐसा लगता गोया आप किसी सुवारी पर सुवार है और दीगर लोग पैदल चल रहे है।

*_आप के खाने का अंदाज़_*
     आपرضي الله تعالي عنه निहायत ही मुत्तक़ी और परहेज़गार थे, क़तई जन्नती होने के बा वुजूद हमेशा फ़िक्रे आख़िरत दामन गिर रहती थी और ये फ़िक्र आप को भूका रहने पर उकसाती रहती थी। आपرضي الله تعالي عنه की खोराक निहायत ही कलिल थी, कभी जव की रोटी के साथ ज़ैतून, कभी दूध, कभी सिरका, कभी सुखाय हुवा गोश्त तनावुल फरमाते, ताज़ा गोश्त बहुत ही कम इस्तिमाल करते थे, कभी दो खाने इकठ्ठे नही खाए। मनसबे खिलाफत पर मुतमक्कीन होने के बाद तो आपرضي الله تعالي عنه ऐसी खुश्क रोटी खाया करते थे की आम लोग उसे खाने से आजिज़ आ जाए। निज खाना कहते हुवे रोटी के किनारो को अलाहिदा करके खाना आप को सख्त ना पसंद था।

*_आप के गुफ्तगू करने का मुबारक अंदाज़_*
     आपرضي الله تعالي عنه के बोलने और बात करने का निहायत ही मुबारक अंदाज़ था, आम मुआमलात में आप की गुफ्तगू का अंदाज़ बहुत नर्म था लेकिन आप के चेहरे की वजाहत और रोब व दबदबे की वजह से उस में शिद्दत महसूस होती। आपرضي الله تعالي عنه की खिलाफत में लोगो को सबसे ज़्यादा हक़ बात कहने का होसला मिला। लेकिन जहा कही शरई मुआमले की खिलाफ वर्जि होती वहा आप सख्ती फरमाते और यक़ीनन ये आप की गैरत इमानी का मुह बोलता सुबूत था। बीसियो वाकियात ऐसे मिलते है की जहां इस्लामी गैरत का मुआमला आता वहा आपرضي الله تعالي عنه फौरन जलाल में आ जाते।

*_आप का बैठने का मुबारक अंदाज़_*
     आपرضي الله تعالي عنه की मुकम्मल सीरत पर नज़र डाली जाए तो ये बात ज़ाहिर होती है की आप बैठते बहुत कम थे, हर वक़्त किसी न किसी काम में मसरूफ़ रहा करते थे, अलबत्ता जब बैठते थे तो चार ज़ानू बेठा करते थे, चुनांचे इमाम ज़ोहरि अलैरहमा से रिवायत है : आपرضي الله تعالي عنه उमुमन चार ज़ानू बेठा करते थे।

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*✍🏽फैजाने फारुके आज़म, 63*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*फैज़ाने फ़ारुके आज़म* #05
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*फारुके आज़म के मुबारक अंदाज़* #02
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*_आप के सोने का मुबारक अंदाज़_*
     हज़रते इमाम ज़ोहरि अलैरहमा से रिवायत है : आपرضي الله تعالي عنه जब लेटते तो एक टांग को दूसरी टांग पर चढ़ा लिया करते थे।
*ज़मीन पर ही आराम फरमाते*
     उमुमन ऐसा होता है की जिसे कोई मनसब मिल जाए अगरचे वो उन मनसब पर मुतमक्कीन होने से पहले सादा ज़िन्दगी गुज़ारता हो लेकिन मनसब मिलने के बाद उस के तौर तऱीके बदल जाते है। हज़रत फारुके आज़मرضي الله تعالي عنه भी जेसे ही मनसबे खिलाफत पर मुतमक्कीन हुवे उन की हयाते मुबारका में भी काफी तब्दीली आ गई लेकिन ये तब्दीली फ़िक्रे आख़िरत से भरपूर थी। पहले आप आम ज़िन्दगी गुज़ार रहे थे लेकिन जेसे खिलाफत के बाद ज़मीन पर कुछ बिछाए बगैर ही आराम फरमा हो जाते, दौरान सफर कोई सायबान या खैमा वगेरा साथ न रखते बल्कि कहि पड़ाव करना होता तो कपड़ा दरख्त पर लटका कर या चमड़े का टुकड़ा दरख्त पर डाल कर उसके साए में आराम कर लेते।
     आपرضي الله تعالي عنه का एक मशहूर वाकिया है की रूम का एलची आप رضي الله تعالي عنه के बारे में दरयाफ़्त करता हुवा जब आप के पास पहुचा तो आप ज़मीन पर आराम फरमा रहे थे। वो ये देख कर हैरान व शशदर रह गया की मुसलमानो का अमीर कितने सुकून से ज़मीन पर आराम फरमा है हालांकि इस के रोब और जलाल से कैसरो किसरा कांपते है।

*_आप के काम करने मुबारक अन्दाज़_*
     बसा औक़ात हुक्मरानो में ऐसा भी होता है की हाथ से बहुत ही कम काम करते है अक्सर हुक्म दे कर काम लेने को तरजीह देते है। लेकिन हज़रत उमर फारुके आज़मرضي الله تعالي عنه की ज़ाते मुबारक में ऐसी कोई आदत न थी। आप दोनों हाथो से बयक वक़्त काम करने में महारत रखते थे।

*_आप के लिबास का मदनी अंदाज़_*
     आपرضي الله تعالي عنه ने कभी शाहाना लिबास को तरजीह न दी, हमेशा सादा लिबास ही पहन। आप सिर्फ एक जुब्बा पहना करते थे और उस में भी जगह जगह पैवन्द लगे हुवे थे, कहि कहि उस में चमड़े का भी पैवन्द लगा होता था। बाज़ औक़ात ऐसा भी देखने में आया की आप की क़मीज़ पर तिन पैवन्द जब की तेहबन्द पर बारह पैवन्द लगे हुवे थे। यहाँ तक की जब आप बैतूल मुक़द्दस तशरीफ़ ले गए तो आप के लिबास पर चौदह पैवन्द लगे हुवे थे।

*_आप की मुस्कुराहट_*
     आपرضي الله تعالي عنه उन हुक्मरानो के सरदार थे जिन पर फ़िक्रे आख़िरत ही ग़ालिब रहती थी, फ़िक्रे आख़िरत के सबब उन्हें कभी कोई ऐसा मौक़ा ही न मिलता था की वो खिल खिला कर हस्ते। अहदे रिसालत में जब बारगाहे रिसालतﷺ में हाज़िर होते तो बसा औक़ात रसूलुल्लाहﷺ के साथ मुस्कराहटों का तबादला हो जाता था। क्यू की इन की ख़ुशी महबूब की ख़ुशी में थी, जब ये देखते की आज महबूब खुश है तो ये भी खुश हो जाते। अलबत्ता आप के अहदे खिलाफत की कोई ऐसी वाज़ेह रिवायत नही मिलती की जिस में आप के हसने का तज़किरा हो, अलबत्ता उल्माए किराम ने इस बात को ज़रूर बयान फ़रमाया है की आपرضي الله تعالي عنه बहुत ही कम हस्ते थे।
*✍🏽फैजाने फारुके आज़म, 66*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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